सोमवार, 12 अप्रैल 2010

नीलगिरी, तमिलनाडु की टोडा जनजाति

क्विज संचालन ---- प्रकाश गोविन्द


ज़मीर जी बने C.M.Quiz-33 के प्रथम विजेता
आप सभी को नमस्कार !
क्रियेटिव मंच आप सभी का स्वागत करता है !

आप सभी प्रतियोगियों एवं पाठकों को बहुत-बहुत बधाई जिन्होने इस पहेली मे हिस्सा लिया ! कल C.M.Quiz -33 के अंतर्गत हमने नीलगिरी, तमिलनाडु में निवास करने वाली टोडा जनजाति से सम्बंधित तीन चित्र दिखाए थे और उन चित्रों के आधार पर प्रतियोगियों से जनजाति पहचानने को कहा था! सबसे पहले ज़मीर जी सही जवाब देकर प्रथम स्थान पर रहे! द्वितीय और तृतीय स्थान पर क्रमशः मोहसिन जी और शमीम जी ने कब्ज़ा जमाया!

पिछली दो क्विज में अभिषेक जी का नाम विजेता लिस्ट में शामिल नहीं हो पाया था ! बहुत अच्छा लगा देखकर कि अभिषेक जी ने अपनी प्रोफाईल बना ली है, अब आशा है शीघ्र ही ब्लॉग लेखन भी आरम्भ करेंगे ! उर्मि चक्रबर्ती जी लगातार सही जवाब देने का सिलसिला बनाए हुए हैं !

सभी विजेताओं को हमारी तरफ से बहुत-बहुत बधाई और शुभ कामनाएं

आईये अब Quiz के चित्रों में दिखाए गए टोडा जनजाति के सम्बन्ध में
संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करते हैं और प्रतियोगिता का परिणाम देखते हैं :--
जनजाति व आदिवासी समाज आज भी 'इंडिया' के इस विकसित होते स्वरुप में उसी भारत का हिस्सा है, जहाँ सहजता बची हुयी है ! इस समाज में ज्यादातर लोग अब भी किसी न किसी रूप में जीविका के लिए जंगल और प्रकृति पर निर्भर हैं ! अनेक जन- जातियां आज भी अपनी मौलिक मान्यताओं एवं रीति-रिवाजों के साथ जीवन-यापन कर रही हैं किन्तु समय और समाज में परिवर्तन के क्रम में ये जनजातियाँ भी धीरे-धीरे अपनी धरोहरों को खोने लगी हैं !
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नीलगिरी, तमिलनाडु की टोडा जनजाति
[Toda Tribe]

नीलगिरि की पर्वतमाला भारत की कुछ विशिष्ट आदिम जातियों का निवास स्थान है। इस पर्वतमाला की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 6000 से 7000 फीट तक है। यह पर्वतमाला घने वनों से आच्छादित है जिसमें कहीं-कहीं ऊंचा पठार क्षेत्र भी पाया जाता है। यही पठार यहां रहने वाली जनजातियों का निवास स्थान है। यहां की जनजातियों में टोडा, बडागा तथा कोटा प्रमुख हैं।

1 प्रकृति की गोद में साधरण जीवन व्यतीत करने के कारण ये लोग पशु- धन से अपने सामाजिक स्तर का आकलन करते हैं। जिस व्यक्ति के पास अधिक पशु-धन होता है, समाज में उसका स्तर ऊंचा माना जाता है। टोडा लोग समूह में निवास करना पसंद करते हैं। आदिकाल से, बाहरी सम्पर्क से कटे रहने के कारण जिस तरह यहां की जनजातियों ने परस्पर विनिमय का प्रबंध् स्थापित किया है वह अपने आप में अद्वितीय है। बडागा जनजाति यहां मुख्य रूप से कृषि कार्य करती है और कोटा लोग बर्तन, लकड़ी व लोहे के विभिन्न उपकरण आदि बनाते हैं, वहीं टोडा पशुपालकों के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं। बडागा तथा कोटा जनजातियां लोगों को अन्न, वस्त्र, बर्तन, घरेलू उपकरण आदि उपलब्ध कराती हैं और उनके बदले दूध्, घी, मक्खन आदि पदार्थ प्राप्त करती हैं।

