आप सभी को नमस्कार !
क्रियेटिव मंच आप सभी का स्वागत करता है !
आप सभी प्रतियोगियों एवं पाठकों को बहुत-बहुत बधाई जिन्होने क्रिएटिव मंच के सिल्वर जुबली क्विज मे हिस्सा लिया ! कल C.M.Quiz -25 के अंतर्गत हमने एक मूर्ति दिखाई थी और प्रतियोगियों से पहचानने को कहा था ! हमने सोचा था कि इस बार यह क्विज प्रतियोगियों के लिए बहुत कठिन होगी ! लेकिन हमारी आशंका को गलत सिद्ध करते हुए प्रतियोगियों ने पिछले सारे रिकार्ड तोड़ दिए ! इस बार सर्वाधिक विजेता प्राप्त हुए और 15 प्रतियोगियों ने सही जवाब देकर विजेता सूची में अपना नाम दर्ज करवाया !
इस बार मोहसिन जी बेहद करीब से चूक गए ..... उनके लिए अवसर था हैट्रिक करने और चैम्पियन बनने का ! किन्तु सुश्री शुभम जी ने कुछ सेकण्ड पहले सही जवाब देकर प्रथम स्थान हासिल किया ! तीसरे नंबर पर रहीं हमारी एक मात्र सुपर चैम्पियन अल्पना वर्मा जी ! तीनों लोगों के बीच में बहुत ही कम समय का अंतर रहा !
सिल्वर जुबली क्विज के बाद अब तक के स्कोर कार्ड पर एक नजर डालते हैं :
ऊपर के स्कोर कार्ड से स्पष्ट पता चलता है कि अल्पना जी जीनियस बनने के बहुत करीब हैं ! लेकिन यह एक खेल है और वो खेल क्या जिसमें अनिश्चितता न हो ! खेल में कुछ भी संभव है ! पहले राउंड में अभी 10 क्विज बाकी हैं !
आईये अब संक्षेप में चित्र की जानकारी लेते हैं और क्विज का शेष परिणाम देखते हैं : सभी विजेताओं और प्रतिभागियों को हमारी तरफ से बहुत-बहुत बधाई और शुभ कामनाएं
|
C.M.Quiz - 25 का सही जवाब :
|
क्विज में दिखाई गयी मूर्ति थी - नई सामाजिक व्यवस्था तथा आज़ादी के लिए लड़ने वाले जनजातीय समाज के लोक नायक बिरसा मुंडा की !
|
आईये बिरसा मुंडा के जीवन और व्यक्तित्व के सम्बन्ध में कुछ जानकारी प्राप्त करते हैं : |
जन नायक - बिरसा मुंडा [Birsa Munda]
|
सुगना मुंडा और करमी हातू के पुत्र बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को राँची केउलीहातू गाँव में हुआ था। बिरसा का मन हमेशा अपने समाज की ब्रिटिश शासकों द्वारा की गयी बुरी दशा पर सोचता रहता था। उन्होंने मुंडा समाज को अंग्रेजों से मुक्ति पाने के लिये प्रेरित किया। 1894 में भयंकर अकाल और महामारी फैली हुई थी। बिरसा ने पूरे मनोयोग से अपने लोगों की सेवा की। 1 अक्टूबर1894 को नेता के रूप में सभी मुंडाओं को एकत्र कर इन्होंने अंग्रेजो से लगान माफी के लिये आंदोलन किया। 1895 में उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया और दो साल के कारावास की सजा दी गयी। बिरसा ने अपने जीवन काल में ही एक महापुरुष का दर्जा पाया। उन्हें 'धरती बाबा' के नाम से पुकारा और पूजा जाता था। 1897 से 1900 के बीच मुंडाओं और अंग्रेज सिपाहियों के बीच युद्ध होते रहे और बिरसा और उसके चाहने वाले लोगों ने अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था। अगस्त 1897 में बिरसा और उसके 400 सिपाहियों ने तीर कमानों से लैस होकर खूँटी थाने पर धावा बोला। 