क्रिएटिव मंच पर आप का स्वागत है ! इस मंच के शुरआती दौर से ही हमने हिंदी व् अन्य भाषाओँ के चर्चित लेखक / लेखिका की चुनिन्दा रचनाएँ आप के समक्ष प्रस्तुत करते रहे हैं ! इसी श्रृंखला के अंतर्गत आज प्रस्तुत हैं -'डा० ऋतु पल्लवी की पांच बेहतरीन कवितायें' आशा है आप का सहयोग एवं सराहना हमें पूर्ववत मिलता रहेगा और प्रस्तुत रचनाओं पर आप के विचारों की प्रतीक्षा रहेगी ! |
औरत ===== पेचीदा, उलझी हुई राहों का सफ़र है कहीं बेवज़ह सहारा तो कहीं खौफ़नाक अकेलापन है कभी सख्त रूढि़यों की दीवार से बाहर की लड़ाई है... ..तो कभी घर की ही छत तले अस्तित्व की खोज है समझौतों की बुनियाद पर खड़ा ये सारा जीवन जैसे-जैसे अपने होने को घटाता है... दुनिया की नज़रों में बड़ा होता जाता है ...कहीं मरियम तो कहीं देवी की महिमा का स्वरूप पाता है! |
***********************************************************
***********************************************************
वेश्या ===== सारे बनैले-खूंखार भावों को भरती हूँ कोमलतम भावनाओं को पुख्ता करती हूँ। मानव के भीतर की उस गाँठ को खोलती हूँ जो इस सामाजिक तंत्र को उलझा देता जो घर को, घर नहीं द्रौपदी के चीरहरण का सभालय बना देता। मैं अपने अस्तित्व को तुम्हारे कल्याण के लिए खोती हूँ स्वयं टूटकर भी, समाज को टूटने से बचाती हूँ और तुम मेरे लिए नित्य नयी दीवार खड़ी करते हो। 'बियर बार' और ' क्लब' जैसे शब्दों के प्रश्न संसद मैं बरी करते हो। अगर सचमुच तुम्हे मेरे काम पर शर्म आती है तो रोको उस दीवार पार करते व्यक्ति को जो तुम्हारा ही अभिन्न साथी है। मैं तो यहाँ स्वाभिमान के साथ तलवार की नोंक पर रहकर भी, तन बेचकर, मन की पवित्रता को बचा लेती हूँ पर क्या कहोगे अपने उस मित्र को जो माँ-बहन, पत्नी, पड़ोसियों से नज़रें बचाकर सारे तंत्र की मर्यादा को ताक पर रखकर रोज़ यहाँ मन बेचने चला आता है। |
***********************************************************
क्यों नहीं ========= नीला आकाश, सुनहरी धूप, हरे खेत पीले पत्ते ही क्यों उपमान बनते हैं ! रूप की रोशनी ,तारों की रिमझिम, फूलों की शबनमी को ही क्यों सराहते हैं लोग! कभी अनमनी अमावस की रात में क्यों चाँद की चांदनी नहीं सजती ? नेताओं के नारे ,पत्रकारों के व्यक्तव्य कवि के भवितव्य ही क्यों सजते हैं अखबारों में! कभी आम आदमी की संवेदना का सम्पादन क्यों नहीं छपता इन प्रसारों में ? मैं तुम्हें प्रेम भरी पाती ,संवेदनशील कविता,सन्देश,आवेश या आक्रोश कुछ भी न भेजूं! फिर भी मुखरित हो जाए मेरी हर बात कभी क्यों नहीं होता ऐसा शब्दों पर,मौन का आघात..? |
***********************************************************
***********************************************************
The End |
नीला आकाश, सुनहरी धूप, हरे खेत
जवाब देंहटाएंपीले पत्ते ही क्यों उपमान बनते हैं !
कभी बेरंग रेगिस्तान में क्यों
गुलाबी फूलों की बात नहीं होती ?
