आप सभी को नमस्कार !
क्रियेटिव मंच आप सभी का स्वागत करता है !
आप सभी प्रतियोगियों एवं पाठकों को बहुत-बहुत बधाई जिन्होने इस पहेली मे हिस्सा लिया। कल C.M.Quiz-40 में हमने कल एक लुप्त-प्राय वन्य प्राणी दिखाया था और प्रतियोगियों से उसका सही परिचय पूछा था ! क्विज का सही जवाब था - हांगुल हिरन (राज्य पशु - कश्मीर) ! जिसका हमने स्पष्ट हिंट भी दिया था !
इस बार सिर्फ चार प्रतियोगी ही सटीक जवाब दे सके ! दो-तीन बार भटकने के बाद सुश्री अदिति चौहान जी ने सर्वप्रथम सही जवाब देकर प्रथम स्थान हासिल किया ! इस बार आशीष जी ने सही जवाब तक पहुँचाने के लिए बहुत ही ज्यादा मेहनत की ! उनके प्रयास की हम सराहना करते हैं ! हमारी प्रिय शुभम जैन जी ने इस बार देर से ही सही लेकिन हमेशा की तरह सही जवाब दिया ! मोहसन जी और अन्य प्रतियोगी संभवतः हमारे हिंट को नहीं देख पाए ! दर्शन जी के हाथ से हैट्रिक करने का बढ़िया अवसर निकल गया ! क्रिएटिव मंच को उनकी कमी भी महसूस हुयी !
मेधावी विजेताओं को हमारी तरफ से बहुत-बहुत बधाई और शुभ कामनाएं
अब आईये -
क्विज परिणाम में प्रतियोगियों के विजेता क्रम जानने के साथ ही क्विज में पूछे गए 'हांगुल हिरन' और उससे जुड़े अन्य तथ्यों की संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करते हैं : :
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हंगुल हिरन Hangul Deer [Kashmiri Stag] |
भारत प्रशासित कश्मीर में हंगुल हिरणों की संख्या बड़ी तेज़ी से गिर रही है. ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक़ पूरे कश्मीर में ये अब महज़ 160 ही बाक़ी बचे हैं. हंगुल, हिरणों की एक खास प्रजाति होती है जो सिर्फ़ कश्मीर में ही पाई जाती है. इसे कश्मीरी हिरण भी कहा जाता है. वन्य जीव विभाग से प्राप्त आँकड़ों के मुताबिक वर्ष 1980 में राज्य में आतंकवाद की शुरुआत के वक्त हंगुल मृगों की संख्या करीब 900 थी, जबकि वर्ष 2008 में कराई गई ताजा गणना में इन हिरणों की तादाद 160 से 180 के बीच पाई गई। हंगुल हिरण ज़्यादातर कश्मीर घाटी और किश्तवाड़ के इलाक़े में पाए जाते हैं। हंगुल एक दुर्लभ प्रजाति है।
एक समय था जब श्रीनगर के पास स्थित दाचिगम सेंचुरी में यह पर्यटकों के लिए खास आकर्षण हुआ करता था। भूर रंग वाले इस हिरण की काया देखते ही बनती है। वन्य जीव संरक्षण संस्थान के अनुसार 1940 से ही लगातार इन हिरणों की संख्या घट रही है। 1940 में घाटी में हंगुल हिरणों की संख्या तकरीबन 3000 थी। हालांकि, वैज्ञानिक आधार पर इन हंगुल हिरणों की गिनती का काम 2004 से ही शुरू किया गया है।
वन विभाग के मुताबिक इन हंगुल हिरणों की गिरती संख्या की मुख्य वजह घाटी में तेंदुओं की संख्या का बढ़ जाना है। वैसे, जंगली जानवरों के संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था का मानना है कि हंगुल हिरणों के घटने की एक मुख्य वजह जंगलों में लगातार चरमपंथियों और सेना के बीच होने वाली झड़पें हैं। सुरक्षा बलों ने हंगुल हिरणों का शिकार नहीं किया है लेकिन उनकी मौजूदगी की वजह से हंगुलों की संख्या गिरी है। दरअसल, हंगुल हिरण एक बेहद ही शर्मीला जानवर होता है। अपने आसपास ये इंसानों को देखकर डर जाते हैं। |
कश्मीर के गौरव 'हंगुल' को बचाने की कवायद |
