सोमवार, 25 जनवरी 2010

फिल्म - जागृति, हकीकत, शहीद, पूरब और पश्चिम, कर्मा, रोजा, परदेश

क्विज संचालन ---- प्रकाश गोविन्द


जय जय भारत
नमस्ते सदा वत्सले मात्रुभूमे, त्वया हिन्दुभूमे सुखम वर्धितोऽहम
महा मन्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे, पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते
प्रभो शक्तिमन हिन्दुराष्ट्रांग भूता, इमे सादरं त्वां नमामो वयम
त्वदीयाय कार्याय बद्धा कटीयम, शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये !!

आप सभी को नमस्कार !
आगामी गणतंत्र दिवस की ढेरों शुभ कामनाएं !
क्रियेटिव मंच आप सभी का स्वागत करता है !

आप सभी प्रतियोगियों एवं पाठकों को बहुत-बहुत बधाई जिन्होने इस पहेली मे हिस्सा लिया ! कल C.M.Quiz -23 के अंतर्गत हमने गणतंत्र दिवस को याद करते हुए कुछ फिल्मों के द्रश्य दिखाए थे

ये सभी द्रश्य फिल्माए गए देश भक्ति के गीतों से सम्बंधित थे ! हमने प्रतियोगियों से उन गीतों के बारे में जानना चाहा था ! ये सभी ऐसे लोकप्रिय गीत थे जिन्हें हम सभी अक्सर सुनते रहे हैं ! कई प्रतियोगियों ने जवाब देने की कोशिश की किन्तु हमें सिर्फ तीन प्रतियोगियों द्वारा पूर्णतयः सही जवाब प्राप्त हुए ! सबसे पहले एकदम सटीक जवाब देकर C.M.Quiz-23 के प्रथम विजेता बने - श्री मोहसिन जी ! आईये संक्षेप में हिंदी फिल्मों में देश भक्ति के गीतों पर जानकारी लेते हैं और क्विज का शेष परिणाम देखते हैं :

सभी विजेताओं को हमारी तरफ से बहुत-बहुत बधाई और शुभ कामनाएं

C.M.Quiz - 23 का सही जवाब था :
आओ बच्चों तुम्हे दिखाऊं झांकी हिंदुस्तान की (फिल्म - जागृति) (1956)
कर चले हम फ़िदा जानोतन साथियों (फिल्म - हकीकत) (1964)
ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी कसम (फिल्म - शहीद) (1965)
है प्रीत जहाँ की रीत सदा (फिल्म - पूरब और पश्चिम) (1970)
हर करम अपना करेंगे ऐ वतन तेरे लिए (फिल्म - कर्मा) (1986)
भारत हमको जान से प्यारा है (फिल्म - रोजा) (1992)
ये मेरा इंडिया, आय लव माई इंडिया (फिल्म - परदेश) (1997)
फिल्मों में राष्ट्रीय चेतना जगाते देशभक्ति गीत
राष्ट्र के प्रति निष्ठा और समर्पण का जज्बा भरने में हिन्दी फिल्मी गीतों का योगदान सदैव उल्लेखनीय रहा है। भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक वक़्त ऐसा भी था, जब देशभक्ति की भावनाओं से ओत-प्रोत गीतों को लिखने वाले गीतकारों को अंग्रेजी हुकूमत के क्रोध का शिकार होना पड़ता था ! 1940 में आई 'बंधन' फिल्म का एक गीत- 'चल चल रे नौजवान' 2 विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इस गीत ने उस दौर में आजादी के दीवानों में एक नया उत्साह भरने का काम किया था। वर्ष 1943 में प्रदर्शित 'किस्मत' फिल्म में भी प्रदीप का एक देशभक्ति गीत 'दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिन्दुस्तान हमारा है', बेहद लोकप्रिय हुआ था।

