सोमवार, 19 अप्रैल 2010

वडाली बन्धु, राजेंद्र मेहता-नीना मेहता, अहमद हुसैन-मोहम्मद हुसैन, राजन मिश्र-साजन मिश्र, शर्मा बन्धु

क्विज संचालन ---- प्रकाश गोविन्द


काजल कुमार जी बने C.M.Quiz-34 के प्रथम विजेता
आप सभी को नमस्कार !
क्रियेटिव मंच आप सभी का स्वागत करता है !

आप सभी प्रतियोगियों एवं पाठकों को बहुत-बहुत बधाई जिन्होने इस पहेली मे हिस्सा लिया ! कल C.M.Quiz -34 के अंतर्गत हमने गायन संगीत के क्षेत्र से जुडी पांच जोड़ियों के चित्र दिखाए थे और प्रतियोगियों से उन्हें पहचानने को कहा था! जिस क्विज को हमने बेहद आसान समझा था वो प्रतियोगियों के लिए इस कदर कठिन सिद्ध होगी, यह हमारे लिए हैरत की बात है ! जिन गायकों की तस्वीरें हमने दी थीं, उन्हें हम लम्बे समय से टीवी, अखबार और पत्रिकाओं इत्यादि में देखते रहे हैं ... सुनते रहे हैं !

चित्रों के क्रमानुसार सही जवाब थे :-
(1) वडाली बन्धु (2) राजेंद्र मेहता - नीना मेहता (3) अहमद हुसैन - मोहम्मद हुसैन
(4) राजन मिश्र - साजन मिश्र (5) शर्मा बन्धु !!!

प्रतियोगियों में सिर्फ चार लोग ही ऐसे संगीत मर्मज्ञ ... संगीत रसिक थे, जिन्होंने पूर्णतयः सही जवाब दिए ! चारों ही विजेता हमारे लिए विशिष्ट विजेता हैं !

अब C.M.Quiz के पहले राउंड की सिर्फ एक Quiz और शेष है ! उसके बाद पहला राउंड समाप्त हो जाएगा ! कुछ समय के अंतराल के पश्चात 'C.M.Quiz का दूसरा राउंड' शुरू होगा, जिसकी सूचना आप सभी को दे दी जायेगी !

सभी विजेताओं को हमारी तरफ से बहुत-बहुत बधाई और शुभ कामनाएं

आईये अब C.M.Quiz -34 में दिखाई गयी
संगीत के क्षेत्र से जुडी इन प्रसिद्ध जोड़ियों के सम्बन्ध में
संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करते हैं और प्रतियोगिता का परिणाम देखते हैं :--

वडाली बन्धु
[Wadali Brothers]

पूरनचंद वडाली और प्यारेलाल वडाली भाईयों की इस जोड़ी को वडाली बन्धु के नाम से लोकप्रियता हासिल है. भारत के पंजाब में ' गुरु की वडाली '[अमृतसर] के रहने वाले इन बंधुओं में बड़े भाई पूरनचंद को उनके पिता ठाकुर दास ने संगीत सीखने के लिए प्रेरित क़िया।

Sufi Music by Wadali Bandhu पूरनचंद ने पटिअला घराने के बड़े गुलाम अली खान और पंडित दुर्गा दास से संगीत की शिक्षा ली. प्यारेलाल को उनके बड़े भाई ने ही सिखाया. एक बड़े सम्मलेन में उन्हें भाग नहीं लेने दिया गया जिससे निराश हो कर उन्होंने हरबल्लभ मंदिर में अपना संगीत समारोह किया जहाँ आकाशवाणी के एक अधिकारी ने उन्हें सराहा और उनका पहला गाना रिकॉर्ड करवाया. वडाली बंधुओं ने ग़ज़ल, भजन, गुरबानी आदि गाये हैं. सूफी गायकी में उनका अपना एक विशेष स्थान है. वे आज भी अपने पुश्तैनी मकान में गुरु की वडाली में रहते हैं और निशुल्क संगीत सिखाते हैं।

