सोमवार, 18 जनवरी 2010

भारत की प्राचीन द्रविडियन युद्ध कला - "कलरिप्पयट्"

क्विज संचालन ---- प्रकाश गोविन्द


नमस्कार !
क्रियेटिव मंच आप सभी लोगों का स्वागत करता है !
आप सभी को बहुत-बहुत बधाई जिन्होने इस पहेली मे हिस्सा लिया !

कल C.M.Quiz -22 के अंतर्गत हमने एक चित्र दिखाया था, जिसमें दो युवक तलवार से युद्ध करते दिखाई दे रहे थे ! हमने सवाल पूछा था -'यह क्या है' ! दरअसल हमारा आशय दक्षिण भारत के गौरवशाली पारंपरिक युद्ध कला से था ! प्रतियोगियों को उस कला का नाम बताना था ! क्विज का सही जवाब था - दक्षिण भारत की प्राचीन द्रविडियन युद्ध कला - "कलरिप्पयट्", जो कि मुख्यत केरल राज्य में आज भी गुरु-शिष्य परम्परा के अंतर्गत सिखाई जाती है।

इस बार की क्विज में सिर्फ पांच लोगों ने सही जवाब दिए ! सबसे पहले सही जवाब प्राप्त हुआ रेखा प्रहलाद जी का और कुछ पलों बाद ही अल्पना वर्मा जी का ! दोनों ने ही इस युद्ध कला का नाम बताने के साथ ही इसके बारे जानकारी भी प्रदान की ! सुलभ सतरंगी जी ने भी सही जवाब दिया था किन्तु समय सीमा समाप्त हो जाने के काफी देर पश्चात आने के कारण उसे परिणाम में शामिल नहीं किया जा रहा है !

सभी विजेताओं को हमारी तरफ से बहुत-बहुत बधाई और शुभ कामनाएं

अब आईये जानते हैं भारत की इस प्राचीन युद्ध कला के बारे में :
-कलरिप्पयट्-
[दक्षिण भारत की प्राचीन द्रविडियन युद्ध कला]

भारतीय युद्ध कला कलरिप्पयट् (Kalarippayattu), जो अपनी तरह की विश्व की सबसे पुरानी विद्या है। इस विद्या का अभ्यास केरल तथा उससे लगे तमिलनाडु और कर्नाटक में प्रचलित है. इसके अंतर्गत पटकना, पद-प्रहार, कुश्ती तथा हथियार बनाने के प्रशिक्षण के matial_art_kerala_kalarippayattuसाथ उपचार की विधियाँ भी सिखाई जाती हैं। कलरिप्पयट् शब्द कलरि अर्थात विद्यालय तथा पयट्ट (जो पयट्टुका से बना है) अर्थात ‘युद्ध करना’ से मिल कर बना है. तमिल में इन दोनों शब्दों से जो अर्थ निकलता है वह है-’सामरिक कलाओं का अभ्यास’।

कलरिप्पयट् का उद्भव 12वीं शताब्दी ई.पू. का माना जाता है। इसका जन्म केरल या आसपास के क्षेत्रों में हुआ था। इस कला का विकास 11वीं शताब्दी में चेर और चोल राजाओं के शासन काल में युद्ध के अधिक महत्व के कारण हुआ होगा। कुछ शताब्दियों से इसके दक्षिण भारतीय स्वरूप (जो खुले हाथों से युद्ध पर अधिक बल देता है) का अभ्यास मुख्यतः तमिल भाषी क्षेत्रों में होता है।

कहते हैं कि चीनी और जापानी सामरिक कलाओं का जन्म भारतीय सामरिक कलाओं से ही हुआ जो बोधिसत्वों के द्वारा प्रचलित की गयीं। यह भी माना जाता है
111.psd
कि ये भारतीय कलायें कलरिप्पयट् ही थीं, 19वीं सदी में ब्रितानी साम्राज्य की स्थापना के बाद यह कला धीरे धीरे गुम होने लगी। किंतु सन 1920 में पूरे दक्षिण भारत में पारंपरिक कलाओं को जीवंत करने की एक लहर उठी जिसके चलते तेल्लीचेरी में कलरिप्पयट् को पुनर्जीवन मिला। उसके बाद सन् 1970 तक विश्व स्तर पर सामरिक कलाओं के प्रति रुझान देखा गया और यही रुझान इस कला के विकास का कारण रहा। आधुनिक समय में कुछ अन्तर्राष्ट्रीय फ़िल्मों के ज़रिये इसका प्रसार करने का प्रयास किया जाता रहा है। साथ ही कुछ नृत्य प्रशिक्षण केन्द्र व्यायाम के तौर पर इसका अभ्यास करते हैं।

