प्रिय मित्रों/पाठकों/प्रतियोगियों नमस्कार !! आप सभी लोगों का हार्दिक स्वागत है हम 'श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक- 7' का परिणाम लेकर हाजिर हैं! हमेशा की तरह इस बार भी सभी प्रतिभागियों ने अत्यंत सार्थक व सुन्दर सृजन किया ! इस बार श्रेष्टता क्रम तय करने जैसा कठिन कार्य का दायित्व हमने आदरणीय अमिताभ जी को सौंप दिया था ! यहाँ हम पाठकों के समक्ष स्पष्ट कर दें कि गुणीजनों को जब भी चयन का दायित्व सौंपा जाता है तो उन्हें सिर्फ़ प्रविष्टियाँ दी जाती हैं, उन्हें नहीं पता होता कि कौन सी प्रविष्टि किस सृजनकार की है ! एक बार फिर से भाई राजेन्द्र स्वर्णकार जी ने अपनी कलम से मन्त्र-मुग्ध किया और श्रेष्टता क्रम में प्रथम स्थान पर रहे ! दुसरे क्रम पर सुश्री सोनल रस्तोगी जी और तीसरे क्रम में हम सबकी जानी-पहचानी अल्पना जी की रचना रहीं ! सभी की प्रविष्टियाँ सराही गयीं ! परिणाम के अंत में आज की श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक- 8 का चित्र दिया गया है ! सर्वश्रेष्ट प्रविष्टि को प्रमाण पत्र दिया जाएगा. पहले की भांति ही 'माडरेशन ऑन' रहेगा. प्रतियोगिता में शामिल होने की समय सीमा है - ब्रहस्पतिवार 15 अप्रैल- शाम 5 बजे तक । सभी सृजनकारों एवं समस्त पाठकों को बहुत-बहुत बधाई/शुभकामनाएं. अब आईये देखते हैं - इस आयोजन के सम्बन्ध में माननीय अमिताभ जी के विचार : |
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नन्हे-नन्हे हाथ-पांव हैं, नन्ही- सी औक़ात रे पीछे आंधी-तूफ़ां, आगे भी है झंझावात रे ! कांधों पर जिम्मेवारी, सर पर काली रात रे लाएगी हिम्मत ही सुनहरी- नूतन आज प्रभात रे ! |
श्रम जीवन आधार बनाया , जीने का विश्वास लिए, वात्सल्य भाव से आप्लावित , मंद मंद हास लिए , स्वप्न सभी पूरे होंगे, मन में हूँ ,यह आस लिए |
मैं सिर्फ एक स्त्री नहीं एक कर्तव्यनिष्ठ माँ हूँ नन्ही बेटी तू मेरी ख़ुशी है मैं सदा तेरा अपना हूँ सब धर्म निभाये है मैंने मातृत्व धर्म भी निभाउंगी तुझे खुश रखूंगी हमेशा तुझे दुनिया घुमाउंगी |
माँ : ममता का घर क्या ग़म है जो मेरे पास खिलौने नहीं तेरी प्यार भरी भाषा ही काफी है क्या ग़म है जो मेरे दोस्त न हों तेरे हाथों की थपकी ही काफी है क्या ग़म जो मेरे सर पर छत न हो स्कूल का तेरे आँचल का छाया ही काफी है |
जहाँ धरती से आकाश मिले उस दूरी तक हम हो लें, चलो कल्पना के पंखों से आसमान को छू लें. | 6. सुश्री मृदुला प्रधान |
क्यों ये रीत भगवान ने बनाई है बेटियां इसे मानकर परिभाषा जीवन की हमारा रिश्ता भी इतना अजीब होता है |
9. श्री राज रंजन | नारी भी कई रूप बदलती है |