डिस्कवरी चेनेल के एक डाक्युमेंटरी में और फिल्म पिंज में उन्होंने अपना संगीत दिया है. संगीत नाटक एकेडेमी पुरुस्कार[1991], पंजाब संगीत एकेडेमी अवार्ड [2003] तुलसी अवार्ड[1998], और 2005 में भारत सरकार की तरफ से पदम् श्री पुरुस्कार भी उन्हें प्राप्त हैं।

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राजेंद्र मेहता - नीना मेहता
[Rajendra Mehta-- Neena Mehta]
राजेंद्र मेहता -नीना मेहता की युगल जोड़ी ने ग़ज़ल गायकी में एक नया ट्रेंड 'पति पत्नी की युगल जोड़ी के रूप में स्थापित किया था जिसे बाद 2 में जगजीत -चित्रा, भूपेंद्र- मिताली, राजकुमार रिजवी- इंद्राणी, रूपकुमार-सोनाली आदि जोड़ियों ने कायम रखा !

राजेंद्र मेहता का जन्म लाहोर [विभाजन से पूर्व] में 1936 में हुआ था ! बाद में वे लखनऊ स्थानातरित हो गाये. भारतखंडे विद्यापीठ से उन्होंने संगीत कि शिक्षा ली. 1942 में जन्मी नीना से उनकी मुलाकात 1963 में आकाशवाणी में हुई, 1966 में सगाई और 1967 में शादी हुयी ! मुम्बई में जन्मी नीना ने संगीत बचपन से ही सीखा, 11 वर्ष की आयु में ही उन्होंने पहला शो किया था ! राजेंद्र मेहता ने नीना को ग़ज़ल गायकी सिखाई क्योंकि वे पहले भजन और गुजराती गीत गाया करती थीं!

पति -पत्नी की इस कामयाब जोड़ी ने संगीत श्रोताओं के लिए - मंज़र-मंज़र, हमसफर, नगमागार, रूबरू, हार्ट टू हार्ट, ओह्म नमः शिवाय, जैसे संकलन के बेहतरीन एल्बम प्रस्तुत किये !

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अहमद हुसैन - मोहम्मद हुसैन
[Ahmed Hussain--Mohammed Hussain]

अहमद हुसैन मोहम्मद हसैन साहब की जोड़ी कमाल की है, गायकी में गज़ब की हारमनी पैदा करते हैं, दोनों की आवाज़ का सुरूर ही कुछ ऐसा है कि इनकी कुछ गज़लों को बार बार सुनने का मन करता है ... 'मैं हवा हूँ 3 कहाँ वतन मेरा' , 'चल मेरे साथ ही चल', 'दो जवां दिलों का ग़म', 'आया तेरे दर पर दीवाना ... आदि गजलों में अपनी सुरीली आवाज का जादू बिखेरने वाले उस्ताद अहमद हुसैन और उस्ताद मोहम्मद हुसैन की जोड़ी का नाम गजल प्रेमियों की पसंदीदा जोड़ियों में शुमार है। दोनों भाई अपनी गायकी से ऐसा समा बांधते हैं कि हर कोई मंत्रमुग्ध 'वाह-वाह' कह उठता है

जयपुर [राजस्थान] में जन्मे और इंदौर [मध्य प्रदेश] को भी अपना घर मानने वाले इन दोनों भाईयों का संगीत की दुनिया में बहुत नाम है. प्रसिद्द ग़ज़ल और ठुमरी गायक उस्ताद अफज़ल हुसैन जयपुरी के पुत्र होने के कारण इन्हें संगीत में रूचि रही और शस्त्रीय संगीत में बहुत ही अच्छे तालीम दी गयी. इन्हें इनके गीत, कव्वाली, ग़ज़लों, भजन और शबद के लिए भी जाना जाता है. उनके भजनों में सरस्वती और गणेश वंदना अत्यंत गहन एवं हृदयस्पर्शी हैं |

