!!!!HAPPY WOMEN'S DAY!!!! इस संसार के संघारकर्ता "शिव" भी "शक्ति" के बिना अधूरे हैं !!! ये बात आज के "इंसान" को समझ लेनी चाहिए कि "नारी" के बिना वो कुछ भी नहीं !!!"यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः" जब खुद देवताओं ने नारी के सामने सर झुकाया तो आज के इन्सान में इतनी ताकत क्यूं नहीं कि वो नारी के सम्मान की इज्ज़त कर सके उसे वो अधिकार दे सकें जिसकी वो हकदार है। ***************
तो आओ हम सभी कोशिश करें और "नारी" का सम्मान करने की पहल करें !!!! इस काम को करने के लिए कहीं जाना नहीं पड़ेगा इसी घर से, गली से, मोहल्ले से, शहर के रास्तों से, सुबह शाम हर सफ़र से और सबसे पहले अपनी नज़र से ही शुरू कर सकते हैं। ***************
नज़र जिसमे औरत का सम्मान हो, इज्ज़त हो, श्रद्धा हो, अकीदत हो, विश्वास हो, नारी के प्रति सद्भावना हो !!!!!
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नारियों के लिए --
आइये , आतंकमुक्त विश्व के लिए दुर्गा का आह्वाहन करें । स्त्रियाँ वीर प्रसूता बने भोग्या नहीं । हमारा प्रेम और समर्पण हमारी कमजोरी नहीं हमारी सामर्थ्य का प्रतीक है। क्योंकि त्याग व समर्पण सिर्फ वही कर सकता है जो आतंरिक रूप से समृद्ध होता है।
मुझे चाहिए ओसित खुशवू मुझे चाहिए आग मुझे चाहिए प्रणय गीत भी और प्रलय का राग करना क्या लेकर देवों का वह ठंडा अमरत्व कर्म शिला पर बैठ मृत्यु का गाती रहूँ विहाग।
----डा० दीप्ति भारद्वाज द्वारा लिखित |
सबसे पहले परफेक्ट जवाब देकर सुश्री कृतिका जी बनीं C.M.Quiz-28 की प्रथम विजेता | |
आप सभी को नमस्कार !
क्रियेटिव मंच आप सभी का स्वागत करता है !
आप सभी प्रतियोगियों एवं पाठकों को बहुत-बहुत बधाई जिन्होने इस पहेली मे हिस्सा लिया ! कल C.M.Quiz -28 के अंतर्गत हमने प्रतियोगियों को माउंट आबू स्थित ब्रह्मकुमारी विश्वविद्यालय का चित्र दिखाया था ! शायद हमारे हिंट में कुछ कमी थी, इसी कारण बहुत से प्रतियोगी सही जवाब तक पहुँचने में असफल रहे ! इसके बावजूद भी हम खुश हैं कि नौ प्रतियोगियों ने विजेता लिस्ट में अपना नाम दर्ज करवाया ! कृतिका जी ने पहली बार प्रथम विजेता बनने का गौरव प्राप्त किया ! मोहसिन जी लगातार बढ़िया प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन इस बार पता नहीं क्यूँ हार मान बैठे ! पं.डी.के.शर्मा'वत्स'जी का प्रदर्शन लगातार निखरता ही जा रहा है और नयी चुनौती के रूप में अन्य प्रतियोगियों के सामने हैं ! अल्पना वर्मा जी के लिए क्या कहूँ ..... बस एक कदम दूर है मंजिल, लेकिन विघ्न और बाधाएं बेशुमार ! वैसे हवन-पूजा-पाठ वगैरह करने में कोई हर्ज नहीं :)
सभी विजेताओं को हमारी तरफ से बहुत-बहुत बधाई और शुभ कामनाएं
आईये चित्र में दिए गए ब्रह्मकुमारी विश्वविद्यालय के बारे में संक्षिप जानकारी लेते हैं और क्विज का शेष परिणाम देखते हैं : |
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय [Prajapita Brahma Kumari Ishwariya Vishwa Vidyalaya] |
ब्रहमा कुमारी इश्वरीय विश्वविद्यालय एक अध्यात्मिक संस्थान है। 1937 मे सिंध के हैदराबाद में इसे स्थापित किया गया। परन्तु बाद मे यह शिफ्ट हो कर 1950 मे राजस्थान के माउंट आबू में आ गया। हम देखते हैं कि विज्ञान निरंतर प्रगति कर रहा है। इन्सान ने विज्ञान को अपना गुलाम बनाना चाहा परन्तु खुद उसका गुलाम बन बैठा। मगर अध्यात्मिकता एवं नैतिकता के क्षेत्र में मानव पिछड़ गया। इस संस्थान मे यह सिखाया जाता है कि साधनों का उपयोग करे, उनका गुलाम न बनें। अन्यथा इन्सान का शोषण होगा।