साल 2004 से इसकी संख्या में तेजी से गिरावट आ रही है। इस वजह से अब अथॉरिटी के गाइडेंस में कैप्टिव ब्रीडिंग जरूरी हो गई है। राज्य के वन्य जीव अधिकारियों ने इस संबंध में एक विस्तृत मसौदा अथॉरिटी को सौंपा है। इस प्रोजेक्ट के तौर- तरीकों पर विचार हो चुका है और ब्रीडिंग को नियंत्रित माहौल में अंजाम दिया जाएगा। हिरणों की ब्रीडिंग दक्षिणी कश्मीर में तराल के शिकारगाह कंजर्वेशन रिजर्व में कराई जाएगी। कैप्टिव ब्रीडिंग इस प्रजाति को बचाने के लिए किए गए उपायों में से एक है। डाचीगाम नेशनल पार्क और इससे सटे इलाकों में हंगुल की जनसंख्या पर राज्य वन्य जीव विभाग, वन्य जीव संस्थान देहरादून व अन्य संस्थाओं के सहयोग के साथ लगातार नजर रखे हुए हैं। |
[चिंतनीय विषय] पौधों व वन्यजीवों की 687 प्रजातियां लुप्तप्राय |
देश में पौधों और वन्यजीवों की कुल 687 प्रजातियां लुप्त होने के कगार पर हैं। इस वजह से भारत उन 10 देशों की सूची में शामिल हो गया है, जहां सबसे अधिक लुप्तप्राय प्रजातियां हैं। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में स्तनपायी की 96, पक्षियों की 67, रेंगने वाले जीवों की 25, मछलियों की 64, रीढ़रहित जीवों की 213 और पौधों की 217 प्रजातियां लुप्तप्राय हैं। पिछले साल तक देश के 259 जीव इस सूची में थे। बाघों को बचाने में सरकार इतनी व्यस्त है कि उसने देश के 48 अन्य लुप्तप्राय वन्यजीवों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है। पिछले तीन वर्षों के दौरान सरकार ने जितनी राशि (270 करोड़ रुपए) देश की संपूर्ण वन्यजीवों पर खर्च की है, उससे कहीं ज्यादा 280 करोड़ रुपए बाघों की देखरेख पर लगाए हैं। सूत्रों के मुताबिक, हिमालयी राज्यों में पाए जाने वाले गोल्डन कैट, हंगुल, मरखोर, भूरा भालू, ऊदबिलाव, हिमालयी कस्तूरी मृग, हिमालयी चूहा और छोटा पांडा जैसे कई वन्य जीवों के बारे में जानकारी हासिल करना बहुत मुश्किल है। [समस्त चित्र व जानकारी अंतरजाल से साभार] |
1st Winnerअदिति चौहान जी |
2nd Winnerआशीष मिश्रा जी |
C.M.Quiz- 40 के विजेता | 3rd Winnerशुभम जैन जी |
4th Winnerशिल्पी जैन जी |
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आशा है जो इस बार सफल नहीं हुए वो आगामी क्विज में अवश्य सफल होंगे
आप लोगों ने प्रतियोगिता में शामिल होकर
इस आयोजन को सफल बनाया जिसकी हमें बेहद ख़ुशी है
मोहसिन जी, सुश्री शुभम जैन जी, आशीष मिश्रा जी
आनंद सागर जी, शिवेंद्र सिन्हा जी, सुश्री इशिता जी
शेखर जी, ज़मीर जी, सुश्री अदिति चौहान जी
मनोज कुमार जी, अभिनव साथी जी, शिल्पी जैन जी
शमीम जी, सुश्री सुहानी जी, डॉ. नूतन 'अमृता' जी
राज भाटिय़ा जी, रजनीश परिहार जी, सुश्री सविता जी
सुलभ 'सतरंगी' जी, अरविन्द मिश्र जी
आप सभी लोगों का हार्दिक धन्यवाद
यह आयोजन हम सब के लिये मनोरंजन ओर ज्ञानवर्धन का माध्यम है !
आपके पास कोई सुझाव हो तो हमें जरूर ई-मेल करें!
अंत में हम सभी प्रतियोगियों और पाठकों का आभार व्यक्त करते हैं
जिन्होंने क्रियेटिव मंच की क्विज़ में शामिल होकर हमारा उत्साह बढाया
19 सितम्बर 2010, रविवार को हम ' प्रातः दस बजे' एक नई क्विज के साथ
यहीं मिलेंगे !
सधन्यवाद
क्रियेटिवमंच
creativemanch@gmail.com
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