कलरिप्पयट् के तीन स्वरूप हैं- दक्षिण भारतीय, उत्तर भारतीय और मध्य भारतीय. लगभग सात वर्ष की छोटी उम्र से ही इच्छुक विद्यार्थी को गुरुकुल में प्रशिक्षित करना शुरू कर देते हैं। यथावत विधि-विधान के साथ शिष्य गुरु से दीक्षा लेता है. इस प्रशिक्षण के चार मुख्य अंग हैं- मीतरी, कोलतरी, अनकतरी, और वेरमकई। इनके साथ मर्म तथा मालिश का ज्ञान भी दिया जाता है। मर्म के ज्ञाता अपने शत्रुओं के मर्म के स्पर्श मात्र से उनके प्राण ले सकते हैं अत: यह कला धैर्यवान तथा समझदार लोगों को ही सिखाई जाती है।

कलरिप्पयट् का प्रभाव केरल की सांस्कृतिक कलाओं पर भी साफ़ दिखता है जिनमें कथकली मुख्य है। कई कलाओं तथा नृत्यों जैसे कथकली, कोलकली एवं वेलकली आदि ने अपने विकास के दौरान कलरिप्पयट्ट से ही प्रेरणा ली है। कितना अद्भुत है ना… कहाँ युद्ध विद्या और कहाँ नृत्य कला. किंतु ऐसी विविधता में एकता ही तो है हमारे भारत की पहचान !
kala1

प्राचीन भारतीय युद्ध कलाओं को ही जापानी और चाइना की
मार्शल कलाओंका जन्मदाता बहुत से लोग मानते हैं. भारत देश में प्राचीन काल से चली आ रही इन कलाओं का नृत्य के रूप में प्रस्तुत किया जाता है और सिखाया जाता है ताकि ये कलाएं संरक्षित रह सकें. दक्षिण के केरल, तमिलनाडू और कर्नाटका में कलरिप्पयट् नाम से तथा मणिपुर में ' थांग -ता' के नाम से जानी जाती है.

कलरिप्पयट् को मुख्यत चार सोपानों में सिखाया जाता है.धातु के हथियारों से लड़ने के स्टेप को अन्थाकारी कहते हैं.जो कि पहेली के चित्र में दिखाया गया था. इसमें छात्र को उसकी पसंद के हथियार से लड़ने में पारंगत किया जाता है। मणिपुर की युद्ध कला - 'थांग-टा, यह कला मणिपुर की अति प्राचीन मार्शिअल कला' हुएन लाल्लोंग 'का ही परिष्कृत रूप है।

Famous Institutions :
Indian School of Martial Arts, Kalmandalam
Places of Origin of this art :
Kondotty – 26 km from Malappurram [Kerala] is the

C.M. Quiz - 22
प्रतियोगिता का पूरा परिणाम :
प्रथम स्थान : सुश्री रेखा प्रह्लाद जी
rekha prahlaad ji
************************************************************
द्वितीय स्थान : सुश्री अल्पना वर्मा जी
alpana ji quiz -19
************************************************************
तृतीय स्थान : सुश्री शुभम जैन जी
shubham jain
************************************************************
sangeeta ji
************************************************************
पांचवां स्थान : श्री रामकृष्ण गौतम जी
ram krishn gautam ji
************************************************************
applauseapplauseapplauseविजताओं को बधाईयाँapplause applause applause applause applause applause applause applause applause
***********************************************************
आशा है जो इस बार सफल नहीं हुए अगली बार अवश्य सफल होंगे

सभी प्रतियोगियों और पाठकों को शुभकामनाएं !

