सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

गायिका परवीन सुल्ताना और नय्यारा नूर

क्विज संचालन ---- प्रकाश गोविन्द


प्रिय साथियों
नमस्कार !!!
हम आप सभी का क्रिएटिव मंच पर अभिनन्दन करते हैं।

'सी.एम.ऑडियो क्विज़- 8' आयोजन में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों और विजेताओं को बधाई। इस बार की क्विज में हमने दो विशिष्ट गायिकाओं की ऑडियो क्लिप सुनवाई थीं। पहली क्लिप में फ़िल्म- कुदरत का गाना था- 'हमें तुमसे प्यार कितना ...' जिसे गाया था- परवीन सुल्ताना जी ने। दूसरी क्लिप में ग़ज़ल थी- 'ए इश्क हमें बर्बाद न कर...' जिसे गाया था - नय्यारा नूर जी ने।

दोनों ही गाने संगीत प्रेमियों के बीच बेहद चर्चित रहे हैं, इसलिए उम्मीद थी कि प्रतियोगिओं को कोई ख़ास दिक्कत नहीं होगी। बिलकुल ऐसा ही हुआ भी और अधिकाँश लोगों ने सही जवाब दिए। गजब की तत्परता दिखाते हुए शेखर सुमनजी ने सबसे पहले सही जवाब देकर प्रथम स्थान हासिल किया। उसके बाद हमारी क्रिएटिव मंच की सदस्या शुभम जैन जी ने इस बार मौका नहीं गंवाया और द्वितीय स्थान सुनिश्चित किया। तीसरे स्थान पर रहे- यशवंत माथुर जी, जिन्हें संगीत में विशेष रूचि है।

इस बार राजेन्द्र स्वर्णकार जी बहुत ही करीब से चूक गए। उन्होंने दोनों ही गायिकाओं को तत्काल ही पहचाना लेकिन अफसोस.. नय्यारा नूर जी की ग़ज़ल का मुखड़ा नहीं पहचान पाए, बाद में सही जवाब देकर उन्हें छठे स्थान से संतोष करना पड़ा। इसी तरह डा० अजमल खान जी के लिए भी दिन सही नहीं रहा और उनके सिस्टम पर ऑडियो क्लिप ही किसी कारणवश नहीं चल पायी। इस तरह शेखर सुमन जी तीसरी जीत के साथ ही अजमल जी की बराबरी पर पहुँच गए। यानी तीन-तीन बार दोनों लोग प्रथम।

आप सभी अपना स्नेह यूँ ही बनाये रखिये। आपकी प्रतिक्रिया और सुझावों की प्रतीक्षा रहेगी। अगले रविवार को एक अंतराल लेते हुए 'सी.एम.ऑडियो क्विज' की जगह 'सी.एम.पिक्चर क्विज' पूछी जायेगी। वहीँ आपसे पुनः मुलाकात होगी।

समस्त विजेताओं व प्रतिभागियों को
एक बार पुनः बहुत-बहुत बधाई और शुभ कामनाएं।

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अब आईये -
''सी.एम.ऑडियो क्विज-8' के पूरे परिणाम के साथ ही क्विज में पूछे गए दोनों विशिष्ट गायकों के बारे में बहुत संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करते हैं :
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1- गायिका परवीन सुल्ताना [Parveen Sultana]
488774984_53b9eb30ff परवीन सुल्ताना एक ऐसी विलक्षण प्रतिभाशाली गायिका हैं जिन्हें 1976 में महज 23 साल की उम्र में (एक रिकार्ड) पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा परवीन सुल्ताना जी को 1972 में क्लियोपेट्रा ऑफ म्यूज़िक, 1980 में गंधर्व कला नीधि, 1986 में मियां तानसेन पुरस्कार तथा 1999 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार के साथ ही अनेकों पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। परवीन सुल्ताना की आवाज़ आज भी सदाबहार बनी हुई है।

8A7CB60DD5B388C579F178_Large.psd संगीत को अपनी अंतरात्मा मानने वाली शास्त्रीय गायिका परवीन सुल्ताना जी की जन्म-भूमि असम और कर्म-भूमि मुम्बई रही है। इनका सम्बन्ध पटियाला घराने से है। असमिया पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाली परवीन सुल्ताना ने पटियाला घराने की गायकी में अपना अलग मुकाम बनाया है। उनके परिवार में कई पीढ़ियों से शास्त्रीय संगीत की परम्परा रही है। परवीन सुल्ताना के गुरुओं में आचार्य चिन्मय लाहिरी और उस्ताद दिलशाद ख़ान प्रमुख रहे हैं।

