सोमवार, 11 जनवरी 2010

लार्ड कार्नवालिस का मकबरा, गाजीपुर (उत्तर प्रदेश)

क्विज संचालन ---- प्रकाश गोविन्द


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प्रथम विजेता - रेखा प्रहलाद जी
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नमस्कार !
क्रियेटिव मंच आप सभी लोगों का स्वागत करता है !
आप सभी को बहुत-बहुत बधाई जिन्होने इस पहेली मे हिस्सा लिया !

कल C.M.Quiz -21 के अंतर्गत हमने एक इमारत दिखाई थी और प्रतियोगियों से पूछा था कि यह इमारत किसकी यादगार है ! मालूम था कि यह क्विज सब पर बहुत भारी पड़ेगी और हुआ भी यही ! लेकिन केवल आदरणीय रेखा प्रहलाद जी को कोई दिक्कत नहीं हुयी ! उन्होंने सटीक जवाब देते हुए एक बार फिर अपनी श्रेष्टता का परचम लहराया है !

अब तक ब्लॉग जगत की पहेलियों और क्विज में सिर्फ दो नारी शक्ति की हुकूमत चलती थी - अल्पना वर्मा जी और सीमा जी ! अब एक नाम और जुड़ गया है - रेखा प्रहलाद जी ! क्रिएटिव मंच उनके इस लाजवाब प्रदर्शन से अभिभूत है ! रेखा जी चौथी बार प्रथम विजेता बनी हैं ! हम उनका अभिनन्दन करते हैं ! आज की इस क्विज में सिर्फ चार लोगों ने सही जवाब दिए ! एक प्रतियोगी सुश्री इशिता जी ने ब्रिटिश राज के सारे गवर्नर जनरल की लिस्ट ही थमा दी थी ...:) उनका भी शुक्रिया !

सभी विजेताओं को हमारी तरफ से बहुत-बहुत बधाई और शुभ कामनाएं

C.M.Quiz - 21 का सही जवाब :
लार्ड कार्नवालिस का मकबरा, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश
[The Tomb of Lord Cornwallis, Ghazipur, Uttar Pradesh]

लार्ड कार्नवालिस
LORD CORNWALLIS.psd लार्ड कार्नवालिस एक ऐसा सुधारक व प्रशासक था, जो वह भारतीय इतिहास में एक सफल गवर्नर जनरल के रूप में पहचान बना सका। 1786 ई. में लार्ड कार्नवालिस को भारत का दूसरा गवर्नर जनरल व कमांडर इन चीफ के रूप में नियुक्त किया गया। कार्नवालिस ने बुद्घिमानी व सावधानी से तत्कालीन ब्रितानी हुकूमत के प्रति लोगों में पनपी घृणा की भावना को काफी हद तक दूर कर दिया। कार्नवालिस ने राजस्व, न्यायिक सेवा क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार किये।

सार्वजनिक सेवाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार का खात्मा किया। उसने कंपनी के शासन में न्यायिक व प्रशासनिक कार्यो को दो भागों में बांट दिया। कंपनी की सेवा का जो रुप उसने तय किया वही आगे चलकर इंपीरियल सिविल सर्विस के रूप में विकसित हुआ। भूमि-राजस्व सुधार की दृष्टि से 1789 में उसने 10 वर्षीय भूमि व्यवस्था लागू की। बाद में 27 मार्च 1793 को बंगाल में स्थायी भू व्यवस्था लागू हुई। न्यायिक क्षेत्र में दीवानी व फौजदारी न्यायालयों को श्रेणीबद्घ किया। इस दौरान छोटी अदालतें, जिला अदालतें, प्रांतीय अदालतें, सदर दीवानी व फौजदारी अदालतों का गठन हुआ।

