प्रिय मित्रों/पाठकों/प्रतियोगियों नमस्कार !! आप सभी लोगों का हार्दिक स्वागत है हम 'श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक- 6' का परिणाम लेकर हाजिर हैं! हमेशा की तरह इस बार भी सभी प्रतिभागियों ने बहुत ही सुन्दर सृजन किया ! कभी-कभी सृजन का क्रम तय करना भी बहुत मुश्किल होता है ! क्रिएटिव मंच के निर्णायक सदस्यों ने कई बातों को ध्यान में रखकर अपना निर्णय दिया ! इस बार राजेन्द्र स्वर्णकार जी की प्रविष्टि को सर्वश्रेष्ठ सृजन चुना गया है! द्वितीय क्रम पर रहीं मृदुला प्रधान जी और तृतीय क्रम पर निर्मला कपिला जी ! सभी प्रतिभागियों से आग्रह है की अब जब शब्द सीमा निर्धारित कर दी गयी है तो कृपया 100 शब्दों के भीतर ही अपनी प्रविष्टि भेजें ! परिणाम के अंत में आज की श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक- 7 का चित्र दिया गया है ! सर्वश्रेष्ट प्रविष्टि को प्रमाण पत्र दिया जाएगा. पहले की भांति ही 'माडरेशन ऑन' रहेगा. प्रतियोगिता में शामिल होने की समय सीमा है - ब्रहस्पतिवार 1 अप्रैल- शाम 5 बजे तक . सभी सृजनकारों एवं समस्त पाठकों को बहुत-बहुत बधाई/शुभकामनाएं. अब आईये हम पिछले अंक के चित्र और परिणाम को देखते हैं! |
श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक- 6 का परिणाम |
चमन में खिलखिलाती-मुस्कुराती हर कली होगी ! हक़ीक़त में हमारी ज़िंदगी कल ज़िंदगी होगी ! न होगा कल किसी तूफ़ान बिजली ज़लज़ले का डर , इल्मो - ता'लीम से तारीक़ियों में रौशनी होगी ! |
चाँद-सितारों की चम-चम |
बेशक रहती हूँ जमीं पर |
साक्षर कन्या -साक्षर परिवार |
अँधेरा छोड़कर पीछे डगर काँटों भरी लेकिन |
शीर्षक : शिक्षा पर अधिकार है मेरा ! -------------------------------मैं जानती हूँ कि मेरे नसीब में |
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मुझे पढना ही होगा |
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श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक - 7 प्रतियोगियों के लिए- 1- इस सृजन प्रतियोगिता का उद्देश्य मात्र मनोरंजन और मनोरंजन के साथ कुछ सृजनात्मक करना भी है। 2- यहाँ किसी प्रकार की प्रतिस्पर्धा नही है। 3- आपको चित्र के भावों का समायोजन करते हुए अधिकतम 100 शब्दों के अन्दर रचनात्मक पंक्तियाँ लिखनी हैं, जिसे हमारी क्रियेटिव टीम के चयनकर्ता श्रेष्ठता के आधार पर क्रम देंगे और वह निर्णय अंतिम होगा। 4- प्रतियोगिता संबंधी किसी भी प्रकार के विवाद में टीम का निर्णय ही सर्वमान्य होगा। 5- चित्र को देख कर लिखी गयी रचना मौलिक होनी चाहिए. शब्दों की अधिकतम सीमा की बंदिश नहीं है. परिणाम के बाद भी यह पता चलने पर कि पंक्तियाँ किसी और की हैं, विजेता का नाम निरस्त कर दिया जाएगा ! 6- प्रत्येक प्रतियोगी की सिर्फ एक प्रविष्टि पर विचार किया जाएगा, इसलिए अगर आप पहली के बाद दूसरी अथवा तीसरी प्रविष्टि देते हैं तो पहले की भेजी हुयी प्रविष्टि पर विचार नहीं किया जाएगा. प्रतियोगी की आखिरी प्रविष्टि को प्रतियोगिता की प्रविष्टि माना जाएगा। 7-'पहले अथवा बाद' का इस प्रतियोगिता में कोई चक्कर नहीं है अतः आप इत्मीनान से लिखें. 'माडरेशन ऑन' रहेगा. आप से अनुरोध है कि अपनी प्रविष्टियाँ यहीं कॉमेंट बॉक्स में दीजिये। ------------------------------------- प्रतियोगिता में शामिल होने की समय-सीमा ब्रहस्पतिवार 1अप्रैल शाम 5 बजे तक है. "श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता- 7" का परिणाम 8 अप्रैल रात्रि सात बजे प्रकाशित किया जाएगा। |
The End |
सभी सृजनकर्ताओं को बधाई! सभी रचनाएँ उत्कृष्ट है!