आप लोगों ने उम्मीद से बढ़कर प्रतियोगिता में शामिल होकर
अगले रविवार (Sunday) को हम ' प्रातः दस बजे' एक नयी क्विज़ के साथ यहीं मिलेंगे !
इस आयोजन को सफल बनाया, जिसकी हमें बेहद ख़ुशी है !
सुश्री रेखा प्रहलाद जी
सुश्री अल्पना वर्मा जी
श्री मनोज कुमार जी
सुश्री पूर्णिमा जी
श्री शिवेंद्र सिन्हा जी
श्री जमीर जी
श्री राज रंजन जी
सुश्री संगीता पुरी जी
श्री राज भाटिय़ा जी
सुश्री शुभम जैन जी
श्री आनंद सागर जी
सुश्री इशिता जी
श्री रजनीश परिहार जी
श्री रामकृष्ण गौतम जी
श्री सुलभ 'सतरंगी' जी
सुश्री अलका सारवत जी

आप सभी लोगों का हार्दिक धन्यवाद,

यह आयोजन हम सब के लिये मनोरंजन ओर ज्ञानवर्धन का माध्यम है !
आपके पास कोई सुझाव हो तो हमें जरूर ई-मेल करें !
अंत में हम सभी प्रतियोगियों और पाठकों का आभार व्यक्त करते हैं,
जिन्होंने क्रियेटिव मंच की क्विज़ में शामिल होकर हमारा उत्साह बढायाth_CartoonJustify Full

सधन्यवाद
क्रियेटिवमंच
creativemanch@gmail.com
================
The End
===============

रविवार, 17 जनवरी 2010

C.M.Quiz-22 [यह कौन सी पारंपरिक युद्ध कला है]

क्विज संचालन ---- प्रकाश गोविन्द


Life is a Game, …
God likes the winner and loves the looser..
But hates the viewer…So……Be the Player
logo

आप सभी को नमस्कार !

क्रियेटिव मंच आप सभी का स्वागत करता है !
रविवार (Sunday) को सवेरे 10 बजे पूछी जाने वाली
क्विज में एक बार हम फिर हाजिर हैं !

सुस्वागतम
Welcome

लीजिये इस बार 'सी एम क्विज़- 22' एक बहुत ही आसान क्विज है आपके सामने ! सिर्फ छोटा सा एक प्रश्न ! आप चित्र को ध्यान से देखिये और हमें बताईये कि आखिर चित्र में हो क्या रहा है ??? इसे कहते क्या हैं ???
हमें आपसे संतुलित और बौद्धिक जवाब की आशा है !

*********************************************************
यह क्या है ?
111.psd
तो बस जल्दी से जवाब दीजिये और बन जाईये

C.M. Quiz - 22 के विजेता !
*********************************************************

पूर्णतयः सही जवाब न मिलने की स्थिति में अधिकतम सही जवाब देने वाले प्रतियोगी को विजेता माना जाएगा ! जवाब देने की समय सीमा कल यानि 18 जनवरी, दोपहर 2 बजे तक है ! उसके बाद आये हुए जवाब को प्रकाशित तो किया जाएगा किन्तु परिणाम में शामिल करना संभव नहीं होगा !
---- क्रियेटिव मंच
सूचना :
माडरेशन ऑन रखा गया है इसलिए आपकी टिप्पणियों को प्रकाशित होने में समय लग सकता है क्विज का परिणाम कल यानि 18 जनवरी को रात्रि 7 बजे घोषित किया जाएगा !
----- प्रकाश गोविन्द

विशेष सूचना :
क्रियेटिव मंच की तरफ से विजताओं को प्रमाणपत्र तीन श्रेणी में दिए जायेंगे ! कोई प्रतियोगी तीन बार प्रथम विजेता ( हैट्रिक होना जरूरी नहीं है ) बनता है तो उसे "चैम्पियन " का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा

इसी तरह अगर कोई प्रतियोगी छह बार प्रथम विजेता बनता है तो उसे "सुपर चैम्पियन" का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा !

किसी प्रतियोगी के दस बार प्रथम विजेता बनने पर क्रियेटिव मंच की तरफ से 'जीनियस' का प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा

C.M.Quiz के अंतर्गत अलग-अलग तीन राउंड (चक्र) होंगे ! प्रत्येक राउंड में 35 क्विज पूछी जायेंगी ! प्रतियोगियों को अपना लक्ष्य इसी नियत चक्र में ही पूरा करना होगा !
---- क्रियेटिव मंच

79

बुधवार, 13 जनवरी 2010

श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता - 1 का परिणाम

प्रतियोगिता संचालन :- - प्रकाश गोविन्द


मकर संक्रांति कि शुभकामनाएं

पहले जब मैं पत्रिकाएं पढता था तो उनमें एक परिशिष्ट ऐसा ही होता था ! चित्र दिया होता था और पाठक लोग सुन्दर-सारगर्भित पंक्तियों का सृजन करते थे ! मुझे वो प्रष्ट बहुत भाता था ...... सबसे पहले मैं उसी प्रष्ट को देखता था ! समय बदल गया .... लोगों के सोचने का द्रष्टिकोण बदल गया ! आज पत्रिकाओं में ऐसा कुछ देखने को नहीं मिलता ! पहले हम लोग पत्र लिखते थे ... अक्षर-अक्षर महकते थे ! अपनी सारी भावनाएं शब्दों में पिरो देते देते थे ! अब फोन, एस.एम.एस. और ई-मेल का ज़माना है ! आज हम दूसरों के दिमाग तक पहुंचना चाहते हैं भले ही दिल तक न पहुंचे !

खैर .....
इस आयोजन की भूमिका बहुत पहले से मन में थी ! बस हिम्मत नहीं पड़ रही थी .. सोच रहा था कि भला कौन पड़ेगा इस झमेले में ? इतना समय किसके पास है ? फिर भी सोचा कि चलो एक भी प्रतियोगी ने अगर सार्थक पंक्तियाँ लिख दीं तो आयोजन सफल मान लूँगा ! लेकिन जिस तरह से सजग रचनाशील पाठकों ने इसमें हिस्सा लिया वह मेरे लिए अत्यंत आश्चर्य-मिश्रित प्रसन्नता की बात है !

जानता हूँ कि इस तरह किसी चित्र को देखकर यकायक कुछ रचनात्मक लिखना आसान नहीं होता ! इसीलिए पाठकों ने आयोजन में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी, यही हमारे लिए बहुत ख़ुशी की बात है ! कुछ प्रतियोगियों ने 'माडरेशन ऑन' रखने का सुझाव दिया था ! उनके सुझाव को मानते हुए अब "श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता" में 'माडरेशन ऑन' रखा जाएगा ! आप सभी का बहुत-बहुत आभार/बधाई

श्रेष्ठ सृजन के चयन का निर्णय पूरी तरह हमने आदरणीय शिखा वार्ष्णेय जी पर छोड़ दिया था ! आईये देखते हैं उन्होंने किन तीन प्रतियोगियों द्वारा सृजित पंक्तियों का चुनाव किया है !

श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता-1 में 'श्रेष्ठ सृजन' का चयन

shikha.psd

आप सभी को नमस्कार !

सबसे पहले मैं क्रिएटिव मंच का शुक्रिया अदा करती हूँ कि उन्होंने मुझे इस प्रतियोगिता के निर्णायक बनने के लायक समझा . श्रेष्ठ सृजन जैसी सार्थक प्रतियोगिता के माध्यम से बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ पढने को मिलीं. आप सबकी रचनात्मकता उत्कृष्ट है ,सबने बहुत ही अच्छा लिखा है ,और मेरे लिए बहुत ही कठिन था - इनमे से श्रेष्ठता के पैमाने पर चयन करना, पर चूँकि मुझे ये जिमेदारी दी गई है, आशा है आप सभी लोग खुले दिल से मेरे निर्णय को स्वीकार करेंगे !

अत मैं निम्नलिखित प्रतिभागियों का चुनाव करती हूँ


'श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता' में दिए गए चित्र और सर्वश्रेष्ठ चयनित पंक्तियों पर एक नजर :
s.s.-1
श्रेष्ठता के क्रमानुसार चयनित प्रविष्टियाँ :

[प्रथम]

देखता हूँ
अखबार की नजरों से
जब दुनिया..
सोचता हूँ
मेरे दुख,
मेरी गरीबी
और
मेरी मजबूरियाँ
कितना बौना है उनका कद!!