इस संस् था की स् थापना दादा लेखराज ने की, जिन् हें आज प्रजापिता ब्रह्मा के नाम से जानते हैं। दादा लेखराज हीरों के व् यापारी थे। वे बाल् यकाल से ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे। 60 वर्ष की आयु में उन् हें दिव् य अनुभूति हुई। उन् हें ईश् वर की सर्वोच् च सत् ता के प्रति खिंचाव महसूस हुआ। इसके बाद धीरे- धीरे उनका मन मानव कल् याण की ओर प्रवृत् त होने लगा। 1936 में उन् होंने इस विराट संगठन की छोटी- सी बुनियाद रखी। 1937 में आध् यात्मिक ज्ञान और राजयोग की शिक्षा अनेकों तक पहुँचाने के लिए इसने एक संस् था का रूप धारण किया। इस संस् था की स् थापना के लिए दादा लेखराज ने अपना विशाल कारोबार कलकत् ता में अपने साझेदार को सौंप दिया। फिर वे अपने जन् मस् थान हैदराबाद सिंध में लौट आए। यहाँ पर उन् होंने अपनी सारी चल- अचल संपत्ति इस संस् था के नाम कर दी। प्रारंभ में इस संस् था में केवल महिलाएँ ही थी। बाद में दादा लेखराज को ‘ प्रजापिता ब्रह्मा’ नाम दिया गया। जो लोग आध् या त्मिक शांति को पाने के लिए प्रजापिता ब्रह्मा’ द्वारा उच् चारित सिद्धांतो पर चले, वे ब्रह्मकुमार और ब्रह्मकुमारी कहलाए तथा इस शैक्षणिक संस् था को ‘ प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश् वरीय विश् व विद्यालय’ नाम दिया गया। इस विश्वविद्यालय की शिक्षाओं को वैश्विक स्वीकृति और अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हुई है। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय धार्मिक क्षेत्र में क्रांतिकारी गतिविधियों के द्वारा धार्मिक पुनर्जागरण की भूमिका निभा रहा है। ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय इन दिनों विश्व भर में धर्म को नए मानदंडों पर परिभाषित कर रहा है। जीवन की दौड़-धूप से थक चुके मनुष्य आज शांति की तलाश में इस संस्था की ओर उन्मुख हो रहे हैं। यह कोई नया धर्म नहीं बल्कि विश्व में व्याप्त धर्मों के सार को आत्मसात कर उन्हें मानव कल्याण की दिशा में उपयोग करने वाली एक संस्था है। जिसकी विश्व के 72 देशों में 4,500 से अधिक शाखाएँ हैं। इन शाखाओं में 7 लाख विद्यार्थी प्रतिदिन नैतिक और आध्यात्मिक शिक्षा ग्रहण करते हैं। |
इस संस्थान द्वारा कराये जाने वाले कोर्स : यहाँ तनाव मुक्ति, व्यसन मुक्ति, सकारात्मक सोच, पर्सनैलिटी डिवैल्पमैंट आदि के कोर्स करवाए जाते है। एक प्रोग्राम टच दी लाइट सप्ताह मे एक दिन स्कूलों मे करवाया जाता है।
इसमें शामिल होने वाले बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि अब उनके बच्चे पहले कि अपेक्षा बहुत अनुशासित है। वे अब घर पर जिद्दनहीं करते, लड़ाई नही करते एवं शिक्षा मे भी आगे आ रहे है। जिसकी बदौलत सरकार ने इस प्रोग्राम को सभी केन्द्रीय स्कूलों मे शुरू करने को कहा है। यह अध्यात्मिक कोर्स है व जो मन को खुशी देता है जो सबसे बड़ा धन है। मनुष्य कहता है कि वह अपने बच्चों के कारण,नौकरी के कारण, परिवार क्या किसी अन्य कारण से दुखी है। परन्तु ऐसा नहीं है। इनमें से कोई चीज़ तनाव नहीं देती। तनाव दिमागी स्थिति के कारण होता है। स्वयं को ऐसा बनाए कि किसी भी वातावरण या स्थिति मे समभाव रह सके। खुद को इतना बदल ले कि अपने हर काम मे आनंद ले सकें।
समस्त जानकारी अंतरजाल से साभार |
C.M. Quiz - 28
प्रतियोगिता का पूरा परिणाम :
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सातवाँ स्थान :
| आठवां स्थान :
| नवां स्थान :
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आशा है जो इस बार सफल नहीं हुए अगली बार अवश्य सफल होंगे
आप लोगों ने उम्मीद से बढ़कर प्रतियोगिता में शामिल होकर
इस आयोजन को सफल बनाया जिसकी हमें बेहद ख़ुशी है
अल्पना वर्मा जी, कृतिका जी, शिवेंद्र सिन्हा जी, इशिता जी,
आनंद सागर जी, ज्योति शर्मा , संगीता पुरी जी, रेखा प्रह्लाद जी,
राजरंजन जी, बबली जी, अंजना जी , पं.डी.के.शर्मा"वत्स" जी
मोहसिन जी, रामकृष्ण गौतम जी, रंजन जी , रजनीश परिहार जी
आप सभी लोगों का हार्दिक धन्यवाद
यह आयोजन हम सब के लिये मनोरंजन ओर ज्ञानवर्धन का माध्यम है !
आपके पास कोई सुझाव हो तो हमें जरूर ई-मेल करें!
अंत में हम सभी प्रतियोगियों और पाठकों का आभार व्यक्त करते हैं
जिन्होंने क्रियेटिव मंच की क्विज़ में शामिल होकर हमारा उत्साह बढाया
अगले रविवार (Sunday) को हम ' प्रातः दस बजे' एक नयी क्विज़ के साथ यहीं मिलेंगे !
सधन्यवाद
क्रियेटिवमंच
creativemanch@gmail.com
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