उस्ताद दिलशाद खान साहब से गायकी के क्षेत्र में शिक्षा ले चुकी परवीन ने 1975 में दिलशाद खान साहब से शादी की। कई फिल्मों में गा चुकी परवीन इन दिनों अपने पति दिलशाद के साथ मिलकर सारे विश्व में कई कांसर्ट का हिस्सा बन चुकी है। यूं तो गायकी की शुरूआत संगीत सम्राज्ञी परवीन नें महज़ पांच वर्ष की उम्र से की मगर फिल्मों में गायकी की शुरूआत फिल्म “पाकिजा" से की। सोलह वर्ष की उम्र में परवीन मुंबई आईं और इत्तेफाक से नौशाद साहब ने परवीन की गायकी को एक शो में देख लिया था, उसी से प्रभावित होकर उन्होंने परवीन को एक खूबसूरत मौका फिल्म “पाकिजा" में दिया।

नौशाद साहब के इस ऑफर के बाद फिल्मों में परवीन 406531743_2ea1073aafजी की गायकी के लिए दरवाज़े खुल गए। फिल्म “पाकिजा" के संगीत के हिट होने के बाद मदन मोहन ने फिल्म “परवाना" के लिए एक गीत को गानें का ऑफर दिया। परवीन सुल्ताना ने नौशाद, मदन मोहन के अलावा लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, शंकर जयकिशन तथा आर. डी. बर्मन के लिए भी गाने गाये। मज़रूह सुल्तानपुरी द्वारा लिखे गये और आर० डी० वर्मन साहब द्वारा स्वरबद्ध किये गये फ़िल्म 'कुदरत' के गीत - 'हमें तुम से प्यार कितना ..' के लिए परवीन सुल्ताना को 1981 में बेस्ट महिला पार्श्वगायिका का फिल्मफेयर अवार्ड मिला था। संगीत प्रेमियों को अपनी गायकी का दीवाना बना चुकी परवीन ने अनिल शर्मा की सुपर हिट फिल्म “गदर" में एक ठुमरी भी गाई थी। चुनिंदा फिल्मों में अपनी दिलकश आवाज़ का जादू बिखेरने वाली बेगम परवीन सुल्ताना ने विक्रम भट्ट की आगामी फिल्म “1920" में एक खूबसूरत प्रेम गीत गाया है। इस गीत में क्लासिकल के साथ प्लेबैक सिंगिंग का उत्कृष्ट संगम है।

परवीन सुल्ताना जी अपनी आवाज़ के साथ किसी भी तरह का कोई समझौता नहीं करतीं। वो हमेशा ऐसे गानों को अपनी आवाज़ देना पसंद करती है जिनमें न सिर्फ संगीत बल्कि गीत भी बेहतरीन हो। परवीन जी का मानना है कि गाने में कुछ ऐसा होना चाहिए जिससे मुझे भी संतुष्टि मिले और श्रोता भी खुश हों।

3855380877_d7990a875f आज के गायकों के बारे में परवीन जी कहती हैं - "आज के गायक रियाज़ के बिना दूसरों की गायकी को सिर्फ रटते हैं। बिना शास्त्रीय संगीत के संगीत सीखना बिना व्याकरण के अंग्रेज़ी बोलने के बराबर है। कुछ भी सीखने के लिए शॉर्टकट नहीं है। आज हर माता पिता अपने बच्चे को टेलीविजन के परदे पर देखना चाहते हैं। प्रसिद्दी और पैसे को लेकर आज युवा वर्ग में जो होड मची हुई है वो बेहद चिंतनीय है।"

