बुधवार, 24 फ़रवरी 2010

श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक- 4 का परिणाम

प्रतियोगिता संचालन :- - प्रकाश गोविन्द


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हो मंगलमय सबकी होली
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होली रंगों का त्योहार
लाल, नीला, पीला, गुलाल- पुकार पुकार यह कहता
हम जैसे हिल मिल जाते है, मानव क्यों नहीं मिलता
अचेतन चेतन को समझाए, प्रकृति का अजब उपहार
होली गई हमें सिखाने, वैमनस्य का त्याग कराने
अब भी समय है छोड़ो मानव, अपने सभी विकार
होली रंगों का त्योहार !!

प्रिय मित्रों/पाठकों/प्रतियोगियों
नमस्कार !!
आप सभी लोगों का हार्दिक स्वागत है


हम 'श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक- 4' का परिणाम लेकर हाजिर हैं ! प्रतियोगियों से किये वादे के अनुसार श्रेष्ठ प्रविष्टि का चयन क्रिएटिव मंच ने सर्वसम्मति से किया ! लगातार दूसरी बार रामकृष्ण गौतम जी की प्रविष्टि को सर्वश्रेष्ठ सृजन के रूप में चयन किया गया है ! दूसरी और तीसरी श्रेष्ठ प्रविष्टि के रूप में क्रमशः सुश्री अल्पना वर्मा जी और श्री सुलभ सतरंगी जी को चुना गया !हमारी क्रिएटिव मंच टीम की तरफ से सभी श्रेष्ठ सृजनकारों को दिली मुबारकबाद !

आप लोगों को एक और महत्वपूर्ण सूचना यह देनी है कि अब "श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता" का आयोजन एक बुधवार छोड़कर होगा यानी दो हफ्ते में एक बार ! इस तरह प्रतियोगियों को सृजन का अतिरिक्त समय मिलेगा !


मेल द्वारा कुछ लोगों ने जानना चाहा था- यहाँ एक बार हम पुनः स्पष्ट कर दे रहे हैं कि अगर किसी प्रतियोगी को यह लगता है कि वह पहले भेजी गयी प्रविष्टि से बेहतर प्रविष्टि भेज सकता है तो आप एक से ज्यादा प्रविष्टियाँ भेज सकते हैं ! ऐसी स्थिति में हम प्रतियोगी की अंतिम प्रविष्टि पर ही विचार करते हैं ! जैसे इस सृजन प्रतियोगिता में अल्पना वर्मा जी ने पहली प्रविष्टि के उपरान्त दूसरी प्रविष्टि भेजी ! हमने उनकी पहली प्रविष्टि रद्द कर दी और देखिये सुखद परिणाम अल्पना जी की प्रविष्टि श्रेष्ठ सृजन क्रम में दुसरे स्थान के लिए चयनित हुयी !


आपका
स्नेह, उत्साहवर्धन और आशीर्वाद हमें निरंतर -मेल द्वारा प्राप्त हो रहा है जिसके लिए हम आपके अत्यंत आभारी हैं !

परिणाम के अंत में आज की
श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक- 5 का चित्र दिया गया है ! इस बार का सृजन चित्र सदभावना और हर्षोल्लास के प्रतीक होली त्यौहार को ध्यान में रखकर दिया जा रहा है. सर्वश्रेष्ट प्रविष्टि को प्रमाण पत्र दिया जाएगा. पहले की भांति ही 'माडरेशन ऑन' रहेगा. प्रतियोगिता में शामिल होने की समय सीमा है - ब्रहस्पतिवार 4 मार्च- शाम 5 बजे तक
सभी विजेताओं एवं समस्त प्रतियोगियों व पाठकों को
होली पर्व की बहुत-बहुत बधाई/शुभकामनाएं.