देशभक्ति के गीतों में प्रदीप का ही लिखा एक गीत- 'ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आंख में भर लो पानी' बेमिसाल है। पचास और साठ के दशक में देशभक्ति से परिपूर्ण कई फिल्मों का निर्माण हुआ। आनन्द मठ, जागृति, और लीडर जैसी फिल्मों में देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत गीत लिखे गए। वर्ष 1952 में रिलीज 'आनंदमठ' का गीत वंदेमातरम आज3 भी दर्शकों और श्रोताओं को भावविह्वल कर देता है। वर्ष 1965 में प्रदर्शित फिल्म 'हकीकत' में कैफी आजमी का लिखा देशभक्ति का एक गीत 'कर चले हम फिदा जान वतन साथियों' को सुनकर श्रोताओं के मन में आज भी राष्ट्र प्रेम की हिलोरें उठने लगती हैं। शहीद, उपकार, पूरब और पश्चिम, क्रांति व जय हिंद द प्राइड आदि फिल्मों में देश प्रेम की चेतना भरने वाले गीत थे।

सत्तर का दशक फ़िल्म संगीत के बदलाव का दौर था। लेकिन इस दौर में भी देशभक्ति गीत छाए रहे। फ़िल्म लीडर का गीत अपनी आज़ादी को हम" आज़ादी के मोल को पहचानती ज़ोरदार अभिव्यक्ति थी। अस्सी के दशक में प्रेम पुजारी, ललकार, हिन्दुस्तान की कसम, मेरी आवाज सुनो,5 क्रांति, पुकार, देशप्रेमी, कर्मा, वतन के रखवाले व फरिश्ते आदि फिल्में बनीं, जिनमें देशभक्ति के गीतों को स्थान दिया गया था। देशभक्ति गीत हमारी अगली पीढी के लिए सबसे अधिक प्रेरणाप्रद होते हैं। गीत "कर चले हम फ़िदा", भी अगली पीढी से जिम्मेदारियां लेने की अपील करता है । मनोज कुमार की फ़िल्म शहीद का तो लगभग हर गीत प्रेरणाप्रद था। महेंद्र कपूर ने देश को एक नया राष्ट्रीय स्वर दिया, जिनमे पूरब और पश्चिम फ़िल्म के गीत "जब जीरो दिया मेरे भारत ने" और है प्रीत जहाँ की रीत सदा" उल्लेखनीय है ।

एक्शन फिल्मों के इस दौर में भी कई देशभक्ति गीत भी लोगों की जुबां पर चढ़े जिनमे "भारत हमको जान से प्यारा है" जैसे थे । इसके अलावा कर्मा 6 में "हर करम अपना करेंगे" देशभक्ति से सराबोर गीत बहुत लोकप्रिय हुआ। सन 2000 के बाद भी देशभक्ति के कई गीत हिट रहे जिनमें लक्ष्य और एलओसी के फौजियों की कथा व्यथा कहते गीत थे, तो मंगल पाण्डेय , स्वदेस , वीरजारा , और रंग दे बसंती में ,साठ के दशक वाला गौरव गान था।

दरअसल ये गीत हमारी राष्ट्रीय चेतना को सीचने वाले स्रोत हैं । इन गीतों
7 के ज़रिये ही बच्चे अपने देश के गौरवपूर्ण अतीत को समझते आए हैं , युवा इनसे प्रेरित होते रहे हैं , इस प्रकार ये गीत हमारे अन्दर की देशप्रेम की मुखर आवाज़ हैं। राष्ट्रीय पर्वो पर हम देशप्रेम के जिस भाव को शिद्दत से महसूस करते हैं, उसके मूल में ये गीत ही हैं। इसलिए छब्बीस जनवरी अथवा पन्द्रह अगस्त पर कोई भी आयोजन इन गीतों के बिना अधूरा है। ये गीत समाज मे राष्ट्रीय चेतना के संवाहक हैं ।
C.M. Quiz - 23
प्रतियोगिता का पूरा परिणाम :
प्रथम स्थान : श्री मोहसिन जी
mohsin ji
etoiles10
द्वितीय स्थान : सुश्री शुभम जैन जी
sushri shubham jain
etoiles10
तृतीय स्थान : श्री जमीर जी
zameer ji
जिन्होंने बेहतरीन प्रयास किया और सही जवाब के करीब पहुंचे :
छह सही जवाब

shilpi jain
पांच सही जवाब

rekha prahlaad ji
पांच सही जवाब

roshni sahu  ji
पांच सही जवाब

sulabh satrangi ji
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आशा है जो इस बार सफल नहीं हुए अगली बार अवश्य सफल होंगे
सभी प्रतियोगियों और पाठकों को शुभकामनाएं !

