सोमवार, 8 मार्च 2010

माउंट आबू स्थित ब्रह्मकुमारी विश्वविद्यालय

क्विज संचालन ---- प्रकाश गोविन्द


!!!!HAPPY WOMEN'S DAY!!!!
इस संसार के संघारकर्ता "शिव" भी "शक्ति" के बिना अधूरे हैं !!! ये बात आज के "इंसान" को समझ लेनी चाहिए कि "नारी" के बिना वो कुछ भी नहीं !!!
"यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः"
जब खुद देवताओं ने नारी के सामने सर झुकाया तो आज के इन्सान में इतनी ताकत क्यूं नहीं कि वो नारी के सम्मान की इज्ज़त कर सके उसे वो अधिकार दे सकें जिसकी वो हकदार है।
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तो आओ हम सभी कोशिश करें और "नारी" का सम्मान करने की पहल करें !!!! इस काम को करने के लिए कहीं जाना नहीं पड़ेगा इसी घर से, गली से, मोहल्ले से, शहर के रास्तों से, सुबह शाम हर सफ़र से और सबसे पहले अपनी नज़र से ही शुरू कर सकते हैं।
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नज़र जिसमे औरत का सम्मान हो, इज्ज़त हो, श्रद्धा हो,
अकीदत हो, विश्वास हो, नारी के प्रति सद्भावना हो !!!!!

नारियों के लिए --

आइये , आतंकमुक्त विश्व के लिए दुर्गा का आह्वाहन करें । स्त्रियाँ वीर प्रसूता बने भोग्या नहीं । हमारा प्रेम और समर्पण हमारी कमजोरी नहीं हमारी सामर्थ्य का प्रतीक है। क्योंकि त्याग व समर्पण सिर्फ वही कर सकता है जो आतंरिक रूप से समृद्ध होता है।


मुझे चाहिए ओसित खुशवू मुझे चाहिए आग
मुझे चाहिए प्रणय गीत भी और प्रलय का राग
करना क्या लेकर देवों का वह ठंडा अमरत्व
कर्म शिला पर बैठ मृत्यु का गाती रहूँ विहाग।
----डा० दीप्ति भारद्वाज द्वारा लिखित
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सबसे पहले परफेक्ट जवाब देकर सुश्री कृतिका जी बनीं
C.M.Quiz-28 की प्रथम विजेता
आप सभी को नमस्कार !
क्रियेटिव मंच आप सभी का स्वागत करता है !

आप सभी प्रतियोगियों एवं पाठकों को बहुत-बहुत बधाई जिन्होने इस पहेली मे हिस्सा लिया ! कल C.M.Quiz -28 के अंतर्गत हमने प्रतियोगियों को माउंट आबू स्थित ब्रह्मकुमारी विश्वविद्यालय का चित्र दिखाया था ! शायद हमारे हिंट में कुछ कमी थी, इसी कारण बहुत से प्रतियोगी सही जवाब तक पहुँचने में असफल रहे ! इसके बावजूद भी हम खुश हैं कि नौ प्रतियोगियों ने विजेता लिस्ट में अपना नाम दर्ज करवाया ! कृतिका जी ने पहली बार प्रथम विजेता बनने का गौरव प्राप्त किया ! मोहसिन जी लगातार बढ़िया प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन इस बार पता नहीं क्यूँ हार मान बैठे ! पं.डी.के.शर्मा'वत्स'जी का प्रदर्शन लगातार निखरता ही जा रहा है और नयी चुनौती के रूप में अन्य प्रतियोगियों के सामने हैं ! अल्पना वर्मा जी के लिए क्या कहूँ ..... बस एक कदम दूर है मंजिल, लेकिन विघ्न और बाधाएं बेशुमार ! वैसे हवन-पूजा-पाठ वगैरह करने में कोई हर्ज नहीं :)

