गुरुवार, 7 नवंबर 2013

साहित्यिक कृतियों पर आधारित हिंदी फ़िल्में

Films Based on Indian Novels & Literature
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मारे अधिकाँश फिल्मकारों का यह मानना रहा है कि चूँकि सिनेमा का मूल उद्देश्य जनता का मनोरंजन करना है अतैव साहित्यिक कृतियों के जरिये दर्शकों की अपेक्षाओं को पूरा करना कठिन हो जाता है ! इसके बावजूद भी अनेक प्रबुद्ध और सजग फिल्मकारों ने समय-समय पर नामी लेखकों की साहित्यिक कृतियों व रचनाओं को आधार बनाकर सफल फिल्मों का निर्माण किया !

यहाँ हम हिंदी सिनेमा की ऐसी फिल्मों की सूची दे रहे हैं जो साहित्यिक कृतियों पर आधारित हैं :

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'देवदास' - मूलरूप से बांग्ला में लिखित शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास  को आधार बनाकर हिंदी में प्रमथेश बरुआ (1936), विमल राय (1955) और बाद में संजय लीला भंसाली (2002) द्वारा फ़िल्म का निर्माण हुआ !
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'परिणीता' - शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा 1914 में रचित चर्चित बांग्ला उपन्यास पर इसी नाम से 1942 में पशुपति चटर्जी ने, 1953 में बिमल राय ने, 1969 में अजॉय कार ने और 2005 में प्रदीप सरकार ने फ़िल्म का निर्देशन किया !
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'ज़िद्दी' (1948) - इस्मत चुगतई की कहानी पर केंद्रित फ़िल्म का निर्देशन शाहिद लतीफ़ ने किया !
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'बिराज बहू' (1954) - शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय की कृति पर आधारित फ़िल्म का निर्माण हितेन चौधरी ने और निर्देशन बिमल राय ने किया !
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'सुजाता' (1959) - सुबोध घोष की बांग्ला कहानी पर आधारित फ़िल्म का निर्देशन बिमल राय ने किया !
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'धर्मपुत्र' (1961) - आचार्य चतुरसेन के उपन्यास को आधार बनाकर यश चोपड़ा ने इसी नाम से फ़िल्म बनायी
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'साहब बीबी और गुलाम' (1962) - बांग्ला उपन्यासकार विमल मित्र के उपन्यास पर इसी नाम से गुरुदत्त ने फ़िल्म बनायी, जिसको अबरार अल्वी ने निर्देशित किया !
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'गोदान' (1963) - उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की अमर कृति पर आधारित फ़िल्म का निर्देशन त्रिलोक जेटली ने किया !
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बंदिनी (1963) - चारुचंद्र चक्रबर्ती 'जरासंध' के बांग्ला उपन्यास 'तामसी' पर केंद्रित फ़िल्म का निर्माण बिमल राय ने किया !
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'काबुलीवाला' (1965) - रबींद्रनाथ टैगोर द्वारा रचित कहानी पर केंद्रित फ़िल्म का निर्माण बिमल राय ने और निर्देशन हेमेन गुप्ता ने किया !
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'गाइड' (1965) - मूलरूप से अंग्रेजी में लिखे गए आर.के.नारायण के उपन्यास 'दि गाइड' पर देव आनंद ने हिंदी में फ़िल्म का निर्माण किया, जिसे विजय आनंद ने निर्देशित किया ! 
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'गबन' (1966) - मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास पर केंद्रित फ़िल्म का निर्माण ऋषिकेश मुखर्जी ने किया !
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'तीसरी कसम' (1966) - उपन्यासकार-कहानीकार फणीश्वरनाथ 'रेणु' की चर्चित कहानी 'तीसरी कसम उर्फ़ मारे गए गुलफाम' को आधार बनाकर बासु भट्टाचार्य ने  फ़िल्म बनायी !
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'सरस्वतीचन्द्र (1968) - गोवर्धनराम माधवराम त्रिपाठी के गुजराती उपन्यास पर उसी नाम से फ़िल्म का निर्माण गोविन्द सरैया ने किया !
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'भुवन सोम' (1969) - बलाई चन्द्र मुखोपाध्याय द्वारा रचित बाँग्ला कहानी पर आधारित फ़िल्म का निर्माण व निर्देशन मृणाल सेन ने किया ! 
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'सारा आकाश' (1969) - हाल में ही दिवंदत कथाकार 'राजेन्द्र यादव' के उपन्यास 'प्रेत बोलते हैं' को आधार बनाकर निर्देशक बासु चटर्जी ने फ़िल्म बनायी !
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'सफ़र' (1970) - आशुतोष मुखर्जी के बांग्ला उपन्यास पर आधारित फ़िल्म का निर्माण असित सेन ने किया ! 
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'छोटी बहू' (1971) - निर्देशक के.बी.तिलक ने शरतचन्द्र चटर्जी के बांग्ला उपन्यास 'बिन्दुर छेले' पर केंद्रित फ़िल्म बनायी !
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'रजनीगंधा' (1974) - निर्माता-निर्देशक बासु चटर्जी ने कथा लेखिका मन्नू भंडारी की कहानी 'यही सच है' को आधार बनाकर फ़िल्म बनायी !
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'मौसम' (1975) - साहित्यकार 'कमलेश्वर' की लम्बी कहानी 'आगामी अतीत' पर निर्देशक 'गुलज़ार' ने फ़िल्म का निर्माण किया !