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श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक 4 का परिणाम
sainik



ram krishn gautam
शीर्षक : इनकी खातिर महफूज़ हैं हम

हर कोई जो सुख चैन से
घरों में अपने सोता है
क्या सोचा कभी ज़रा सा भी
बलिदान इन्हीं का होता है!
जब होती बारिश सराबोर
हम छाते लेकर चलते हैं
ये वीर बहादुर उस दिन भी
अपनी कुर्बानी देते हैं!
ज़रा सोचो कि तुम रोज़_रोज़
जो देश और दुनिया जाते हो
सकुशल वापस जस के तस
इनकी वज़ह से ही आ पाते हो!
क्या शीश नवाया एक पल भी
क्या किया कभी नमन इनको
जो अपना चैन हराम करें
देने "आज़ाद" वतन तुमको!

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शीर्षक : मातृभूमि को नमन
बर्फीली हों कभी हवा
या चलने लगें आंधियां भी,
बरस रहे हों मेघ कहीं
या फटने लगे कहीं ज़मीं,
हैं अडिग देश के ये प्रहरी!
हम को इन पर है नाज़ बहुत,
उन से हम यह ही कहते हैं..
तुम नहीं अकेले ओ प्रहरी !
साथ तुम्हारे हम सब हैं,
तुम बढ़ो हमेशा आगे ही,
भारत माँ का आशीष और
मन में गहरा विश्वास लिए!



alpana ji quiz -19
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सजग, जांबाज़, प्रहरी,
जीते वतन के लिए
दुश्मन को सबक सिखलाते
वतन के लिए जिंदगी-मौत के बीच
इनकी हस्ती है दूर सरहद
यही जज्बा--वतनपरस्ती है
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हिन्दू मुस्लिम सिख हो या इसाई
सीमा पर डटे हम सब भाई
उठा बन्दुक निशाना हम लगायेगे
एक-एक दुश्मनों के छक्के हम छुडायेगे
आंच ना आने देगे देश पर अपने
इसकी रक्षा में अपनी जान लुटाएंगे


sushri shubham jain
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5- रजनीश परिहार जी rajneesh parihar ji

स्थिति बड़ी विकट है दोस्तों,
दुश्मन बहुत निकट है दोस्तों,
देखो कहीं ध्यान चूक न जाए,
कोई सीमा हमारी छू न पाए!!!
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रखें हम दुश्मन पे नजर
ये हमारा फर्ज है,
फर्ज में जान भी जाए
ये मां का कर्ज है !
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sushree roshni ji

वन्देsssss मातरम्!!
नहीं भूले हैं माँ, यह आवाज़,
नहीं भूले हैं माँ, यह आवाज़,
अब भी तेरे दिल से आती है ..
जब भी मैदाने जंग में होते हैं.
उनकी कुर्बानी याद आती है.
तू मत हो उदास
की अब भी कुछ बच्चे हैं नादाँ
हम नया सबेरा लायेंगे
अपनों को अपना बनायेंगे.
चाहे चले जाए इसमें हमारी जाँ
नहीं भूले हैं माँ, यह आवाज़
अब भी जो तेरे दिल से आती है....
वन्देsss मातरम्!!...वन्देsss मातरम्!!

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हम है राष्ट्र के सजग प्रहरी
सुबह,शाम हो या तपती दोपहरी,
इसकी रक्षा करना हमारा काम
मर मिटना ही हमारा ईनाम.
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हम
बाहर के दुश्मन से
निपट लेंगे
पर
चिंता है
घर में बैठे
दुश्मनों से