यह दोनों मुख्य इकाईयां आपस में वैवाहिक संबंध् स्थापित नहीं करती हैं। तेवाल्याल इकाई के लोग ही धर्मिक क्रिया-कलापों को सम्पन्न कराते हैं। इस प्रकार टोडा समाज में उनकी भूमिका कुछ-कुछ हिन्दू पुजारियों जैसी होती है। टोडा जनजाति की भाषा में तमिल भाषा के काफी शब्द पाए जाते हैं और शेष बडागा जनजाति की भाषा से मिलते हुए होते हैं।

टोडा लोगों की झोपड़ियों की ऊंचाई आठ से दस फीट होती है परंतु Toda_house_building तुलनात्मक दृष्टि से इनकी लम्बाई लगभग दोगुनी होती है। इनकी छत भूमि से एक-दो फीट की ऊंचाई से प्रारम्भ होते हुए अर्ध-गोलाकार रूप में समस्त झोपड़ी को ढक लेती है। इनका मुख्य द्वार आगे से इतना बंद होता है कि झोपड़ी के अंदर रेंगकर जाना पड़ता है और इस द्वार को भी वह रात्रि में लकड़ी के लट्ठे से पूर्णतया बंद करके रखते हैं। झोपड़ी के चारों ओर भी पत्थरों को जोड़कर दो-तीन फीट ऊंची दीवार बनाई जाती है जिसमें अंदर आने के लिए बहुत छोटा सा द्वार छोड़ा जाता है।

सम्भवत: वन्य जीवों से स्वयं की रक्षा करने के लिए ही टोडा संस्कृति में इस आकार- प्रकार की झोपड़ियां बनाने की परम्परा का समावेश हुआ है। झोपड़ी में एक चबूतरा होता है जिसे चटाई से ढंक दिया जाता है। इसका प्रयोग सोने के लिए किया जाता है। toda tribe with hut इसके ठीक दूसरी तरफ खाना पकाने का स्थान होता है। टोडा लोग दैनिक कृत्यों के लिए तो आग जलाने के आधुनिक साधनों जैसे माचिस आदि का प्रयोग करते हैं। लेकिन धर्मिक रीति-रिवाजों के समय व संस्कारों के निर्वहन में लकड़ी रगड़कर आग उत्पत्र करने के पारम्परिक तरीके को अपनाते हैं।

टोडा लोग विशेष रूप से अच्छी नस्ल की भरपूर दूध देने वाली भैंसों को पालते हैं। ये लोग स्त्रियों को अपवित्र मानते हैं, इसलिए धर्मिक क्रिया-कलापों तथा दुग्ध्-उत्पादन संबंधी कार्यों में इनकी कम ही भूमिका रहती है। जनजाति के लोग भैंसों को दो समूहों में बांट कर रखते हैं। एक सामान्य पवित्र भैंसें दूसरी पवित्र भैंसे। साधरण पवित्र भैंसे विभिन्न परिवारों की सम्पत्ति होती हैं, वहीं पवित्र भैंसे पूरे गांव की सम्पत्ति होती हैं।

पवित्र भैंसों के लिए गांव से थोड़ा दूर हट कर एक पवित्र स्थान का निर्माण किया जाता है। इस पवित्र स्थान के कार्य संचालन के लिए विशेष संस्कारों का पालन करने वाले एक व्यक्ति को चुना जाता है, जिसे toda.a7 स्थानीय भाषा में पलोल कहा जाता है। पलोल को पुजारी की भांति पवित्र माना जाता है और उसके द्वारा ब्रहाचर्य का पालन करना आवश्यक माना जाता है। यदि वह विवाहित होता है तो उसे अपनी पत्नी को छोड़ना पड़ता है।

