एक दिन औरत का दिन होगा
--- जया जादवानी
उठूं
--- आशुतोष दूबे
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'आप की आमद हमारी खुशनसीबी
आप की टिप्पणी हमारा हौसला'
संवाद से दीवारें हटती हैं, ये ख़ामोशी तोडिये !
वाकई दोनों उम्दा कविताये है..
जवाब देंहटाएंदोनो रचनायेँ लाजवाब।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी कवितायें प्रस्तुत की हैं, क्रियेटिव्ह मंच को साधुवाद।
जवाब देंहटाएंसंयोगवश आज ही पत्रिका-गुंजन के प्रवेशांक में प्रकाशित सुश्री जया जादवानी जी का आलेख को ब्लॉग पर प्रकाशित किया है।
http://patrikagunjan.blogspot.com
dono kavitayen chintanpurn hain.
जवाब देंहटाएंsahi maayane men ye dono hi rachnayen utkrasht hain
prastuti ke liye aapka bahut dhanyvaad
जया जादवानी और आशुतोष दुबे जी की कवितायें बहुत ही अच्छी हैं .
जवाब देंहटाएंकई पंक्तियाँ ऐसी हैं जो मन को उद्वेलित करती हैं .
आपका धन्यवाद जो इतनी सुन्दर कवितायें पढ़ने को मिलीं.
मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं
bahut sundar kavita...
जवाब देंहटाएंumda kavitayen aur umda peshkash
जवाब देंहटाएं----- eksacchai {AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
जब हम जान नहीं पाएंगे उसका सुख
जवाब देंहटाएंक्योंकि हम कभी जान नहीं पाए
दुःख उसका…।
लाजवाब अभिव्यक्ति है
जिसके उच्चार भर से
खुल जायें
बरसों बन्द पड़े द्वार
घोर वन में या नदी में
जिसका हाथ थामे
हम हो जायें पार!
शायद इस ब्लोग पए आने मे बहुत देर कर दी और इतने समय मे बहुत उत्कृष्ट रचनायें पढने से वंचित रह गयी खैर देर आये दुरुस्त आये बहुत सुन्दर भावमय रचनायें हैं एक सार्थक प्रयास बहुत बहुत बधाई
Saarthak kavitaayen.
जवाब देंहटाएं( Treasurer-S. T. )
जया जी और आशुतोष जी दोनो की बहुत सुन्दर कविताओं का आपने चयन किया है । आपका धन्यवाद् -शरद कोकास
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