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भारत का कोई भी हिस्सा,
धरती, आकाश हो या पानी.
इन सबकी सुरक्षा का भार,
वहन करते हम रक्षा सेनानी
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srajan 5
आईये अब चलते हैं "श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता - 5" की तरफ ! नीचे ध्यान से देखिये चित्र को ! क्या इसको देखकर आपके दिल में कोई भाव ...कोई विचार ... कोई सन्देश उमड़ रहा है ? तो बस चित्र से सम्बंधित भावों को शब्दों में व्यक्त कर दीजिये ... आप कोई सुन्दर सी तुकबंदी ... कोई कविता - अकविता... कोई शेर...कोई नज्म..कोई दिल को छूती हुयी बात कह डालिए !
---- क्रियेटिव मंच
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श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक - 5
प्रतियोगियों के लिए-
1- इस सृजन प्रतियोगिता का उद्देश्य मात्र मनोरंजन और मनोरंजन के साथ कुछ सृजनात्मक करना भी है
2- यहाँ किसी प्रकार की प्रतिस्पर्धा नही है
3- आपको चित्र के भावों का समायोजन करते हुए रचनात्मक पंक्तियाँ लिखनी हैं, जिसे हमारी क्रियेटिव टीम के चयनकर्ता श्रेष्ठता के आधार पर क्रम देंगे और वह निर्णय अंतिम होगा
4- प्रतियोगिता संबंधी किसी भी प्रकार के विवाद में टीम का निर्णय ही सर्वमान्य होगा
5- चित्र को देख कर लिखी गयी रचना मौलिक होनी चाहिए. शब्दों की अधिकतम सीमा की बंदिश नहीं है. परिणाम के बाद भी यह पता चलने पर कि पंक्तियाँ किसी और की हैं, विजेता का नाम निरस्त कर दिया जाएगा !
6- प्रत्येक प्रतियोगी की सिर्फ एक प्रविष्टि पर विचार किया जाएगा, इसलिए अगर आप पहली के बाद दूसरी अथवा तीसरी प्रविष्टि देते हैं तो पहले की भेजी हुयी प्रविष्टि पर विचार नहीं किया जाएगा. प्रतियोगी की आखिरी प्रविष्टि को प्रतियोगिता की प्रविष्टि माना जाएगा
7-'पहले अथवा बाद' का इस प्रतियोगिता में कोई चक्कर नहीं है अतः आप इत्मीनान से लिखें. 'माडरेशन ऑन' रहेगा. आप से अनुरोध है कि अपनी प्रविष्टियाँ यहीं कॉमेंट बॉक्स में दीजिये
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प्रतियोगिता में शामिल होने की समय-सीमा ब्रहस्पतिवार 4 मार्च शाम 5 बजे तक है. "श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता- 5" का परिणाम 10 मार्च रात्रि सात बजे प्रकाशित किया जाएगा
----- क्रिएटिव मंच
The End

सोमवार, 22 फ़रवरी 2010

महाश्वेता देवी, मेधा पाटकर, बाबा आम्टे, सुन्दरलाल बहुगुणा

क्विज संचालन ---- प्रकाश गोविन्द


सच्चे नायकों को पहचानकर संगीता जी बनीं
C.M.Quiz-26 की प्रथम विजेता
C.M.Quiz - 26 का सही जवाब था :
Mahasweta_Devi_300
महाश्वेता
देवी जी
SandeepPandey
संदीप
पाण्डेय जी

Medha-Patkar
मेधा
पाटकर जी
sundar lal bahuguna
सुन्दरलाल
बहुगुणा जी
Baba Amte--med-1
बाबा
आम्टे जी

आप सभी को नमस्कार !
क्रियेटिव मंच आप सभी का स्वागत करता है !

आप सभी प्रतियोगियों एवं पाठकों को बहुत-बहुत बधाई जिन्होने इस पहेली मे हिस्सा लिया ! कल C.M.Quiz -26 के अंतर्गत हमने पांच समाज सेवियों के चित्र दिखाए थे और प्रतियोगियों से उन्हें पहचानने को कहा था ! अपने लिए तो सभी जीते हैं पर असली नायक वे होते हैं जो दूसरों के लिए संघर्ष करते हैं ! इस बार हम चाहते थे कि शत-प्रतिशत प्रतियोगियों के सही जवाब प्राप्त हों किन्तु ऐसा हो सका ! सिर्फ पांच प्रतियोगियों द्वारा ही पूर्णतयः सही जवाब प्राप्त हुए !