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श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक - 8 प्रतियोगियों के लिए- 1- इस सृजन प्रतियोगिता का उद्देश्य मात्र मनोरंजन और मनोरंजन के साथ कुछ सृजनात्मक करना भी है। 2- यहाँ किसी प्रकार की प्रतिस्पर्धा नही है। 3- आपको चित्र के भावों का समायोजन करते हुए अधिकतम 100 शब्दों के अन्दर रचनात्मक पंक्तियाँ लिखनी हैं, जिसे हमारी क्रियेटिव टीम के चयनकर्ता श्रेष्ठता के आधार पर क्रम देंगे और वह निर्णय अंतिम होगा। 4- प्रतियोगिता संबंधी किसी भी प्रकार के विवाद में टीम का निर्णय ही सर्वमान्य होगा.5- चित्र को देख कर लिखी गयी रचना मौलिक होनी चाहिए. शब्दों की अधिकतम सीमा की बंदिश नहीं है. परिणाम के बाद भी यह पता चलने पर कि पंक्तियाँ किसी और की हैं, विजेता का नाम निरस्त कर दिया जाएगा ! 6- प्रत्येक प्रतियोगी की सिर्फ एक प्रविष्टि पर विचार किया जाएगा, इसलिए अगर आप पहली के बाद दूसरी अथवा तीसरी प्रविष्टि देते हैं तो पहले की भेजी हुयी प्रविष्टि पर विचार नहीं किया जाएगा. प्रतियोगी की आखिरी प्रविष्टि को प्रतियोगिता की प्रविष्टि माना जाएगा। 7-'पहले अथवा बाद' का इस प्रतियोगिता में कोई चक्कर नहीं है अतः आप इत्मीनान से लिखें. 'माडरेशन ऑन' रहेगा. आप से अनुरोध है कि अपनी प्रविष्टियाँ यहीं कॉमेंट बॉक्स में दीजिये। ------------------------------------- प्रतियोगिता में शामिल होने की समय-सीमा ब्रहस्पतिवार 15अप्रैल शाम 5 बजे तक है. "श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता- 8" का परिणाम 21 अप्रैल रात्रि सात बजे प्रकाशित किया जाएगा। |
The End |
****शुरू में दिया गया 'अमिताभ जी का सन्देश मन भाया.उनका लिखा , पाठक को शब्दों में बांधने की क्षमता रखता है.
जवाब देंहटाएंवे एक अच्छे रचनाकार ,कवि,कहानीकार,लेखक,समीक्षक हैं.ब्लोगजगत mein उनका परिचय नया नहीं परन्तु इस मंच पर उनकी उपस्थिति सुखद आश्चर्य है.
राजेंद्र जी को बहुत बहुत बधाई.वे हमेशा बहुत ही अच्छा लिखते हैं .[मगर उनका ब्लॉग नहीं है अब तक..यह शिकायत है उनसे.
राजेंद्र जी ,सिर्फ ३ मिनट लगेंगे ब्लॉग बनाने में...:)]
sundar srijan hetu सोनल जी,मृदुला जी सुलभ,रामकृष्ण,आनंद जी,आदिती,और राज राजन जी को भी बहुत बहुत बधाई.
यहाँ प्रस्तुत हर रचना एक नगीना है.
--शुभकामनायें हैं कि इस मंच पर प्रतिभागिता badhe और any srijankartaon se भी ham rubru ho saken .
आदरणीय अमिताभ जी के विचार बहुत अच्छे लगे.
जवाब देंहटाएंराजेन्द्र स्वर्णकार जी, कलम के धनी व्यक्तित्व हैं. सुन्दर रचना है. बहुत बधाई राजेन्द्र जी. अन्य सभी सृजनकर्ताओं ने सुन्दर भावात्मक पक्ष रखा हैं. सभी को बधाई !!
क्रिएटिव मंच का आभार.
अगले अंक के लिए अपनी प्रविष्टि जल्द ही भेजती हूँ.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सही चयन किया है "अमिताभ जी" ने. राजेन्द्र जी का सृजन बेहद प्रभावित करता है. कम शब्दों में कैसे पूरी बात कही जाती है ये राजेन्द्र जी अच्छी तरह जानते हैं.
