प्रस्तुति :- प्रकाश गोविन्द
सुश्री अनीता वर्मा | परिचय अनीता जी रांची में रहती हैं । बेहद संवेदनशील और सचेत यह लेखिका हमेशा अपनी अथक जिजीविषा से बहुत प्रभावित और आकर्षित करती रही हैं। पिछले कई सालों से दुर्भाग्यवश उनका स्वास्थ्य बहुत ज़्यादा खराब रहा है और पता नहीं कितने आपरेशन उनके हुए हैं। उसके बावजूद समय निकाल कर वे लिखती रहती हैं और चुनिन्दा पत्रिकाओं में उनकी रचनाएं देखने को मिलती रहती हैं। |
अनीता की कविताएँ बाउंडरीलेस हैं और ये समाज की व्याधियों की शिनाख्त करती हैं। -- लीलाधर जगूड़ी =====================================================अनीता वर्मा जी की कविताएँ सारतात्विक हैं तथा इनमें अपूर्व दार्शनिक संयम है। --मंगलेश डबराल =====================================================अनीता वर्मा का काव्य संग्रह जन्म-जन्मांतर की अवधारणा का निषेध करता है। -- अष्टभुजा शुक्ल ===================================================== अनीता वर्मा की कविताओं की गंध, रूप, रस और छुअन औरों से अलग है तथा इनका शिल्प ऐसा है जैसे सांगीतिक बंदिशों में उपनिबद्ध हो। --ओम निश्चल |
अनीता वर्मा का नाम आज सर्वाधिक चर्चित है। अनीता वर्मा की कवि दृष्टि किसी छद्म को रचने की जगह सत्य के विभिन्न रंगो को दिखा रही है। इस बार क्रिएटिव मंच पर अनीता वर्मा जी की कुछ कविताएँ प्रस्तुत हैं : |
पुरानी हंसी मुझे अच्छी लगती है पुरानी कलम |
मेरे दोस्त *********** मेरे दोस्त जब पहनने के लिए मिले रेशमी वस्त्र खाने के लिए मिले लजीज गोश्त नहाने के लिए मिले खुशबुदार साबुन सोने के लिए मिले आरामदेह बिस्तर तो तय है कि साथ मिलेगा एक खूबसूरत पट्टा जंजीर के साथ | बुजुर्गों से ********** हम चलते रहे अपनी चाल आपको पीछे कर चुप्पी को अनसुनी कर हम गिरते रहे अपने हाल दरवेश किस्से सुनाते रहे नौजवान पैंचे लड़ाते रहे इसी बीच बाजार में बिकने लगे नाती पोते। |
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The End
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The End
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अनिता वर्मा जी की कविताओं के विषय हमेशा आश्चर्यचकित कर देते हैं । उनकी कविताओं में न केवल स्थितियों का सूक्ष्म विश्लेषण होता है बल्कि इनमें उपजने वाली सहज सम्भावनाओं को भी अनंत विस्तार मिलता है । अनिता जी की कवितायें लगातार पत्रिकाओं में आ रही है .उनकी क्षमता अपार है ..वे शिघ्रातिशीघ्र पूरे तरह स्वस्थ्य हो यह कामना - शरद कोकास ( ब्लॉग- आलोचक )
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआपकी इन कविताओं में निराधार स्वप्नशीलता और हवाई उत्साह न होकर सामाजिक बेचैनियां और सामाजिक वर्चस्वों के प्रति गुस्सा, क्षोभ और असहमति का इज़हार बड़ी सशक्तता के साथ प्रकट होता है।
जवाब देंहटाएंसबसे पहले तो मैं आपको बहुत-बहुत शुक्रिया बोलना चाहूंगी ! काफी इन्तजार के बाद आप आपने हमारी फरमाईश को पूरा किया ! बहुत खुश हूँ आज !
जवाब देंहटाएंअनीता जी की कवितायें पढना जीवन से रूबरू होना है ! जीवन के कितने ही शेड्स मिलते हैं ! नितांत अलग पहचान है अनीता जी की लेखनी !
प्रस्तुत कविताओं में "मेरे दोस्त" और "गिरना" मेरी पसंदीदा कवितायें हैं !
आपका हार्दिक आभार !