उम्दा सोच, गहरे भाव! उत्तम रचना।
अलग अलग भाव, तेवर और शब्द-संयोग से रचनाएं अच्छी बन पड़ी है ऋतु जी।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
बहुत जबरदस्त!!
जवाब देंहटाएंएक अपील:
विवादों को नजर अंदाज कर निस्वार्थ हिन्दी की सेवा करते रहें, यही समय की मांग है.
हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार में आपका योगदान अनुकरणीय है, साधुवाद एवं अनेक शुभकामनाएँ.
-समीर लाल ’समीर’
डा० ऋतु पल्लवी जी की पाँच बेहतरीन कविता की अच्छी पेशकश के लिए आपका धन्यवाद ...इनकी कविता में से ..प्रथम मुझे अधिक प्रभावित कर गयी
जवाब देंहटाएंek ek rachna dil se nikli hui lagti hai...lajawaab aur jabardast...veshya to bahut hi achchi ban padi hai...badhayi
जवाब देंहटाएंRitu Pallavi ji sabhi rachnaayen bahut sundar hain. mujhe khaas taur par 'जीने भी दो' aur 'वेश्या' bahut pasand aayi.
जवाब देंहटाएंthanks to you
ऋतू जी की सभी कवितायें गहरे भाव लिए हुए है.
जवाब देंहटाएंपठनीय रचनाएं
उत्कृष्ट रचनाओं से रु-ब-रु कराने के लिए आपका बहुत आभार
bahut damdaar kavitayen hain
जवाब देंहटाएंrachnaaon apna prabhaav chhodti hain.
Ritu ji aur creative manch ko bahut
dhanyavad
समझौतों की बुनियाद पर खड़ा ये सारा जीवन
जवाब देंहटाएंजैसे-जैसे अपने होने को घटाता है...
दुनिया की नज़रों में बड़ा होता जाता है
===============================
मैं तो यहाँ स्वाभिमान के साथ
तलवार की नोंक पर रहकर भी,
तन बेचकर, मन की पवित्रता को बचा लेती हूँ
===============================
कभी आम आदमी की संवेदना का सम्पादन
क्यों नहीं छपता इन प्रसारों में ?
===============================
निरर्थकता के बोझ तले
दबा देते हैं उसके अस्तित्व को
तब वह व्यक्ति मर जाता है,अपने सारे प्रतिदान देकर
----------------------
har kavita behtareen
dil ko gahrayi se touch karti huyi
kitne sawaal paida karti huyi
ritu ji ke kavitayen padhvane ke liye aapko thanks
डा० ऋतु पल्लवी जी की सभी रचनाये बेहतरीन और सशक्त हैं.
जवाब देंहटाएंआपने परिचय कराया. आभार.
ऋतू जी की लिखी सभी कवितायेँ बहुत अच्छी लगीं.
जवाब देंहटाएंआप के मंच का यह प्रयास सराहनीय है.
आभार.
behtrin prastuti...sabhi kavitaye bahut sundar...
जवाब देंहटाएंaabhar aapka aisi pratibhao se milwane aur itni shashkat rachnaye padhwane ke liye...
ritu ji...jitni bhi tarif karoon,kam hogi...bahut sundar bhav hai..
जवाब देंहटाएंऋतू जी की सभी कवितायेँ सुन्दर और गंभीर हैं.
जवाब देंहटाएंकविता 'जीने भी दो' , 'वेश्या', और 'क्यों नहीं' पढ़कर मन में बेचैनी होती है
यही कलम की जीत है /
अनंत जी आपका यह प्रयास अत्यंत सराहनीय है
bahut sundar post
जवाब देंहटाएंhar ek kavita sanjeedgi se bhari hai.
'vaishyaa' kavita purush samaaj pe prashn chinh khada karti hai.
thanks to creative manch
विभिन्न रंगों को लिए आपकी रचनाएँ बहुत अच्छी लगीं....
