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बुधवार, 12 जनवरी 2011

ठहाका एक्सप्रेस- 9


इस बार 'ठहाका एक्सप्रेस- 9' के पायलट हैं -


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fghjBest Medicine
गुप्ता जी अपनी कंजूसी के लिए प्रसिद्द हैं।

गुप्ता जी (मृत्युशैया पर) : कहां हो, भाग्यवान...?
पत्नी (तपाक से) : यहीं हूं, प्राणनाथ...
गुप्ता जी : मेरे बेटे-बहुएं भी मेरे पास ही हैं क्या...?
बेटे-बहुएं (समवेत स्वर में) : जी पिताजी, हम सब आपके पास ही हैं...
गुप्ता जी (गुस्से में) : फिर बगल वाले कमरे का पंखा क्यों चला छोड़ रखा है, बेवकूफों...?

एक लड़का एक बहुत बड़े डिपार्टमेंट स्टोर में सेल्समैन की नौकरी के लिए इंटरव्यू देने गया, लेकिन मैनेजर ने उसे अंग्रेज़ी नहीं आने की वजह से रिजेक्ट कर दिया...

लड़के को खुद पर बहुत भरोसा था, सो, वह मैनेजर से बोला, "सर, आप मुझे एक महीने के लिए ट्रायल पर रख लीजिए... यदि मैं अंग्रेजी बोलने वालों से ज़्यादा बिक्री न कर पाऊं, तो मुझे तनख्वाह मत दीजिएगा, और निकाल दीजिएगा..."
मैनेजर को उसकी बात जंची, और उसे नौकरी पर रख लिया गया...
फिर क्या था...
अगले ही दिन से स्टोर की बिक्री दिन-दूनी-रात-चौगुनी बढ़ने लगी...
एक ही सप्ताह में बात स्टोर के मालिक तक पहुंची, तो वह खुद को रोक न सका, और इस चमत्कारी सेल्समैन को देखने चला आया...
वहां पहुंचकर उसने देखा कि लड़का एक ग्राहक को मछली पकड़ने का कांटा बेच रहा था...
मालिक थोड़ी दूर पर खड़ा होकर चुपचाप देखने लगा...


ग्राहक ने कांटा खरीदने की हामी भर दी, तो लड़के ने तपाक से कहा, "सर, इतने महंगे जूते पहनकर मछली पकड़ने जाएंगे तो ये खराब हो जाएंगे... एक काम कीजिए, एक जोड़ी सस्ते जूते भी खरीद लीजिए..."
ग्राहक ने जूते भी खरीद लिए, तो लड़का बोला, "तालाब के किनारे आपको धूप में बैठना पड़ेगा... एक टोपी, और छतरी भी ले लीजिए..."
ग्राहक ने टोपी भी खरीद ली, तो लड़का बोला, "मछली पकड़ने में भगवान जाने आपको कितना समय लग जाए, कुछ खाने-पीने का सामान भी साथ ले जाएंगे तो बेहतर होगा..."
ग्राहक ने बिस्कुट, नमकीन, और पानी की बोतलें भी खरीद लीं...
अब लड़का बोला, "मछली पकड़ लेंगे तो घर कैसे लाएंगे... एक टोकरी भी तो लीजिए, सर..."
ग्राहक ने टोकरी भी खरीद ली, और हज़ारों रुपये का बिल देकर चला गया...


मालिक यह सब देखकर बहुत खुश हुआ, और लड़के को अपने पास बुलाकर बोला, "यार, तुम तो कमाल के आदमी हो... जो आदमी केवल 500 रुपये का मछली पकड़ने का कांटा खरीदने आया था, उसे तुमने 5000 रुपये से भी ज़्यादा का सामान बेच डाला..."
लड़के ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "कांटा खरीदने नहीं, सर, वह आदमी तो अपनी पत्नी के लिए सैनेटरी नैपकिन खरीदने आया था, सो, मैंने ही उसे कहा, अब चार दिन तू घर में बैठा-बैठा क्या करेगा, मछली पकड़ने चला जा..."

एक सरकारी कार्यालय में एकाउन्टेन्ट के पद के लिए एक उम्मीदवार का इंटरव्यू लिया जा रहा था...
परीक्षक ने पूछा : दो और दो कितने होते हैं...?
सवाल सुनकर उम्मीदवार उठा और आहिस्ते से कमरे का दरवाजा खोलकर बाहर झांका... फिर उसने झुककर मेज के नीचे झांका... कहीं कोई न था...
फिर वह सारे खिड़की-दरवाजे बन्द कर परीक्षक के कान में फुसफुसाया : कितने होते हैं, इसको मारिए गोली... आप बताइए सर, आप कितने करवाना चाहते हैं...?

उसे बिना और कोई सवाल पूछे नौकरी पर रख लिया गया...