आप लोगों ने उम्मीद से बढ़कर प्रतियोगिता में शामिल होकर
इस आयोजन को सफल बनाया, जिसकी हमें बेहद ख़ुशी है !
श्री मोहसिन जी
सुश्री शुभम जैन जी
सुश्री पूर्णिमा जी
श्री शिवेंद्र सिन्हा जी
सुश्री रेखा प्रहलाद जी
श्री आहट जी
श्री मनु सिन्हा जी
सुश्री अदिति चौहान जी
श्री आनंद सागर जी
श्री राज भाटिय़ा जी
सुश्री रोशनी जी
सुश्री निर्मला कपिला जी
श्री मनोज कुमार जी
श्री सुलभ 'सतरंगी' जी
श्री रामकृष्ण गौतम जी
सुश्री सविता जी
श्री ज़मीर जी
सुश्री शिल्पी जैन जी
आप सभी लोगों का हार्दिक धन्यवाद

यह आयोजन हम सबके लिये मनोरंजन ओर ज्ञानवर्धन का माध्यम है
आपके पास कोई सुझाव हो तो हमें जरूर -मेल करें !
अंत में हम सभी प्रतियोगियों और पाठकों का आभार व्यक्त करते हैं,
जिन्होंने क्रियेटिव मंच की क्विज़ में शामिल होकर हमारा उत्साह बढाया
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अगले रविवार (Sunday) को हम 'प्रातः दस बजे' एक नयी क्विज़ के साथ यहीं मिलेंगे !
सधन्यवाद
क्रियेटिव मंच
creativemanch@gmail.com
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The End
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रविवार, 24 जनवरी 2010

C.M.Quiz-23 [फिल्माए गए गाने बताईये]

क्विज संचालन ---- प्रकाश गोविन्द


मौसम बदला, रुत बदली है, ऐसे नही दिलशाद हुए
हिंदू-मुस्लिम एक हुए जब, तब जाकर आज़ाद हुए !
हाथ बढ़ाओ , गले लगाओ, भेद भाव अब जाने दो
नमन हमारा हो उनको, जो भारत की बुनियाद हुए !!
--श्रद्धा जैन
आप सभी को नमस्कार !

क्रियेटिव मंच आप सभी का स्वागत करता है !
रविवार (Sunday) को सवेरे 10 बजे पूछी जाने वाली
क्विज में एक बार हम फिर हाजिर हैं !

सुस्वागतम
Welcome

लीजिये इस बार 'सी एम क्विज़- 23' इस बार एक बहुत ही आसान क्विज है नीचे हमने सात चित्र दिए हुए हैं,
ये सभी अलग-अलग फिल्मों के गानों के द्रश्य हैं ! आपको न तो फिल्मों के नाम बताने हैं ...... न ही आपको कलाकारों को पहचानना है ...न संगीतकार और न ही गीतकार ! आपको सिर्फ यह बताना है कि विभिन्न द्रश्यों में कौन से गीत फिल्माए गए हैं ! आपको गाने की मात्र शुरूआती एक पंक्ति लिखनी है !
कृपया चित्र क्रमांक का ध्यान अवश्य रखें !
चित्रों को बड़ा करके देखने के लिए चित्र पर क्लिक करें, सभी चित्र दूसरी विंडो में खुलेंगे

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इन फ़िल्म के द्रश्यों में कौन से गाने फिल्माए गए हैं ?