परवीन सुल्ताना जी आजकल के संगीतकारों में अदनान सामी, उत्तम सिंह, इल्लै राजा और ए. आर. रहमान से काफी प्रभावित हैं। उनके अनुसार ये संगीतकार बदलते संगीत का खूबसूरती के साथ इस्तेमाल कर रहे हैं यही कारण है कि एक बार नहीं अनेक बार वह इनके साथ काम करने को तत्पर हैं। श्रोताओं की कसौटी पर हमेशा खरा उतरने की चाहत रखने वाली परवीन जी सिर्फ आवाज़ के बल पर नाम कमाने में विश्वास नहीं करती यही कारण है कि आज भी क्लासिकल को उन्होंने अपनी पहचान बना रखा है।

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2- गायिका नय्यारा नूर [Nayyara Noor]
नय्यारा नूर को गीतों की दुनिया का 'ट्रेजेडी क्वीन' भी कहा जाता है। 'नय्यारा' का जन्म 1950 में असम में हुआ था। वैसे रहने वाली मूलतः अमृतसर की थीं। पिता व्यवसायी थे और उसी सिलसिले में बाद में असम जा बसे थे। "नय्यारा" के अब्बाजान की गिनती मुस्लिम लीग के अगली पंक्ति के सदस्यों में की जाती थी। शायद इसी कारण से इनका परिवार 1958 में पाकिस्तान चला गया था।

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संगीत की दुनिया में नय्यारा नूर का आना एकदम अप्रत्याशित सा था ये बात 1968 की है। उस वक़्त नय्यारा जी लाहौर के नेशनल आर्ट्स कालेज में टेक्स्टाईल डिजाईन में डिप्लोमा कर रही थीं। उस दौरान कालेज में कई कार्यक्रम होते रहते थे। किसी एक कार्यक्रम में इस्लामिया कालेज के प्रोफ़ेसर इसरार ने इन्हें गाते हुए सुन लिया। प्रोफ़ेसर साहब ने इनसे युनिवर्सिटी के रेडियो पाकिस्तान के कार्यक्रमों के लिए गाने का अनुरोध किया...उसके बाद तो उन्होंने मुड़कर नहीं देखा और नय्यारा नूर गायकी में शोहरत की बुलंदियों की तरफ बढती चली गयीं।

1971 आते-आते , नय्यारा ने टीवी और फिल्मों के लिए गाना शुरू कर दिया था। "घराना" और "तानसेन" जैसी अनेक फिल्मों ने इन्हें आगे बढने का मौका दिया। पीटीवी के एक कार्यक्रम "सुखनवर" में इनके द्वारा रिकार्ड की गई गज़ल 'ऐ जज़्बा-ए-दिल गर मैं चाहूँ हर चीज मुक़ाबिल आ जाए, मंज़िल के लिए दो गाम चलूँ सामने मंज़िल आ जाए' ने इनकी प्रसिद्धि में चार चाँद लगा दिए।NAYYARA

नय्यारा नूर बेग़म अखर से काफ़ी प्रभावित थीं। कालेज के पुराने दिनों में भी वो बेग़म अख्तर की गज़लें और नज़्में खूब गाया करती थीं। उन गज़लों ने हीं नय्यारा को लोगों की नज़रों में चढाया था। बेगम अख्तर की गायिकी का नय्यारा पर इस कदर गहरा असर था कि वो बेग़म की गज़लें पुराने तरीके से आर एम पी ग्रामोफ़ोन रिकार्ड प्लेयर्स पर हीं सुना करती थीं, जबकि आडियो कैसेट्स बाज़ार में आने लगे थे।

Nayyara-Noorनय्यारा गायिकी की दूसरी विधाओं की तुलना में गज़लों को बेहतर मानती हैं। उनके मुताबिक़ "गज़लें श्रोताओं पर गहरा असर करती हैं और यह असर दीर्घजीवी होता है।" नय्यारा ने बेशुमार गज़लें गाई है। उनमें से कुछ हैं- "अंदाज़ हु-ब-हु तेरी आवाज़-ए-पा का था", "रात यूँ दिल में तेरी खोई हुई याद आई", "ऐ इश्क़ हमें बरबाद न कर", "कहाँ हो तुम", "वो जो हममें तुममें करार था", "रूठे हो तुम, तुमको कैसे मनाऊँ पिया".... नय्यारा पाकिस्तान के जाने-माने गायक और संगीत-निर्देशक "मियाँ शहरयार ज़ैदी" की बीवी हैं। नय्यारा नूर को पाकिस्तानी संगीत कोंफेरेंस की तरफ से तीन स्वर्ण पदक और सर्वश्रेष्ठ गायिका का निगार एवार्ड भी मिल चुका है।