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'आंधी' (1975) - 'कमलेश्वर' के ही एक अन्य उपन्यास 'काली आंधी' को केंद्र में रखकर गुलज़ार ने फ़िल्म बनायी !
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'बालिका बधू' (1976) - तरुण मजूमदार के निर्देशन में बनी ये फ़िल्म 'बिमल कार' के बांग्ला उपन्यास पर आधारित थी !
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'शतरंज के खिलाड़ी' (1977) - प्रेमचंद की कहानी पर सत्यजीत रे ने इसी नाम से फ़िल्म बनायी !
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'भूमिका' (1977) - मराठी रंगमंच-सिनेमा की अभिनेत्री हंसा वाडकर द्वारा लिखे संस्मरण - 'सांगते एका' पर आधारित फ़िल्म का निर्देशन श्याम बेनेगल ने किया !
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'जूनून' (1978) - रुस्किन बॉन्ड के नावेल 'ए फलाईट आफ पिजन्स' पर आधारित फ़िल्म का निर्माण शशि कपूर ने और श्याम बेनेगल ने निर्देशित किया !
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'अपने पराये' (1980) - शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित बांग्ला उपन्यास 'निष्कृति' पर आधारित फ़िल्म  का निर्देशन बासु चटर्जी ने किया ! 
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'सदगति' (1981) - प्रेमचंद की कहानी के आधार पर छोटे परदे के लिए सत्यजीत रे ने फ़िल्म का निर्माण किया
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'उत्सव' (1984) - संस्कृत नाट्य कथा 'मृच्छकटिकम्' पर आधारित इस फ़िल्म का निर्माण शशि कपूर और निर्देशन गिरीश कर्नाड ने किया !
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'इज़ाज़त' (1987) - सुबोध घोष द्वारा रचित कहानी 'जोतुगृह' पर आधारित फ़िल्म को गुलज़ार ने निर्देशित किया !
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'सूरज का सातवां घोडा' (1992) - 'धर्मवीर भारती' के उपन्यास पर निर्देशक श्याम बेनेगल ने उसी नाम से फ़िल्म बनायी !
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'ट्रेन टू पाकिस्तान' (1998) - मूलरूप से अंग्रेजी में लिखे खुशवंत सिंह के उपन्यास पर निर्देशक पामेला रुक्स ने फ़िल्म बनायी !
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'अग्निवर्षा' (2002) - गिरीश कर्नाड के अंग्रेजी में लिखे नाटक 'रेन एंड फायर' को आधार बनाकर निर्देशक अर्जुन सजनानी ने फ़िल्म का निर्माण किया !
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'ब्लैक फ्राईडे (2004) - एस.हुसैन जैदी के लिखे उपन्यास - 'ब्लैक फ्राईडे - द ट्रू स्टोरी आफ द बॉम्बे ब्लास्ट्स' पर केंद्रित फ़िल्म का निर्देशन अनुराग कश्यप ने किया !
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'थ्री इडियट्स' (2009) - निर्देशक राजकुमार हिरानी ने चर्चित लेखक चेतन भगत के उपन्यास 'फाइव प्वाइंट समवन' पर आधारित फ़िल्म का निर्माण किया ! 
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'काय पो छे' (2013) - चेतन भगत के एक अन्य उपन्यास 'दि थ्री मिस्टेक्स आफ माई लाईफ' पर आधारित हाल ही में रिलीज फ़िल्म को अभिषेक कपूर ने निर्देशित किया !
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चूँकि फ़िल्म एक ऐसा माध्यम है जो जन-जन से जुड़ा है, इसलिए फिल्मकारों साहित्यिक कृतियों को फिल्माने में थोड़ी-बहुत छूट भी ली है ! कई बार लेखकों ने अपनी कृति के साथ खिलवाड़ करने के आरोप भी लगाए हैं, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि फ़िल्म के माध्यम से साहित्यिक रचनाओं को बड़े पैमाने पर पहचान भी मिलती है !
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The End 
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7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खुबसूरत और उम्दा जानकारी .........
    आभार !

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  2. आदरणीय अशोक सलूजा जी और शालिनी कौशिक जी
    आपने हमारे प्रयास को सराहा / पसंद किया
    इसके लिए तहे दिल से शुक्रिया

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  3. आपका प्रयास सराहनीय है। इसके लिए मैं आपको बधाई देता हूँ। लेकिन ''पाथेर पांचाली' (1955)' को सत्यजित रॉय ने बंगाली में बनाया था ना कि हिंदी में।

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  4. आदरणीय सतीश चन्द मद्धेशिया जी आपका बहुत आभार !
    आपने त्रुटि की तरफ सही ध्यान आकृष्ट किया ! सत्यजित रॉय ने पाथेर पांचाली का निर्माण बांग्ला भाषा में किया था !

    मुझे ऐसा लगा था कि यह फ़िल्म हिंदी और बांग्ला दोनों में बनी है ! सूची में सुधार करते हुए पाथेर पांचाली को हटा दिया गया है !

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  5. In what ways do filmmakers in Hindi cinema adapt and interpret literary creations into visual narratives, and what challenges or creative opportunities arise in the process?Telkom University

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