तो बस जल्दी से जवाब दीजिये और बन जाईये

C.M. Quiz - 23 के विजेता !
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पूर्णतयः सही जवाब न मिलने की स्थिति में अधिकतम सही जवाब देने वाले प्रतियोगी को विजेता माना जाएगा ! जवाब देने की समय सीमा कल यानि 25 जनवरी, दोपहर 2 बजे तक है ! उसके बाद आये हुए जवाब को प्रकाशित तो किया जाएगा किन्तु परिणाम में शामिल करना संभव नहीं होगा !
---- क्रियेटिव मंच
सूचना :
माडरेशन ऑन रखा गया है इसलिए आपकी टिप्पणियों को प्रकाशित होने में समय लग सकता है क्विज का परिणाम कल यानि 25 जनवरी को रात्रि 7 बजे घोषित किया जाएगा !
----- प्रकाश गोविन्द

विशेष सूचना :
क्रियेटिव मंच की तरफ से विजताओं को प्रमाणपत्र तीन श्रेणी में दिए जायेंगे ! कोई प्रतियोगी तीन बार प्रथम विजेता ( हैट्रिक होना जरूरी नहीं है ) बनता है तो उसे "चैम्पियन " का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा

इसी तरह अगर कोई प्रतियोगी छह बार प्रथम विजेता बनता है तो उसे "सुपर चैम्पियन" का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा !

किसी प्रतियोगी के दस बार प्रथम विजेता बनने पर क्रियेटिव मंच की तरफ से 'जीनियस' का प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा

C.M.Quiz के अंतर्गत अलग-अलग तीन राउंड (चक्र) होंगे ! प्रत्येक राउंड में 35 क्विज पूछी जायेंगी ! प्रतियोगियों को अपना लक्ष्य इसी नियत चक्र में ही पूरा करना होगा !
---- क्रियेटिव मंच

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बुधवार, 20 जनवरी 2010

श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता- 2 का परिणाम

प्रतियोगिता संचालन :- - प्रकाश गोविन्द


प्रिय मित्रों / पाठकों / प्रतियोगियों
नमस्कार
आप सभी लोगों का हार्दिक स्वागत है.

बहुत ही हर्ष के साथ मैं श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता के दूसरे अंक के परिणाम ले कर आप के समक्ष हूँ. आप सभी की सक्रिय प्रतिभागिता ने हमारे उत्साह को दुगुना कर दिया है. इसके लिए क्रिएटिव मंच आपके प्रति आभार व्यक्त करता है।

हर चित्र स्वयं में कुछ ख़ास भाव लिए हुए होता है ! सभी प्रतियोगियों ने उन भावों को अपनी कल्पनाशीलता के सहारे पंक्तियाँ रचकर दर्शाने की कोशिश की ! हमारे लिए हर वो प्रतियोगी जिसने कुछ रचनात्मक लिखने का प्रयास किया विजेता है ! अब चूंकि यह आयोजन एक खेल ... एक मनोरंजन की तरह है तो पाठकों की दिलचस्पी के लिए प्रथम...द्वितीय वगैरह का चयन किया जाता है !

श्रेष्ठ सृजन के चयन का दारोमदार इस बार पूरी तरह आदरणीय श्री श्यामल सुमन जी पर छोड़ दिया गया था ! उन्होंने प्रथम, द्वितीय और तृतीय के अतिरिक्त पांच सराहनीय सृजन का चयन किया है !

आईये देखते हैं उन्होंने किन प्रतियोगियों द्वारा सृजित पंक्तियों का चुनाव किया है ! प्रतियोगिता के परिणाम के साथ ही "श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता -3" का आयोजन भी किया गया है ! पहले की भांति ही 'माडरेशन ऑन' रहेगा ! प्रतियोगिता में शामिल होने की समय सीमा है - रविवार 26 जनवरी शाम 5 बजे तक !

सभी विजेताओं एवं समस्त प्रतियोगियों व पाठकों को
बहुत-बहुत बधाई/शुभ कामनाएं.


श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता- 2 में 'श्रेष्ठ सृजन' का चयन
श्री श्यामल सुमन जी द्वारा

shyamal sumanक्रियेटिव मंच के साथियों एवं प्रतियोगीगण
आप सभी को नमस्कार !