आदिकाल से टोडा जनजाति में बहुपति प्रथा का प्रचलन रहा है। जब भी किसी व्यक्ति का विवाह सम्पन्न होता है तो उसकी पत्नी को स्वत: ही उस व्यक्ति के भाईयों की पत्नी मान लिया जाता है। परंतु संतानोत्पत्ति के समय यह आवश्यक नहीं है कि जो व्यक्ति उस स्त्री को ब्याह कर लाया हो वही उस संतान का पिता कहलाए। इसलिए सामाजिक पारिवारिक कर्तव्यों के निर्वाह के लिए टोडा समाज में पिता निर्धारित करने की एक विशेष परम्परा है। इसके अनुसार गर्भ के सातवें महीने में जो भी भाई अपनी पत्नी को पत्ती और टहनी से बना एक प्रतीकात्मक धनुष-बाण भेंट करता है, वही उसकी होने वाली संतान का पिता कहलाता है। हालांकि इतना अवश्य है कि यदि बड़ा भाई जीवित हो तो अक्सर वही उस स्त्री को प्रतीकात्मक धनुष-बाण भेंट करते हुए परम्परा का निर्वाह करता है।

टोडा स्त्रियां व पुरुष दोनों ही सफेद रंग का लाल व नीली धरियों वाला वस्त्र धरण करते हैं। टोडा स्त्रियों का अधिकतर समय सिर में तेल लगाने, बाल बनाने, कढ़ाई करने भोजन तैयार करने में जाता है। यौवनकाल आरम्भ होने से पहले ही टोडा युवतियों में गोदना करवाने की परम्परा भी पाई जाती है। इसके लिए ये लोग कांटे का प्रयोग करते हैं और गोदने के बाद इसमें लकड़ी के कोयले से रंग भर देते हैं। टोडा पुरुषों की लम्बाई औसत से कुछ अधिक होती है और वे मजबूत कद-काठी के होते हैं।

सम्भवत: हर पुरुष के दाहिने कंधे पर पुराने घाव का निशान या गांठ पाई जाती है। यह कंधे को जलती लकड़ी से दागने से बन जाती है, जिसे कि एक संस्कार के रूप में हर बालक पर बनाया जाता है जब उसकी आयु बारह वर्ष की होती है। उस समय से वह भैंसों का दूध् दुहना प्रारम्भ करता है। टोडा लोगों का मानना है कि इससे दूध् दुहने के समय दर्द व थकान नहीं होती है। इसी प्रकार गर्भवती स्त्रियों की अंगुलियों के जोड़ों व कलाई पर तेल में भीगे जलते हुए कपड़े से एक बिन्दु बनाया जाता है। इस सम्बन्ध् में उनका मानना है कि इससे गर्भ के दौरान स्वास्थ्य की रक्षा होती है और वह किसी बुरी छाया से बची रहती हैं।

टोडा जनजाति प्राकृतिक संसाधनो पर निर्भर होने के कारण टोडा लोगों को नीलगिरि की पहाड़ियों में अक्सर ही पशु चारे के लिए घास के नए मैदानों की खोज करनी पड़ती है। ऐसी स्थिति में कभी-कभी पूरा गांव ही अपने सदस्य परिवारों के साथ स्थानांतरित हो जाता है। इसके अतिरिक्त, टोडा लोग कई बार अपने त्यागे गए रहने के पुराने स्थानों की भी धर्म भाव से यात्रा करते हैं। इन यात्राओं में वे अपने परिवारों व पशु-धन को साथ ले जाते हैं।

[समस्त जानकारी अंतरजाल से साभार]
C.M. Quiz - 33
प्रतियोगिता का पूरा परिणाम :
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द्वितीय स्थान :
मोहसिन जी
mohsin ji
प्रथम स्थान :
ज़मीर जी
zameer ji