रामू की पत्नी ने फ्राइंग पैन उठाकर रामू के सिर पर दे मारा।
रामू (चिल्लाते हुए)- तुमने मुझे क्यों मारा।
पत्नी- तुम्हारी डायरी में किसी बसंती का नाम लिखा है। कौन है ये बसंती?
रामू- कल मैंने रेस में जिस घोड़ी पर दांव लगाया था। उसका नाम है।
पत्नी- अच्छा आय एम सॉरी!

अगले दिन रामू की बीवी ने फिर मारा।
रामू- अब क्यों मारा?
पत्नी- तुम्हारी घोड़ी का फोन आया है... जाकर उठा लो!!!

संता सिंह और उसकी पत्नी अपने बेडरूम में आराम से सो रहे थे, और अचानक रात को दो बजे फोन की घंटी बजी...

दोनों की नींद खुल गई, संता ने फोन उठाया, इससे पहले कि वह कुछ कह पाता, दूसरी तरफ से आवाज़ आनी शुरू हो गई, संता सुनता रहा, और अचानक चीखकर बोला, "साले, मैं क्या म्यूनिसिपैलिटी में काम करता हूं..."

जब चीख-चिल्लाकर संता ने फोन पटक दिया, पत्नी ने प्यार से पूछा, "कौन था, जानू...?"
संता ने उखड़े सुर में जवाब दिया, "पता नहीं, कौन कमीना था... साला, मुझसे पूछ रहा था, रास्ता साफ है क्या...?"

संता सिंह का अपनी बीवी से जोरदार झगड़ा हुआ, जिसके दौरान गुस्से में आकर बीवी ने कुर्सी उठाकर संता को दे मारी...
संता सिंह का पैर टूट गया, और वह अस्पताल में पलस्तर करवाने के लिए पहुंचा...

अस्पताल में पलंग पर लेटे-लेटे संता दर्द से कराहते हुए इधर-उधर देखने लगा, और साथ वाले पलंग पर लेटे हुए मरीज को देखकर उसकी नज़रें ठिठक गईं, क्योंकि उस मरीज की दोनों टांगों पर पलस्तर चढ़ा हुआ था...

संता ने बहुत मासूमियत से सहानुभूति-भरी आवाज़ में सवाल किया, "भाईसाहब, क्या आपकी दो बीवियां हैं...?"

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एस एम एस फंडा

कहां निवेश से कितना लाभ हुआ 2010 में...
सोना - 28 प्रतिशत
चांदी - 75 प्रतिशत
कच्चा तेल - 40 प्रतिशत
सेन्सेक्स - 35 प्रतिशत
...और
प्याज़ - 980 प्रतिशत...

साला, एक लाख के प्याज़ खरीदे होते, तो 2011 में लंदन में महल खरीद लेता...

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आप भी अगर कोई जोक्स, हास्य कविता या दिलचस्प संस्मरण भेजना चाहते हैं तो हमें मेल कर सकते हैं ,,,, आपका स्वागत है ! रचना को आपके नाम व परिचय के साथ प्रकाशित किया जाएगा !
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सोमवार, 26 अक्टूबर 2009

ठहाका एक्सपेस - 8

anand sagar

इस बार 'ठहाका एक्सप्रेस- 8' के पायलट हैं -
Laughter is the Best Medicine
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एक बार एक अमरीकी, एक रूसी एवं बंता सिंह एक सज्जन के यहां चाय पर आमंत्रित थे। अमरीकी ने चाय पी कर अपना कप प्लेट में उल्टा करके रख दिया। रूसी ने चाय पीकर अपना कप प्लेट में सीधा रख दिया।

बंता सिंह, जो अब तक उनके टेबल मैनर्स की नकल कर रहा था, उसने कुछ सोच कर अपना कप प्लेट में आड़ा लिटा कर रख दिया। उसकी इस क्रिया को देख कर अमरीकी ने बंता से प्रश्न किया-

"भाई बंता आपने अपना कप प्लेट में आड़ा क्यों लिटा दिया है ?"
बंता ने कहा - "पहले आप बताइये कि आपने अपना कप उल्टा क्यों रख दिया ?"
अमरीकी ने कहा - `क्योंकि मुझे चाय और नहीं चाहिए थी।´
अब बंता ने रूसी से पूछा, `आपने अपना कप सीधा क्यों रखा था ?"
रूसी बोला - "क्योंकि मुझे और चाय चाहिए।"
रूसी और अमरीकी ने अब बंता से पूछा - "लेकिन आपने अपना कप आड़ा क्यों लिटा रखा है .. अब आप तो जवाब दें !"
बंता ने कहा - "यदि चाय और होगी तो मिल जायेगी, वरना कोई बात नहीं !"

