प्रस्तुति : प्रकाश गोविन्द
ईद का मक़सद फ़क़त रोज़े-नमाज़ें ही नहीं ज़िन्दगी अपनी बना कुन्दन अमल की आग से बेकसों और नातवानों की ज़रा सुध-बुध तो ले पारसाई ही तेरी तुझको न ले डूबे कहीं
देश की ख़ातिर मिटा दे अपनी हस्ती तू नदीम आज के दिन होगी क़ुरबानी यही सब से अज़ीम रमजान माह के आखिरी अशरे ने फिजाँ में भाईचारे का संदेश घोल दिया। इस्लामिक केलेंडर के इस नौवें महीने का धार्मिक महत्त्व जितना है , सांस्कृतिक महत्त्व भी उससे कम नही है। इसे महसूस करने के लिए आपका मुस्लिम होना भी ज़रूरी नही । फलक पर चाँद के दीदार होने का इंतज़ार करते किसी मुसलमां की रूह को चाँद दिखाई देने पर जितना करार आता होगा , आप उससे गले लग कर "रमजान मुबारक" के अल्फाज़ कह कर देखें - उतना ही चैन न सिर्फ़ आपकी बल्कि हिंदुस्तान की रूह को भी मिलेगा ।
आप सभी को क्रिएटिव मंच की ओर से रमजान उल मुबारक की बहुत-बहुत बधाई और शुभ कामनाएं ।। |
इस ख़ास मौके पर आपके लिए पेश हैं - बेमिसाल अप्रतिम सौंदर्य समेटे दुनिया के कुछ चुनिंदा इबादतघर |
अल - फतह मस्जिद (बड़ी मस्जिद), बहरीन |
अल - अक्स मस्जिद , जेरुसलम |
अल - मस्जिद अल -नबवी मस्जिद, मदीना |
बादशाही मस्जिद, लाहौर, पाकिस्तान |
बैतुल फतह मस्जिद , लन्दन |
फैज़ल मस्जिद , इस्लामाबाद , पाकिस्तान |
ग्रोज्नी सेन्ट्रल मस्जिद , ग्रोज्नी, चेचेन्या |
सुल्तान सलाहुद्दीन अब्दुल अज़ीज़ मस्जिद , मलेशिया |
तैरती हुयी मस्जिद , जेद्दाह , सऊदी अरब |
शेख ज़ायेद बड़ी मस्जिद , अबू धाबी (यू ए ई) |
सुल्तान अहमद मस्जिद , इस्तानबुल, टर्की |
नीली मस्जिद, मजार-ए-शरीफ , अफगानिस्तान |
मस्जिद अल - हरम , मक्का मेच्चा , सऊदी अरब |
प्रस्तुत सामग्री : अंतरजाल से साभार