जवाब देंहटाएंअल्पना जी, सोनल जी, सुलभ जी, गौतम जी समेत समस्त रचनाकारों को बहुत-बहुत बधाई
मुझे और भी कई लोगों का सृजन बहुत पसंद आया.
मानवी जी सच कहूँ आपसे मैने भी बहुत कोशिश की थी लिखने की लेकिन असफल रहा.
Bhai Rajendra Swarnkar ji, Sonal ji aur Alpana ji sahit sabhi ko badhayiyan.
जवाब देंहटाएं----------------------------
Alpana ji ne mere man ki baat kah di. Aadarneey Amitabh ji ne atyant sundar baaten kahin hain.
----------------------------
mai koyi lekhak ya kavi nahi hun. meri rachna aise prabuddh gunijan padh rahe hain yahi bahut badi baat hai mere liye.
Congrates to all Winners.
जवाब देंहटाएंmai creative manch ki regular reader hun. comment nahi karti ye baat alag hai. Amitabh ji ka judgement aur unka sandesh bahut hi achha hai.
जवाब देंहटाएंsabhi rachnayen sundar hain. rajendra ji ki rachna really prabhavshali hai. sabhi ko dheron badhayi. alpana ji ko double badhayi (genius jo ban gayin..... kaash iska aadha mind bhi mere paas men hota )
Nice Blog
जवाब देंहटाएंNice Post
Nice Program
Nice Creation
Nice Judgment
badhayi....badhayi....badhayi
english men bole to
Congratulation
सबसे पहले राजेंद्र जी को उत्कृष्ट पंक्तियों के लिए बधाई,चित्र था ही इतना सुन्दर की भावनाओं ने लेखनी का रास्ता पकड़ने में देर नहीं की,सभी मानस मोतियों ने आकर्षित किया
जवाब देंहटाएं... मेरी रचना शामिल करने के लिए आप सभी को धन्यवाद
sabse phle badhayi maanvi ji aapko.
जवाब देंहटाएंkyonki aap post ko kitna sundar bana deti hain. great.
sabhi kee rachnayen bahut achhi hain.
shubh kamnayen.
सभी रचनाएं अच्छी लगी। ये सच है फोटो देखकर इतना जल्दी लिखना बाकई काबिलेतारीफ है। हम तो काफी समय ले जाते है जी। एक अच्छा प्रयास हिंदी को बढावा देने के लिए और नए नए नए रचनाकारों को हिम्मत देने के लिए।
जवाब देंहटाएंrajendra ji panktiya bahut hi sundar...bahut sahi nirnay aadarniy amitabh ji dwara...sabhi pratiyogiyo, creative manch aur manvi ji ko bahut badhai aur shubhkamnaye...