लार्ड कार्नवालिस ने वो तमाम सुधार किये जो शायद ही किसी ब्रितानी गवर्नर ने किया हो। भूमि सुधार व प्रशासनिक व्यवस्था में व्यापक सुधार के लिये वे भारतीयों के लिये आज भी अमर है। उनकी तय लीक पर आज भी अमल हो रहा है। पश्चिमोत्तर भारत यात्रा के दौरान पांच अक्टूबर 1805 को उसका देहांत हो गया। कलकत्ता के ब्रिटिश नागरिकों ने उसके सम्मान में गाजीपुर में एक भव्य मकबरा का निर्माण कराया। जो ब्रिटिश वास्तुकला की एक अनूठी मिसाल है।
लार्ड कार्नवालिस का मकबरा :
LORD CORNWALLIS - TOMB - GAZIPUR
लार्ड कार्नवालिस का मकबरा उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर गाजीपुर में स्थित है, जो कि वाराणसी से मात्र 70 किलोमीटर दूर है !यह 6 एकड़ भू-भाग पर बना है। मुख्य मकबरा भूतल से 3.66 मीटर ऊंचे वृत्ताकार चबूतरे पर विशाल गुंबद युक्त संरचना 12 विशाल पत्थरों से बने खंभों पर टिकी है। धूसर रंग के संग -मरमर से युक्त फर्श के केंद्र में श्वेत संगमरमर के लार्ड कार्नवालिस की आवक्ष मूर्ति एक वर्गाकार चबूतरे पर है। उस पर कमल के फूल, कलियां, पत्तियों की उत्कृष्ट नक्काशी उकेरी गई है। चौकी के उत्तर तथा दक्षिण फलक पर क्रमश: उर्दू तथा अंग्रेजी में इस बेताज बादशाह की यशोगाथा अंकित है। अधोमुखी तोपों से युक्त तथा भाला, तलवार आदि शस्त्रों के अंकन से युक्त घेराबंदी मनमोहक है।

हाय री उपेक्षा.. ब्रितानी हुकूमत में जिसकी कभी तूती बोलती थी, आज उनका मकबरा बदहाल है। वक्त के साथ हम इतने बेपरवाह हो गये हैं कि हम बनी बनाई शानदार चीज को ढंग से रख तक नहीं पा रहे। इतिहास में भले ही लार्ड कार्नवालिस अमर हों, लेकिन भारतीय गाइड बुक में उन्हे भुला दिया गया है। जाहिर है कि ऐसे में ब्रितानी सैलानी अपने इस जाबांज के मकबरे के दर्शन से वंचित रह जाते है। यही नहीं बल्कि लार्ड कार्नवालिस से जुड़ी कोई बुकलेट, ब्राउजर तक यहां आने वाले पर्यटकों को उपलब्ध नहीं हो पाता।

लार्ड कार्नवालिस का मकबरा देखने ब्रिटेन से करीब आठ साल पहले उनके वंशज गाजीपुर आये थे।

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C.M. Quiz - 21
प्रतियोगिता का पूरा परिणाम :
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प्रथम स्थान : सुश्री रेखा प्रहलाद जी
Rekha Prahlad ji
द्वितीय स्थान : श्री मोहसिन जी
mohsin.psd
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तृतीय स्थान : सुश्री अल्पना वर्मा जी
alpz09
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shivendra
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applauseapplauseapplauseविजताओं को बधाईयाँapplause applause applause applause applause applause applause
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आशा है जो इस बार सफल नहीं हुए अगली बार अवश्य सफल होंगे
सभी प्रतियोगियों और पाठकों को शुभकामनाएं !

आप लोगों ने उम्मीद से बढ़कर प्रतियोगिता में शामिल होकर
इस आयोजन को सफल बनाया, जिसकी हमें बेहद ख़ुशी है !


श्री राज रंजन जी
सुश्री अदिति चौहान जी
श्री शिवेंद्र सिन्हा जी
सुश्री पूर्णिमा जी
श्री रामकृष्ण गौतम जी
श्री जमीर जी
सुश्री इशिता जी
सुश्री ज्योति शर्मा जी
सुश्री अल्पना वर्मा जी
सुश्री रेखा प्रहलाद जी
श्री मोहसिन जी
श्री मनोज कुमार जी

आप सभी लोगों का हार्दिक धन्यवाद,

यह आयोजन हम सब के लिये मनोरंजन ओर ज्ञानवर्धन का माध्यम है !
आपके पास कोई सुझाव हो तो हमें जरूर -मेल करें !
अंत में हम सभी प्रतियोगियों और पाठकों का आभार व्यक्त करते हैं,
जिन्होंने क्रियेटिव मंच की क्विज़ में शामिल होकर हमारा उत्साह बढाया


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अगले रविवार (Sunday) को हम ' प्रातः दस बजे' एक नयी क्विज़ के साथ यहीं मिलेंगे !