[ पंक्तियों में चित्र का सार पूरी तरह समाहित है ]

[द्वितीय]

शायद किसी पन्ने पर मेरी तकदीर हो
मंहगाई को रोकने की कोई तहरीर हो.

[पंक्तियाँ चित्र में दिखाए व्यक्ति की मनोस्थिति को दर्शाती हैं.]

[तृतीय]

जूते चप्पलों की मरम्मत करूँ
मेरी रोज़ी रोटी मेर कर्म है
देश दुनिया की खबरे पढूं
ये मेरा नागरिक धर्म है.

[पंक्तियाँ कर्म और धर्म दोनों की व्याख्या करती हैं.]
श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता के विजेताओं के नाम
श्रेष्ठ सृजन के प्रथम विजेता : समीर लाल जी 'समीर'
udan tashtari ji.psd
************************************************************
श्रेष्ठ सृजन की द्वितीय विजेता : निर्मला कपिला जी
Nirmla Kapila
************************************************************
श्रेष्ठ सृजन के तृतीय विजेता : सुलभ "सतरंगी" जी
sulabh satrangi
************************************************************
जिन अन्य प्रतियोगियों के सृजन ने विशेष रूप से प्रभावित किया :
manoj kumar.psd alpz09 shivendra
roshni ji shamim shamim.psd
************************************************************
************************************************************
srajan 2

आईये अब चलते हैं "श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता - 2" की तरफ !
नीचे एक चित्र दिया गया है ! आपको बस चित्र के भावों का समायोजन करते हुए रचनात्मक पंक्तियाँ लिखनी हैं ! 'पहले अथवा बाद' का इस प्रतियोगिता में कोई चक्कर नहीं है अतः आप इत्मीनान से लिखें ! 'माडरेशन ऑन' रहेगा ! प्रत्येक प्रतियोगी की सिर्फ एक प्रविष्टि पर विचार किया जाएगा, इसलिए अगर आप पहली के बाद दूसरी अथवा तीसरी प्रविष्टि देते हैं तो पहले की भेजी हुयी प्रविष्टि पर विचार नहीं किया जाएगा ! प्रतियोगी की आखिरी प्रविष्टि को ही हम फाईनल मान लेंगे
---- क्रियेटिव मंच
0308262236421n35mm206a1

ध्यान से देखा आपने ये चित्र ?

क्या इसको देखकर आपके दिल में कोई भाव ...कोई विचार ... कोई सन्देश उमड़ रहा है ?

तो बस चित्र से सम्बंधित भावों को शब्दों में व्यक्त कर दीजिये ... आप कोई सुन्दर सी तुकबंदी ... कोई कविता - अकविता... कोई शेर...कोई नज्म..कोई दिल को छूती हुयी बात कह डालिए ! क्या कहा आपने ? कविता वगैरह में हाथ तंग है ? .... अरे तो फिर गद्य में दो-चार अच्छी सी पंक्तियाँ लिख डालिए ! बात तो दिल तक पहुँचने की है न ?

इतना अवश्य ध्यान रहे लेखन में मौलिकता होनी चाहिए ! पंक्तियाँ स्वयं आपके द्वारा रचित होनी चाहिए ! परिणाम के बाद भी यह पता चलने पर कि पंक्तियाँ किसी और की हैं, विजेता का नाम निरस्त कर दिया जाएगा !

प्रतियोगिता में शामिल होने की समय सीमा रविवार 18 जनवरी शाम 5 बजे तक है ! "श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता- 2" का परिणाम अगले बुधवार 20 जनवरी 2010 रात्रि सात बजे प्रकाशित किया जाएगा !
----- क्रिएटिव मंच
The End

सोमवार, 11 जनवरी 2010

लार्ड कार्नवालिस का मकबरा, गाजीपुर (उत्तर प्रदेश)

क्विज संचालन ---- प्रकाश गोविन्द


=============================
प्रथम विजेता - रेखा प्रहलाद जी
=============================

नमस्कार !
क्रियेटिव मंच आप सभी लोगों का स्वागत करता है !
आप सभी को बहुत-बहुत बधाई जिन्होने इस पहेली मे हिस्सा लिया !