1980 में इनका पहला एल्बम- 'गुलदस्ता' आया था, जिसे बहुत पसदं किया गया था. अब तक दोनों भाइयों के लगभग 65 एल्बमें बाजार में आ चुके है। इनमें कुछ अन्य एल्बमों के नाम- हमख्याल, मेरी मोहब्बत, ग्रेट गजल्स, कृष्ण जनम भयो आज, कशिश, रिफाकत, याद करते रहे, नूर--इस्लाम, रहनुमा, राहत, मेरी मोहब्बत, दसम ग्रन्थ आदि प्रमुख है।

इनके श्रद्धा और भावना नाम के दो प्रारम्भिक एल्बम आज भी संगीत रसिकों को बहुत प्रिय है और शिद्दत से सुने जाते हैं | हाल ही में यश चोपड़ा की फिल्म वीर-ज़ारा में हिट गीत 'आया तेरे दर पे दीवाना' भी इन्ही हुसैन बंधुओं ने गाया था! 'सारेगामा' कार्यक्रम से प्रसिद्धि प्राप्त मोहमद वकील इन्हीं बंधुओं के भतीजे हैं ,और उन्होंने ही उसे संगीत शिक्षा दी है !

राजस्थान सरकार द्वारा स्टेट अवार्ड, राजस्थान संगीत नाटक अकेडमी अवार्ड, 'बेगम अख्तर अवार्ड', नईदिल्ली, उ.प्र. सरकार द्वारा 'मिर्जा गालिब अवार्ड', महाराष्ट्र सरकार द्वारा 'अपना उत्सव अवार्ड' आदि अनेक सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है।

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राजन मिश्र - साजन मिश्र
[Rajan Mishra--Sajan Mishra]

400 साल की पारिवारिक परम्परा को आगे बढ़ाते हुए इन दोनों भईयों को संगीत जगत में बहुत ही सम्मान से देखा जाता है. बनारस घराने में जन्मे पंडित राजन और पंडित साजन मिश्रा को संगीत की शिक्षा उनके दादा जी पंडित बड़े राम जी मिश्रा और पिता पंडित हनुमान मिश्रा ने ही दी।

साजन जी का विवाह पंडित बिरजू महाराज की पुत्री- 'कविता' से हुआ था और राजन जी का विवाह पंडित दामोदर मिश्र की पुत्री- 'बीना' से हुआ था !Rajan_Sajan_2 आज राजन जी के सुपुत्र - रितेश और रजनीश भी सफल गायक के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं ! साजन जी का पुत्र - 'स्वरांश' भी निरंतर संगीत साधना में रत है !

किशोरावस्था में 1978 में राजन-साजन जोड़ी ने श्रीलंका में अपना पहला विदेशी शो किया. आज इनकी आवाज सरहदों के पार- जर्मनी, फ्रांस, स्वीटजरलैंड, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर, जैसे कितने ही मुल्कों में गूंजती है ! ख्याल शैली में अतुलनीय गायन के लिए लोकप्रिय इन भाईयों की जोड़ी को 1971 में प्रधानमंत्री द्वारा संस्कृत अवार्ड मिला, 1994-95 में गंधर्व सम्मान और 2007 में पदम् भूषण से नवाज़ा गया. इनके 20 से अधिक एल्बम संगीत प्रेमियों के लिए उपलब्ध हैं।

वैसे तो मशहूर राजन और साजन मिश्रा ने कभी फिल्मों के संगीत निर्देशन के सम्बन्ध में कभी अपनी रूचि नहीं दिखाई, किन्तु अभी लखनऊ के निर्देशक राकेश मंजुल की फिल्म- 'तेरा देश, मेरा देश' के लिए संगीत निर्देशन की सहमति दी है।

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- शर्मा बन्धु -
[Sharma Brothers]

'सूरज की गर्मी से तपते हुए तन को मिल जाए तरुवर की छाया' ...... कभी किसी समय फ़िल्म- परिणय के इस भजन के माध्यम से गायक शर्मा बंधुओं ने हिन्दुस्तानी संगीत प्रेमियों को अत्यंत आनंदित और आहलादित किया था।