सधन्यवाद क्रियेटिव मंच
creativemanch@gmail.com

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The End
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रविवार, 10 जनवरी 2010

C.M.Quiz - 21 [यह इमारत किसकी यादगार है ]

क्विज संचालन ---- प्रकाश गोविन्द


Life is a Game, …
God likes the winner and loves the looser..
But hates the viewer…So……Be the Player
logo

आप सभी को नमस्कार !

क्रियेटिव मंच आप सभी का स्वागत करता है !
जैसा कि आपको पता है C.M.Quiz का समय परिवर्तित कर दिया गया है ! अब से प्रत्येक रविवार को प्रातः 10 बजे क्विज का प्रकाशन होगा !
आज पहली बार रविवार की क्विज में हम आपके समक्ष हाजिर हैं !
!

सुस्वागतम
Welcome

लीजिये इस बार 'सी एम क्विज़- 21' में एक कठिन क्विज है आपके सामने !

हिंट : यह एक मकबरा है जो ब्रिटिश शासन की याद दिलाता है ! यह जिस विदेशी शख्स से सम्बंधित है उसके
बारे में आप सभी ने स्कूल में अवश्य पढ़ा होगा ! आशा है इतना हिंट पर्याप्त होगा जवाब तक पहुँचने के लिए !

एक और हिंट : यह मकबरा ब्रिटिश हुकूमत के गर्वनर जनरल व कमांडर इन चीफ की यादगार है !

आख़िरी हिंट : इस ब्रिटिश हुकूमत की यादगार को उत्तर प्रदेश में खोजिये !

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यह इमारत किसकी यादगार है और कहाँ स्थित है ?
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तो बस जल्दी से जवाब दीजिये और बन जाईये

C.M. Quiz - 21 के विजेता !
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पूर्णतयः सही जवाब न मिलने की स्थिति में अधिकतम सही जवाब देने वाले प्रतियोगी को विजेता माना जाएगा ! जवाब देने की समय सीमा कल यानि 11 जनवरी, दोपहर 12 बजे तक है ! उसके बाद आये हुए जवाब को प्रकाशित तो किया जाएगा किन्तु परिणाम में शामिल करना संभव नहीं होगा !
---- क्रियेटिव मंच
सूचना :
माडरेशन ऑन रखा गया है इसलिए आपकी टिप्पणियों को प्रकाशित होने में समय लग सकता है क्विज का परिणाम कल यानि 11 जनवरी को रात्रि 7 बजे घोषित किया जाएगा !
----- प्रकाश गोविन्द

विशेष सूचना :
क्रियेटिव मंच की तरफ से विजताओं को प्रमाणपत्र तीन श्रेणी में दिए जायेंगे ! कोई प्रतियोगी तीन बार प्रथम विजेता ( हैट्रिक होना जरूरी नहीं है ) बनता है तो उसे "चैम्पियन " का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा

इसी तरह अगर कोई प्रतियोगी छह बार प्रथम विजेता बनता है तो उसे "सुपर चैम्पियन" का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा !

किसी प्रतियोगी के दस बार प्रथम विजेता बनने पर क्रियेटिव मंच की तरफ से 'जीनियस' का प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा

C.M.Quiz के अंतर्गत अलग-अलग तीन राउंड (चक्र) होंगे ! प्रत्येक राउंड में 35 क्विज पूछी जायेंगी ! प्रतियोगियों को अपना लक्ष्य इसी नियत चक्र में ही पूरा करना होगा !
---- क्रियेटिव मंच

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बुधवार, 6 जनवरी 2010

श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता - 1

प्रतियोगिता संचालन :- - प्रकाश गोविन्द


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कुछ दिनों पहले हमने पाठकों एवं प्रतियोगियों से क्विज के समय से सम्बंधित राय मांगी थी ! वोटिंग के जरिये अधिकतर लोग क्विज का समय सुबह रखने के पक्ष में थे ! बहुत से लोगों ने -मेल के द्वारा भी अपनी राय व्यक्त की और दिन भी परिवर्तित करने का अनुरोध किया था !