कल C.M.Quiz -21 के अंतर्गत हमने एक इमारत दिखाई थी और प्रतियोगियों से पूछा था कि यह इमारत किसकी यादगार है ! मालूम था कि यह क्विज सब पर बहुत भारी पड़ेगी और हुआ भी यही ! लेकिन केवल आदरणीय रेखा प्रहलाद जी को कोई दिक्कत नहीं हुयी ! उन्होंने सटीक जवाब देते हुए एक बार फिर अपनी श्रेष्टता का परचम लहराया है !

अब तक ब्लॉग जगत की पहेलियों और क्विज में सिर्फ दो नारी शक्ति की हुकूमत चलती थी - अल्पना वर्मा जी और सीमा जी ! अब एक नाम और जुड़ गया है - रेखा प्रहलाद जी ! क्रिएटिव मंच उनके इस लाजवाब प्रदर्शन से अभिभूत है ! रेखा जी चौथी बार प्रथम विजेता बनी हैं ! हम उनका अभिनन्दन करते हैं ! आज की इस क्विज में सिर्फ चार लोगों ने सही जवाब दिए ! एक प्रतियोगी सुश्री इशिता जी ने ब्रिटिश राज के सारे गवर्नर जनरल की लिस्ट ही थमा दी थी ...:) उनका भी शुक्रिया !

सभी विजेताओं को हमारी तरफ से बहुत-बहुत बधाई और शुभ कामनाएं

C.M.Quiz - 21 का सही जवाब :
लार्ड कार्नवालिस का मकबरा, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश
[The Tomb of Lord Cornwallis, Ghazipur, Uttar Pradesh]

लार्ड कार्नवालिस
LORD CORNWALLIS.psd लार्ड कार्नवालिस एक ऐसा सुधारक व प्रशासक था, जो वह भारतीय इतिहास में एक सफल गवर्नर जनरल के रूप में पहचान बना सका। 1786 ई. में लार्ड कार्नवालिस को भारत का दूसरा गवर्नर जनरल व कमांडर इन चीफ के रूप में नियुक्त किया गया। कार्नवालिस ने बुद्घिमानी व सावधानी से तत्कालीन ब्रितानी हुकूमत के प्रति लोगों में पनपी घृणा की भावना को काफी हद तक दूर कर दिया। कार्नवालिस ने राजस्व, न्यायिक सेवा क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार किये।

सार्वजनिक सेवाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार का खात्मा किया। उसने कंपनी के शासन में न्यायिक व प्रशासनिक कार्यो को दो भागों में बांट दिया। कंपनी की सेवा का जो रुप उसने तय किया वही आगे चलकर इंपीरियल सिविल सर्विस के रूप में विकसित हुआ। भूमि-राजस्व सुधार की दृष्टि से 1789 में उसने 10 वर्षीय भूमि व्यवस्था लागू की। बाद में 27 मार्च 1793 को बंगाल में स्थायी भू व्यवस्था लागू हुई। न्यायिक क्षेत्र में दीवानी व फौजदारी न्यायालयों को श्रेणीबद्घ किया। इस दौरान छोटी अदालतें, जिला अदालतें, प्रांतीय अदालतें, सदर दीवानी व फौजदारी अदालतों का गठन हुआ।