जवाब देंहटाएंकभी बेरंग रेगिस्तान में क्यों
जवाब देंहटाएंगुलाबी फूलों की बात नहीं होती
गहरी बात करती पंक्तिया ,creative मंच को अच्छी रचनाये पढवाने के लिए आभार
ऋतू जी की रचनाएं उच्च स्तरीय हैं. शब्दों को गौर से पढने पर आभास होता है कि कविता में बहुत गहरी बात कही गयी है.
जवाब देंहटाएंऋतू जी की कविता 'मृत्यु' ऐसी ही कविता लगी. मेरे स्टेंडर्ड से बहुत ऊंची है कविता :)
सराहनीय....आपको थैंक्स
सराहनीय रचनाएं
जवाब देंहटाएंऋतू जी की सभी कवितायें गहरे भाव लिए हुए है.
डा० ऋतु पल्लवी जी से आपने परिचय कराया. THANK TO CREATIVE MANCH.
beautiful poems.
जवाब देंहटाएंVery very meaningful.
sabhi ki sabhi kavitayen bahut hi achchee hain.
Yea!one more thing-given pictures [with each poem ]are so good!
जवाब देंहटाएंVery well presented post.
If you ask me ..I feel --'Mrityu' and 'vaishya'are really great poems.
जवाब देंहटाएंDeep thoughts are woven so beautifully in them.
once again congratulations Dr. Ritu.
If you ask me ..I feel --'Mrityu' and 'vaishya'are really great poems.
जवाब देंहटाएंDeep thoughts are woven so beautifully in them.
once again congratulations Dr. Ritu.
sabhi kavitae shandar hai. aurat ke vishay me kafi gahrai ki bat khi hai. vicharo ki udan. vicharo ki antaryatra ko pranam.
जवाब देंहटाएंsanjay parashar
अनंत काफी सराहनीय काम कर रहे हैं आप....ऋतु की कविताएं काफी अच्छी है..
जवाब देंहटाएंपर क्यों नहीं की इन पंक्तियों ..
नेताओं के नारे ,पत्रकारों के व्यक्तव्य
कवि के भवितव्य ही क्यों सजते हैं अखबारों में!
कभी आम आदमी की संवेदना का सम्पादन
क्यों नहीं छपता इन प्रसारों में ? ..
से थोड़ी सी असहमति है....अखबारों में आम आदमी की संवेदनाएं छपती हैं....असल समस्या है कि जिस स्तर पर बदलाव करने की क्षमता है.उस स्तर पर आम आदमी की संवेदनाएं नहीं पहुंचती .उस स्तर पर बैठे लोगो को ज्यादा परवाह वोटो की है, न की आम आदमी की...
वैसे कविता में उठाए प्रश्न काफी तीखे और सीधे हैं......उम्मीद करता हूं की ऋतुजी बूरा नहीं मानेगी टिप्पणी का.....
जवाब देंहटाएंविचारों को नए आयाम देती उत्कृष्ट रचनाएं हैं
जवाब देंहटाएंऋतू जी की रचनाओं में खूबी नजर आती है कि वो हर चीज को एक नए एंगल से देखती हैं
सभी कवितायें मन को भा गयीं विशेषकर 'मृत्यु' और 'जीने भी दो'
कई कमेंट्स बहुत अच्छे हैं
क्रिएटिव मंच का प्रस्तुतुकरण हमेशा की तरह लाजवाब है
अनुरोध है कि इस स्तम्भ को नियमित रखिये
सधन्यवाद
itne saare logon ne taareef kar di hai ki mere liye gunjaayish nahi bachi. bas itna hi kahunga - sabhi rachnayen sundar hain. 'vaishya' kavita yaad rah jaane wali kavita hai.
जवाब देंहटाएंanumeha ji se sahmat hun ki aapka presentation gajab ka hota hai.
regards
आज फिर इन कविताओं को पढ़ा है...
जवाब देंहटाएंवाकई तल्खियाँ नज़र आती हैं इनमें...
