प्रस्तुति : प्रकाश गोविन्द
भावनाएं सिर्फ हम मनुष्य की ही धरोहर नहीं हैं, बल्कि ये मूक प्राणी भी भावनाओं से ओत-प्रोत होते हैं ! आईये आप भी जरा इस बात को महसूस करिए : |
सड़क के बीचो बीच पड़ा ये पक्षी हवा से बात करती किसी वाहनरूपी काल से कुचला जा चुका है, एक पारिवारिक सदस्य की तरह दूसरा पंछी तुरंत ही उड़ता हुआ इसके पास आता है और उसे उठाने की पूरी कोशिश करता है, मानो सच्चाई स्वीकारने को वह बिलकुल तैयार नहीं | |
उसी क्षण एक गाडी तेज़ी से गुजरती है और हवा के झोंके से मृतक पड़े पक्षी का शरीर दूसरी तरफ घूम जाता है. उसके साथी को लगता है कि वो अभी भी जिंदा है| वो जल्दी से उसके पास जाता है | |
वो उसके पास बैठता है .. रोता है .. चीखता है. मानो कह रहा हो कि "तुम क्यों नहीं उठ रही?? " लेकिन अब वो उसे नहीं सुन सकती | |
वो उसे अपनी गोद में उठा लेना चाह रहा है लेकिन बेचारा असमर्थ है | तभी एक और गाड़ी आने के कारण वो उड़ता है, गाड़ी के गुजरते ही वापस आपनी साथी के पास आ जाता है| |
दूसरे पंछियों ने बहुत समझाया पागल मत बन वो नहीं उठने वाली मर चुकी, लेकिन ये मानने को नहीं तैयार | वो उसे फिर से उड़ता देखना चाहता है , उसके साथ चहकना चाहता है | इतनी आसानी से वो उसे नहीं जाने देगा... |
फिर एक गाडी का आगमन और वापस उसका मृत शरीर हवा में नाच सा जाता .. मानो वो अभी भी जिंदा है और उड़ने की कोशिश कर रही है| |
फोटोग्राफर का दिल बेहद भावुक हो उठा और उसका दर्द नहीं देख सकता था, अपने भावावेश में जीवित पक्षी भी किसी रफ़्तार की भेट चढ़ सकता था, इसलिए फोटोग्राफर ने उस मृतक पंक्षी के शरीर को उठा उसे सड़क के किनारे रख दिया| पास के ही एक पेड़ पर बैठा उसका साथी जोर जोर से रो रहा था, वो वहां से जाने को अभी भी तैयार ना था.............. |