जिसके आधार पर क्रिएटिव मंच की टीम ने निर्णय लिया है कि अब C.M.Quiz प्रत्येक रविवार (Sunday) को सुबह - दस बजे आयोजित की जायेगी ! सभी प्रतियोगी रविवार को सवेरे दस बजे क्विज में शामिल होना न भूलें !

आज भी एक छोटा सा आयोजन किया गया है और अगर आप चाहेंगे तो यह आयोजन हर बुधवार को इसी समय किया जाएगा. इसके अंतर्गत एक चित्र दिखाया जाएगा. चित्र को देख कर एक उपयुक्त शीर्षक सुझाना होगा

सब से अधिक सटीक शीर्षक को हमारी निर्णायक टीम चुनेगी जिनका फ़ैसला अंतिम माना जाएगा।

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प्रतियोगिता में शामिल होने की समय सीमा रविवार शाम चार बजे तक है ! उसके उपरान्त प्रतिक्रिया / प्रविष्टि को परिणाम में शामिल कर पाना संभव नहीं होगा !
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s.s.-1
शीर्षक बताईये
ध्यान से देखा आपने ये चित्र ?

क्या इसको देखकर आपके दिल में कोई भाव ...कोई विचार ... कोई सन्देश उमड़ रहा है ?

अगर आप चाहें तो शीर्षक बताने के अतिरिक्त चित्र से सम्बंधित कोई सुन्दर सी तुकबंदी ... कोई कविता - अकविता... कोई शेर...कोई नज्म..कोई दिल को छूती हुयी बात कह सकते हैं !

इतना अवश्य ध्यान रहे लेखन में मौलिकता होनी चाहिए ! पंक्तियाँ स्वयं आपके द्वारा रचित होनी चाहिए !

"श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता- 1" का परिणाम
अगले बुधवार रात्रि सात बजे प्रकाशित किया जाएगा !

शुक्रवार, 1 जनवरी 2010

अमृता प्रीतम, मैथिलीशरण गुप्त, महादेवी वर्मा, सुनित्रा नंदन पन्त, गौरा पन्त 'शिवानी'

क्विज संचालन :- - प्रकाश गोविन्द


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C.M.Quiz - 20 का परिणाम
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संगीता जी बनीं नव वर्ष की प्रथम विजेता
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नमस्कार !

क्रियेटिव मंच की तरफ से नवीन वर्ष में आप सभी लोगों को
हार्दिक शुभ कामनाएं !
आप सभी को बहुत-बहुत बधाई जिन्होने इस पहेली मे हिस्सा लिया !

C.M.Quiz -20 के अंतर्गत हमने पांच श्रेष्ठ साहित्यकारों की तस्वीरें दिखाई थीं और प्रतियोगियों से उन्हें पहचानने के लिए कहा था ! कई प्रतियोगियों ने चेहरे पहचान लिए, तो कई ने अच्छी कोशिश की ! पूरी तरह सही जवाब सिर्फ पांच लोगों ने दिए ! हमारे लिए नए वर्ष में बेहद प्रसन्नता की बात ये भी रही कि नितांत नए प्रतियोगियों ने आज विजेता लिस्ट में अपना नाम दर्ज करवाया !
प्रतियोगिता में प्रथम विजेता बनने का गौरव प्राप्त किया है - आदरणीय संगीता पुरी जी ने !

प्रथम विजेता बनने पर सुश्री संगीता पुरी जी को बहुत-बहुत बधाई !