जवाब देंहटाएंहमारे कालू रिक्शावाले की
जवाब देंहटाएंतो बात ही निराली है,
वैसे तो अब शहरों से
रिक्शे की प्रजाति लुप्त होने लगी है
लेकिन जो थोड़े-मोड़े बचे हैं,
उन्हीं को चलाने वालों में
एक है कालू रिक्शावाला,
उसके रिक्शे पर बैठने वाले
अपनी नाक और आँख
दोनों बंद कर लेते हैं ।
उसकी दशा
नरोत्तम दास के सुदामा से कम नहीं
बिवाई से रिसता रक्त,
पसीने से सनी फटी बनियान से
निकलती दुर्गन्ध
दयालु बने लोगों को
यह सब करने के लिए
बाध्य कर देते हैं ।
अपने हक से ज्यादा वह
कभी किसी से नहीं लेता,
यही गर्व उसे जीने के लिए
काफी है ।
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जवाब देंहटाएंआज का दिन अत्यधिक व्यस्तताओं में व्यतीत हुआ । इतना ज़्यादा कि याद भी
जवाब देंहटाएंनहीं था कि "श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक- 7 का परिणाम" आज ही आना है । अभी
कुछ समय पहले अचानक नेट पर भ्रमण करते करते "क्रियेटिव मंच" पर पहुंचा
तो … दिन भर की थकन स्वतः ही मिट गई ! …चेहरे की मुस्कान मन की
प्रसन्नता में परिवर्तित हो गई अल्पना वर्माजी , सुलभ § सतरंगीजी ,
shivendra sinhaji , Raj Ranjanji , Anumehaji , Sonal
Rastogiji , शुभम जैनजी की टिप्पणियां पढ़ कर ! आप सबको विशेष रूप से
धन्यवाद और "क्रियेटिव मंच" से जुड़े अन्य सभी मित्रों का भी आभार ! और हां ,
अल्पनाजी सहित सब मित्रों के लिए सूचना -
मेरा ब्लॉग शीघ्रातिशीघ्र लॉंच हो रहा है !
शायद कल या परसों तक ही ! आप सभी अवश्य ही पधारिएगा !
लिंक यह है -http://shabdswarrang.blogspot.com
भई वाह ! क्रिएटिव मंच का ब्लॉग...इतना व्यवस्थित ...यथा नाम तथा गुण....ग़जब...बहुत बहुत बधाई.
जवाब देंहटाएंश्रेष्ट सृजन प्रतियोगिता अंक - 8
जवाब देंहटाएंके लिए मेरी काव्य पंक्तियाँ...
आदमी को देखो , कैसे /
खींच रहा आदमी.
मजबूरी का मारा है ,
बेबस बेचारा है /
ज़िन्दगी को खून से,
सींच रहा आदमी...
रचना मौलिक और अप्रकाशित है..
.तथा चित्र को देखते ही
तत्काल लिखी है...दीनदयाल शर्मा. 08.4.2010
http://deendayalsharma.blogspot.com
http://taabartoli.blogspot.com
http://tabartoli.blogspot.com
http://gattaroli.blogspot.com
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जवाब देंहटाएंश्रेष्ट सृजन प्रतियोगिता अंक - 8
जवाब देंहटाएंके लिए मेरी काव्य पंक्तियाँ...
आदमी को देखो , कैसे /
खींच रहा आदमी.
मजबूरी का मारा है ,
बेबस बेचारा है /
ज़िन्दगी को खून से,
सींच रहा आदमी...
रचना मौलिक और अप्रकाशित है..
.तथा चित्र को देखते ही
तत्काल लिखी है...दीनदयाल शर्मा. 08.4.2010
http://deendayalsharma.blogspot.com
http://taabartoli.blogspot.com
http://tabartoli.blogspot.com
http://gattaroli.blogspot.com
creative manch evam Manavi sreshtha ko haardik adhayee...
जवाब देंहटाएंahut achcha laga...aap ke kriya-kalaap dekh kar..meri shuhkamanaye
राजेंद्र जी - सोनल जी - अल्पना जी समेत सबको बधाई. सबसे ज्यादा बधाई स्वयं को देती हूँ. मेरी सात पीढ़ियों में किसी ने कविता नहीं लिखी. मैंने कम से कम लिखी तो सही. अमिताभ जी द्वारा किया गया चुनाव और उनके अर्थपूर्ण विचार बहुत अछे लगे.
जवाब देंहटाएंcreative manch का बहुत बहुत आभार
अमिताभ जी का सन्देश बहुत सुन्दर लगा -
जवाब देंहटाएं"पवित्र भाव अपने आप में ही सर्वश्रेष्ठ होते हैं। उसकी कोई श्रेणी नहीं होती।"
राजेंद्र जी ने सचमुच कम शब्दों में कमाल किया है
सभी सृजनकार अलग-अलग पुष्प की भांति हैं / सभी को मुबारकबाद
क्रिएटिव मंच तो अब घर जैसा प्रतीत होता है - अपनापन लिए हुए / धन्यवाद
"चित्र को माध्यम बना कर तुरत लिखना सचमुच कठिन होता है",
जवाब देंहटाएंसभी सृजनकर्ताओं ने सुन्दर रचनाएं लिखी
सभी को बधाई !!
