नमस्कार !
क्रियेटिव मंच आप सभी लोगों का स्वागत करता है !
आप सभी को बहुत-बहुत बधाई जिन्होने इस पहेली मे हिस्सा लिया !
कल C.M. Quiz – 11 जो प्रश्न पूछा गया था, उसका सही जवाब है : यह मूर्ति थी - श्री जमशेदजी नुसीरवानजी टाटा जी की, जो कि भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलोर, भारत मे स्थित है।
भारतीय विज्ञान संस्थान की स्थापना 1909 मे श्री जमशेदजी टाटा के दूरदृष्टि के परिणाम स्वरूप ही हुई थी ! आज यह संस्थान एशिया में अनुसंधान व उच्च शिक्षा के लिये सर्वोत्कृष्ट संस्थानों में से एक है।
|
श्री जमशेदजी नुसीरवानजी टाटा : उनका जन्म सन १८३९ में गुजरात के एक छोटे से कस्बे नवसेरी में हुआ था. उनके पिता जी का नाम नुसीरवानजी था व उनकी माता जी का नाम जीवनबाई टाटा था । पारसी पादरियों के खानदान में नुसीरवानजी पहले व्यवसायी थे । भाग्य उन्हें बंबई ले आया जहाँ उन्होने व्यवसाय में कदम रखा । जमशेदजी 14 साल की नाज़ुक उम्र में ही उनका साथ देने लगे । जमशेदजी ने एल्फिंस्टन कालेज में प्रवेश लिया और अपनी पढ़ाई के दौरान ही हीरा बाई दबू से विवाह कर लिया था । वे 1858 में स्नातक हुए और अपने पिता के व्यवसाय से पूरी तरह जुड़ गए।
उद्योग का आरम्भ वह दौर बहुत कठिन था । 29 साल कि उमर तक जमशेदजी अपने पिता जी के साथ ही काम करते रहे । 1868 में उन्होने 21000 रुपयों के साथ अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया । सबसे पहले उन्होने एक दिवालिया तेल कारखाना ख़रीदा और उसे एक रुई के कारखाने में तब्दील कर दिया और उसका नाम बदल कर रखा - 'एलेक्जेंडर मिल' ! दो साल बाद उन्होने इसे खासे मुनाफे के साथ बेच दिया । इस पैसे के साथ उन्होंने नागपुर में 1874 में एक रुई का कारखाना लगाया । कारखाने का नाम 'इम्प्रेस्स मिल' रखा ।
महान दूरदर्शी जमशेदजी एक अलग ही व्यक्तित्व के मालिक थे । वे अपने समय से कहीँ आगे थे । सफलता को कभी केवल अपनी जागीर नही समझा , बल्कि उनके लिए उनकी सफलता उन सब की थी जो उनके लिए काम करते थे। जमशेद जी के अनेक राष्ट्रवादी और क्रांतिकारी नेताओं से नजदीकी संबंध थे , इन में प्रमुख थे , दादाभाई नौरोजी और फिरोजशाह मेहता । जमशेदजी पर और उनकी सोच पर इनका काफी प्रभाव था।
उनका मानना था कि आर्थिक स्वतंत्रता ही राजनीतिक स्वतंत्रता का आधार है। जमशेद जी के दिमाग में तीन बडे विचार थे - एक , अपनी लोहा व स्टील कंपनी खोलना ; दूसरा, एक जगत प्रसिद्ध अध्ययन केंद्र स्थापित करना, व तीसरा, एक जलविद्युत परियोजना लगाना । दुर्भाग्यवश उनके जीवन काल में तीनों में से कोई भी सपना पूरा ना हो सका । पर वे बीज तो बो ही चुके थे, एक ऐसा बीज जिसकी जड़ें उनकी आने वाली पीढ़ी ने अनेक देशों में फैलायीं ।
जो एक मात्र सपना वे पूरा होता देख सके वह था - होटल ताज महल । यह दिसंबर 1903 में 4,21,00,000 रुपये के शाही खर्च से तैयार हुआ । इसमे भी उन्होने अपनी राष्ट्रवादी सोच को दिखाया था । उन दिनों स्थानीय भारतीयों को बेहतरीन यूरोपियन होटलों में घुसने नही दिया जाता था । ताजमहल होटल इस दमनकारी नीति का करारा जवाब था ।
1904 में जर्मनी में उन्होने अपनी आख़िरी सांस ली ।
|
C.M. Quiz – 11 का पूरा परिणाम :
इस बार की क्विज कठिन न होते हुए भी प्रतियोगियों ने कठिन मान लिया ! पहली बार प्रतियोगियों ने ऐसा निराशाजनक प्रदर्शन किया ! हिंट देने के बावजूद भी प्रतियोगी इन महान व्यक्तित्व को पहचान नहीं कर पा रहे थे ! सिर्फ एक प्रतियोगी श्री उड़न तस्तरी जी ने क्विज का पूर्णतयः सही जवाब दिया ! श्री उड़न तश्तरी जी ने भी अपना जवाब क्विज के प्रकाशित होने के आठ घंटे पच्चीस मिनट बाद दिया ! (देर से सही जवाब मिलने का यह भी एक रिकार्ड है )
सुश्री शुभम जी और सुश्री अल्पना जी ने मूर्ति तो पहचान ली किन्तु यह मूर्ति कहाँ स्थित है, बताने में असफल रहे ! यही कारण है कि श्री उड़न तस्तरी जी देर से शामिल होने के बावजूद भी प्रथम विजेता बनने में सफल हुए !
आप तीनों ही आज के विजेताओं को क्रियेटिव मंच की तरफ से बहुत-बहुत बधाई !
|
सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई !
सभी प्रतियोगियों और पाठकों को शुभकामनाएं !
आप लोगों ने उम्मीद से बढ़कर प्रतियोगिता में शामिल होकर
इस आयोजन को सफल बनाया, जिसकी हमें बेहद ख़ुशी है !
आप सभी लोगों का धन्यवाद,
Murari Pareek ji , anand sagar ji, Purnima ji,
शुभम जैन जी, अल्पना वर्मा जी, दिगम्बर नासवा जी,
मियां हलकान जी, shilpi jain ji, Udan Tashtari ji,
Ishita ji, Purnima ji, shivendra sinha ji,
seema gupta ji,
यह आयोजन हम सब के लिये मनोरंजन ओर ज्ञानवर्धन का माध्यम है !
आपके पास कोई सुझाव हो तो हमें जरूर ई-मेल करें !
अंत में हम सभी प्रतियोगियों और पाठकों का आभार व्यक्त करते हैं, जिन्होंने क्रियेटिव मंच की क्विज़ में शामिल होकर हमारा उत्साह बढाया !
सधन्यवाद
क्रियेटिव मंच
creativemanch@gmail.com