आदरणीय संगीता जी ने एक बार पुनः अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करते हुए सबको पीछे छोड़ दिया ! उनकी जीत इस मायने में भी ख़ास है क्योंकि उन्होंने हिंट आने के पहले ही सही जवाब प्रेषित कर दिया और C.M.Quiz-26 की प्रथम विजेता बन गयीं ! उसके उपरान्त हमें रेखा प्रहलाद जी और अल्पना वर्मा जी का सही जवाब एक ही समय पर प्राप्त हुआ !

इस बार अल्पना जी ने बहुत मेहनत की ! उनकी गलती सिर्फ इतनी थी कि वो बहुगुणा जी की जगह विनोबा भावे लिखकर आश्वस्त हो गयी ! सचमुच बहुत करीब आकर अल्पना जी चूक गयीं ! रेखा जी और अल्पना जी का समय एक ही होने के कारण दोनों को ही द्वितीय स्थान हासिल हुआ !

रामकृष्ण गौतम जी को भी गलतफहमी हो गयी और उन्होंने संदीप पाण्डेय जी को राजेन्द्र सिंह समझ लिया ! हालांकि इस क्विज में राजेन्द्र सिंह जी को भी शामिल किया जाना था !

सभी विजेताओं को हमारी तरफ से बहुत-बहुत बधाई और शुभ कामनाएं

आईये चित्र में दिए गए समाज सेवियों के बारे में संक्षिप जानकारी लेते हैं और क्विज का शेष परिणाम देखते हैं :
Mahasweta_Devi_300 महाश्वेता देवी
[Mahashweta Devi]
महाश्वेता देवी का जन्म 14 जनवरी 1942 को ढाका में हुआ था। इनके पिता मनीष घटक एक कवि और एक उपन्यासकार थे, और आपकी माता धारीत्री देवी भी लेखिका और एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं। महाश्वेता जी ने शांतिनिकेतन से बी..(Hons) अंग्रेजी में किया, और फिर कोलकाता विश्वविद्यालय में एम.. अंग्रेजी में किया। कोलकाता विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में मास्टर की डिग्री प्राप्त करने के बाद एक शिक्षक और पत्रकार के रूप में अपना जीवन शुरू किया। तदुपरांत कलकत्ता विश्वविद्यालय में अंग्रेजी व्याख्याता के रूप में नौकरी भी की। 1984 में सेवानिवृत्त ले ली।

महाश्वेता देवी एक बांग्ला साहित्यकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता हैं इन्हें 1996 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। एक पत्रकार, लेखक, साहित्यकार और आंदोलनधर्मी के रूप में अपार ख्याति प्राप्त की।झाँसी की रानीमहाश्वेता देवी की प्रथम रचना है। जो 1956 में प्रकाशन में आया। उनकी कुछ महत्वपूर्ण कृतियों में 'अग्निगर्भ' 'जंगल के दावेदार' और '1084 की मां', माहेश्वर, ग्राम बांग्ला हैं। पिछले चालीस वर्षों में, आपकी छोटी-छोटी कहानियों के बीस संग्रह प्रकाशित किये जा चुके हैं और सौ उपन्यासों के करीब (सभी बंगला भाषा में) प्रकाशित हो चुकी है।

महाश्वेता देवी की कृतियों पर फिल्में भी बनीं। 1968 में 'संघर्ष', 1993 में 'रूदाली', 1998 में 'हजार चौरासी की माँ', 2006 में 'माटी माई' महाश्वेता देवी को 1979 में बंगाली भाषा का 'साहित्य अकादमी अवार्ड', 1986 में 'पद्मश्री', 1996 में 'ज्ञानपीठ', 1997 में 'रमन मैगसेसे पुरस्कार', 2006 में 'पद्म विभूषण' सम्मान मिला है।

sandeep pandey डॉ संदीप पाण्डेय
[Dr. Sandeep Pandey]