संता सिंह एक वकील के पास गया। उसने अपनी पूरी कहानी बताई। वकील ने कहा - "बेफिक्र रहो ! हालांकि तुमने काम बहुत बुरा किया है, लेकिन तुम बच जाओगे। कोई कानून तुम्हें फंसा नहीं सकता। तुम सुनिश्चित छूट जाओगे। इसका मैं तुम्हें आश्वासन देता हूं।"

संता उठ कर खड़ा हो गया और जाने लगा तो वकील ने पूछा- "कहां जाते हो ? क्या मुकदमे की तैयारी नहीं करनी ?"

संता ने कहा - अब क्या फायदा ! क्योंकि मैंने कहानी अपने विरोधी आदमी की सुनाई थी। अगर उसकी जीत निश्चित ही है तो नाहक तुम्हें फीस देने से क्या फायदा !
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भारतीय वैज्ञानिकों ने नयी मिसाईल ईजाद की !
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निखट्टू जीजा को ताने देती हुयी साली बोली -
"आपकी भी कोई जिंदगी है ? मकान मां का है, दीदी के भेजे हुए कपडे पहनते हैं ! चाचा राशन का सामान भिजवा देती हैं और मैं आपके बच्चों की फीस भारती हूँ ....कितने शर्म की बात है !"


निखट्टू जीजा टस से मस नहीं हुए - "शर्म की बात तो है ही ! इसी शहर में तुम्हारे तीन भाई हैं, मगर आज तक उन्होंने एक पैसा भी नहीं भेजा !"

घड़ी की मरम्मत करने वाला एक कारीगर एक बड़ी लम्बी सीढी लगाकर घंटाघर की घड़ी ठीक करने लगा ! जब वह बहुत देर बाद उस लम्बी सीढी से उतरकर आया तों बुरी तरह थक चुका था !
एक महिला पास खड़ी उसे उतरते देख रही थी ! वह पूछ बैठी - "कहिये, घड़ी में कोई खराबी थी क्या ?"
चिढ़कर कारीगर ने कहा - "जी नहीं ... मुझे कम दिखता है इसलिए देखने गया था कि कितने बजे हैं !"

बीना ने रमा से पूछा - "तुम्हारे पतिदेव तो रात को बहुत देर से लौटा करते थे ? आजकल तो मैं देखती हूँ बहुत जल्दी लौट आया करते हैं, तुमने किया क्या ?"


रमा हंसती हुयी बोली - "इलाज कर दिया ! एक रात वो ग्यारह बजे लौटकर आये तो मैंने दरवाजे के अन्दर से ही कहा - "आओ विनोद बड़ी देर कर दी आज तुमने ! अब तो वो भी आते ही होंगे !
तुम तो जानती हो कि मेरे उनका नाम जयंत है
!"

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टाटा की नयी कार "पचास हजारा"

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एस एम एस फंडा

मुझे जैसे शख्स को क्या चाहिए ?
एक लड़की जो प्यार दे !
एक लड़की जो अच्छा खाना बनाये !
एक लड़की जो पैसा कमाए !

और ऐसा नसीब कि
तीनों लड़कियां एक दुसरे से मिल न पायें !

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सोमवार, 19 अक्टूबर 2009

ठहाका एक्सप्रेस - 7

Shivendra Sinha
इस बार 'ठहाका एक्सप्रेस- 7' के पायलट हैं -
Laughter is the Best Medicine
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एक नवोदित फिल्म अभिनेत्री एक फिल्म निर्माता द्वारा उसके साथ किए गए दुर्व्यवहार की शिकायत लेकर पुलिस थाने पहुंची।
उसने रोते-रोते पुलिस इंस्पेक्टर को बताया - अमुक निर्माता बहुत नीच आदमी है। कल रात उसने मुझे अपने घर बुलाया और मेरा शारीरिक शोषण किया।
पुलिस इंस्पेक्टर ने बीच में ही टोका - तो आपने उसी वक्त शोर क्यों नहीं मचाया ?
अभिनेत्री ने सुबकते हुए कहा - उस वक्त मुझे पता नहीं था कि वह इतना नीच आदमी है।
पुलिस इंस्पेक्टर ने आगे पूछा - तो फिर यह आपको कब पता चला ?
- यह तो मुझे तब पता चला जब सुबह उसने बिना कोई कोई साइनिंग एमाउंट दिए मुझे चलता कर दिया ......