OLYMPUS DIGITAL CAMERA         उज्जैन निवासी गोपाल शर्मा ,सुखदेव शर्मा ,कौशलेन्द्र शर्मा और राघवेन्द्र शर्मा ये चारों भाई शर्मा बन्धु के नाम से जाने जाते हैं. भजन गायकी में एक नया ट्रेंड स्थापित करने का श्रेय इन्हीं भाईयों को जाता है. चारों मिलकर जब कोई भजन गाते हैं तो भक्ति भाव का बेहद अदभुत वातावरण बन जाता है. शर्मा बंधुओं की निर्झर कल-कल बहती अमृत वाणी से भगवान महादेव की स्‍तुति सुनना अविस्मर्णीय अनुभव है।

शर्मा बंधुओं के गाये अन्य भजन- 'तेरा मेरा मेरा तेरा...', 'मेरे घनश्याम...', 'जिनके ह्रदय श्री राम बसे...', 'सुमिरन करले मेरे मन...' इत्यादि आम जनमानस में बहुत लोकप्रिय हैं! भक्तिपूर्ण भाव से ओत-प्रोत भजनों को सुनने के लिए शर्मा बंधुओ के अनेक एल्बम उपलब्ध हैं, जिनमें 'श्री राम दरबार', 'संतों के अनुभव', 'भजन सुमन', एवं 'श्री राम शरणम् नमः' इत्यादि एल्बम के नाम प्रमुख हैं !

C.M. Quiz - 34
प्रतियोगिता का पूरा परिणाम :
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प्रथम स्थान : काजल कुमार जी
KAJAL KUMAR JI
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RAJENDRA SWARNKAR JI
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तृतीय स्थान : अल्पना वर्मा जी
alpana ji
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चौथा स्थान : उड़न तस्तरी जी
sameer ji
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applause applause applause विजताओं को बधाईयाँ applause applause applause
applause applause applause applause applause applause applause applause applause
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आशा है जो इस बार सफल नहीं हुए अगली बार अवश्य सफल होंगे

आप लोगों ने प्रतियोगिता में शामिल होकर
इस आयोजन को सफल बनाया जिसकी हमें बेहद ख़ुशी है

आप सभी लोगों का हार्दिक धन्यवाद
यह आयोजन हम सब के लिये मनोरंजन ओर ज्ञानवर्धन का माध्यम है !
आपके पास कोई सुझाव हो तो हमें जरूर -मेल करें!
अंत में हम सभी प्रतियोगियों और पाठकों का आभार व्यक्त करते हैं
जिन्होंने क्रियेटिव मंच की क्विज़ में शामिल होकर हमारा उत्साह बढाया
th_Cartoon
अगले रविवार (Sunday) को हम ' प्रातः दस बजे' पहले राउंड की
आख़िरी क्विज के साथ यहीं मिलेंगे !


सधन्यवाद
क्रियेटिवमंच
creativemanch@gmail.com
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The End

रविवार, 18 अप्रैल 2010

C.M.Quiz- 34 [प्रसिद्ध जोड़ियों को पहचानिए]

क्विज संचालन ---- प्रकाश गोविन्द


Life is a Game, …
God likes the winner and loves the looser..
But hates the viewer…So……Be the Player
logo
आप सभी को नमस्कार !

क्रियेटिव मंच आप सभी का स्वागत करता है!
रविवार (Sunday) को सवेरे 10 बजे पूछी जाने वाली
क्विज में एक बार हम फिर हाजिर हैं !

सुस्वागतम
Welcome

इस बार 'सी एम क्विज़- 34' में हमने नीचे बॉक्स में एक ही क्षेत्र से जुडी पांच
जोड़ियों की तस्वीरें दी हुयी हैं, आपको ध्यान से देखकर इन जोड़ियों के नाम बताने हैं !
अगर आपको नाम न पता हो तो संक्षिप्त परिचय भी दे सकते हैं !
और हाँ ... जवाब देते समय चित्र क्रमांक का ध्यान अवश्य रखें

पूर्णतयः सही जवाब मिलने की स्थिति में
अधिकतम सही जवाब देने वाले को विजेता माना जाएगा !