तृतीय स्थान :
शमीम जी
shameem ji
ds
चौथा स्थान :
अभिषेक जैन जी
abhishek ji
पांचवां स्थान :
उर्मि चक्रबर्ती जी
babli ji
छठा स्थान :
अल्पना वर्मा जी
alpana ji
सातवाँ स्थान :
shilpi jain ji
आठवां स्थान :
rekha ji
नवां स्थान :
udan tastari ji
दसवां स्थान :
ishita ji
ग्यारहवां स्थान :
बारहवां स्थान :
13 वां स्थान :
kritika ji
14 वां स्थान :
shivendra ji
15 वां स्थान :
shekhar
applause applause applause विजताओं को बधाईयाँ applause applause applause
applause applause applause applause applause applause applause applause applause
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आशा है जो इस बार सफल नहीं हुए अगली बार अवश्य सफल होंगे

आप
लोगों ने उम्मीद से बढ़कर प्रतियोगिता में शामिल होकर
इस आयोजन को सफल बनाया जिसकी हमें बेहद ख़ुशी है
अल्पना वर्मा जी, शिवेंद्र सिन्हा जी, इशिता जी, शेखर जी, रेखा प्रह्लाद जी,
शेखर जी, विजय कुमार सप्पत्ति जी, गगन शर्मा जी, ज़मीर जी, मोहसिन जी,
अभिषेक जैन जी, उड़न तस्तरी जी, दिनेश सरोज जी, रामकृष्ण गौतम जी,
अदिति चौहान जी, शिल्पी जैन जी, कृतिका जी, शमीम जी, बबली जी,

आप सभी लोगों का हार्दिक धन्यवाद
यह आयोजन हम सब के लिये मनोरंजन ओर ज्ञानवर्धन का माध्यम है !
आपके पास कोई सुझाव हो तो हमें जरूर -मेल करें!
अंत में हम सभी प्रतियोगियों और पाठकों का आभार व्यक्त करते हैं
जिन्होंने क्रियेटिव मंच की क्विज़ में शामिल होकर हमारा उत्साह बढाया
th_Cartoon
अगले रविवार (Sunday) को हम ' प्रातः दस बजे' एक नयी क्विज़ के साथ यहीं मिलेंगे !

सधन्यवाद
क्रियेटिवमंच
creativemanch@gmail.com
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The End

रविवार, 11 अप्रैल 2010

C.M.Quiz- 33 [यह कौन सी जनजाति है ?]

क्विज संचालन ---- प्रकाश गोविन्द


Life is a Game, …
God likes the winner and loves the looser..
But hates the viewer…So……Be the Player
logo

आप सभी को नमस्कार !

क्रियेटिव मंच आप सभी का स्वागत करता है!
रविवार (Sunday) को सवेरे 10 बजे पूछी जाने वाली
क्विज में एक बार हम फिर हाजिर हैं !

सुस्वागतम
Welcome

इस बार 'सी एम क्विज़- 33' में हमने एक विशेष जनजाति समुदाय के तीन चित्र दिए हैं !
आपको ध्यान से देखकर बताना है कि इस जनजाति को किस नाम से जाना जाता है
और यह भारत के किस प्रांत में निवास करते हैं ?
पूर्णतयः सही जवाब न मिलने की स्थिति में
अधिकतम सही जवाब देने वाले को विजेता माना जाएगा !

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यह कौन सी जनजाति है ?
यह जनजाति देश के किस हिस्से में निवास करती है ?
12
3
तो बस जल्दी से जवाब दीजिये और बन जाईये

C.M. Quiz - 33 के विजेता !
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पूर्णतयः सही जवाब न मिलने की स्थिति में अधिकतम सही जवाब देने वाले प्रतियोगी को विजेता माना जाएगा ! जवाब देने की समय सीमा कल यानि 12 अप्रैल, दोपहर 2 बजे तक है ! उसके बाद आये हुए जवाब को प्रकाशित तो किया जाएगा किन्तु परिणाम में शामिल करना संभव नहीं होगा !
---- क्रियेटिव मंच
सूचना :
माडरेशन ऑन रखा गया है इसलिए आपकी टिप्पणियों को प्रकाशित होने में समय लग सकता है क्विज का परिणाम कल यानि 12 अप्रैल को रात्रि 7 बजे घोषित किया जाएगा !