रूपये मिलते ही संता अपना सेविंग बैंक अकाउंट खुलवाने बैंक गया ! वहां क्लर्क ने संता को एक फार्म दिया और कहा - "इसे भरकर लाओ !"
संता ने फार्म को पढ़ा और तत्काल दिल्ली रवाना हो गया !
मालूम क्यों ?
फार्म में लिखा जो था - "कैपिटल में भरिये"

एक कवि-सम्मेलन में एक कवि महोदय को बड़े दिनों बाद मंच के ज़रिए क्रांति लाने का मौका मिला था...
सो हुजूर आ गए फॉर्म में..दो घंटे तक उन्होंने कविता के नाम पर अपनी बेकार की तुकबंदियों से श्रोताओं को अच्छी तरह पका दिया तो एक बुज़ुर्गवार मंच के पास आकर लाठी ठकठकाते हुए इधर से उधर घूमने लगे...
मंच से कवि महोदय को ये देखकर बेचैनी हुई...पूछा...बड़े मियां, क्या कोई परेशानी है...?

बड़े मियां का जवाब था...
नहीं जनाब, तुमसे क्या परेशानी...तुम तो हमारे मेहमान हो, इसलिए चालू रहो....मैं तो उसे ढूंढ रहा हूं, जिसने तुम्हें यहां आने के लिए न्योता भेजा था...

पंजाब की आजादी को लेकर दस-बारह सरदारों की मीटिंग चल रही थी ! गरमा गर्म बहस होने लगी ! एक सरदार ने सवाल उठाया- "चलो ... मान लो हमने भारत से पंजाब ले लिया ...लेकिन इसका डेवलपमेंट कैसे करेंगे ?"
यह सुनकर खामोशी छा गयी ! सब एक-दुसरे का मुह देखने लगे ! अचानक बंता ने दिमाग दौड़ाया- "कोई समस्या नहीं है ! हम अमेरिका पर हमला कर देंगे ! अब देख लो जहाँ-जहाँ अमेरिका ने हमला किया वहां जीतने के बाद सब विकास कार्य अपने हाथ में ले लिए ! है कि नहीं ?"

यह सुनकर वहां बैठे सब सरदार प्रसन्न हो गए कि इतनी आसानी से समस्या सुलझ गयी !

लेकिन संता सिंह सरदार कोने में चुपचाप बैठा था ! वो खुश देखाई नहीं दे रहा था ! सबने कारण पूछा !

तब संता ने चुप्पी तोड़ते हुए सवाल दागा - सारी बातें तो ठीक हैं लेकिन अगर हमने अमेरिका को हरा दिया तो ?

साइकिल वाले की टक्कर से पैदल चलने वाला युवक लुढ़क गया,
किन्तु साइकिल वाला प्रसन्नचित्त बोला - 'यह तुम्हारे लिए भाग्यशाली दिन है !'

अपने हाथों से घुटनों को सहलाता हुआ वह आदमी झुंझलाया - 'वह कैसे ?'

'क्योंकि आज मेरी छुट्टी है, नहीं तो मैं ट्रक चला रहा होता'

एक विदेशी पर्यटक घुमते हुए एक बहुत छोटे शहर में टिका ! वहां उसका कुत्ता खो गया ! उसने एक लोकल अखबार में विज्ञापन दिया - 'जो मेरे कुत्ते को खोजकर लाएगा, उसे एक हजार डालर इनाम मिलेगा !'

दूसरे दिन सवेरे तक अखबार नहीं छपा ! वह पर्यटक महाशय अखबार के कार्यालय पहुंचे ! वहां देखा तो केवल चौकीदार मिला ! पूछा - 'भाई अखबार छापने वाले कहाँ गये हैं ?'

चौकीदार ने कहा - 'किसी जेंटिलमैन का कुत्ता खो गया था ! उसने विज्ञापन दिया था जो उसके कुत्ते को ढूंढ लाएगा, उसे एक हजार डालर रुपये का इनाम मिलेगा, तो सभी कुत्ते की तलाश में गये हुए हैं ! आज कार्यालय नहीं आये ! वे चाहते हैं कि जब तक विज्ञापन अखबार में छपे, उससे पहले ही वे कुत्ते को लाकर इनाम पा लें !'

गाँव की एक लड़की अपने घर के बाहर बैठी गाय का दूध निकाल रही थी ! भीतर बैठी माँ को बाहर से किसी आदमी के बोलने की आवाज आई !
'बिटिया~~' ! माँ ने आवाज देकर पूछा - 'बाहर कौन है ?'
'अम्मा'
! बेटी ने जवाब दिया - 'बाहर कोई शहर का आदमी है, एक गिलास दूध मांग रहा है !'
'तुम फौरन भीतर आ जाओ !'
माँ ने आदेश दिया !
'लेकिन माँ, यह कहता है कि मैं नेता हूँ !'
'तो जल्दी से गाय को भी अपने साथ भीतर ले आओ !'