C.M.Quiz - 20 का सही जवाब :
1. अमृता प्रीतम
2. मैथिलीशरण गुप्त
3. महादेवी वर्मा
4. सुनित्रा नंदन पन्त
5. गौरा पन्त 'शिवानी'


अतिथि संबोधन

alpana ji
नववर्ष के आगमन पर आप सभी को
बधाईयाँ और शुभकामनाएँ
सब से पहले क्रियेटिव मंच का आभार प्रकट करती हूँ कि उन्होने मुझे साल 2009 की अंतिम पहेली बनाने का अवसर दिया। यह पहेली हमें उन महान साहित्यकारों को एक बार फिर से याद दिलाने के लिए थी,जिनके योगदान से हिन्दी साहित्य धनी हुआ है। इनके अतिरिक्त भी अन्य कई साहित्यकार हैं जिनके नाम के बिना हिन्दी साहित्य का ज़िक्र अधूरा है चूँकि संख्या सीमित रखनी थी इसलिए मैं ने अपनी पसन्द से नाम चुने थे।

आईए इन प्रेरक विभूतियों के परिचय, योगदान और उपलब्धियों पर एक नज़र डालते हैं और नये साल के इस पहले प्रयास पर इनका आशीर्वाद लेते हैं।
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अमृता प्रीतम
[Amrita Pritam]
जन्म: 31 अगस्त 1919
निधन: 31 अक्तूबर 2005
जन्म स्थान : गुजरांवाला पंजाब
कुछ प्रमुख कृतियाँ : कागज के कैनवास, इक थी अनीता पिंजर, अदालत, आत्मकथा : रसीदी टिकट, पांच बरस लंबी सड़क, बंद दरवाज़ा, तीसरी औरत, तेहरवाँ सूरज, उन्चास दिन, औरतः इक दृष्टिकोण, इक उदास किताब, सफ़रनामा, मुहब्बतनामा
विविध : 1957 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1958 में पंजाब सरकार के भाषा विभाग द्वारा पुरस्कृत, 1988 में बल्गारिया वैरोव पुरस्कार; (अन्तर्राष्ट्रीय) और 1981 में भारत के सर्वोच्च साहित्त्यिक पुरस्कार ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित। उन्होंने कुल मिलाकर लगभग १०० पुस्तकें लिखी हैं जिनमें उनकी चर्चित आत्मकथा रसीदी टिकट भी शामिल है। अमृता प्रीतम उन साहित्य कारों में थीं जिनकी कृतियों का अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ। अपने अंतिम दिनों में अमृता प्रीतम को भारत का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान पद्म विभूषण भी प्राप्त हुआ। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से पहले ही अलंकृत किया जा चुका था।
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मैथिलीशरण गुप्त
[Maithili Sharan Gupt]
जन्म : 3 अगस्त सन 1846 ई,चिरगांव, झांसी.
मृत्यु :12दिसम्बर 1964 ई
12 वर्ष की आयु में ब्रजभाषा में कविता रचना आरम्भ किया। प्रथम काव्य संग्रह "रंग में भंग' तथा वाद में "जयद्रथ वध' प्रकाशित हुई। 1914 में राष्टीय भावनाओं से ओत-प्रोत "भारत भारती' का प्रकाशन किया। उनकी लोकप्रियता सर्वत्र फैल गई। साकेत तथा अन्य ग्रन्थ पंचवटी आदि 1931 में पूर्ण किये। 'यशोधरा' 1932 में लिखी। गांधी जी ने उन्हें "राष्टकवि' की संज्ञा प्रदान की। 1941 में व्यक्तिगत सत्याग्रह के अंतर्गत जेल गये। 1952-1964 तक राज्य सभा के सदस्य मनो नीत हुये। 1953 में भारत सरकार ने उन्हें "पद्म विभूषण' से सम्मानित किया गया। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 1962 में "अभि नन्दन ग्रन्थ' भेंट किया तथा हिन्दू विश्व विद्यालय के द्वारा डी.लिट. से सम्मानित किये गये। साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र में पद्म भूषण से 1954 में सम्मानित किया गया।