डॉ संदीप पाण्डेय जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के राष्ट्रीय समन्वयक हैं, लोक राजनीति मंच के राष्ट्रीय अध्यक्षीय मंडल के सदस्य हैं, और 'रमन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता हैं। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के इस छात्र ने केलिफोर्निया से PhD की डिग्री लेने के बाद I.I.T. में अध्यापन का कार्य किया।

बाद में पूरा समय सामाजिक सेवा में लगाने के भाव से यह पद भार छोड़ दिया सन् 2002 में 'रमन मैगसेसे अवार्ड से सम्मानित आईआईटी,कानपुर के पूर्व प्रोफेसर डॉ. संदीप पाण्डेय को गरीबों के उत्थान और गरीब बच्चों के लिए शिक्षा सहायता की पहल के लिए प्रतिबद्ध नेता और सामाजिक कार्यकर्त्ता के रूप में देखा जाता हैगांधीवाद को मानने वाले डॉ. संदीप ने लखनऊ के पास लालपुर में 'आशा' नामक स्वयंसेवी संस्था की स्थापना की. प्रजातंत्र को मजबूत करने की दिशा में सभी नागरिकों को 'सूचना का अधिकार' मिले इसके लिए भी उन्होंने कार्य कियास्थानीय क्षेत्रों में सरकारी भ्रष्टाचार ,जातिवाद ,दलित शोषण के खिलाफ उन्होंने मुहीम चलायीं

2005 में उन्होंने दिल्ली [भारत] से मुल्तान [पाकिस्तान] तक 'मैत्री यात्रा' भी की. 1999 में पोखरन से सारनाथ तक की पैदल यात्रा परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए एक सन्देश थी. आजकल वे आधुनिक शिक्षा प्रणाली के विरोध और परमाणु निरस्त्रीकरण के पक्ष में आन्दोलन करने के कारण चर्चित हैं

megha patkar मेधा पाटकर
[Medha Patkar]

मेघा पाटकर का जन्म 1 दिसम्बर 1954 में मुबंई के एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था. मेधा पाटकर को नर्मदा घाटी की आवाज़ के रूप में पूरी दुनिया में जाना जाता है. मेधा पाटकर ने सामाजिक अध्ययन के क्षेत्र में गहन शोध कार्य किया है. गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित मेधा पाटकर ने सरदार सरोवर परियोजना से प्रभावित होने वाले लगभग 37 हज़ार गांवों के लोगों को अधिकार दिलाने की लड़ाई लड़ी है. बाद में वे विस्थापितों के आंदोलन का भी नेतृत्व करने लगीं. लेकिन वे चुनावी राजनीति से हमेशा दूर रही।

उत्पीडि़तों और विस्थापितों के लिए समर्पित मेधा पाटकर का जीवन शक्ति, उर्जा और वैचारिक उदात्तता की जीती-जागती मिसाल है। उनके संघर्षशील जीवन ने उन्हें पूरे विश्व के महत्वपूर्ण शख्सियतों में शुमार किया है। उन्होंने 16 साल नर्मदा घाटी में बिताए हैं. कई ऐसे मौक़े आए हैं जब जनता ने मेधा का जुझारू रूप देखा है. 1991 में 22 दिनों का अनशन करके वे लगभग मौत के मुंह में चली गई थीं. इसके अलावा वे नर्मदा घाटी के लोगों के लिए कम से कम दस बार जेल जा चुकी हैं।