जवाब देंहटाएं"श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता - 7" के लिए मेरी रचना -
जवाब देंहटाएंमैं सिर्फ एक स्त्री नहीं
एक कर्तव्यनिष्ठ माँ हूँ
नन्ही बेटी तू मेरी ख़ुशी है
मैं सदा तेरा अपना हूँ
सब धर्म निभाये है मैंने
मातृत्व धर्म भी निभाउंगी
तुझे खुश रखूंगी हमेशा
तुझे दुनिया घुमाउंगी
- सुलभ
राजेन्द्र स्वर्णकार जी एवं अन्य सभी सृजनकारों को बधाई. सारी रचनाएं सुन्दर हैं.
जवाब देंहटाएंमै भी कुछ लिखने की कोशिश करता हूँ.
sabhi ko bahut badhayi.
जवाब देंहटाएंmujhe nirmla kapila ji kee rachna bhi bahut achhi lagi.
sab ek se badhkar ek.
जवाब देंहटाएंsabhi ko shubh kmanayen
rajendra ji ko vishesh badhayi.
aapka selection bahut badhiya hai
behtareen aayojan
न होगा कल किसी तूफ़ान
जवाब देंहटाएंबिजली ज़लज़ले का डर ,
इल्मो - ता'लीम से तारीक़ियों में
रौशनी होगी !
bahut khubsurat lines hain
mubarak ho sabhi ko
सभी रचनाएँ उत्कृष्ट है!
जवाब देंहटाएंराजेन्द्र स्वर्णकार जी एवं अन्य सभी सृजनकारों को बधाई.
kaash ham bhi kavi hote
सभी को बहुत-बहुत बधाई!
जवाब देंहटाएंरामनवमी की हार्दिक शुभकामनाये !
सभी रचनाएँ बहुत बढ़िया लगा! बधाई!
जवाब देंहटाएंभाई राजेंद्र स्वर्णकार जी का सदभावना सन्देश मेल द्वारा प्राप्त हुआ :
जवाब देंहटाएंCreative Manch के सभी साथियों को रामनवमी की मंगलकामनाएं !
श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता- 6 में मेरे सृजन को सर्वश्रेष्ठ प्रविष्टि के रूप में चुना गया ,
नत मस्तक हूं मां सरस्वती के समक्ष !
हृदय तल से आभारी हूं क्रिएटिव मंच निर्णायक गण का !
धन्यवाद ज्ञापित करता हूं Shaheen Mirjaji , Abhinav Sathiji , anand sagarji और
तमाम मित्रों के प्रति … जिन्होंने बधाई दी …और श्रेष्ठ करते रहने के प्रयत्नों को संबल प्रदान किया ।
पुनः धन्यवाद !
राजेंद्र जी और मृदुला जी को पहली बार मंच पर देखा बहुत खुशी हुई.
जवाब देंहटाएंराजेंद्र जी की रचना सच बहुत ही अच्छी लगी .उनका कोई ब्लॉग नहीं दिखा.
अनुरोध है की एक ब्लॉग बनाएँ ताकि हम उनका लिखा और भी पढ़ सकें.
सभी प्रतिभागी साथियों को बधाई ...मंच का आभार.