प्रमुख कृतियाँ :
साकेत, जयद्रथ वध, भारत-भारती, पंचवटी, यशोधरा, द्वापर, अंजलि और अर्ध्य, अर्जन और विसर्जन, काबा और कर्बला , जय भारत, झंकार, पृथ्वीपुत्र, मेघनाद वध, मैथिलीशरण गुप्त के नाटक, रंग में भंग, वन वैभव, विरहिणी व्रजांगना, शक्ति,सैरन्ध्री, स्वदेश संगीत !
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महादेवी वर्मा
[Mahadevi Verma]
जन्म -26 मार्च, 1907 को फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश
निधन -22 सितम्बर, 1987, प्रयाग मे
कृतियाँ – काव्य- नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत, यामा, दीपशिखा, सप्तपर्णा, अतीत के चलचित्र, समृति की रेखाएं, पथ के साथी, मेरा परिवार ।
निबंध-आलोचनाः श्रृंखला की कड़ियाँ, विवेचनात्मक गद्य,
विविध संकलनः स्मारिका, स्मृति चित्र, संभाषण, संचयन, दृष्टिबोध ।
इसके अतिरिक्त उन्होंने बंगाल के अकाल के समय 'बंग दर्शन' तथा चीन के आक्रमण के समय 'हिमालय' का संपादन भी किया. स्त्री की उदारता, करुणा, सात्विकता, आधुनिक बौद्धिकता, गंभीरता और सरलता उनके व्यक्तित्व में समाविष्ट थी. महादेवी जी में काव्य प्रतिभा सात वर्ष की उम्र में ही मुखर हो उठी थी. महादेवी वर्मा का काव्य अनुभूतियों का काव्य है । उसमें देश, समाज या युग का चित्रांकन नहीं है, बल्कि उसमें कवयित्री की निजी अनुभूतियों की अभिव्यक्ति हुई है. महादेवी वर्मा का काव्य भव्य और उदात्त है । भावों का साकार चित्रण करने में ये सिद्धहस्त हैं.छायावादी कवियों में महादेवी जी की कविता का अपना अलग रंग-ढंग है। कवि के रूप में उनके कोमल, करुण और व्यथित मन से साक्षात्कार होता है तो गद्यकार के रूप में उनका प्रखर, औजस्वी और दृढ़ रुप सामने आता है। महादेवी जी का गद्य संस्कृति, भाषा, नारी समस्या आदि पर उनकी बेबाक और निर्भीक अभिव्यक्ति है !
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सुमित्रानंदन
[Sumitranandan Pant]

जन्म: 20 मई 1900 ,ग्राम कौसनी, अल्मोडा़.
निधन: 28 दिसम्बर 1977 ,
प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा अल्मोड़ा में ! महात्मा गांधी के आह्मवान पर उन्होंने कॉलेज छोड़ दिया और घर पर ही हिन्दी, संस्कृत, बँगला और अंग्रेजी का अध्ययन करने लगे। सन् 1907 से 1998 के काल को स्वयं कवि ने अपने कवि-जीवन का प्रथम चरण माना है। इस काल की कविताएँ वीणा में संकलित हैं। 1922 में उच्छवास और 1928 में पल्लव का प्रकाशन हुआ.
सुमित्रानंदन पंत ने अपने जीवन काल में अठ्ठाइस प्रकाशित पुस्तकों की रचना की जिनमें कविताएँ, पद्य-नाटक और निबंध सम्मिलित हैं। हिन्दी साहित्य की इस अनवरत सेवा के लिए उन्हें पद्मभूषण (1961), चिदम्बरा" नामक रचना के लिये ज्ञानपीठ(1968),कला और बूढ़ा चांद" के लिये 1960 का साहित्य अकादमी तथा सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार जैसे उच्च श्रेणी के सम्मानों से प्रतिष्ठित किया गया।
प्रमुख कृतियाँ - चिदम्बरा, वीणा, पल्‍लव, गुंजन, ग्राम्‍या, युगांत, युगवाणी, लोकायतन, कला और बूढ़ा चांद।

Gaura_Pant_'Shivani'_(1923_–2003)_
गौरा पंत 'शिवानी
[Gaura Pant Shivani]