लार्ड कार्नवालिस ने वो तमाम सुधार किये जो शायद ही किसी ब्रितानी गवर्नर ने किया हो। भूमि सुधार व प्रशासनिक व्यवस्था में व्यापक सुधार के लिये वे भारतीयों के लिये आज भी अमर है। उनकी तय लीक पर आज भी अमल हो रहा है। पश्चिमोत्तर भारत यात्रा के दौरान पांच अक्टूबर 1805 को उसका देहांत हो गया। कलकत्ता के ब्रिटिश नागरिकों ने उसके सम्मान में गाजीपुर में एक भव्य मकबरा का निर्माण कराया। जो ब्रिटिश वास्तुकला की एक अनूठी मिसाल है।
लार्ड कार्नवालिस का मकबरा :
LORD CORNWALLIS - TOMB - GAZIPUR
लार्ड कार्नवालिस का मकबरा उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर गाजीपुर में स्थित है, जो कि वाराणसी से मात्र 70 किलोमीटर दूर है !यह 6 एकड़ भू-भाग पर बना है। मुख्य मकबरा भूतल से 3.66 मीटर ऊंचे वृत्ताकार चबूतरे पर विशाल गुंबद युक्त संरचना 12 विशाल पत्थरों से बने खंभों पर टिकी है। धूसर रंग के संग -मरमर से युक्त फर्श के केंद्र में श्वेत संगमरमर के लार्ड कार्नवालिस की आवक्ष मूर्ति एक वर्गाकार चबूतरे पर है। उस पर कमल के फूल, कलियां, पत्तियों की उत्कृष्ट नक्काशी उकेरी गई है। चौकी के उत्तर तथा दक्षिण फलक पर क्रमश: उर्दू तथा अंग्रेजी में इस बेताज बादशाह की यशोगाथा अंकित है। अधोमुखी तोपों से युक्त तथा भाला, तलवार आदि शस्त्रों के अंकन से युक्त घेराबंदी मनमोहक है।

हाय री उपेक्षा.. ब्रितानी हुकूमत में जिसकी कभी तूती बोलती थी, आज उनका मकबरा बदहाल है। वक्त के साथ हम इतने बेपरवाह हो गये हैं कि हम बनी बनाई शानदार चीज को ढंग से रख तक नहीं पा रहे। इतिहास में भले ही लार्ड कार्नवालिस अमर हों, लेकिन भारतीय गाइड बुक में उन्हे भुला दिया गया है। जाहिर है कि ऐसे में ब्रितानी सैलानी अपने इस जाबांज के मकबरे के दर्शन से वंचित रह जाते है। यही नहीं बल्कि लार्ड कार्नवालिस से जुड़ी कोई बुकलेट, ब्राउजर तक यहां आने वाले पर्यटकों को उपलब्ध नहीं हो पाता।

लार्ड कार्नवालिस का मकबरा देखने ब्रिटेन से करीब आठ साल पहले उनके वंशज गाजीपुर आये थे।

==============================================
C.M. Quiz - 21
प्रतियोगिता का पूरा परिणाम :
==============================================
************************************************************
प्रथम स्थान : सुश्री रेखा प्रहलाद जी
Rekha Prahlad ji
द्वितीय स्थान : श्री मोहसिन जी
mohsin.psd
************************************************************

तृतीय स्थान : सुश्री अल्पना वर्मा जी
alpz09
************************************************************
shivendra
************************************************************
applauseapplauseapplauseविजताओं को बधाईयाँapplause applause applause applause applause applause applause
***********************************************************
आशा है जो इस बार सफल नहीं हुए अगली बार अवश्य सफल होंगे
सभी प्रतियोगियों और पाठकों को शुभकामनाएं !

आप लोगों ने उम्मीद से बढ़कर प्रतियोगिता में शामिल होकर
इस आयोजन को सफल बनाया, जिसकी हमें बेहद ख़ुशी है !


श्री राज रंजन जी
सुश्री अदिति चौहान जी
श्री शिवेंद्र सिन्हा जी
सुश्री पूर्णिमा जी
श्री रामकृष्ण गौतम जी
श्री जमीर जी
सुश्री इशिता जी
सुश्री ज्योति शर्मा जी
सुश्री अल्पना वर्मा जी
सुश्री रेखा प्रहलाद जी
श्री मोहसिन जी
श्री मनोज कुमार जी

आप सभी लोगों का हार्दिक धन्यवाद,

यह आयोजन हम सब के लिये मनोरंजन ओर ज्ञानवर्धन का माध्यम है !
आपके पास कोई सुझाव हो तो हमें जरूर -मेल करें !
अंत में हम सभी प्रतियोगियों और पाठकों का आभार व्यक्त करते हैं,
जिन्होंने क्रियेटिव मंच की क्विज़ में शामिल होकर हमारा उत्साह बढाया


th_Cartoon
अगले रविवार (Sunday) को हम ' प्रातः दस बजे' एक नयी क्विज़ के साथ यहीं मिलेंगे !

सधन्यवाद क्रियेटिव मंच
creativemanch@gmail.com

================

The End
================