1898 में तांगा नदी के किनारे मुंडाओ की भिड़ंत अंग्रेज सेनाओं से हुई जिसमें अंग्रेजी सेना हार गयी। जनवरी 1900 में एक और संघर्ष हुआ था जिसमें बहुत से औरते और बच्चे मारे गये थे जहाँ बिरसा अपनी जनसभा संबोधित कर रहे थे। बाद में बिरसा के कुछ शिष्यों की गिरफ़्तारी भी हुई थी। अंत में स्वयं बिरसा 3 फरवरी 1900 को चक्रधरपुर में गिरफ़्तार हुये। बिरसा ने अपनी अंतिम साँसे 9 जून 1900 को राँची कारागर मे ली। आज भी बिहार, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ और पश्चिम बंगाल के आदिवासी इलाकों में बिरसा भगवान की तरह पूजे जाते हैं। बिरसा झारखंड आंदोलन के पुरोधा थे। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। जिस स्थान पर प्रतिमा स्थापित है वहां आदिवासियों के साथ बैठक कर स्वतंत्रता आंदोलन की रणनीति बनाते थे। वर्ष 2003-04 में वहां प्रतिमा स्थापित की गयी थी। |
परिणति : कोई कैसे इनकार कर सकता है कि झारखंड राज्य बनने के बाद बिरसा के नाम पर हजारों संस्थाएं खुल गयीं, लेकिन कहीं भी बिरसा के आदर्श की झलक नहीं मिलती. राज्य बनने के बाद भी दूर-दराज और जंगलों में रहनेवाले ओदवासियों की स्थिति जस की तस है। बिरसा के वंशजों की स्थिति भी किसी से छिपी नहीं है. जबकि झारखंड में राजनीतिज्ञों-अफसरों ने हजारों-हजार करोड़ रुपये लूटे। बिरसा को सिर्फ याद करने से काम नहीं चलने वाला। यहां के लोगों को उनकी जमीन से भगाने वालों, यहां की संपत्ति को लूटने वालों, यहां के लोगों का रोजगार छीननेवालों, यहां के जंगलों का नाश कर उसे बेच देने वालों की जब तक पहचान नहीं होगी, यहां के मूलवासियों को जब तक न्याय नहीं मिलेगा, बिरसा का सपना अधूरा ही रहेगा। आज शोषण के खिलाफ लड़नेवाला कोई बिरसा मुंडा सामने नहीं आता। अगर बिरसा मुंडा के आंदोलन के दौरान जल, जंगल और जमीन पर संकट गहरा गया था, शोषण चरम पर था, अंगरेज लूट रहे थे, तो आज कौन सी स्थिति बदल गयी है। स्थिति और बदतर ही हुई है। उस समय के लुटेरे तो अंग्रेज थे, लेकिन आज के लुटेरे काले अंग्रेज हैं। [समस्त जानकारी अंतरजाल से साभार] |
C.M. Quiz - 25
प्रतियोगिता का पूरा परिणाम :
|
|
कृपया नीचे अन्य सभी विजेताओं को भी देखें :
आशा है जो इस बार सफल नहीं हुए अगली बार अवश्य सफल होंगे
सभी प्रतियोगियों और पाठकों को शुभकामनाएं !
आप लोगों ने उम्मीद से बढ़कर प्रतियोगिता में शामिल होकर
इस आयोजन को सफल बनाया, जिसकी हमें बेहद ख़ुशी है !
शुभम जैन जी, मोहसिन जी, अल्पना वर्मा जी, ज़मीर जी, संगीता पुरी जी,
गगन शर्मा जी, रंजन जी, रेखा प्रह्लाद जी, गिरिजेश राव जी, शिल्पी जैन जी
अदिति चौहान जी, राज रंजन जी, शिवेंद्र सिन्हा जी, तारकेश्वर गिरि जी
रजनीश परिहार जी, रामकृष्ण गौतम जी, निर्मला कपिला जी, पूर्णिमा जी
आनंद सागर जी, मनोज कुमार जी, शिवेंद्र सिन्हा जी, राज भाटिय़ा जी
सविता जी, रवि राजभर जी, अभि जैन जी, पारुल जी
आप सभी लोगों का हार्दिक धन्यवाद
यह आयोजन हम सब के लिये मनोरंजन ओर ज्ञानवर्धन का माध्यम है !
आपके पास कोई सुझाव हो तो हमें जरूर ई-मेल करें!
अंत में हम सभी प्रतियोगियों और पाठकों का आभार व्यक्त करते हैं,
जिन्होंने क्रियेटिव मंच की क्विज़ में शामिल होकर हमारा उत्साह बढाया
अगले रविवार (Sunday) को हम ' प्रातः दस बजे' एक नयी क्विज़ के साथ यहीं मिलेंगे !
सधन्यवाद
क्रियेटिवमंच
creativemanch@gmail.com
================