खच्चर सा जीवन है मेरा
जवाब देंहटाएंबेबस हूँ लाचार हूँ
मानो या न मानो लेकिन
मै भी एक इंसान हूँ
पेट की खातिर क्या न करता
क्या घर भर को भूखा रखता
महानगर पी गया जवानी
मुझ बूढ़े की यही कहानी
थकी नहीं है हिम्मत मेरी
जिस्म से बस लाचार हूँ
मानो या न मानो
लेकिन मै भी एक इंसान हूँ
सृजन- 8 के लिए बहुत ही अधिक मेहनत से मैंने ये कविता लिखी है.
जवाब देंहटाएंआपको मिल गयी की नहीं ?
मुझे प्लीज बता दें
खच्चर सा जीवन है मेरा
जवाब देंहटाएंबेबस हूँ लाचार हूँ मानो या न मानो लेकिन
मै भी एक इंसान हूँ
पेट की खातिर क्या न करता
क्या घर भर को भूखा रखता
महानगर पी गया जवानी
मुझ बूढ़े की यही कहानी
थकी नहीं है हिम्मत मेरी
जिस्म से बस लाचार हूँ
मानो या न मानो
लेकिन मै भी एक इंसान हूँ
@ प्रिय अदिति जी
जवाब देंहटाएंहमको आपकी रचना प्राप्त हो गयी है !
निश्चिन्त रहें !
बहुत सुन्दर लिखा है आपने
शुभ कामनाएं
--------------क्रिएटिव मंच
श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक- ८
जवाब देंहटाएं-
पेट की आग है, रोटी का वास्ता है.
श्रम की मांग है, हाथ में रिक्शा है.
अर्थ का उत्पादन, समीकरण देखो.
समाज का वर्गीकरण, संतुलन देखो.
- सुलभ
सभी विजेताओं को हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंअमिताभ जी का सन्देश पढ बहुत अच्छा लगा । सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई...
जवाब देंहटाएंदो जूण री रोटी खातर
जवाब देंहटाएंसारै दिन ढ़ोनो पडे वजन
जरुरी है पेट पालण खातर
नीं तो टाबर भूखा सोसी
सोसी टाबरां री माँ
म्है तो छेकड़ कर लेस्यूं गुजारो
पण टाबर भूखा नीं सोवै
म्है तो भूखो रै लेस्यूं.
दो जूण री रोटी खातर.
वाकई में मंच री चोखी शरुआत है..........म्हारो सहयोग आपरै साथै है...
जवाब देंहटाएंप्रिय अजय सोनी जी!
जवाब देंहटाएंश्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता- 8 के लिए आपकी प्रविष्टि प्राप्त हुयी! रचना बहुत सुन्दर है! किन्तु हो सकता है चयनकर्ता और अन्य पाठक अच्छी तरह इस रचना को न समझ पायें ! आप कृपया इस रचना में राजस्थानी शब्दों के मतलब हिंदी में भी बता दें!
सधन्यवाद !
--------------क्रिएटिव मंच
दूर है अब आदमी से आदमी
जवाब देंहटाएंढ़ो रहा है आदमी को आदमी
पत्थरों को पूजता है ये जहाँ
हर तरफ दरबदर है आदमी
बहुत ही मजेदार प्रतियोगिता मंच बने गई है...
जवाब देंहटाएंमेरी प्रविष्टि स्वीकारें...