सभी विजेताओं को हमारी तरफ से बहुत-बहुत बधाई और शुभ कामनाएं

आईये चित्र में दिए गए ब्रह्मकुमारी विश्वविद्यालय के बारे में संक्षिप जानकारी लेते हैं और क्विज का शेष परिणाम देखते हैं :
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय
[Prajapita Brahma Kumari Ishwariya Vishwa Vidyalaya]
ब्रहमा कुमारी इश्वरीय विश्वविद्यालय एक अध्यात्मिक संस्थान है। 1937 मे सिंध के हैदराबाद में इसे स्थापित किया गया। परन्तु बाद मे यह शिफ्ट हो कर 1950 मे राजस्थान के माउंट आबू में गया। हम देखते हैं कि विज्ञान निरंतर प्रगति कर रहा है। इन्सान ने विज्ञान को अपना गुलाम बनाना चाहा परन्तु खुद उसका गुलाम बन बैठा। मगर अध्यात्मिकता एवं नैतिकता के क्षेत्र में मानव पिछड़ गया। इस संस्थान मे यह सिखाया जाता है कि साधनों का उपयोग करे, उनका गुलाम बनें। अन्यथा इन्सान का शोषण होगा।

इस
संस्था की स्थापना दादा लेखराज ने की, जिन्हें आज प्रजापिता ब्रह्मा के नाम से जानते हैं। दादा लेखराज हीरों के व्यापारी थे। वे बाल्यकाल से ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे। 60 वर्ष की आयु में उन्हें दिव् अनुभूति The Founder  — Dada Lekhraj हुई। उन्हें ईश्वर की सर्वोच् सत्ता के प्रति खिंचाव महसूस हुआ। इसके बाद धीरे-धीरे उनका मन मानव कल्याण की ओर प्रवृत् होने लगा। 1936 में उन्होंने इस विराट संगठन की छोटी-सी बुनियाद रखी। 1937 में आध्यात्मिक ज्ञान और राजयोग की शिक्षा अनेकों तक पहुँचाने के लिए इसने एक संस्था का रूप धारण किया। इस संस्था की स्थापना के लिए दादा लेखराज ने अपना विशाल कारोबार कलकत्ता में अपने साझेदार को सौंप दिया। फिर वे अपने जन्मस्थान हैदराबाद सिंध में लौट आए। यहाँ पर उन्होंने अपनी सारी चल-अचल संपत्ति इस संस्था के नाम कर दी। प्रारंभ में इस संस्था में केवल महिलाएँ ही थी। बाद में दादा लेखराज कोप्रजापिता ब्रह्मानाम दिया गया। जो लोग आध्यात्मिक शांति को पाने के लिए प्रजापिता ब्रह्माद्वारा उच्चारित सिद्धांतो पर चले, वे ब्रह्मकुमार और ब्रह्मकुमारी कहलाए तथा इस शैक्षणिक संस्था कोप्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश् विद्यालयनाम दिया गया।

इस विश्‍वविद्यालय की शिक्षाओं को वैश्विक स्‍वीकृति और अंतर्राष्‍ट्रीय मान्‍यता प्राप्‍त हुई है।

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय धार्मिक क्षेत्र में क्रांतिकारी गतिविधियों के द्वारा धार्मिक पुनर्जागरण की भूमिका निभा रहा है।

madhuban bkwsuom shanti bawan

ब्रह्माकुमारी ईश्‍वरीय विश्‍व विद्यालय इन दिनों विश्‍व भर में धर्म को नए मानदंडों पर परिभाषित कर रहा है। जीवन की दौड़-धूप से थक चुके मनुष्य आज शांति की तलाश में इस संस्था की ओर उन्मुख हो रहे हैं। यह कोई नया धर्म नहीं बल्कि विश्‍व में व्‍याप्‍त धर्मों के सार को आत्‍मसात कर उन्‍हें मानव कल्‍याण की दिशा में उपयोग करने वाली एक संस्‍था है। जिसकी विश्‍व के 72 देशों में 4,500 से अधिक शाखाएँ हैं। इन शाखाओं में 7 लाख विद्यार्थी प्रतिदिन नैतिक और आध्‍यात्मिक शिक्षा ग्रहण करते हैं।

इस संस्थान द्वारा कराये जाने वाले कोर्स :meditation_clip_image002_0000

यहाँ तनाव मुक्ति, व्यसन मुक्ति, सकारात्मक सोच, पर्सनैलिटी डिवैल्पमैंट आदि के कोर्स करवाए जाते है। एक प्रोग्राम टच दी लाइट सप्ताह मे एक दिन स्कूलों मे करवाया जाता है।


इसमें शामिल होने वाले बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि अबउनके बच्चे पहले कि अपेक्षा बहुत अनुशासित है। वे अब घर पर जिद्दनहीं करते, लड़ाई नही करते एवं शिक्षा मे भी आगे आ रहे है। जिसकी बदौलत सरकार ने इस प्रोग्राम को सभी केन्द्रीय स्कूलों मे शुरू करने को कहा है। यह अध्यात्मिक कोर्स है व जो मन को खुशी देता है जो सबसे बड़ा धन है।