बदकिस्मती है कि आज पहली बार अनीता वर्मा जी की कवितायें पढने को मिलीं. कविता - 'गिरना' गजब की है.
जवाब देंहटाएंस्वयं को इस योग्य नहीं पाता कि प्रशंसा के लिए कौन से शब्द लिखूं . शरद कोकस जी ने बहुत ही बढ़िया तरह से प्रतिक्रिया दी है. बस आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आपके माध्यम से इतनी सशक्त रचनाएं पढ़ने को मिलीं.
सभी रचनाएँ एक से एक बेहतरीन..आभार.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन। बधाई।
जवाब देंहटाएंअनीता जी की कविताओं की इस प्रस्तुति का हृदय से आभार । इन पंक्तियों को पढ़ने के बाद क्या बचता है -
जवाब देंहटाएं"रहस्यों को समझने से ज़्यादा ज़रूरी है
चीज़ों के होने को समझना "
thanks for nice poems
जवाब देंहटाएंअनीता जी की कवितायें अत्यंत सारगर्भित और सोचने को मजबूर करतीं हैं. "प्रभु तेरी दिव्यता में" / "गिरना" और "मेरे दोस्त" कविता बेहद सुन्दर हैं. आपको धन्यवाद
जवाब देंहटाएंअत्यंत पठनीय कवितायेँ
जवाब देंहटाएंसुन्दर कवितायें प्रस्तुत करने और अनीता जी से मिलवाने के लिए आपका आभार
bahut hi sudar rachnaye...anita ji ke jald swasth hone ki kamana...aur creative manch ka dhanywaad aisi mahan lekhika se rubaru karwane aur unki sundar kavitaye padhwane ke liye...
जवाब देंहटाएंरहस्यों को समझने से ज़्यादा ज़रूरी है
जवाब देंहटाएंचीज़ों के होने को समझना image-5
मज़बूती से खड़े हैं पहाड़
समुद्र में आता है ज्वार
पृथ्वी घूमती है लट्टू की तरह
मनुष्य गिरता जाता है गर्त्त मे
अनीता वर्मा जी की सभी रचनायें जीवन के यथार्थ से जुडी गहरे भाव लिये चलती हैं बहुत सुन्दर प्रस्तुति अनीता जी को व आपको बहुत बहुत बधाई
सभी रचनाएँ एक से एक बेहतरीन,
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति.
अनीता जी से मिलवाने के लिए आभार.
अनीता जी की कविताओं में बहुत गहराई है !पंक्तियाँ दिल को छूती हैं
जवाब देंहटाएंआपका धन्यवाद इतनी बेहतरीन कवितायें पढवाने हेतु !
अनीता जी के लिए मंगल कामना
बहुत सुन्दर और अर्थपूर्ण कवितायेँ
जवाब देंहटाएंअनीता जी को शुभ कामनाएं
thanks to creative manch
बहुत सुन्दर!! एक ही पोस्ट में इतना कुछ आपने दिया है सुन्दर अनिताजी के स्वास्थ्य की कामना करते हैं!!!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
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जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर कवितायें ...सर्वप्रथम तो आपका बहुत बहुत आभार crative manch की आपने एक बेहद बेहतरीन लेखिका से हम सब का परिचय करवाया। प्रभु मेरी दिव्यता में... में जहाँ इनके भावुक ह्रदय के दर्शन होते हैं वहीं पुरानी हँसी में उनका प्रकृति से हमारे सम्बन्ध को इंगित करती दृष्टि नज़र आती है।
जवाब देंहटाएंमेरे दोस्त में उन्होंने ऐशो आराम को खुबसूरत पट्टा जंजीर के साथ कहा।
और "गिरना "रहस्यों को समझने से ज़्यादा ज़रूरी है
चीज़ों के होने को समझना .... इस लाइन को देखिये लेखिका सत्य के बेहद करीब मालूम होती हैं जब इंसान सत्य या रहस्य को जानने की कोशिश करता है तो वह यह जान पता है की वह और प्रकृति क्या है? और आगे लेखिका यह भी कहती हैं की प्रकृति में कोई समस्या नहीं समस्या केवल मनुष्यों में है....
आदरणीया लेखिका को मेरा शत शत नमन।