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एक ही क्षेत्र से जुडी इन पाँचों जोड़ियों को पहचानिए !
1
1
2
2
3
3
4
4
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5
तो बस जल्दी से जवाब दीजिये और बन जाईये

C.M. Quiz - 34 के विजेता !
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पूर्णतयः सही जवाब न मिलने की स्थिति में अधिकतम सही जवाब देने वाले प्रतियोगी को विजेता माना जाएगा ! जवाब देने की समय सीमा कल यानि 19 अप्रैल, दोपहर 2 बजे तक है ! उसके बाद आये हुए जवाब को प्रकाशित तो किया जाएगा किन्तु परिणाम में शामिल करना संभव नहीं होगा !
---- क्रियेटिव मंच
सूचना :
आपका जवाब आपको यहां न दिखे तो कृपया परेशान ना हों. माडरेशन ऑन रखा गया है, इसलिए केवल ग़लत जवाब ही प्रकाशित किए जाएँगे. सही जवाबों को समय सीमा से पूर्व प्रकाशित नहीं किया जाएगा. क्विज का परिणाम कल यानि 19 अप्रैल को रात्रि 7 बजे घोषित किया जाएगा !


विशेष सूचना :
क्रियेटिव मंच की तरफ से विजताओं को प्रमाणपत्र तीन श्रेणी में दिए जायेंगे ! कोई प्रतियोगी तीन बार प्रथम विजेता ( हैट्रिक होना जरूरी नहीं है ) बनता है तो उसे "चैम्पियन " का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा

इसी तरह अगर कोई प्रतियोगी छह बार प्रथम विजेता बनता है तो उसे "सुपर चैम्पियन" का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा !

किसी प्रतियोगी के दस बार प्रथम विजेता बनने पर क्रियेटिव मंच की तरफ से 'जीनियस' का प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा

C.M.Quiz के अंतर्गत अलग-अलग तीन राउंड (चक्र) होंगे !
प्रत्येक
राउंड में 35 क्विज पूछी जायेंगी ! प्रतियोगियों को अपना लक्ष्य इसी नियत चक्र में ही पूरा करना होगा !
---- क्रियेटिव मंच

79

सोमवार, 12 अप्रैल 2010

नीलगिरी, तमिलनाडु की टोडा जनजाति

क्विज संचालन ---- प्रकाश गोविन्द


ज़मीर जी बने C.M.Quiz-33 के प्रथम विजेता
आप सभी को नमस्कार !
क्रियेटिव मंच आप सभी का स्वागत करता है !

आप सभी प्रतियोगियों एवं पाठकों को बहुत-बहुत बधाई जिन्होने इस पहेली मे हिस्सा लिया ! कल C.M.Quiz -33 के अंतर्गत हमने नीलगिरी, तमिलनाडु में निवास करने वाली टोडा जनजाति से सम्बंधित तीन चित्र दिखाए थे और उन चित्रों के आधार पर प्रतियोगियों से जनजाति पहचानने को कहा था! सबसे पहले ज़मीर जी सही जवाब देकर प्रथम स्थान पर रहे! द्वितीय और तृतीय स्थान पर क्रमशः मोहसिन जी और शमीम जी ने कब्ज़ा जमाया!

पिछली दो क्विज में अभिषेक जी का नाम विजेता लिस्ट में शामिल नहीं हो पाया था ! बहुत अच्छा लगा देखकर कि अभिषेक जी ने अपनी प्रोफाईल बना ली है, अब आशा है शीघ्र ही ब्लॉग लेखन भी आरम्भ करेंगे ! उर्मि चक्रबर्ती जी लगातार सही जवाब देने का सिलसिला बनाए हुए हैं !