जन्म -17 अक्टूबर, 1923, राजकोट (गुजरात)
निधन -21 मार्च, 2003 को दिल्ली में

साहित्य और संगीत के प्रति एक गहरा रुझान ‘शिवानी’ को माता और पिता से ही मिला।शिवानी जी के पितामह संस्कृत के प्रकांड विद्वान पं. हरिराम पाण्डे थे । उनके लेखन तथा व्यक्तित्व में उदारवादिता और परम्परानिष्ठता का अद्भुत मेल है। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर उन्हें ‘गोरा’ पुकारते थे। बंगला साहित्य और संस्कृति का शिवानी पर गहरा प्रभाव पड़ा। उनकी 'आमादेर शांति निकेतन' और 'स्मृति कलश' इस पृष्ठभूमि पर लिखी गई श्रेष्ठ पुस्तकें हैं। 'कृष्णकली' उनका सबसे प्रसिद्ध उपन्यास है। 'करिये छिमा' पर विनोद तिवारी ने फिल्म बनाई थी। 'सुरंगमा', 'रतिविलाप', 'मेरा बेटा' और 'तीसरा बेटा' पर टीवी धारावाहिक बन चुके हैं। 1982 में शिवानी जी को भारत सरकार ने पद्मश्री से अलंकृत किया गया।
प्रमुख कृतियाँ -
उपन्यास - कृष्णकली, कालिंदी, अतिथि, चल खुसरों घर आपने, श्मशान, भैरवी, स्वयंसिद्धा, विषकन्या, रति विलाप, आकाश, शिवानी की श्रेष्ठ कहानियाँ, शिवानी की कहानियाँ, मृण्माला की हँसी,संस्मरण - अमादेर शांति निकेतन, समृति कलश, वातायन, यात्रा - चरैवैति, यात्रिक। आत्मकथ्य - सुनहुँ तात यह अमर कहानी !

C.M.Quiz-20
प्रतियोगिता का पूरा परिणाम :

प्रथम स्थान : सुश्री संगीता पुरी जी
sangitapuri f
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द्वितीय स्थान : सुश्री रेखा प्रहलाद जी
Rekha Prahlad ji
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तृतीय स्थान : श्री निर्भय जैन जी
nirbhay jain
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चौथा स्थान : श्री सुलभ सतरंगी जी
sulabh satrangi
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पांचवां स्थान : श्री शमीम जी
shamim shamim.psd
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applauseapplauseapplauseविजताओं को बधाईयाँapplause applause applause applause applause applause applause applause applause
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जिन्होंने बेहतरीन प्रयास किया :
zameer
श्री जमीर जी
shubham jain
शुभम जैन जी
shilpi
शिल्पी जैन जी

आशा है जो इस बार सफल नहीं हुए अगली बार अवश्य सफल होंगे
सभी प्रतियोगियों और पाठकों को शुभकामनाएं


आप लोगों ने उम्मीद से बढ़कर प्रतियोगिता में शामिल होकर
इस आयोजन को सफल बनाया, जिसकी हमें बेहद ख़ुशी है !
अल्पना वर्मा जी
शिवेंद्र सिन्हा जी
आनंद सागर जी
श्री शमीम जी
निर्मला कपिला जी
अदिति चौहान जी
सुश्री पूर्णिमा जी
रामकृष्ण गौतम जी
मानव सिन्हा जी
सुश्री शुभम जैन जी
श्री मोहसिन जी
श्री ज़मीर जी
श्री निर्भय जैन जी
श्री हिमांशु जी
संगीता पूरी जी
राज भाटिया जी
हास्य फुहार जी
रेखा प्रहलाद जी
मनोज कुमार जी
सुलभ सतरंगी जी
सुश्री शिल्पी जैन जी

आप सभी लोगों का हार्दिक धन्यवाद,

यह आयोजन हम सब के लिये मनोरंजन ओर ज्ञानवर्धन का माध्यम है !
आपके पास कोई सुझाव हो तो हमें जरूर -मेल करें !
अंत में हम सभी प्रतियोगियों और पाठकों का आभार व्यक्त करते हैं,
जिन्होंने क्रियेटिव मंच की क्विज़ में शामिल होकर हमारा उत्साह बढाया

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अगले बुधवार को हम 'रात्रि - सात बजे' एक नयी क्विज़ के साथ यहीं मिलेंगे !


सधन्यवाद क्रियेटिव मंच
creativemanch@gmail.com
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The End
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