विशेष सूचना :
क्रियेटिव मंच की तरफ से विजताओं को प्रमाणपत्र तीन श्रेणी में दिए जायेंगे ! कोई प्रतियोगी तीन बार प्रथम विजेता ( हैट्रिक होना जरूरी नहीं है ) बनता है तो उसे "चैम्पियन " का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा

इसी तरह अगर कोई प्रतियोगी छह बार प्रथम विजेता बनता है तो उसे "सुपर चैम्पियन" का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा !

किसी प्रतियोगी के दस बार प्रथम विजेता बनने पर क्रियेटिव मंच की तरफ से 'जीनियस' का प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा

C.M.Quiz के अंतर्गत अलग-अलग तीन राउंड (चक्र) होंगे !
प्रत्येक
राउंड में 35 क्विज पूछी जायेंगी ! प्रतियोगियों को अपना लक्ष्य इसी नियत चक्र में ही पूरा करना होगा !
---- क्रियेटिव मंच

79

बुधवार, 7 अप्रैल 2010

श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक- 7 का परिणाम

प्रतियोगिता संचालन :- - प्रकाश गोविन्द


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प्रिय मित्रों/पाठकों/प्रतियोगियों
नमस्कार !!
आप सभी लोगों का हार्दिक स्वागत है

हम 'श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक- 7' का परिणाम लेकर हाजिर हैं! हमेशा की तरह इस बार भी सभी प्रतिभागियों ने अत्यंत सार्थक व सुन्दर सृजन किया ! इस बार श्रेष्टता क्रम तय करने जैसा कठिन कार्य का दायित्व हमने आदरणीय अमिताभ जी को सौंप दिया था ! यहाँ हम पाठकों के समक्ष स्पष्ट कर दें कि गुणीजनों को जब भी चयन का दायित्व सौंपा जाता है तो उन्हें सिर्फ़ प्रविष्टियाँ दी जाती हैं, उन्हें नहीं पता होता कि कौन सी प्रविष्टि किस सृजनकार की है !

एक बार फिर से भाई राजेन्द्र स्वर्णकार जी ने अपनी कलम से मन्त्र-मुग्ध किया और श्रेष्टता क्रम में प्रथम स्थान पर रहे ! दुसरे क्रम पर सुश्री सोनल रस्तोगी जी और तीसरे क्रम में हम सबकी जानी-पहचानी अल्पना जी की रचना रहीं ! सभी की प्रविष्टियाँ सराही गयीं !


परिणाम के अंत में आज की
श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक- 8 का चित्र दिया गया है ! सर्वश्रेष्ट प्रविष्टि को प्रमाण पत्र दिया जाएगा. पहले की भांति ही 'माडरेशन ऑन' रहेगा. प्रतियोगिता में शामिल होने की समय सीमा है - ब्रहस्पतिवार 15 अप्रैल- शाम 5 बजे तक

सभी सृजनकारों एवं समस्त पाठकों को
बहुत-बहुत बधाई/शुभकामनाएं.


अब आईये देखते हैं -
इस
आयोजन के सम्बन्ध में माननीय अमिताभ जी के विचार :
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श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता- 7 में 'श्रेष्ठ सृजन' का चयन
आदरणीय अमिताभ जी
द्वारा
नमस्कार मित्रों !
amitabh ji
किसी भी पवित्र भावों भरे लेखन में उत्कृष्टता खोजना कठिन होता है क्योंकि पवित्र भाव अपने आप में ही सर्वश्रेष्ठ होते हैं। उसकी कोई श्रेणी नहीं होती। लेखक के शब्द, उसके विचार, उसकी सोच हृदय के स्पंदन के साथ व्यक्त होते हैं, शब्दों की इसी रचना को लेखक की आत्मा कहा गया है। या इसे आत्मज कह लें। यानी यह तो उसकी संतान हुई और संतान माता-पिता के लिये अलग सी अनुभूति हैं।