सभी विजेताओं को हमारी तरफ से बहुत-बहुत बधाई और शुभ कामनाएं

आईये अब Quiz के चित्रों में दिखाए गए टोडा जनजाति के सम्बन्ध में
संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करते हैं और प्रतियोगिता का परिणाम देखते हैं :--
जनजाति व आदिवासी समाज आज भी 'इंडिया' के इस विकसित होते स्वरुप में उसी भारत का हिस्सा है, जहाँ सहजता बची हुयी है ! इस समाज में ज्यादातर लोग अब भी किसी न किसी रूप में जीविका के लिए जंगल और प्रकृति पर निर्भर हैं ! अनेक जन- जातियां आज भी अपनी मौलिक मान्यताओं एवं रीति-रिवाजों के साथ जीवन-यापन कर रही हैं किन्तु समय और समाज में परिवर्तन के क्रम में ये जनजातियाँ भी धीरे-धीरे अपनी धरोहरों को खोने लगी हैं !
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नीलगिरी, तमिलनाडु की टोडा जनजाति
[Toda Tribe]

नीलगिरि की पर्वतमाला भारत की कुछ विशिष्ट आदिम जातियों का निवास स्थान है। इस पर्वतमाला की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 6000 से 7000 फीट तक है। यह पर्वतमाला घने वनों से आच्छादित है जिसमें कहीं-कहीं ऊंचा पठार क्षेत्र भी पाया जाता है। यही पठार यहां रहने वाली जनजातियों का निवास स्थान है। यहां की जनजातियों में टोडा, बडागा तथा कोटा प्रमुख हैं।

1 प्रकृति की गोद में साधरण जीवन व्यतीत करने के कारण ये लोग पशु- धन से अपने सामाजिक स्तर का आकलन करते हैं। जिस व्यक्ति के पास अधिक पशु-धन होता है, समाज में उसका स्तर ऊंचा माना जाता है। टोडा लोग समूह में निवास करना पसंद करते हैं। आदिकाल से, बाहरी सम्पर्क से कटे रहने के कारण जिस तरह यहां की जनजातियों ने परस्पर विनिमय का प्रबंध् स्थापित किया है वह अपने आप में अद्वितीय है। बडागा जनजाति यहां मुख्य रूप से कृषि कार्य करती है और कोटा लोग बर्तन, लकड़ी व लोहे के विभिन्न उपकरण आदि बनाते हैं, वहीं टोडा पशुपालकों के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं। बडागा तथा कोटा जनजातियां लोगों को अन्न, वस्त्र, बर्तन, घरेलू उपकरण आदि उपलब्ध कराती हैं और उनके बदले दूध्, घी, मक्खन आदि पदार्थ प्राप्त करती हैं।

यह दोनों मुख्य इकाईयां आपस में वैवाहिक संबंध् स्थापित नहीं करती हैं। तेवाल्याल इकाई के लोग ही धर्मिक क्रिया-कलापों को सम्पन्न कराते हैं। इस प्रकार टोडा समाज में उनकी भूमिका कुछ-कुछ हिन्दू पुजारियों जैसी होती है। टोडा जनजाति की भाषा में तमिल भाषा के काफी शब्द पाए जाते हैं और शेष बडागा जनजाति की भाषा से मिलते हुए होते हैं।

टोडा लोगों की झोपड़ियों की ऊंचाई आठ से दस फीट होती है परंतु Toda_house_building तुलनात्मक दृष्टि से इनकी लम्बाई लगभग दोगुनी होती है। इनकी छत भूमि से एक-दो फीट की ऊंचाई से प्रारम्भ होते हुए अर्ध-गोलाकार रूप में समस्त झोपड़ी को ढक लेती है। इनका मुख्य द्वार आगे से इतना बंद होता है कि झोपड़ी के अंदर रेंगकर जाना पड़ता है और इस द्वार को भी वह रात्रि में लकड़ी के लट्ठे से पूर्णतया बंद करके रखते हैं। झोपड़ी के चारों ओर भी पत्थरों को जोड़कर दो-तीन फीट ऊंची दीवार बनाई जाती है जिसमें अंदर आने के लिए बहुत छोटा सा द्वार छोड़ा जाता है।