नवोदित गायक ज़फ़र और नादे अली उनके बेटे हैं। जो तेज़ी से संगीत की दुनिया में अपनी पहचान बना रहे हैं। नय्यरा नूर की दिलकश आवाज़ आप जब सुन रहे हों तो क्या मजाल कि बीच में छोड़ कर उठ जाँय... इतनी सधी और मीठी आवाज़ कि बार बार सुनने को जी चाहे ... एक अजीब सी खनक लिये नय्यरा नूर की आवाज़ आपको भीतर तक गुलजार कर देती है और आप मदहोश होते चले जाते हैं
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क्विज में दिए गए दोनों बेहतरीन गानों के वीडिओ
गाना - हमें तुमसे प्यार कितना...
गाना - ऐ इश्क़ हमें बरबाद न कर...
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"सी.एम.ऑडियो क्विज़- 8" के विजेता प्रतियोगियों के नाम
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जिन प्रतियोगियों ने एक जवाब सही दिया
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विजताओं को बधाईयाँ
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आशा है जो इस बार सफल नहीं हुए वो आगामी क्विज में अवश्य सफल होंगे
आप सभी का हार्दिक धन्यवाद

यह आयोजन मनोरंजन के साथ साथ ज्ञानवर्धन का एक प्रयास मात्र है !
अगर आपके पास कोई सुझाव हो तो हमें ज़रूर ई-मेल करें!
अंत में हम सभी प्रतियोगियों और पाठकों का पुनः आभार व्यक्त करते हैं
जिन्होंने क्रियेटिव मंच की क्विज़ में शामिल होकर हमारा उत्साह बढाया.
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13 फरवरी 2011, रविवार को हम ' प्रातः दस बजे'एक नई क्विज के साथ यहीं मिलेंगे !
सधन्यवाद
क्रियेटिव मंच
The End
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रविवार, 6 फ़रवरी 2011

सी.एम.ऑडियो क्विज़ [क्रमांक- आठ] - "सुनें और बताएं"

'life is short, live it to the fullest'

सभी साथियों/पाठकों/प्रतियोगियों को सप्रेम नमस्कार
'सी.एम.ऑडियो क्विज़- 8' कार्यक्रम में आप का स्वागत है।

आज इस श्रृंखला की आठवीं कड़ी में हम आपको
दो शीर्षस्थ गायिकाओं की
ऑडियो क्लिप सुनवा रहे रहे हैं।
आप नीचे दी हुयी दोनों आडियो क्लिप्स को बहुत ध्यान से सुनकर
पूछे गए प्रश्नों के सही जवाब दीजिये।

आधा-अधूरा जवाब मान्य नहीं होगा।
कृपया प्रतियोगी जवाब के रूप में कहीं का भी लिंक न दें।

सही जवाब देने की समय सीमा सोमवार, 7 फरवरी दोपहर 2 बजे तक है।

इन दो आडियो क्लिप्स को ध्यान से सुनकर बताईये कि :
Q.1- इस गीत का मुखड़ा और गायिका का नाम क्या है ?
गीत/ग़ज़ल के मुखड़े की पहली पंक्ति लिखना ही काफी होगा।
Q.2- इस ग़ज़ल का मुखड़ा और गायिका का नाम क्या है ?
आप दोनों प्रश्नों के जवाब अलग अलग टिप्पणियों में लिख सकते हैं,
जिससे गलत टिप्पणी को प्रकाशित करने में आसानी होगी।
सूचना :
आपका जवाब आपको यहां न दिखे तो कृपया परेशान ना हों ! माडरेशन ऑन रखा गया है, इसलिए केवल ग़लत जवाब ही प्रकाशित किए जाएँगे ! सही जवाबों को समय सीमा से पूर्व प्रकाशित नहीं किया जाएगा ! जवाब देने की समय सीमा कल यानि सोमवार दोपहर 2 बजे तक है ! उसके बाद आये हुए जवाब को प्रकाशित तो किया जाएगा किन्तु परिणाम में शामिल करना संभव नहीं होगा ! क्विज़ का परिणाम कल यानि सोमवार को रात्रि 7 बजे घोषित किया जाएगा !
----- क्रिएटिव मंच


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