श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता -2 की प्रविष्टियाँ मेरे सामने है और मुझे निर्णायक की भूमिका मिली है। मैं नही जानता कि किस प्रतियोगी की कौन सी प्रविष्टि है। क्रियेटिव मंच के साथियों ने ऐसा करके निष्पक्षता बनाये रखने की भरपूर कोशिश की है - मैं उनके इस प्रयास की सराहना करता हूँ।

निर्णायक की भूमिका कठिन होती है, खासकर तब, जब सारी की सारी प्रविष्टियाँ अच्छीं हों और उनमे से प्रथम तीन का निर्णय करना हो।

मैंने सारी प्रविष्टियों को गौर से देखा, बार-बार देखा, साथ में उस चित्र को भी, जिसपर रचनाऐं भेजनीं थीं। दो प्रतियोगियों ने गद्यात्मक प्रविष्टि भेजी है। सारी प्रबिष्टियाँ अच्छीं हैं, प्रशंसनीय हैं, और एक निर्णायक को अपनी भूमिका भी अदा करनी है। कठिन काम है, फिर भी जिम्मेवारी तो निभानी ही होगी। मैं पुनः दुहराऊँ कि कोई रचना कमजोर नहीं थी - लेकिन मुझे "बेस्ट एमंग गुड" का निर्णय लेना पड़ा

किसी भी प्रतियोगी को निराश होने की जरूरत नहीं।

पुनश्च - सबके प्रयास सराहनीय थे। दूसरी बात प्रतियोगिता हमें फिर से नयी तैयारी की सीख भी दे जाती है।

शुभकामनाएं।

'श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता में दिया गया चित्र और सर्वश्रेष्ठ चयनित पंक्तियाँ :
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श्रेष्ठता के क्रमानुसार चयनित प्रविष्टियाँ :

[प्रथम स्थान]

ब्लॉग संचालन - 'सतरंगी यादों के इंद्रजाल'
sulabh satrangi
फूलों संग बैठी दो बहने
हंसी ख़ुशी आराम है
जिंदगी जी भर कर जियो
क्या सुबह क्या शाम है
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[द्वितीय स्थान]
ब्लॉग संचालन - 'हास्यफुहार'
haasya fuhaar सताए जब कोई ग़म पास आके
तो ज़ोर-ज़ोर से लगाओ ठहाके
ये क्या तू-तू, मैं-मैं लगा रखी है
जिंदगी कैसे जीते हैं देखो यहां आके।
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[तृतीय स्थान]
ब्लॉग संचालन - 'वीर बहुटी'
Nirmla Kapila
बचपने की कुछ यादें आज होठों पर आयी हैं
करके याद उन्हें फिर दोनो सखियाँ मुस्काइ हैं।
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अन्य पांच प्रशंसनीय सृजन जिन्होंने विशेष प्रभावित किया :
1. सुश्री रेखा प्रहलाद जी
ब्लॉग : उलझन ही उलझन

Rekha Prahlad ji

सखी इस संध्या वेला मे
याद दिला दी तुमने बचपन की
आओ बैठो जी ले फिर उन दिनों को,
ना जाने फिर कब मिलना हों !

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2. सुश्री रोशनी साहू जी
ब्लॉग : जीवन विद्या

roshni ji

प्यारी सखी याद आ गए वो गुजरे ज़माने
वो प्यारे लम्हें जो बचपन में बिताये हमने
आओ मिलकर कुछ मंजर बनाये
गुजर जाने से पहले जीवन खुशहाल बनाये
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3. श्री राम कृष्ण गौतम जी
ब्लॉग : मौत भी शायराना चाहता हूँ

ram krishn gautam ji

"आओ! बीती यादें ताज़ा करें
थोडा हंसें थोडा रो लें
चलो चलें उस दुनिया में
जब हम तुम दोनों बच्चे थे
सोचो कल के वो पल
इस पल से कितने अच्छे थे !"
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4. सुश्री शुभम जैन जी

ब्लॉग : दिल की कलम से

shubham jain जीवन की जिम्मेदारी पूरी कर ली सारी
अब दो पल अपने लिए बिताये
बैठ अपनी सहेली के संग
थोडा हँसे थोडा मुस्काए