मुझे तो ऐसी रचनाओं में डूबे रहने का ही मन करता है, कि उसे क्रम देने का। बहुत पढा-लिखा, बडे-बडे साहित्यकारों की रचनायें, आलोचनात्मक् पुस्तके, शोध ग्रंथ आदि-इत्यादि किंतु बावजूद इसके आज के लेखकों को पढना हमेशा से ही रुचिकर लगा है। कितना काम हो रहा है आजकल ये ब्लॉग जगत ने साबित कर दिखाया है, फिर क्रिएटिव मंच जैसे आयोजन जो निरंतर लेखकों की हौसलाअफज़ाई में रत हैं, यह सोने पे सुहागा है। मेरी दिल से बधाई भी और शुभकामनायें भी, कि नित नये कार्य करते हुए साहित्य की सेवा में लीन रहे।

चूंकि मुझे मूल्यांकन कार्य का दायित्व सौंपा गया है इसलिए अपने इस दायित्व को तो निभाना ही है, अन्यथा जितनी भी रचनायें आपने मुझे प्रेषित की हैं वे अपने आप में सुन्दर और श्रेष्ठ हैं। चित्र को माध्यम बना कर तुरत लिखना सचमुच कठिन होता है, और वो भी इतना बेहतर, तो यह मन को अत्यधिक सुख से भर देता है।

मैं थोडा सा गम्भीर चिंतन कर्ता हूं इसलिये चित्र और उस पर खींची गई रचना के मेल, शब्दों का प्रवाह, उसका रस, औचित्य आदि ध्यान में रखते हुए ही अपनी पसन्द से अवगत करा रहा हूँ

ऐसे प्रयास निरंतर होते रहने चाहिये।
एक बार पुनः आप सभी को मेरी हर्दिक शुभकामनायें।


आपका अपना
अमिताभ

श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक- 7 का परिणाम
पिछले अंक का चित्र
First Prize: Devon Cummings cummingsdevon@earthlink.net 495 12th st., #3R Brooklyn, NY 11215 USA 646-207-4951  Title: Madonna and Child Caption: Mother and child in Muktinath, Nepal.
rajendra swarnkar ji


नन्हे-नन्हे हाथ-पांव हैं, नन्ही- सी औक़ात रे
पीछे आंधी-तूफ़ां, आगे भी है झंझावात रे !
कांधों पर जिम्मेवारी, सर पर काली रात रे
लाएगी हिम्मत ही सुनहरी- नूतन आज प्रभात रे !
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अभी आशा बाकी है लाडली
कुहासा छटेगा धूप निकलेगी
बाहें फैला कर भर लेना तुम
सारी सीलन उड़ जायेगी

अभी कंधो में दम है
तेरे चलने तक उठा सकती हूँ
घबराना नहीं मेरी गुडिया
अँधेरे को मिटा सकती हूँ

तेरी छुअन के सहारे
मैं इतनी देर जी सकी हूँ
तेरी मुस्कान के दम से
सारे विष पी सकी हूँ

sonal rastogi
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alpana ji


श्रम जीवन आधार बनाया ,
जीने का विश्वास लिए,
वात्सल्य भाव से आप्लावित ,
मंद मंद हास लिए ,
स्वप्न सभी पूरे होंगे,
मन में हूँ ,यह आस लिए
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मैं सिर्फ एक स्त्री नहीं
एक कर्तव्यनिष्ठ माँ हूँ
नन्ही बेटी तू मेरी ख़ुशी है
मैं सदा तेरा अपना हूँ
सब धर्म निभाये है मैंने
मातृत्व धर्म भी निभाउंगी
तुझे खुश रखूंगी हमेशा
तुझे दुनिया घुमाउंगी

sulabh satrangi
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ramkrishna gautam

माँ : ममता का घर
क्या ग़म है जो मेरे पास खिलौने नहीं
तेरी प्यार भरी भाषा ही काफी है

क्या ग़म है जो मेरे दोस्त न हों
तेरे हाथों की थपकी ही काफी है

क्या ग़म जो मेरे सर पर छत न हो स्कूल का
तेरे आँचल का छाया ही काफी है
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जहाँ धरती से आकाश मिले
उस दूरी तक हम हो लें,
चलो कल्पना के पंखों से
आसमान को छू लें.
6. सुश्री मृदुला प्रधान
mridula pradhan
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anand sagar