मेधा पाटकर को कई अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिल चुके हैं जिनमें गोल्डमैन एनवायरमेंट अवार्ड भी शामिल है। उनके संगठन ने बुनियादी शिक्षा, स्वास्थ्य और पेयजल की स्थिति में सुधार के लिए काफ़ी काम किया है। मेधा पाटकर ने भारत के सभी जनांदोलनों को एक-दूसरे से जोड़ने की पहल भी की है, उन्होंने एक नेटवर्क की शुरूआत की जिसका नाम है- नेशनल एलांयस फॉर पीपुल्स मूवमेंट. मेधा पाटकर देश में जनांदोलन को एक नई परिभाषा देने वाली नेताओं में हैं।

sundar lal bahuguna सुन्दरलाल बहुगुणा
[Sundar Lal Bahuguna]
चिपको आन्दोलन के प्रणेता सुन्दरलाल बहुगुणा का जन्म 9 जनवरी, सन 1927 को उत्तराखंड के सिलयारा नामक स्थान पर हुआ प्राथमिक शिक्षा के बाद वे लाहौर चले गए और वहीं से बी.. किए सन 1949 में मीराबेन ठक्कर बाप्पा के सम्पर्क में आने के बाद ये दलित वर्ग के विद्यार्थियों के उत्थान के लिए प्रयासरत हो गए तथा उनके लिए टिहरी में ठक्कर बाप्पा होस्टल की स्थापना भी की।

दलितों को मंदिर प्रवेश का अधिकार दिलाने के लिए उन्होंने आन्दोलन छेड़ दिया। सिलयारा में ही 'पर्वतीय नवजीवन मण्डल' की स्थापना की । 1971 में सुन्दरलाल बहुगुणा ने सोलह दिन तक अनशन किया। चिपको आन्दोलन के कारण वे विश्वभर में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध हो गए ।

बहुगुणा के कार्यों से प्रभावित होकर अमेरिका की फ्रेंड आफ नेचर नामक संस्था ने 1980 में इनको पुरस्कृत किया । इसके अलावा उन्हें कई सारे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया । पर्यावरण को स्थाई सम्पति मानने वाला यह महापुरुष 'पर्यावरण गाँधी' बन गया। अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता के रूप में 1981 में स्टाकहोम का वैकल्पिक नोबेल पुरस्कार मिला।

1981 में पद्मश्री पुरस्कार को यह कह कर स्वीकार नहीं किया कि जब तक पेड़ों की कटाई जारी है, मैं अपने को इस सम्मान के योग्य नहीं समझता हूँ। 1985 में जमनालाल बजाज पुरस्कार। 1987 में चिपको आन्दोलन के लिए राइट लाइवलीहुड पुरस्कार। 1987 में शेर--कश्मीर पुरस्कार। 1987 में सरस्वती सम्मान। 1998 में पहल सम्मान। 1999 में गाँधी सेवा सम्मान। 2000 में सांसदों के फोरम द्वारा सत्यपाल मित्तल एवार्ड।

Baba Amte--med-1 बाबा आमटे
[Baba Amte]
बाबा आमटे का जन्म 26 दिसम्बर 1914 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले में हुआ. वकालत की शिक्षा पुरी करने के बाद उन्होंने महात्मा गाँधी के साथ उनके सेवाग्राम के आश्रम में वक्त बितायाबापू ने "अभय-साधक" की उपलब्धि दी थीबाबा आमटे ने अपना पूरा जीवन कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की सेवा और पुनर्वास में बिता दियाजिन लोगों को उन्होंने इस रोग से मुक्ति दिलाई, उनके लिए बाबा आमटे भगवान से कम नही रहे

बाबा आमटे ने 1985 में कन्याकुमारी से कश्मीर तक "भारत जोडो" आन्दोलन शुरू किया था. समाज से परित्यक्त लोगों और कुष्ठ रोगियों के लिये उन्होंने अनेक आश्रमों और समुदायों की स्थापना की। इनमें चन्द्रपुर, महाराष्ट्र स्थित आनंदवन का नाम प्रसिद्ध है। बाबा ने अनेक अन्य सामाजिक कार्यों, जिनमें वन्य जीवन संरक्षण तथा नर्मदा बचाओ आंदोलन के लिये अपना जीवन समर्पित कर दिया।