एस एम एस फंडा

मुझे जला देना या दफना देना
जब मर जाऊं एक घूँट व्हिस्की ओंठों पे लगा देना
मैं ताजमहल तो नहीं मांगता यारों
बस मेरी कब्र पर एक गर्ल्स हास्टल बनवा देना


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सोमवार, 12 अक्टूबर 2009

ठहाका एक्सप्रेस - 6

shubham jain
इस बार 'ठहाका एक्सप्रेस- 6' की पायलट हैं -
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एक मनोचिकित्सक जब अपने क्लीनिक पहुंचा तो उसने वहां दो मरीजों को पाया।
एक छत से उल्टा लटका हुआ था जबकि दूसरा ऐसा अभिनय कर रहा था कि जैसे वह कुल्हाड़ी से लकड़ियां काट रहा हो।
डॉक्टर ने अभिनय करने वाले से पूछा - यह आदमी उल्टा क्यों लटका हुआ है ?
उसने हंसते हुए बताया- ‘वह बेवकूफ समझता है कि वह बल्ब है’
डॉक्टर बोला - ‘तुम उसे फौरन नीचे उतारो।’
आदमी - उसे नीचे उतार दूं तो फिर मैं क्या अंधेरे में लकड़ियां काटूंगा .....?

एक आदमी अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार करके घर जा रहा था। तभी अचानक बिजली कड़की,
बादल गरजे और जोरों से बारिश शुरू हो गई। दुखी आदमी ने अपने साथ चल रहे लोगों से कहा - “लगता है, पहुंच गई !”

एक दंपत्ति ने जब अपनी शादी की 25 वीं वर्षगांठ मनाई तो एक स्थानीय समाचारपत्र का संवाददाता उनका साक्षात्कार लेने उनके घर जा पहुंचा। दरअसल वे दंपत्ति अपने शांतिपूर्ण और सुखमय विवाहित जीवन के लिये पूरे कस्बे में प्रसिध्द हो चुके थे। उनके बीच कभी कोई तकरार नाम मात्र के लिये भी नहीं हुई

संवाददाता उनके सुखी जीवन का राज जानने के लिये उत्सुक था।
पति ने बताया - हमारी शादी के फौरन बाद हमलोग हनीमून मनाने के लिये शिमला गये हुये थे। वहां हम लोगों ने घुड़सवारी की। मेरा घोड़ा तो ठीक था पर जिस घोड़े पर मेरी पत्नी सवार थी वह जरा सा नखरैल था। उसने दौड़ते दौड़ते अचानक मेरी पत्नी को नीचे गिरा दिया ।
पत्नी ने घोड़े की पीठ पर हाथ फेरते हुये कहा - यह पहली बार है । और फिर उसी घोड़े पर सवार हो गई। थोड़ी दूर चलने के बाद घोड़े ने फिर उसे नीचे गिरा दिया ।
पत्नी ने अबकी बार कहा - यह दूसरी बार है। और फिर उसी घोड़े पर सवार हो गई ।
तीसरी बार जब घोड़े ने उसे नीचे गिराया तो मेरी पत्नी ने घोड़े से कुछ नहीं कहा, बस अपने पर्स से पिस्तौल निकाली और घोड़े को गोली मार दी।
मैं अपनी पत्नी पर चिल्लाया - ''ये तुमने क्या किया ! तुमने एक बेजुबान जानवर को मार दिया......! क्या तुम पागल हो गई हो ?''
पत्नी ने मेरी तरफ देखा और कहा - ''ये पहली बार है!''


और बस, तभी से हमारी जिंदगी सुख और शान्ति से चल रही है।

एक लड़के को सुपर मार्केट में नौकरी पर रख लिया गया।
नौकरी के पहले दिन जब वह पहुंचा तो मैनेजर ने मुस्कुराहट के साथ उसका स्वागत किया,
उसके हाथ में एक झाड़ू थमाई और कहा - ''तुम्हारा पहला काम है स्टोर की सफाई करना।''
''लेकिन मैं एक कॉलेज ग्रेजुएट हूं''
- लड़के ने कहा।
''ओह, अच्छा! दरअसल मुझे पता नहीं था।'' मैनेजर ने कहा। ''लाओ ये झाड़ू मुझे दो। मैं तुम्हें बताता हूं कि कैसे करना है।'

मेजबान टीम का कप्तान अम्पायर को समझा रहा था :-
आप इस मैच के अम्पायर हैं। वैसे तो आपसे ईमानदारी की आशा करता हूं, पर आपको जानकारी के लिए बता दूं कि मैदान के साथ वाली इमारत अस्पताल है। दूसरी तरफ नदी बह रही है जिसमें गिरने के बाद कोई नहीं बचा है और इस मैदान में आज तक मेरी टीम कोई मैच नहीं हारी है।’


एक औरत बड़ी हड़बड़ी में दंत चिकित्सक के क्लीनिक में पहुंची ।

बोली - ''डॉक्टर साहब! मैं बहुत जल्दी में हूं। मुझे एक जरूरी मीटिंग में जाना है इसलिये एनस्थीसिया (निश्चेतक) मत लगाइये और जल्दी से दांत बाहर निकाल दीजिये।''

डॉक्टर ने मन ही मन कहा - ''कमाल की बहादुर औरत है!''
फिर उस औरत से बोला - ''ठीक है, जैसी आपकी मर्जी। इस कुर्सी पर बैठ जाइये और बताइये कौन से दांत में दर्द है।''

औरत ने दरवाजे के पास खड़े अपने पति को आवाज दी - ''चलो! डॉक्टर साहब को दांत दिखाओ!''