जवाब देंहटाएंपहुंचाऊं साहिब कहो जहाँ तुम,
बस रहो बैठे सीना तान,
सवारी रहेगी ये बड़ी सुहानी,
जब तक है मुझमें प्राण,
धुप चिलमिलाये, धुल उड़े,
छलकती रहे फिर चाहे स्वेद-कण,
नहीं थकेंगे, हम खींचते रहेंगे,
आये ना जब तक मक़ाम,
चक्कर है जग का देखो अनोखा,
खींचे इक को दूजा कोई इंसान!
इक्कीसवीं सदी में भी मानव मानव को खींच रहा ,
जवाब देंहटाएंकिस्मत को मुट्ठी में बाँधे अपने हाथों से भींच रहा .
जानता है ,भूख ,ग़रीबी नहीं देखती उम्र का क्या दौर है,
दो जून रोटी के लिए करता है प्रतिदिन कठिन श्रम,
मानव अधिकारों की बात करें, वो लोग बहुत से हैं यहाँ ,
एक दिन बदलेंगे तक़दीर वोही ,जीता है रख कर यही भ्रम .
-written on april,11,2010
शीर्षक - किस सदी में हम हैं?
जवाब देंहटाएं--------------------------
इक्कीसवीं सदी में भी मानव मानव को खींच रहा ,
किस्मत को मुट्ठी में बाँधे अपने हाथों से भींच रहा .
जानता है ,भूख ,ग़रीबी नहीं देखती उम्र के इस दौर को है,
दो जून रोटी के लिए करता है प्रतिदिन कठिन श्रम,
मानव अधिकारों की बात करें, वो लोग बहुत से हैं यहाँ ,
एक दिन बदलेंगे तक़दीर वोही ,जीता है रख कर यही भ्रम .
----------11-04-2010--Alpana Verma
2010/4/14
जवाब देंहटाएंक्रिएटिव मंच के सभी मित्रों को
नमस्कार !
मधुर मधुर स्मृतियां !
***********************************
लीजिए प्रस्तुत है
श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता - 8 के लिए मेरी प्रविष्टि
"आदमी ही आदमी को पालता है ,
आदमी ही आदमी का रक्त चूस लेता है शरीर से !
पेट की ये आग नहीं बुझती पसीने से भी ,
जंग लड़े तब कोई कैसे तक़दीर से ?
छोड़ता बनाके कोई जानवर ,
आदमी को आदमी से जानवर , दौलत के दम से ;
जुते मजबूर … जानवर की जगह ,
चमकाए तक़दीर मैले फ़टे लीर-झीर से !"
- राजेन्द्र स्वर्णकार
***********************************
आशा है आप संतुष्ट होंगे ।
mob - 9314682626
phon - 0151 2203369
Email : swarnkarrajendra@gmail.com
Blog : http://shabdswarrang.blogspot.com
2010/4/14
जवाब देंहटाएंक्रिएटिव मंच के सभी मित्रों को
नमस्कार !
मधुर मधुर स्मृतियां !
**********************************
लीजिए प्रस्तुत है
श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता - 8 के लिए मेरी प्रविष्टि
"आदमी ही आदमी को पालता है ,
आदमी ही आदमी का रक्त चूस लेता है शरीर से !
पेट की ये आग नहीं बुझती पसीने से भी ,
जंग लड़े तब कोई कैसे तक़दीर से ?
छोड़ता बनाके कोई जानवर ,
आदमी को आदमी से जानवर , दौलत के दम से ;
जुते मजबूर … जानवर की जगह ,
चमकाए तक़दीर मैले फ़टे लीर-झीर से !"