मनुष्य कहता है कि वह अपने बच्चों के कारण,नौकरी Gyan Sarovar - The Lake of Knowledgeके कारण, परिवार क्या किसी अन्य कारण से दुखी है। परन्तु ऐसा नहीं है। इनमें से कोई चीज़ तनाव नहीं देती। तनाव दिमागी स्थिति के कारण होता है। स्वयं को ऐसा बनाए कि किसी भी वातावरण या स्थिति मे समभाव रह सके। खुद को इतना बदल ले कि अपने हर काम मे आनंद ले सकें।

समस्त जानकारी अंतरजाल से साभार
C.M. Quiz - 28
प्रतियोगिता का पूरा परिणाम :
प्रथम स्थान : सुश्री कृतिका जी
kritika
द्वितीय स्थान : पं.डी.के.शर्मा वत्स vats ji तृतीय स्थान: अल्पना वर्मा जी alpana ji
चौथा स्थान :
रेखा प्रहलाद जी rekha ji
पांचवां स्थान :
श्री रंजन जी ranjan ji
छठा स्थान :
रजनीश परिहार जी rajneesh parihar ji
सातवाँ स्थान :
आठवां स्थान :
नवां स्थान :
applause applause applause विजताओं को बधाईयाँ applause applause applause
applause applause applause applause applause applause applause applause applause
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आशा है जो इस बार सफल नहीं हुए अगली बार अवश्य सफल होंगे

आप लोगों ने उम्मीद से बढ़कर प्रतियोगिता में शामिल होकर
इस आयोजन को सफल बनाया जिसकी हमें बेहद ख़ुशी है
अल्पना वर्मा जी, कृतिका जी, शिवेंद्र सिन्हा जी, इशिता जी,
आनंद सागर जी, ज्योति शर्मा , संगीता पुरी जी, रेखा प्रह्लाद जी,
राजरंजन जी, बबली जी, अंजना जी , पं.डी.के.शर्मा"वत्स" जी
मोहसिन जी, रामकृष्ण गौतम जी, रंजन जी , रजनीश परिहार जी
आप सभी लोगों का हार्दिक धन्यवाद
यह आयोजन हम सब के लिये मनोरंजन ओर ज्ञानवर्धन का माध्यम है !
आपके पास कोई सुझाव हो तो हमें जरूर -मेल करें!
अंत में हम सभी प्रतियोगियों और पाठकों का आभार व्यक्त करते हैं
जिन्होंने क्रियेटिव मंच की क्विज़ में शामिल होकर हमारा उत्साह बढाया
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अगले रविवार (Sunday) को हम ' प्रातः दस बजे' एक नयी क्विज़ के साथ यहीं मिलेंगे !

सधन्यवाद
क्रियेटिवमंच
creativemanch@gmail.com
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The End

रविवार, 7 मार्च 2010

C.M.Quiz- 28 [यह क्या है और कहाँ है]

क्विज संचालन ---- प्रकाश गोविन्द


Life is a Game, …
God likes the winner and loves the looser..
But hates the viewer…So……Be the Player
logo
आप सभी को नमस्कार !

क्रियेटिव मंच आप सभी का स्वागत करता है !
रविवार (Sunday) को सवेरे 10 बजे पूछी जाने वाली
क्विज में एक बार हम फिर हाजिर हैं !

सुस्वागतम
Welcome

इस बार 'सी एम क्विज़- 28' में बहुत आसान सी क्विज है आपके लिए !
नीचे एक इमारत का चित्र दिया गया है ! बहुत ध्यान से देखकर आपको बताना है कि यह मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, या चर्च है अथवा और कुछ ! इमारत को पहचानने के आलावा आपको यह भी बताना है कि यह इमारत किस शहर एवं राज्य में है !
पूरी तरह सही जवाब न मिलने की स्थिति में अधिकतम सही जवाब
देने वाले प्रतियोगी को ही विजेता माना जाएगा !

हिंट ---
जीवन में सब कुछ होने के बावजूद भी अगर मन की शान्ति नहीं है तो सब व्यर्थ है ! हम जिस स्कूल-कालेज या विश्वविद्यालय से पढ़कर निकलते हैं वहां बहुत कुछ सिखाया जाता है किन्तु मनोमस्तिष्क की शांति का कोई विषय नहीं होता !