एस एम एस फंडा

मेरी आँखों को सपने दिखा गया कोई
बुझती साँसों में महक जगा गया कोई
हे खुदा क्या यह सचमुच मोहब्बत है
या फिर से टोपी पहना गया कोई !!!


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रविवार, 4 अक्टूबर 2009

ठहाका एक्सप्रेस - 5

Shivendra Sinha
इस बार 'ठहाका एक्सप्रेस- 5' के पायलट हैं -
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बी पॉजिटिव

पिता : "मैं चाहता हूँ तुम मेरी पसंद की लडकी से शादी करो !"
पुत्र : "अपना जीवन साथी मैं स्वयं चुनूंगा !"
पिता : "लेकिन वो लड़की बिल गेट्स की बेटी है !"
पुत्र : "तब फिर ठीक है ... ओके !"

अगले दिन पिता ने बिल गेट्स से संपर्क किया !

पिता : मैं आपकी लडकी के लिए एक बहुत योग्य जीवन साथी बता सकता हूँ
बिल गेट्स : लेकिन मैं इतनी जल्दी अपनी बेटी की शादी नहीं करना चाहता
पिता : "लेकिन वो लड़का वर्ल्ड बैंक का वाईस प्रेसिडेंट है !"
बिल गेट्स : "तब फिर ठीक है ... ओके !"

आखिर में पिता वर्ल्ड बैंक के प्रेसिडेंट से संपर्क करता है !

पिता : "एक प्रतिभाशाली युवक को जानता हूँ जिसे आप वाइस प्रेसिडेंट नियुक्त कर सकते हैं !"
प्रेसिडेंट : लेकिन हमारे यहाँ पहले से ही बहुत सारे वाइस प्रेसिडेंट हैं .. अब आवश्यकता नहीं !"
पिता : "लेकिन वो युवक बिल गेट्स का दामाद है !"
प्रेसिडेंट : "तब फिर ठीक है ... ओके !"
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निष्कर्ष : जब तुम्हारे पास कुछ भी नहीं हो, तब भी तुम सब कुछ हासिल कर सकते हो !
बस ! तुम्हारी सोच सकारत्मक होनी चाहिए !


संता सिंह एक महिला से प्रेम करता था !
उस महिला ने कहा कि ऐसा करो , मेरे पति को पता न चले, मै दूसरी मंजिल
पर रहती हूँ , रस्सी लटका दूँगी और ऊपर से अठन्नी गिरा दूँगी खन्न से आवाज़ होगी , तुम समझ जाना इशारा है कि बस अब रस्सी पर चढ़ जाना है अर्थात पतिदेव सो गए हैं और खर्राटे ले रहे हैं !"
संता ने कहा , "ठीक !"
रात में संता खड़ा हो गया ! खिड़की के नीचे आधी रात रस्सी लटकी ,
अठन्नी गिरी , खन्न से आवाज़ हुयी !

संता सिंह की प्रेमिका राह देखते - देखते थक गई जब तीन घंटे हो गए तो उसने नीचे झाँककर कहा - " संता क्या अठन्नी की आवाज़ सुनाई नही पड़ी ?"
संता ने कहा, "सुनाई पड़ी, उसी को तो खोज रहा हूँ मिल जाए तो ऊपर आऊं "


रात का समय , मैं अपनी कार से गुजर रहा था
रास्ते में एक गाँव पड़ा गाँव के किनारे की ओर सड़क पर पत्थरों का एक बड़ा ढेर लगा हुआ था और उस ढेर पर एक जलती हुयी लालटेन रखी हुयी थी, यह देखकर मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ मैं बड़ी देर तक वहां रुका रहा, आखिरकार गाँव का एक किसान जब उधर से निकला तो उसे बुलाया और पूछा -
" क्यूँ भैया, यह क्या मामला है ?
यह लालटेन इस ढेर के ऊपर क्यूँ रख छोड़ी है ?"
वह व्यक्ति बोला, " अरे, तुम्हे इतना भी नही मालूम ?
अरे ये इसलिए रखी है ताकि आने जाने वाले लोगों को यह पत्थर का ढेर दिखता रहे "
मैं बोला, " अच्छा यह बात है लेकिन ये तो बताओ की यह पत्थरों का ढेर यहाँ क्यूँ लगा रखा है ?"
उस व्यक्ति ने बड़ी हिकारत से कहा, "हद है, हम तो सुनते थे कि
शहर के लोग बड़े ही बुद्धिमान होते हैं, मगर तुम तो बड़ी ही मूर्खता की बातें कर रहे हो, अरे जब पत्थरों का ढेर नही लगायेंगे तो लालटेन किस चीज पर रखेंगे ? लालटेन को रखने के लिए ही तो पत्थरों का ढेर लगाया गया है "