'औरत 'कविता के साथ दी गयी पेंटिंग का चुनाव...बहुत ही सटीक लगा..जिस ने भी इस चित्र का चुनाव किया उसे बधाई.
-----------------------
वेश्या कविता पढ़ें तो मुझे चमेली फिल्म की याद आई जिसमें कुछ ऐसी ही बात करीना भी कहती है.
--
कवितायेँ बेहद प्रभावशाली हैं ..और साथ ही उनके साथ लगाये गए चित्र बेहद सुरुचिपूर्ण और विषयानुकुल हैं.
--
एक प्रभावी पोस्ट.
[--एक सुझाव देना चाहूंगी आप के ब्लॉग टेम्पलेट के लिए अगर आप अन्यथा न लें तो ..कृपया इसे साइड बार एक ही रखें ..मुख्य पोस्ट का पेज थोडा बढ़ा दें]
जवाब देंहटाएंBehtareen Poems
जवाब देंहटाएंएक प्रभावी पोस्ट
ऋतू जी की सभी रचनाएँ पाठकों पर अपना भरपूर प्रभाव छोडती हैं. उनको बधाई और शुभ कामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत मेहनत और सुन्दरता से आपने प्रस्तुत किया
आपका आभार
Ritu ji samvedanshil prastuti...
जवाब देंहटाएं"Vaishya" yah kavita padkar aankhen nam ho aaii. sabhi kavitayen bahut hi acchi lagi.
aur manvi ji aur Anant ji aapka blog kholte hi mujhe ek song sunai dia "pahal nasha..." kya yah koi naya prayog hai ya fir mere computer me kuch kharabi hai...
par jaisa bhi hai accha laga.
:)
aapne ek acchi lekhika se parichay karaya. aapka abhar.
ऋतू पल्लवी की " औरत ' और 'क्यूँ नहीं ' कवितायें बेहतरीन कविताओं में से एक है ...बधाई
जवाब देंहटाएंअच्छे विचार, सुन्दर रचना . प्रस्तुती अच्छी लगी. आभार.
जवाब देंहटाएं@प्रिय रोशनी जी
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद
आपने जिस गाने की बात की है वो कोई नया प्रयोग नहीं है और न ही आपके कंप्यूटर में खराबी है :)
हम लोग ठहरे संगीत के रसिक .... इसलिए ब्लॉग में नीचे आप देखिये ... हमने मिक्स पॉड लगा रखा है ... वहां जाकर आप और भी बहुत सारे गाने सुन सकती हैं .. इसके अलावा अगर चाहें तो वीडिओ पर क्लिक करके पिक्चर भी देख सकती हैं !
हो गया न आपकी जिज्ञाषा का समाधान !
जन्मदिवस की शुभकामना के लिए आपको बहुत धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंDr.Ritu pallavi ji ki tamam rachnayen rochak evam utkrist hain. badhai !
जवाब देंहटाएंऋतू जी की लिखी सभी कवितायेँ बहुत अच्छी लगीं.
जवाब देंहटाएंएक प्रभावी पोस्ट
बहुत दिन बाद आने के लिये क्षमा चाहती हूँ । जून के बाद ही रोज़ आ पाऊँगी। बहुत सुन्दर कवितायें हैं इस ऋतु की कवितायें बहुत ही अच्छी हैं सभी कवितायें दिल को छूती हैं उन्हें बधाई आपको भी इस श्रेषठ प्रयास के लिये बधाई
जवाब देंहटाएंसुश्री ऋतू पल्लवी जी का सन्देश हमको मेल द्वारा प्राप्त हुआ :
जवाब देंहटाएंप्रिय अनंत जी एवं क्रिएटिव मंच
कविताओं के प्रकाशन के लिए आपका धन्यवाद.
मैं उन सभी पाठकों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करती हूँ जिन्होंने मेरी रचनाओं को सराहा एवं उन पर अपनी निश्छल राय प्रतिक्रिया दी.
------- ऋतु पल्लवी