परिचय : नाम : मधु ‘मोहिनी’ उपाध्याय पति का नाम : श्री बृज मोहन उपाध्याय शिक्षा : एम. ए. (हिन्दी – संस्कृत), बी. एड. सम्प्रति : केन्द्रीय विद्यालय, नोएडा में अध्यापिका |
विशेष उपलब्धियाँ : 1- 1996 में राष्ट्रपति भवन में काव्यपाठ तथा अभिनंदन 2- 2001 में लाल-किले पर आयोजित राष्ट्रीय कवि-सम्मेलन में काव्य पाठ 3- 2003 में संसद-भवन में आयोजित कवि सम्मेलन में काव्य पाठ व अभिनंदन 4. 2006 में सहारा सिटी में अमिताभ बच्चन जी के सान्निध्य में काव्य पाठ पुरस्कार : केन्द्रीय विद्यालय संगठन, नई दिल्ली द्वारा वर्ष 1998 का प्रोत्साहन पुरस्कार संस्कार भारती हापुड़ द्वारा 2006 में सम्मान प्रसारण : सभी विशिष्ट चैनलों पर पिछले पद्रह वर्षों से काव्य – पाठ प्रकाशन : 1. ‘मधुमास हो तुम’ काव्य–पाठ संग्रह प्रकाशित 2. विभिन्न पत्रिकाओं में कविताओं का प्रकाशन एवं साक्षात्कार |
मधुमोहिनी सहज कवयित्री हैं...वे गुनगुना रही हैं इसका मतलब कि गीत में हैं। कोई-न- कोई रस का झरना अंदर झर रहा है। शब्द बूँद-बूँद बनकर जहाँ थिरकते हैं। स्वर अपनी मिठास बढ़ाते हुए हृदय की ओर महायात्रा करने लगते हैं। :: डा॰ अशोक चक्रधर :: ************************************************************मधु जी के व्यवहार व काव्य में मधुरता है प्रेम उनकी कविता है स्वर में मिठास है ईश्वर में विश्वास है कुल मिलाकर मधु जी मोहिनी हैं. :: राजेश चेतन :: ************************************************************ मधुमोहिनी का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। इनकी रचनाएँ एक सिद्धहस्त लेखनी का जादू बिखेरती हैं। मुझे विश्वास है कि इनकी रचनाएँ काव्य के क्षेत्र में बड़े आदर और सम्मान के साथ ग्रहण की जायेंगी। :: गोपालदास नीरज :: |
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- राखियों के तार, तार-तार हो गए - ======================= युद्ध-भूमि में जो वीर पुत्र सो गए राष्ट्र-प्रेम के अमूल्य बीज बो गए प्रेम का है अर्थ क्या हमें पढ़ा गए ज़िन्दगी को नाम देश के चढ़ा गए चोटियों पे रक्त की जो धार बही है आग वही, राग वही, त्याग वही है उनकी वीरता का गान कौन करेगा शब्द हैं समर्थ नहीं मौन करेगा हँसते-हँसते दुश्मनों के वार सह गए वीर की न होती कभी हार कह गए ऐसे धीर पुत्रों को नमन सभी करें उनके पंथ का ही अनुगमन सभी करें हम भी गाते-गाते जाएँ वंदेमातरम् दम भी गाते-गाते जाए वंदेमातरम् कितने ही स्वतन्त्रता की भेंट चढ़ गए वक़्त के मुकुट में मोतियों से जड़ गए जाने कितनी मांगों का सिंदूर धुल गया मर गए तो क्या अमर्त्य मार्ग खुल गया माँ की गोद हाय ! कितने सूनी कर गए किन्तु राष्ट्रध्वज की शान दूनी कर गए राखियों के तार, तार-तार हो गए किन्तु वीर देश पर निसार हो गए शोक वेदना की धुन विदाई दे गई बस शरीर मात्र से जुदाई दे गई ऐसे धीर पुत्रों को नमन सभी करें उनके पंथ का ही अनुगमन सभी करें हम भी गाते-गाते जाएँ वंदेमातरम् दम भी गाते-गाते जाए वंदेमातरम् |
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- लिखो तो प्यार पर लिखना - =================== ये कहते हैं सभी मुझसे, लिखो तो प्यार पर लिखना रँगी है ज़िंदगी जिसने, उसी श्रृंगार पर लिखना न जब थे तुम, न थी वो धुन, न वो कविता, न वो गुनगुन सजे जो साज़ पर सुर में, उसी झंकार पर लिखना मेरा मन बावरा कहता है तुम पर ग्रन्थ रच जाऊँ कलम कहती है लिक्खो तो दुःखी संसार पर लिखना जिन्होंने वक़्त के रहते सँवारी ज़िंदगी अपनी सँवारा वक़्त ने उनको समय की धार पर लिखना लिखो उस पेड़ पर जो धूप में तपकर भी फल देता झुकी फूलों से, ख़ुशबू से महकती डार पर लिखना जो कुर्सी पर सजे हैं आज, कल क्या तों ख़ुदा जाने तुम्हें उनसे है क्या लेना बस उनकी हार पर लिखना जो लिखना है तो सूरज, चाँद-तारों पर भी लिख जाना धरा को धारिणी शक्ति अटल आधार पर लिखना |