एक बार एक शहजादा घूमता हुआ छोटे से कस्बे में पहुँचा
तभी सामने से आता हुआ गाँव का एक पंडित दिखायी दिया, जिसकी शक्ल शहजादे से हूबहू मिल रही थी
उसे छेड़ने के अंदाज से शहजादे ने पूछा -
" क्यूँ मियां , क्या तुम्हारी माँ हमारे महलों में काम करती थी पहले कभी ?"
पंडित बोला - " नही - नही श्रीमान , पर मेरे पिता अवश्य बहुत वर्षों तक शाही हरम में पहरेदार रह चुके हैं "


संता सिंह की पत्नी अपने मायके गई बार-बार संता को पत्र लिखती कि कुछ दिनों के लिए आप भी बनारस आ जाएँ लेकिन संता सिंह मुम्बई छोड़ता नही चाहता था
आखिरकार उनकी श्रीमती ने पत्र के साथ एक फोटो भी भेजा, जिसमे एक पार्क के बेंच पर एक जोड़ा बैठा हुआ है - पति-पत्नी एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए, एक दूसरे की आंखों में आँखें डाले हुए और पास के ही एक बेंच पर उनकी श्रीमती जी अकेली बैठी हैं - चिंतित, उदास अवस्था में, खोयी-खोयी सी साथ में पत्र में लिखा था : " देखो तुम्हारे बिना मै कितनी अकेली हो गई हूँ "
संता
ने फोटो को देखा और गुस्से से भर कर तार किया :
"यह सब तो ठीक है, पर यह बताओ कि यह फोटो खींची किसने है ?"


बंता सिंह होटल के मैनेजर से : जल्दी चलिए ,,,, मेरी बीबी खिड़की से कूदकर जान दे रही है !
मैनेजर : तो इसमें मैं क्या करूँ ,,,,??
बंता : कमीने ~~~ खिड़की नहीं खुल रही है !

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एस एम एस फंडा
तेरे प्यार में उम्र भर इन्तजार किया
तेरे प्यार में उम्र भर इन्तजार किया

वाह,,,,वाह

वाह,,,,वाह

उस इन्तजार में जाने कितनों से प्यार किया


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रविवार, 20 सितंबर 2009

ठहाका एक्सप्रेस - 4

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इस बार 'ठहाका एक्सप्रेस- 4' की पायलट हैं -
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संता एक बार अपने रिश्तेदार से मिलने उसके शहर गया। वहां जब उसे नाश्ता दिया गया तो उसने प्लेट में गंदगी लगी देखी उसने पूछा - प्लेटें सही ढंग से धुलती तो हैं ?
रिश्तेदार बोला - हां, बिल्कुल ये प्लेटें वाटर से जितनी साफ हो सकती हैं, हो जाती हैं।
दोपहर को जब खाने पर गंदी थाली देखी तो संता ने फिर वही सवाल किया। फिर वहीं जवाब मिला - वाटर से थालियां जितनी साफ हो सकतीं हैं, हो जाती हैं।
शाम को जब संता बाहर घूमने निकला तो दरवाजे पर बंधा पालतू कुत्ता भौंकने लगा। रिश्तेदार कुत्ते को डपटते हुए बोला - चुप रहो वाटर ! संताजी तो अपने घर के आदमी हैं .....


एक जापानी पर्यटक भारत की सैर पर आया हुआ था। आखिरी दिन उसने एयरपोर्ट जाने के लिए एक टैक्सी ली और ड्राइवर बन्ता सिंह को चलने को कहा।
यात्रा के दौरान एक 'होण्डा' बगल से गुज़र गयी। जापानीज़ ने उत्तेजित होकर खिड़की से सिर निकाला और चिल्लाया : "होण्डावेरी फास्ट ! मेड इन जापान!"
कुछ देर बाद एक 'टोयोटा' तेज़ी से टैक्सी के पास से गुज़र गयीऔर फिर जापानी बाहर झुका और चिल्लाया"टोयोटावेरी फास्ट ! मेड इन जापान!"
और फिर एक 'मित्सुबिशी' टैक्सी की बगल से गुज़री। तीसरी बार जापानी खिड़की की ओर झुकते हुए चिल्लाया"मित्सुबिशीवेरी फास्ट ! मेड इन जापान!"
बन्ता थोड़ा ग़ुस्से में गया, मगर चुप रहा। और कई सारी कारें गुज़रती रहीं। आखिरकार टैक्सी एयरपोर्ट तक पहुँच गयी।
किराया 800 रु. बना। जापानी चीखा"क्या? . . . इतना ज़्यादा!"
अब बन्ता के चिल्लाने की बारी थी : "मीटरवेरी फास्ट ! मेड इन इंडिया।"