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C.M.Quiz- 28
इस इमारत का नाम क्या है और कहाँ स्थित है ?
cmquiz
तो बस जल्दी से जवाब दीजिये और बन जाईये

C.M. Quiz - 28 के विजेता !
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पूर्णतयः सही जवाब न मिलने की स्थिति में अधिकतम सही जवाब देने वाले प्रतियोगी को विजेता माना जाएगा ! जवाब देने की समय सीमा कल यानि 8 मार्च, दोपहर 2 बजे तक है ! उसके बाद आये हुए जवाब को प्रकाशित तो किया जाएगा किन्तु परिणाम में शामिल करना संभव नहीं होगा !
---- क्रियेटिव मंच
सूचना :
माडरेशन ऑन रखा गया है इसलिए आपकी टिप्पणियों को प्रकाशित होने में समय लग सकता है क्विज का परिणाम कल यानि 8 मार्च को रात्रि 7 बजे घोषित किया जाएगा !


विशेष सूचना :
क्रियेटिव मंच की तरफ से विजताओं को प्रमाणपत्र तीन श्रेणी में दिए जायेंगे ! कोई प्रतियोगी तीन बार प्रथम विजेता ( हैट्रिक होना जरूरी नहीं है ) बनता है तो उसे "चैम्पियन " का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा

इसी तरह अगर कोई प्रतियोगी छह बार प्रथम विजेता बनता है तो उसे "सुपर चैम्पियन" का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा !

किसी प्रतियोगी के दस बार प्रथम विजेता बनने पर क्रियेटिव मंच की तरफ से 'जीनियस' का प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा

C.M.Quiz के अंतर्गत अलग-अलग तीन राउंड (चक्र) होंगे ! प्रत्येक राउंड में 35 क्विज पूछी जायेंगी ! प्रतियोगियों को अपना लक्ष्य इसी नियत चक्र में ही पूरा करना होगा !
---- क्रियेटिव मंच

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मंगलवार, 2 मार्च 2010

कृष्ण जन्म-भूमि, केशवदेव का मंदिर, मथुरा (ऊत्तर प्रदेश)

क्विज संचालन ---- प्रकाश गोविन्द


C.M.Quiz-27 में अल्पना वर्मा जी ने
जीत के रंगों से खेली अनूठी होली

होली पर्व की बहुत-बहुत शुभ कामनाएं
आप सभी को नमस्कार
!

क्रियेटिव मंच आप सभी का स्वागत करता है !
होली की मस्ती क्रिएटिव मंच टीम पर कुछ ऐसी सवार हुयी की क्विज का रिजल्ट बनाना ही भूल गए ! देर से परिणाम देने के लिए हमें खेद है !

आप सभी प्रतियोगियों एवं पाठकों को बहुत-बहुत बधाई जिन्होने इस पहेली मे हिस्सा लिया ! कल C.M.Quiz -27 के अंतर्गत हमने एक ऐतिहासिक मंदिर का चित्र दिखाया था और प्रतियोगियों से उसको पहचानने के लिए कहा था ! उम्मीद थी कि सभी प्रतियोगी इसको अत्यंत आसानी से पहचान लेंगे ! लेकिन इस पौराणिक मंदिर को सिर्फ छह प्रतियोगी ही पहचान पाए ! हालांकि रजनीश परिहार जी ने सिर्फ कृष्ण मंदिर- मथुरा ही कहा था फिर भी हमने उनको विजेताओं की लिस्ट में ही रखा है !

इस होली को अगर सबसे ज्यादा किसी ने यादगार बनाया तो अल्पना वर्मा जी ने ! इधर कई बार बहुत नजदीक से चूकने के बाद इस बार अल्पना जी ने सबको पीछे छोड़ दिया और यादगार नवीं जीत दर्ज की ! यानी अब वो 'जीनियस' के खिताब से महज एक और जीत दूर हैं ! देखना दिलचस्प होगा कि पहले राउंड की बाकी बची आठ क्विज में अल्पना जी अपनी मंजिल तय कर पाती हैं कि नहीं !

इस बार दुसरे नंबर पर रहीं शिल्पी जैन जी और तीसरे नंबर पर रहे डी.के.शर्मा'वत्स' जी !