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- ये हमें हुआ तो हुआ है क्या? - ==================== मेरा मन ये चाहे लिखूँ नया, मगर आज कुछ भी नया है क्या? वही दर्द है, वही आह है, अभी ख़ौफ़ दिल से मिटा है क्या? न वो प्रीत है, न वो प्यार है, वही नफ़रतों की बयार है वो जो घूमता था बहेलिया, यहाँ जाल उसका बिछा है क्या? कहीं रास्ते नहीं सूझते, कहीं ज़िन्दगी से हैं जूझते मिले जन्म फिर से मनुष्य का, भला हमने ऐसा किया है क्या? कई रूप हैं, कई रंग़ हैं, यहाँ सबके अपने ही ढंग हैं सभी गुम हैं अपने आप में, ये हमें हुआ तो हुआ है क्या? मेरे साथ वे भी हैं चल रहे, जो क़दम-क़दम पे हैं छल रहे अब उन्हें कहूँ भी तो क्या कहूँ, कभी यूँ किसी ने कहा है क्या? |
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- प्यार - [लम्बे गीत का छोटा सा अंश] =================== रूप को सिंगार दे तो जानिए वो प्यार है रंग को निखार दे तो जानिए वो प्यार है जीने की जो चाह दे तो जानिए वो प्यार है ज़िंदगी को राह दे तो जानिए वो प्यार है मोम-सा पिघल गया तो जानिए वो प्यार है दर्द को निगल गया तो जानिए वो प्यार है भावना को ज्वार दे तो जानिए वो प्यार है रूप को सिंगार दे तो जानिए वो प्यार है ---------------------------------------------------- आँख बोलने लगे तो जानिए वो प्यार है भेद खोलने लगे तो जानिए वो प्यार है बिन कहे सुनाई दे तो जानिए वो प्यार है हो न हो दिखाई दे तो जानिए वो प्यार है हो के दूर पास हो तो जानिए वो प्यार है मन युँ ही उदास हो तो जानिए वो प्यार है दर्द से उबार दे तो जानिए वो प्यार है रूप को सिंगार दे तो जानिए वो प्यार है -------------------------------------------------------- गीत छन्द बोल द्दे तो जानिए वो प्यार है माधुरी सी घोल दे तो जानिए वो प्यार है बोल बिन ही बात हो तो जानिए वो प्यार है औ जगाती रात हो तो जानिए वो प्यार है मन में ज्वार सा उठे तो जानिए वो प्यार है रोम – रोम गा उठे तो जानिए वो प्यार है मधुर झंकार हो तो जानिए वो प्यार है रूप को सिंगार दे तो जानिए वो प्यार है ------------------------------------------------ |
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- क्या बतलायें दिल की बातें - =================== ना सोने से दिन लगते अब, ना चाँदी-सी रातें हैं क्या बतलाएँ, किसे सुनाएँ, दिल में कितनी बातें हैं तेज़ भागती रेल ज़िंदगी, पीछे सब कुछ छूट गया ऐसा झटका दिया वक़्त ने, दर्पण-सा दिल टूट गया आँसू अक्षर-अक्षर बनकर, छन्द-गीत लिखवाते हैं होठों ने हाथों पर मेरे, जिस दिन अक्षर प्यार लिखा लाज से फिर रँग गई हथेली, स्वर्ग-सा ये संसार दिखा भीगी पलकें, सूखी अलकें, मिली चन्द सौग़ातें हैं जाने कब वे दिन आएँगे, दूर करेंगे तनहाई बस सपने में ही बज उठती, मेरे मन की शहनाई जग सूना है, दुःख दूना है, यादों की बारातें हैं युगों-युगों का साथ हमारा, ये दूरी क्या दूरी है बरसों पहले भरी थी तुमने, मांग मेरी सिंदूरी है मौत जुदा ना कर पाएगी, जनम-जनम के नाते हैं |