क्रिएटिव मंच पर आपका स्वागत है ! इस मंच के शुरआती दौर से ही हमने हिंदी व् अन्य भाषाओँ के चर्चित लेखक / लेखिका की चुनिन्दा रचनाएँ आप के समक्ष प्रस्तुत करते रहे हैं ! इसी श्रृंखला के अंतर्गत आज प्रस्तुत हैं -'सुश्री अरुणा राय की छह बेहतरीन कवितायें' आशा है आप का सहयोग एवं सराहना हमें पूर्ववत मिलता रहेगा और प्रस्तुत रचनाओं पर आप के विचारों की प्रतीक्षा रहेगी ! |
सुश्री अरूणा राय | परिचय उपनाम : रोज प्रकाशन : छोटी उम्र से सक्रिय लेखन, |
कुछ तो है हमारे बीच =============== कुछ तो है हमारे बीच कि हमारी निगाहें मिलती हैं और दिशाओं में आग लग जाती है कुछ तो है कि हमारे संवादों पर निगाह रखते हैं रंगे लोग और समवेत स्वर में करने लगते हैं विरोध कुछ तो है हमारे मध्य कि हर बार निकल आते हैं हम निर्दोष, अवध्य कुछ तो है जिसे गगन में घटता-बढता चांद फैलाता-समेटता है जिसे तारे गुनगुनाते हैं मद्धिम लय में कुछ तो है कि जिसकी आहट पा झरने लगते हैं हरसिंगार कुछ है कि मासूमियत को हमपे आता है प्यार... |
आखिर हम आदमी थे ============== इक्कीसवीं सदी के आरंभ में भी प्यार था वैसा ही आदिम शबरी के जमाने सा तन्मयता वैसी ही थी मद्धिम था स्पर्श गुनगुना... आखिर हम आदमी थे इक्कीसवीं सदी में भी.. | कि अपना ख़ुदा होना ============= ग़ुलामों की ज़ुबान नही होती सपने नही होते इश्क तो दूर जीने की बात नही होती मैं कैसे भूल जाऊँ अपनी ग़ुलामी कि अपना ख़ुदा होना कभी भूलता नहीं तू... |
The End |