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5. श्री ज़मीर जी

ब्लॉग : बूझो तो जानें

zameer


हंसने से रहती हैं , हमेशा सौ बिमारियां दूर ।
जरा हमें भी देखो ,है अभी भी चेहरे पर नूर ।।
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srajan 3
आईये अब चलते हैं "श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता - 3" की तरफ !
नीचे एक चित्र दिया गया है ! आपको बस चित्र के भावों का समायोजन करते हुए रचनात्मक पंक्तियाँ लिखनी हैं ! 'पहले अथवा बाद' का इस प्रतियोगिता में कोई चक्कर नहीं है अतः आप इत्मीनान से लिखें ! 'माडरेशन ऑन' रहेगा ! प्रत्येक प्रतियोगी की सिर्फ एक प्रविष्टि पर विचार किया जाएगा, इसलिए अगर आप पहली के बाद दूसरी अथवा तीसरी प्रविष्टि देते हैं तो पहले की भेजी हुयी प्रविष्टि पर विचार नहीं किया जाएगा ! प्रतियोगी की आखिरी प्रविष्टि को ही हम फाईनल मान लेंगे
---- क्रियेटिव मंच
S.S.-3

ध्यान से देखा आपने ये चित्र ?
क्या इसको देखकर आपके दिल में कोई भाव ...कोई विचार ... कोई सन्देश उमड़ रहा है ?

तो बस चित्र से सम्बंधित भावों को शब्दों में व्यक्त कर दीजिये ... आप कोई सुन्दर सी तुकबंदी ... कोई कविता - अकविता... कोई शेर...कोई नज्म..कोई दिल को छूती हुयी बात कह डालिए !

इतना अवश्य ध्यान रहे लेखन में मौलिकता होनी चाहिए ! पंक्तियाँ स्वयं आपके द्वारा रचित होनी चाहिए ! परिणाम के बाद भी यह पता चलने पर कि पंक्तियाँ किसी और की हैं, विजेता का नाम निरस्त कर दिया जाएगा !

प्रतियोगिता में शामिल होने की समय सीमा रविवार 26 जनवरी शाम 5 बजे 2010 तक है ! चूंकि अगले बुधवार 27 जनवरी को क्रिएटिव मंच पर चर्चित कवियित्री 'मधु मोहिनी जी' की बेहतरीन रचनाओं का प्रकाशन होगा इसलिए "श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता- 3" का परिणाम बुधवार 3 फरवरी 2010 रात्रि सात बजे प्रकाशित किया जाएगा !
----- क्रिएटिव मंच
The End

सोमवार, 18 जनवरी 2010

भारत की प्राचीन द्रविडियन युद्ध कला - "कलरिप्पयट्"

क्विज संचालन ---- प्रकाश गोविन्द


नमस्कार !
क्रियेटिव मंच आप सभी लोगों का स्वागत करता है !
आप सभी को बहुत-बहुत बधाई जिन्होने इस पहेली मे हिस्सा लिया !

कल C.M.Quiz -22 के अंतर्गत हमने एक चित्र दिखाया था, जिसमें दो युवक तलवार से युद्ध करते दिखाई दे रहे थे ! हमने सवाल पूछा था -'यह क्या है' ! दरअसल हमारा आशय दक्षिण भारत के गौरवशाली पारंपरिक युद्ध कला से था ! प्रतियोगियों को उस कला का नाम बताना था ! क्विज का सही जवाब था - दक्षिण भारत की प्राचीन द्रविडियन युद्ध कला - "कलरिप्पयट्", जो कि मुख्यत केरल राज्य में आज भी गुरु-शिष्य परम्परा के अंतर्गत सिखाई जाती है।

इस बार की क्विज में सिर्फ पांच लोगों ने सही जवाब दिए ! सबसे पहले सही जवाब प्राप्त हुआ रेखा प्रहलाद जी का और कुछ पलों बाद ही अल्पना वर्मा जी का ! दोनों ने ही इस युद्ध कला का नाम बताने के साथ ही इसके बारे जानकारी भी प्रदान की ! सुलभ सतरंगी जी ने भी सही जवाब दिया था किन्तु समय सीमा समाप्त हो जाने के काफी देर पश्चात आने के कारण उसे परिणाम में शामिल नहीं किया जा रहा है !