अभी आशा बाकी है लाडली
जवाब देंहटाएंकुहासा छटेगा धूप निकलेगी
बाहें फैला कर भर लेना तुम
सारी सीलन उड़ जायेगी
अभी कंधो में दम है
तेरे चलने तक उठा सकती हूँ
घबराना नहीं मेरी गुडिया
अँधेरे को मिटा सकती हूँ
तेरी छुअन के सहारे
मैं इतनी देर जी सकी हूँ
तेरी मुस्कान के दम से
सारे विष पी सकी हूँ
very Interesting !!
जवाब देंहटाएंThoda der se ana huaa...ab pratiyogita 7 ke liye likhungi...
creativity ko badhava deta sundar manch !
राजेन्द्र स्वर्णकार जी एवं अन्य सभी सृजनकारों को बधाई. सारी रचनाएं सुन्दर...
जवाब देंहटाएंश्रेष्ठ सृजन - सात
जवाब देंहटाएंमाँ : ममता का घर
क्या ग़म है जो मेरे पास खिलौने नहीं
तेरी प्यार भरी भाषा ही काफी है
क्या ग़म है जो मेरे दोस्त न हों
तेरे हाथों की थपकी ही काफी है
क्या ग़म है जो मेरे सर पर छत न हो स्कूल का
तेरे आँचल का छाया ही काफी है
"राम कृष्ण गौतम"
जहाँ धरती से आकाश मिले
जवाब देंहटाएंउस दूरी तक हम हो लें,
चलो कल्पना के पंखों से
आसमान को छू लें.
for srijan pratiyogita no.7
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जवाब देंहटाएंश्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक - 7
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[एक अटूट बंधन]
क्यों ये रीत भगवान ने बनाई है
कहते हैं लोग कि तू परायी है
बेटियां इसे मानकर परिभाषा जीवन की
बना देती है अभिलाषा एक अटूट बंधन की
हमारा रिश्ता भी इतना अजीब होता है
क्यों हम बेटियों का यही नसीब होता है
सृजन अंक - 7 के लिए
जवाब देंहटाएं******************
तेरे आने के अनुभूति से
खिल उठती हूँ
अपने अंश को
एक नए रूप में देख
पता नहीं क्या-क्या सोच
पुलकित हो उठती हूँ
तेरी हर मुस्कान
भर देती है उमंग मुझमें
बुनने लगी हूँ अभी से
तेरी जिन्दगी का ताना-बाना
मुझे मातृत्व का अहसास है।
नारी भी कई रूप बदलती है
जवाब देंहटाएंकभी बहिन,बेटी,पत्नी तो कभी माँ बनती है
लेती है नित नया आकार
लेकिन देती है सबको आधार
करती हैं हर रूप में त्याग अपना
ताकि जन्म ले सके, फिर एक नया सपना
श्रम जीवन आधार बनाया ,
जवाब देंहटाएंजीने का विश्वास लिए,
वात्सल्य भाव से आप्लावित ,
मंद मंद हास लिए ,
स्वप्न सभी पूरे होंगे,
मन में हूँ ,यह आस लिए
-written on april 1st
-alpana
प्रिय राजेन्द्र स्वर्णकार जी की प्रविष्टि मेल द्वारा प्राप्त हुयी :-
जवाब देंहटाएंक्रियेटिवमंच के सभी स्नेहीजनों को नमस्कार !
प्रस्तुत है "श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता- 7" के लिए
मेरी मौलिक काव्य पंक्तियों के रूप में मेरी प्रविष्टि …
"श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता- 7"
नन्हे - नन्हे हाथ - पांव हैं ,
नन्ही - सी औक़ात रे !
पीछे आंधी - तूफ़ां ,
आगे भी है झंझावात रे !
कांधों पर जिम्मेवारी ,
सर पर है काली रात रे !
लाएगी हिम्मत ही सुनहरी -
नूतन आज प्रभात रे !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
एक - दो दिन में ही अवतरित हो रहा है मेरा ब्लॉग …