वड़ोरा के पास घने जंगल में अपनी पत्नी साधनाताई, दो पुत्रों, एक गाय एवं सात रोगियों के साथ आनंद वन की स्थापना की। यही आनंद वन आज बाबा आमटे और उनके सहयोगियों के कठिन श्रम से आज हताश और निराश कुष्ठ रोगियों के लिए आशा, जीवन और सम्मानजनक जीवन का केंद्र बन चुका है।

किसी समय 14 रुपये में शुरु हुआ "आनन्दवन" का बजट आज करोड़ों में है। 180 हेक्टेयर जमीन पर फैला आनन्दवन अपनी आवश्यकता की हर वस्तु स्वयं पैदा कर रहा है। बाबा ने आनन्दवन के अलावा और भी कई कुष्ठरोगी सेवा संस्थानों जैसे, सोमनाथ, अशोकवन आदि की स्थापना की9 फरवरी, 2008 को बाबा का 94 साल की आयु में चन्द्रपुर जिले के वड़ोरा स्थित अपने निवास में निधन हो गया।

महत्वपूर्ण सम्मान एवं पुरस्कार :

1983 में अमेरिका का डेमियन डट्टन पुरस्कार। 1985 में मैगसेसे पुरस्कार । 1988 में घनश्यामदास बिड़ला अंतरराष्ट्रीय सम्मान। 1988 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार सम्मान। 1990 में अमेरिकी टेम्पलटन पुरस्कार। 1991 में ग्लोबल 500 संयुक्त राष्ट्र सम्मान। 1992 में राइट लाइवलीहुड सम्मान। भारत सरकार द्वारा 1971 में पद्मश्री। 1986 में पद्मभूषण दिया। 2004 में महाराष्ट्र भूषण सम्मान। 1999 में गाँधी शांति पुरस्कार।

C.M. Quiz - 26
प्रतियोगिता का पूरा परिणाम :
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प्रथम स्थान : संगीता पुरी जी
sangeeta ji
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द्वितीय स्थान : रेखा प्रहलाद जी
द्वितीय स्थान : अल्पना वर्मा जी
rekha prahlaad ji alpana ji quiz -19
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तृतीय स्थान : शुभम जैन जी
चौथा स्थान : डी.के.शर्मावत्स' जी '
sushri shubham jain vats ji
etoiles10
applause applause applause विजताओं को बधाईयाँ applause applause applause
applause applause applause applause applause applause applause applause applause
जिन्होंने सराहनीय प्रयास किया और विजेता बनने के करीब पहुंचे :
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आशा है जो इस बार सफल नहीं हुए अगली बार अवश्य सफल होंगे

आप लोगों ने उम्मीद से बढ़कर प्रतियोगिता में शामिल होकर
इस आयोजन को सफल बनाया जिसकी हमें बेहद ख़ुशी है
अल्पना वर्मा जी, शुभम जैन जी, शिवेंद्र सिन्हा जी, इशिता जी,
आनंद सागर जी, विवेक रस्तोगी जी, संगीता पुरी जी, रेखा प्रह्लाद जी,
राज रंजन जी, पूर्णिमा जी, गगन शर्मा जी, पं.डी.के.शर्मा"वत्स" जी
मोहसिन जी, रामकृष्ण गौतम जी, अदिति चौहान जी, शाहीन जी
आप सभी लोगों का हार्दिक धन्यवाद
यह आयोजन हम सब के लिये मनोरंजन ओर ज्ञानवर्धन का माध्यम है !
आपके पास कोई सुझाव हो तो हमें जरूर -मेल करें!
अंत में हम सभी प्रतियोगियों और पाठकों का आभार व्यक्त करते हैं
जिन्होंने क्रियेटिव मंच की क्विज़ में शामिल होकर हमारा उत्साह बढाया
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अगले रविवार (Sunday) को हम ' प्रातः दस बजे' एक नयी क्विज़ के साथ यहीं मिलेंगे !

सधन्यवाद
क्रियेटिवमंच
creativemanch@gmail.com
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The End