कल C.M. Quiz – 15 के अंतर्गत पांच बेहतरीन क्लासिक फिल्मों के पोस्टर दिखाए गए थे और पूछा गया था - फिल्मों के नाम और उनके निर्देशक कौन हैं ? सही जवाब है :
1. फ़िल्म- माचिस, निर्देशक - गुलजार [तबु , ओम पूरी,चन्द्रचूर सिंह, जिम्मी शेरगिल, कुलभूषण खरबंदा] गुलजार की पंजाब के आतंकवाद पर आधारित फिल्म ‘माचिस’ हमें कई कोणो से सोचने पर मजबूर करती है। यकीनन, पंजाब में आतंकवाद की समस्या अब समाप्त हो गई है। लेकिन, यह जिन मानवीय मूल्यों पर हासिल हुई, क्या वह सस्ती थी ? यह फिल्म बार-बार हमें पंजाब के गांव की सैर कराती है। तब्बू को 1997 में माचिस के लिए भी सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री चुना गया था ! गीत लेखन के लिए गुलजार को फ़िल्म माचिस के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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आतंकवाद पर आधारित इस फिल्म में ऋतिक रोशन ने शहरी मुस्लिम युवक के मानसिक द्वन्द को बखूबी अभिनीत किया ! उसकी शारीरिक भाषा, बोलने का ढ़ंग, मुखाकृति और संपूर्ण व्यक्तित्व प्रशंसा के योग्य रहा है ! इस फिल्म के लिए उन्हें फ़िल्मफेयर समारोह में एक और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का नामांकन प्राप्त हुआ था ! ********************************************************** 3. फ़िल्म - मैंने गांधी को नहीं मारा, निर्देशक - जाहनू बरुआ [अनुपम खेर, उर्मिला मातोंडकर, रजत कपूर, प्रेम चोपड़ा, वहीदा रहमान]
यह फ़िल्म भले ही बॉक्स आफिस पे कमाल न दिखा पायी हो लेकिन फ़िल्म आलोचकों और गंभीर सिनेमा के दर्शकों ने खूब सराहना की ! इस फ़िल्म के लिए अनुपम खेर को नेशनल फ़िल्म एवार्ड समारोह में स्पेशल जूरी एवार्ड से सम्मानित किया गया ! इसी फ़िल्म के लिए उर्मिला मातोंडकर को बालीवुड मूवी एवार्ड की तरफ से सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का एवार्ड दिया गया ! ********************************************************** 4. फ़िल्म - मिस्टर एंड मिसेज अय्यर, निर्देशक - अपर्णा सेन [राहुल बोस, कोंकणा सेन शर्मा, भीष्म साहनी, सुरेखा सीकरी, निहारिका]
कोंकणा सेन की अविस्मरणीय फ़िल्म है - मिस्टर एंड मिसेज अय्यर ! इस फ़िल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मिस्टर एंड मिसेज अय्यर जिसका निर्देशन उनकी मां ने ही किया था. अपर्णा द्वारा ही लिखी गई इस फिल्म का मुख्य चरित्र एक तमिल गृहिणी थी जिसके पूर्वाग्रहों और मानवता में सांप्रदायिक दंगों के दौरान टकराव होता है।
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मम्मो फिल्म विभाजन के बहुत बरस बाद भी सरहद के दोनों तरफ मौजूद लोगों की आपस में मिलने की कसक को बयान करती है । सरहद रिश्तों के बीच आकर खड़ी हो गयी है । लेकिन मम्मो इस सरहद को नहीं मानती । मम्मो इस सरहद से अपने ही तरीक़े से बग़ावत करती है । फ़िल्म सोचने पर विवश करती है कि इंसानियत को किस तरह राजनीति की भेंट चढ़ा दिया गया ! "मम्मो" को नेशनल फ़िल्म एवार्ड में 'बेस्ट फीचर फ़िल्म' का पुरस्कार और सुरेख सीकरी को 'बेस्ट सपोर्टिंग ऐक्ट्रेस' का पुरस्कार दिया गया था. ! इसके अलावा फरीदा जलाल को उनके शानदार अभिनय के लिए 'फ़िल्म फेयर क्रिटिक एवार्ड' से नवाजा गया ! |