तीन आदमी एक देहाती सड़क के किनारे पर काम कर रहे थे। एक आदमी 2-3 फीट गहरा गङ्ढा खोदता था और दूसरा उसे फिर मिट्टी से भर देता था। तब तक पहला आदमी नया गङ्ढा खोद लेता था और दूसरा आदमी उसे भी मिट्टी से भर देता था। काफी देर से यही क्रम चल रहा था। तीसरा आदमी सड़क किनारे ही एक पेड़ की छाया में बैठा था।
एक राहगीर जो सुस्ताने के लिये पास ही एक पेड़ के नीचे रुका था, काफी देर से इस कार्यक्रम को देख रहा था। आखिरकार उससे रहा नहीं गया और उसने उनके नजदीक जाकर पूछ ही लिया - यहां क्या काम हो रहा है ?
हम सरकारी काम कर रहे हैं - उनमें से एक आदमी ने बताया !
वो तो मैं देख ही रहा हूं। लेकिन तुम लोग गङ्ढा खोदते हो फिर उसे भर देते हो फिर खोदते हो फिर भर देते हो। आखिर इस काम से हासिल क्या हो रहा है। क्या यह देश के धन की बर्बादी नहीं है ? राहगीर ने थोड़ा गुस्से से कहा

जी नहीं, आप समझे नहीं श्रीमान हम तो अपना काम पूरी ईमानदारी से कर रहे हैं। देखिये मैं आपको समझाता हू” - पहले आदमी ने अपना पसीना पोंछते हुये कहा
यहां हम कुल तीन आदमियों की डयूटी है। मैं, मोहन और वह जो पेड़ की छाया में बैठा है श्याम। हम लोग यहां पौधारोपण कार्य के लिये लगाये गये हैं। मेरा काम है गङ्ढा खोदना, श्याम का काम है उसमें पौधा लगाना और मोहन का काम है उस गङ्ढे में मिट्टी डालना

अब चूंकि श्याम की तबीयत आज खराब है तो इसका मतलब यह तो नहीं कि हम दोनों भी अपना काम करें।


नेताजी - “क्या आपके अखबार ने यह छापा था कि मैं झूठा और बेईमान हूं ?”
संपादक - “नहीं
नेताजी - “इस शहर के किसी अखबार ने ऐसा जरूर छापा है मेरे लोग मुझे गलत सूचना नहीं दे सकते
संपादक - हो सकता है किसी अखबार ने छाप दिया हो। हम लोग पुरानी खबरें कभी नहीं छापते


एक जीवविज्ञानी मेंढ़कों के व्यवहार का अध्ययन कर रहा था। वह अपनी प्रयोगशाला में एक मेंढ़क लाया, उसे फर्श पर रखा और बोला - ''चलो कूदो !''
मेंढ़क उछला और कमरे के दूसरे कोने में पहुंच गया। वैज्ञानिक ने दूरी नापकर अपनी नोटबुक में लिखा - ''मेंढ़क चार टांगों के साथ आठ फीट तक उछलता है।''
फिर उसने मेंढ़क की अगली दो टांगें काट दी और बोला - ''चलो कूदो, चलो !'' मेंढ़क अपने स्थान से उचटकर थोड़ी दूर पर जा गिरा। वैज्ञानिक ने अपनी नोटबुक में लिखा - ''मेंढ़क दो टांगों के साथ तीन फीट तक उछलता है।''
इसके बाद वैज्ञानिक ने मेंढ़क की पीछे की भी दोनों टांगे काट दीं और मेंढ़क से बोला - 'चलो कूदो !''
मेंढ़क अपनी जगह पड़ा था। वैज्ञानिक ने फिर कहा - ''कूदो ! कूदो ! चलो कूदो !''
पर मेंढ़क टस से मस नहीं हुआ।
वैज्ञानिक ने बार बार आदेश दिया पर मेंढ़क जैसा पड़ा था वैसा ही पड़ा रहा
वैज्ञानिक ने अपनी नोटबुक में अंतिम निष्कर्ष लिखा - ''चारों टांगें काटने के बाद मेंढ़क बहरा हो जाता है।''

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एस एम एस फंडा

मोहब्बत एक से हो तो ‘भोलापन’ है
दो से हो तो ‘अपनापन’ है
तीन से हो तो ‘दीवानापन’ है
चार से हो तो ‘पागलपन’ है
फिर भी "काउंटिंग" न रुके तो ‘कमीनापन’ है !


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