सभी विजेताओं को हमारी तरफ से बहुत-बहुत बधाई और शुभ कामनाएं

अब आईये जानते हैं भारत की इस प्राचीन युद्ध कला के बारे में :
-कलरिप्पयट्-
[दक्षिण भारत की प्राचीन द्रविडियन युद्ध कला]

भारतीय युद्ध कला कलरिप्पयट् (Kalarippayattu), जो अपनी तरह की विश्व की सबसे पुरानी विद्या है। इस विद्या का अभ्यास केरल तथा उससे लगे तमिलनाडु और कर्नाटक में प्रचलित है. इसके अंतर्गत पटकना, पद-प्रहार, कुश्ती तथा हथियार बनाने के प्रशिक्षण के matial_art_kerala_kalarippayattuसाथ उपचार की विधियाँ भी सिखाई जाती हैं। कलरिप्पयट् शब्द कलरि अर्थात विद्यालय तथा पयट्ट (जो पयट्टुका से बना है) अर्थात ‘युद्ध करना’ से मिल कर बना है. तमिल में इन दोनों शब्दों से जो अर्थ निकलता है वह है-’सामरिक कलाओं का अभ्यास’।

कलरिप्पयट् का उद्भव 12वीं शताब्दी ई.पू. का माना जाता है। इसका जन्म केरल या आसपास के क्षेत्रों में हुआ था। इस कला का विकास 11वीं शताब्दी में चेर और चोल राजाओं के शासन काल में युद्ध के अधिक महत्व के कारण हुआ होगा। कुछ शताब्दियों से इसके दक्षिण भारतीय स्वरूप (जो खुले हाथों से युद्ध पर अधिक बल देता है) का अभ्यास मुख्यतः तमिल भाषी क्षेत्रों में होता है।

कहते हैं कि चीनी और जापानी सामरिक कलाओं का जन्म भारतीय सामरिक कलाओं से ही हुआ जो बोधिसत्वों के द्वारा प्रचलित की गयीं। यह भी माना जाता है
111.psd
कि ये भारतीय कलायें कलरिप्पयट् ही थीं, 19वीं सदी में ब्रितानी साम्राज्य की स्थापना के बाद यह कला धीरे धीरे गुम होने लगी। किंतु सन 1920 में पूरे दक्षिण भारत में पारंपरिक कलाओं को जीवंत करने की एक लहर उठी जिसके चलते तेल्लीचेरी में कलरिप्पयट् को पुनर्जीवन मिला। उसके बाद सन् 1970 तक विश्व स्तर पर सामरिक कलाओं के प्रति रुझान देखा गया और यही रुझान इस कला के विकास का कारण रहा। आधुनिक समय में कुछ अन्तर्राष्ट्रीय फ़िल्मों के ज़रिये इसका प्रसार करने का प्रयास किया जाता रहा है। साथ ही कुछ नृत्य प्रशिक्षण केन्द्र व्यायाम के तौर पर इसका अभ्यास करते हैं।

कलरिप्पयट् के तीन स्वरूप हैं- दक्षिण भारतीय, उत्तर भारतीय और मध्य भारतीय. लगभग सात वर्ष की छोटी उम्र से ही इच्छुक विद्यार्थी को गुरुकुल में प्रशिक्षित करना शुरू कर देते हैं। यथावत विधि-विधान के साथ शिष्य गुरु से दीक्षा लेता है. इस प्रशिक्षण के चार मुख्य अंग हैं- मीतरी, कोलतरी, अनकतरी, और वेरमकई। इनके साथ मर्म तथा मालिश का ज्ञान भी दिया जाता है। मर्म के ज्ञाता अपने शत्रुओं के मर्म के स्पर्श मात्र से उनके प्राण ले सकते हैं अत: यह कला धैर्यवान तथा समझदार लोगों को ही सिखाई जाती है।