- राजेन्द्र स्वर्णकार
***********************************
mob - 9314682626
phon - 0151 2203369
Email : swarnkarrajendra@gmail.com
Blog : http://shabdswarrang.blogspot.com
अभी तक यहां प्रकाशित न देख कर तीसरी बार भेज रहा हूं कल के बाद ।
कृपया जांच लें दो तीन बार न छप जाए कहीं
धन्यवाद
प्रिय राजेन्द्र जी
जवाब देंहटाएंआपकी रचना हमको कमेन्ट बॉक्स के माध्यम से प्राप्त हो चुकी है ! चूँकि माडरेशन ऑन है इसलिए सारी प्रविष्टियाँ रुकी हुयी हैं ! माननीय निर्णायक द्वारा चयन परिणाम मिलने के पश्चात ही हम सभी रचनाओं को प्रकाशित करेंगे !
सधन्यवाद
--------------------क्रिएटिव मंच
Wow... एक से एक भावपूर्ण रचनाएँ पढ़ के गदगद हो गया...
जवाब देंहटाएंPs .: CM टीम - क्या मैं अपनी प्रविष्टि को अपने ब्लॉग पर पोस्ट कर सकता हूँ ?
@ दिनेश सरोज जी
जवाब देंहटाएंजी हाँ ... आप अवश्य अपनी प्रविष्टि को अपने ब्लॉग पर पोस्ट कर सकते हैं ! सम्भव हो तो बुधवार तक रुक जाईये !
सधन्यवाद
----------------------क्रिएटिव मंच
जी जरुर, धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंResult ka intzaar hai..aaj 22 April ho gya.....Deendayal sharma. deen.taabar@gmail.com, http://deendayalsharma.blogspot.com
जवाब देंहटाएंmene ek blog banaya hai usme apni kuch rachnaye di hai agar ek bar aap dekh le to mai aapki aabhari rahugi or kripya mera uchit margdarsan kare
जवाब देंहटाएंdhanyvad
deepti sharma
link hai
www.deepti09sharma.blogspot.com
ek rachna bhej rahi hu
दिल मेरा ना पहचान सका
उसको जिसको मै चाहती थी|
दिल की बगिया में फूल समझ
मैं ख़ुशी ख़ुशी इठलाती थी |
चाहत की बगिया सींच कहीं
मै अपनी प्यास बुझाती थी |
दिल मेरा ना पहचान सका
उसको जिसको मै चाहती थी|
रिक्शेवाला
जवाब देंहटाएंतमाम उम्र
रिक्शे में
पूरे न होने वाले सपने ढोता है
वह
पैर से नहीं
पेट से रिक्शा चलाता है
रिक्शे में
घटने वाली प्रत्येक घटना में
उसका
एक न एक सपना अवश्य होता है
जब रिक्शे का
एक पहिया पंचर होता है
तब उसका
एक सपना खत्म होता है
इस तरह
वह अपने
दिनभर कम होते सपने ढोता है
और
उम्र से पहले ही वह
बूढ़ा होता जाता है
फिर भी वह
पेट के लिए
पेट से
दिन-रात रिक्शा चलाता जाता है
हाँफता जाता है
खाँसता जाता है
इस तरह वह
अपने कमजोर बुनियाद वाले सपने ढोता है
खुले आसमान के नीचे
सर्द-गर्म वातावरण से
उसकी चमड़ी में दरारें पड़ जाती हैं
फिर भी
रिक्शेवाला निश्चित्न होता है और
दरार वाले सपने ढोता है
जैसे-जैसे
रिक्शे के पहिए घूमते हैं
वैसे-वैसे
उसके दिमाग में सपने घूमते हैं
इस तरह
वह घूमते हुए
न रूकने वाले सपने ढोता है
फिर
एक दिन
जब वह बूढ़ा हो जाता है
तब
रिक्शा चलाने में असमर्थ
रिक्शे वाला
अपने बूढ़े सपने साथ लेकर
सपनों के साथ मर जाता है
तब
उसका उत्तराधिकारी
उसका बेटा
पिता की तरह
पीढ़ी दर पीढ़ी
कभी पूरे न होने वाले
वही सपने ढोकर
अंतहीन लक्ष्य को तकता है
और
सपनों का क्रम जारी रखता है।