सम्भवत: वन्य जीवों से स्वयं की रक्षा करने के लिए ही टोडा संस्कृति में इस आकार- प्रकार की झोपड़ियां बनाने की परम्परा का समावेश हुआ है। झोपड़ी में एक चबूतरा होता है जिसे चटाई से ढंक दिया जाता है। इसका प्रयोग सोने के लिए किया जाता है। toda tribe with hut इसके ठीक दूसरी तरफ खाना पकाने का स्थान होता है। टोडा लोग दैनिक कृत्यों के लिए तो आग जलाने के आधुनिक साधनों जैसे माचिस आदि का प्रयोग करते हैं। लेकिन धर्मिक रीति-रिवाजों के समय व संस्कारों के निर्वहन में लकड़ी रगड़कर आग उत्पत्र करने के पारम्परिक तरीके को अपनाते हैं।

टोडा लोग विशेष रूप से अच्छी नस्ल की भरपूर दूध देने वाली भैंसों को पालते हैं। ये लोग स्त्रियों को अपवित्र मानते हैं, इसलिए धर्मिक क्रिया-कलापों तथा दुग्ध्-उत्पादन संबंधी कार्यों में इनकी कम ही भूमिका रहती है। जनजाति के लोग भैंसों को दो समूहों में बांट कर रखते हैं। एक सामान्य पवित्र भैंसें दूसरी पवित्र भैंसे। साधरण पवित्र भैंसे विभिन्न परिवारों की सम्पत्ति होती हैं, वहीं पवित्र भैंसे पूरे गांव की सम्पत्ति होती हैं।

पवित्र भैंसों के लिए गांव से थोड़ा दूर हट कर एक पवित्र स्थान का निर्माण किया जाता है। इस पवित्र स्थान के कार्य संचालन के लिए विशेष संस्कारों का पालन करने वाले एक व्यक्ति को चुना जाता है, जिसे toda.a7 स्थानीय भाषा में पलोल कहा जाता है। पलोल को पुजारी की भांति पवित्र माना जाता है और उसके द्वारा ब्रहाचर्य का पालन करना आवश्यक माना जाता है। यदि वह विवाहित होता है तो उसे अपनी पत्नी को छोड़ना पड़ता है।

आदिकाल से टोडा जनजाति में बहुपति प्रथा का प्रचलन रहा है। जब भी किसी व्यक्ति का विवाह सम्पन्न होता है तो उसकी पत्नी को स्वत: ही उस व्यक्ति के भाईयों की पत्नी मान लिया जाता है। परंतु संतानोत्पत्ति के समय यह आवश्यक नहीं है कि जो व्यक्ति उस स्त्री को ब्याह कर लाया हो वही उस संतान का पिता कहलाए। इसलिए सामाजिक पारिवारिक कर्तव्यों के निर्वाह के लिए टोडा समाज में पिता निर्धारित करने की एक विशेष परम्परा है। इसके अनुसार गर्भ के सातवें महीने में जो भी भाई अपनी पत्नी को पत्ती और टहनी से बना एक प्रतीकात्मक धनुष-बाण भेंट करता है, वही उसकी होने वाली संतान का पिता कहलाता है। हालांकि इतना अवश्य है कि यदि बड़ा भाई जीवित हो तो अक्सर वही उस स्त्री को प्रतीकात्मक धनुष-बाण भेंट करते हुए परम्परा का निर्वाह करता है।

टोडा स्त्रियां व पुरुष दोनों ही सफेद रंग का लाल व नीली धरियों वाला वस्त्र धरण करते हैं। टोडा स्त्रियों का अधिकतर समय सिर में तेल लगाने, बाल बनाने, कढ़ाई करने भोजन तैयार करने में जाता है। यौवनकाल आरम्भ होने से पहले ही टोडा युवतियों में गोदना करवाने की परम्परा भी पाई जाती है। इसके लिए ये लोग कांटे का प्रयोग करते हैं और गोदने के बाद इसमें लकड़ी के कोयले से रंग भर देते हैं। टोडा पुरुषों की लम्बाई औसत से कुछ अधिक होती है और वे मजबूत कद-काठी के होते हैं।