तेरे आने के अनुभूति से
खिल उठती हूँ
अपने अंश को
एक नए रूप में देख
पता नहीं क्या-क्या सोच
पुलकित हो उठती हूँ
तेरी हर मुस्कान
भर देती है उमंग मुझमें
बुनने लगी हूँ अभी से
तेरी जिन्दगी का ताना-बाना
मुझे मातृत्व का अहसास है।

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क्यों ये रीत भगवान ने बनाई है
कहते हैं लोग कि तू परायी है

बेटियां इसे मानकर परिभाषा जीवन की
बना देती है अभिलाषा एक अटूट बंधन की

हमारा रिश्ता भी इतना अजीब होता है
क्यों हम बेटियों का यही नसीब होता है

aditi chauhan
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9. श्री राज रंजन
raj ranjan

नारी भी कई रूप बदलती है
बहिन,बेटी,पत्नी तो कभी माँ बनती है
लेती है नित नया आकार
लेकिन देती है सबको आधार
करती हैं हर रूप में त्याग अपना
ताकि जन्म ले सके, फिर एक नया सपना

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आईये अब चलते हैं "श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता - 8" की तरफ ! नीचे ध्यान से देखिये चित्र को ! क्या इसको देखकर आपके दिल में कोई भाव ...कोई विचार ... कोई सन्देश उमड़ रहा है ? तो बस चित्र से सम्बंधित भावों को शब्दों में व्यक्त कर दीजिये ... आप कोई सुन्दर सी तुकबंदी ... कोई कविता - अकविता... कोई शेर...कोई नज्म..कोई दिल को छूती हुयी बात कह डालिए !
---- क्रियेटिव मंच
Calcutta_rickshaw

श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक - 8
प्रतियोगियों के लिए-
1- इस सृजन प्रतियोगिता का उद्देश्य मात्र मनोरंजन और मनोरंजन के साथ कुछ सृजनात्मक करना भी है
2- यहाँ किसी प्रकार की प्रतिस्पर्धा नही है
3- आपको चित्र के भावों का समायोजन करते हुए अधिकतम 100 शब्दों के अन्दर रचनात्मक पंक्तियाँ लिखनी हैं, जिसे हमारी क्रियेटिव टीम के चयनकर्ता श्रेष्ठता के आधार पर क्रम देंगे और वह निर्णय अंतिम होगा
4- प्रतियोगिता संबंधी किसी भी प्रकार के विवाद में टीम का निर्णय ही सर्वमान्य होगा.
5- चित्र को देख कर लिखी गयी रचना मौलिक होनी चाहिए. शब्दों की अधिकतम सीमा की बंदिश नहीं है. परिणाम के बाद भी यह पता चलने पर कि पंक्तियाँ किसी और की हैं, विजेता का नाम निरस्त कर दिया जाएगा !
6- प्रत्येक प्रतियोगी की सिर्फ एक प्रविष्टि पर विचार किया जाएगा, इसलिए अगर आप पहली के बाद दूसरी अथवा तीसरी प्रविष्टि देते हैं तो पहले की भेजी हुयी प्रविष्टि पर विचार नहीं किया जाएगा. प्रतियोगी की आखिरी प्रविष्टि को प्रतियोगिता की प्रविष्टि माना जाएगा
7-'पहले अथवा बाद' का इस प्रतियोगिता में कोई चक्कर नहीं है अतः आप इत्मीनान से लिखें. 'माडरेशन ऑन' रहेगा. आप से अनुरोध है कि अपनी प्रविष्टियाँ यहीं कॉमेंट बॉक्स में दीजिये
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प्रतियोगिता में शामिल होने की समय-सीमा ब्रहस्पतिवार 15अप्रैल शाम 5 बजे तक है. "श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता- 8" का परिणाम 21 अप्रैल रात्रि सात बजे प्रकाशित किया जाएगा
The End