कलरिप्पयट् का प्रभाव केरल की सांस्कृतिक कलाओं पर भी साफ़ दिखता है जिनमें कथकली मुख्य है। कई कलाओं तथा नृत्यों जैसे कथकली, कोलकली एवं वेलकली आदि ने अपने विकास के दौरान कलरिप्पयट्ट से ही प्रेरणा ली है। कितना अद्भुत है ना… कहाँ युद्ध विद्या और कहाँ नृत्य कला. किंतु ऐसी विविधता में एकता ही तो है हमारे भारत की पहचान !
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प्राचीन भारतीय युद्ध कलाओं को ही जापानी और चाइना की
मार्शल कलाओंका जन्मदाता बहुत से लोग मानते हैं. भारत देश में प्राचीन काल से चली आ रही इन कलाओं का नृत्य के रूप में प्रस्तुत किया जाता है और सिखाया जाता है ताकि ये कलाएं संरक्षित रह सकें. दक्षिण के केरल, तमिलनाडू और कर्नाटका में कलरिप्पयट् नाम से तथा मणिपुर में ' थांग -ता' के नाम से जानी जाती है.

कलरिप्पयट् को मुख्यत चार सोपानों में सिखाया जाता है.धातु के हथियारों से लड़ने के स्टेप को अन्थाकारी कहते हैं.जो कि पहेली के चित्र में दिखाया गया था. इसमें छात्र को उसकी पसंद के हथियार से लड़ने में पारंगत किया जाता है। मणिपुर की युद्ध कला - 'थांग-टा, यह कला मणिपुर की अति प्राचीन मार्शिअल कला' हुएन लाल्लोंग 'का ही परिष्कृत रूप है।

Famous Institutions :
Indian School of Martial Arts, Kalmandalam
Places of Origin of this art :
Kondotty – 26 km from Malappurram [Kerala] is the

C.M. Quiz - 22
प्रतियोगिता का पूरा परिणाम :
प्रथम स्थान : सुश्री रेखा प्रह्लाद जी
rekha prahlaad ji
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द्वितीय स्थान : सुश्री अल्पना वर्मा जी
alpana ji quiz -19
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तृतीय स्थान : सुश्री शुभम जैन जी
shubham jain
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sangeeta ji
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पांचवां स्थान : श्री रामकृष्ण गौतम जी
ram krishn gautam ji
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applauseapplauseapplauseविजताओं को बधाईयाँapplause applause applause applause applause applause applause applause applause
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आशा है जो इस बार सफल नहीं हुए अगली बार अवश्य सफल होंगे

सभी प्रतियोगियों और पाठकों को शुभकामनाएं !

आप लोगों ने उम्मीद से बढ़कर प्रतियोगिता में शामिल होकर
अगले रविवार (Sunday) को हम ' प्रातः दस बजे' एक नयी क्विज़ के साथ यहीं मिलेंगे !
इस आयोजन को सफल बनाया, जिसकी हमें बेहद ख़ुशी है !
सुश्री रेखा प्रहलाद जी
सुश्री अल्पना वर्मा जी
श्री मनोज कुमार जी
सुश्री पूर्णिमा जी
श्री शिवेंद्र सिन्हा जी
श्री जमीर जी
श्री राज रंजन जी
सुश्री संगीता पुरी जी
श्री राज भाटिय़ा जी
सुश्री शुभम जैन जी
श्री आनंद सागर जी
सुश्री इशिता जी
श्री रजनीश परिहार जी
श्री रामकृष्ण गौतम जी
श्री सुलभ 'सतरंगी' जी
सुश्री अलका सारवत जी

आप सभी लोगों का हार्दिक धन्यवाद,

यह आयोजन हम सब के लिये मनोरंजन ओर ज्ञानवर्धन का माध्यम है !
आपके पास कोई सुझाव हो तो हमें जरूर ई-मेल करें !
अंत में हम सभी प्रतियोगियों और पाठकों का आभार व्यक्त करते हैं,
जिन्होंने क्रियेटिव मंच की क्विज़ में शामिल होकर हमारा उत्साह बढायाth_CartoonJustify Full

सधन्यवाद
क्रियेटिवमंच
creativemanch@gmail.com
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The End
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