सभी विजेताओं को हमारी तरफ से बहुत-बहुत बधाई और शुभ कामनाएं
C.M.Quiz - 27 का सही जवाब था :
कृष्ण जन्म-भूमि
केशवदेव का मंदिर, मथुरा (ऊत्तर प्रदेश)

आईये C.M.Quiz- 27 में दिए गए चित्र के विषय में संक्षिप्त जानकारी लेते हैं और क्विज का शेष परिणाम देखते हैं :
Keshav Dev Temple at Mathura2 (Krishna Janma Bhoomi Temple.psd
केशवदेव का मंदिर
श्रीकृष्ण जन्मभूमि
मथुरा [उत्तर प्रदेश]
[Krishna Birth Place]
भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि का ना केवल राष्द्रीय स्तर पर महत्व है बल्कि वैश्विक स्तर पर जनपद मथुरा श्रीकृष्ण के जन्म स्थान से ही जाना जाता है। पर्यटन की दृष्टि से विदेशों से भी भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए यहाँ प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग आते हैं।

भगवान
केशवदेव का मन्दिर, श्रीकृष्ण जन्मभूमि युधिष्ठर महाराज ने परीक्षित को हस्तिनापुर का राज्य सौंपकर श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ को मथुरा के राज्य सिंहासन पर प्रतिष्ठित किया। चारों भाइयों सहित युधिष्ठिर स्वयं महाप्रस्थान कर गये। महाराज वज्रनाभ द्वारा जहाँ अनेक मन्दिरों का निर्माण कराया गया, वहीँ भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली का भी महत्व स्थापित किया। यह कंस का कारागार था, जहाँ वासुदेव ने भाद्रपद कृष्ण अष्टमी की आधी रात अवतार ग्रहण किया था। आज यह कटरा केशवदेव नाम से प्रसिद्व है। यहाँ कालक्रम में अनेकानेक गगनचुम्बी भव्य मन्दिरों का निर्माण हुआ। इनमें से कुछ तो समय के साथ नष्ट हो गये और कुछ को विदेशी आक्रमणकारियों ने नष्ट कर दिया

- प्रथम मन्दिर -
ईसवी सन् से पूर्ववर्ती 80-57 के महाक्षत्रप सौदास के समय के एक शिला लेख से ज्ञात होता है कि किसी वसु नामक व्यक्ति ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर एक मंदिर तोरण द्वार और वेदिका का निर्माण कराया था। यह शिलालेख ब्राह्मी लिपि में है।

- द्वितीय मन्दिर -
दूसरा मन्दिर विक्रमादित्य के काल में सन् 800 ई॰ के लगभग बनवाया गया था। यह मन्दिर सन 1017-18 ई॰ में महमूद ग़ज़नवी के कोप का भाजन बना। इस भव्य सांस्कृतिक नगरी की सुरक्षा की कोई उचित व्यवस्था न होने से महमूद ने इसे खूब लूटा। भगवान केशवदेव का मन्दिर भी तोड़ डाला गया।

- तृतीय मन्दिर -
संस्कृत के एक शिला लेख से ज्ञात होता है कि महाराजा विजयपाल देव जब मथुरा के शासक थे, तब सन 1150 ई॰ में जज्ज नामक किसी व्यक्ति ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर एक नया मन्दिर बनवाया था। इसे भी 16 वी शताब्दी के आरम्भ में सिकन्दर लोदी के शासन काल में नष्ट कर डाला गया था।

- चतुर्थ मन्दिर -
जहाँगीर के शासन काल में श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर पुन: एक नया विशाल मन्दिर निर्माण कराया ओरछा के शासक राजा वीरसिंह जू देव बुन्देला ने इसकी ऊँचाई 250 फीट रखी गई थी। उस समय इस निर्माण की लागत 33 लाख रूपये आई थी। इस मन्दिर के चारों ओर एक ऊँची दीवार का परकोटा बनवाया गया था, जिसके अवशेष अब तक विद्यमान हैं। दक्षिण पश्चिम के एक कोने में कुआ भी बनवाया गया था इस का पानी 60 फीट ऊँचा उठाकर मन्दिर के प्रागण में फब्बारे चलाने के काम आता था। यह कुआँ और उसका बुर्ज आज तक विद्यमान है। सन 1669 ई॰ में पुन: यह मन्दिर नष्ट कर दिया गया।