सम्भवत: हर पुरुष के दाहिने कंधे पर पुराने घाव का निशान या गांठ पाई जाती है। यह कंधे को जलती लकड़ी से दागने से बन जाती है, जिसे कि एक संस्कार के रूप में हर बालक पर बनाया जाता है जब उसकी आयु बारह वर्ष की होती है। उस समय से वह भैंसों का दूध् दुहना प्रारम्भ करता है। टोडा लोगों का मानना है कि इससे दूध् दुहने के समय दर्द व थकान नहीं होती है। इसी प्रकार गर्भवती स्त्रियों की अंगुलियों के जोड़ों व कलाई पर तेल में भीगे जलते हुए कपड़े से एक बिन्दु बनाया जाता है। इस सम्बन्ध् में उनका मानना है कि इससे गर्भ के दौरान स्वास्थ्य की रक्षा होती है और वह किसी बुरी छाया से बची रहती हैं।

टोडा जनजाति प्राकृतिक संसाधनो पर निर्भर होने के कारण टोडा लोगों को नीलगिरि की पहाड़ियों में अक्सर ही पशु चारे के लिए घास के नए मैदानों की खोज करनी पड़ती है। ऐसी स्थिति में कभी-कभी पूरा गांव ही अपने सदस्य परिवारों के साथ स्थानांतरित हो जाता है। इसके अतिरिक्त, टोडा लोग कई बार अपने त्यागे गए रहने के पुराने स्थानों की भी धर्म भाव से यात्रा करते हैं। इन यात्राओं में वे अपने परिवारों व पशु-धन को साथ ले जाते हैं।

[समस्त जानकारी अंतरजाल से साभार]
C.M. Quiz - 33
प्रतियोगिता का पूरा परिणाम :
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द्वितीय स्थान :
मोहसिन जी
mohsin ji
प्रथम स्थान :
ज़मीर जी
zameer ji



तृतीय स्थान :
शमीम जी
shameem ji
ds
चौथा स्थान :
अभिषेक जैन जी
abhishek ji
पांचवां स्थान :
उर्मि चक्रबर्ती जी
babli ji
छठा स्थान :
अल्पना वर्मा जी
alpana ji
सातवाँ स्थान :
shilpi jain ji
आठवां स्थान :
rekha ji
नवां स्थान :
udan tastari ji
दसवां स्थान :
ishita ji
ग्यारहवां स्थान :
बारहवां स्थान :
13 वां स्थान :
kritika ji
14 वां स्थान :
shivendra ji
15 वां स्थान :
shekhar
applause applause applause विजताओं को बधाईयाँ applause applause applause
applause applause applause applause applause applause applause applause applause
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आशा है जो इस बार सफल नहीं हुए अगली बार अवश्य सफल होंगे

आप
लोगों ने उम्मीद से बढ़कर प्रतियोगिता में शामिल होकर
इस आयोजन को सफल बनाया जिसकी हमें बेहद ख़ुशी है
अल्पना वर्मा जी, शिवेंद्र सिन्हा जी, इशिता जी, शेखर जी, रेखा प्रह्लाद जी,
शेखर जी, विजय कुमार सप्पत्ति जी, गगन शर्मा जी, ज़मीर जी, मोहसिन जी,
अभिषेक जैन जी, उड़न तस्तरी जी, दिनेश सरोज जी, रामकृष्ण गौतम जी,
अदिति चौहान जी, शिल्पी जैन जी, कृतिका जी, शमीम जी, बबली जी,

आप सभी लोगों का हार्दिक धन्यवाद
यह आयोजन हम सब के लिये मनोरंजन ओर ज्ञानवर्धन का माध्यम है !
आपके पास कोई सुझाव हो तो हमें जरूर -मेल करें!
अंत में हम सभी प्रतियोगियों और पाठकों का आभार व्यक्त करते हैं
जिन्होंने क्रियेटिव मंच की क्विज़ में शामिल होकर हमारा उत्साह बढाया
th_Cartoon
अगले रविवार (Sunday) को हम ' प्रातः दस बजे' एक नयी क्विज़ के साथ यहीं मिलेंगे !

सधन्यवाद
क्रियेटिवमंच
creativemanch@gmail.com
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The End