जन्म-स्थान का पुनरुद्वार :
सन 1940 के आसपास की बात है कि महामना पण्डित मदनमोहन जी ने उपेक्षित श्रीकृष्ण जन्मस्थान के खण्डहरों को देखकर इसके पुनरूद्वार का संकल्प लिया। महामना पण्डित मदनमोहन ने श्री जुगलकिशोर बिड़ला को श्रीकृष्ण-जन्मस्थान की दुर्दशा के सम्बन्ध में पत्र लिखा। उसी के फलस्वरूप श्री कृष्ण जन्म स्थान के पुनरूद्वार के मनोरथ का उदय हुआ।

श्रीकृष्ण चबूतरे का जीर्णोद्धार :
मथुरा के राजा कंस के जिस कारागार में वसुदेव-देवकीनन्दन श्रीकृष्ण ने जन्म-ग्रहण किया था, वह कारागार आज कटरा केशवदेव के नाम से ही विख्यात है और 'इस कटरा केशवदेव के मध्य में स्थित चबूतरे के स्थान पर ही कंस का वह बन्दीगृह था, जहाँ अपनी बहन देवकी और अपने बहनोई वसुदेव को कंस ने कैद कर रखा था।'

प्राचीन गर्भ ग्रह की प्राप्ति :
जिस समय चबूतरे पर निर्मित बरामदे की नींव की खुदाई हो रही थी, उस समय श्रमिकों को हथौड़े से चोट मारने पर नीचे कुछ पोली जगह दिखाई दी। उसे जब तोड़ा गया तो सीढ़ियाँ और नीचे काफी बड़ा कमरा-सा मिला, जो ओरछा-नरेश-निर्मित मन्दिर का गर्भ-गृह था। उसमें जिस स्थान पर मूर्ति विराजती थी, वह लाल पत्थर का सिंहासन ज्यों-का-त्यों मिला। उसे यथावत् रखा गया है तथा चबूतरे पर से नीचे गर्भ-गृह में दर्शनार्थियों के आने के लिये सीढ़ियाँ बना दी गयी हैं। इस भूमि की खुदाई में अनेक अवशेष निकले हैं, जो विध्वंस किये हुए मन्दिरों के हैं और पुरातत्त्व की दृष्टि से बड़े महत्त्व के हैं। इन सबको मथुरा राजकीय संग्रहालय को दे दिया गया है।
C.M. Quiz - 27
प्रतियोगिता का पूरा परिणाम :
प्रथम स्थान : अल्पना वर्मा जी
alpana ji
द्वितीय स्थान : शिल्पी जैन जी
तृतीय स्थान : डी.के.शर्मा'वत्स' जी
shilpi ji vats ji
चौथा स्थान
रजनीश परिहार जी
पांचवां स्थान
शुभम जैन जी
rajneesh parihar ji sushri shubham jain ram krishn gautam
applause applause applause विजताओं को बधाईयाँ applause applause applause
applause applause applause applause applause applause applause applause applause
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आशा है जो इस बार सफल नहीं हुए अगली बार अवश्य सफल होंगे

आप लोगों ने उम्मीद से बढ़कर प्रतियोगिता में शामिल होकर
इस आयोजन को सफल बनाया जिसकी हमें बेहद ख़ुशी है

अल्पना वर्मा जी, शिल्पी जैन जी, पं.डी.के.शर्मा"वत्स"जी, रजनीश परिहार जी,
शुभम जैन जी, रामकृष्ण गौतम जी, मिथिलेश दुबे जी, आनंद सागर जी,
शिवेंद्र सिन्हा जी, अदिति चौहान जी, रेखा प्रह्लाद जी, अंजना जी, राज रंजन जी,
राज भाटिय़ा जी, अलका राय जी, निर्मला कपिला जी, उड़न तश्तरी जी,

आप सभी लोगों का हार्दिक धन्यवाद

यह आयोजन हम सब के लिये मनोरंजन ओर ज्ञानवर्धन का माध्यम है !
आपके पास कोई सुझाव हो तो हमें जरूर -मेल करें!
अंत में हम सभी प्रतियोगियों और पाठकों का आभार व्यक्त करते हैं
जिन्होंने क्रियेटिव मंच की क्विज़ में शामिल होकर हमारा उत्साह बढाया
th_Cartoon
अगले रविवार (Sunday) को हम ' प्रातः दस बजे' एक नयी क्विज़ के साथ यहीं मिलेंगे !

सधन्यवाद
क्रियेटिवमंच
creativemanch@gmail.com
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The End