प्रिय साथियों नमस्कार !!! हम आप सभी का क्रिएटिव मंच पर अभिनन्दन करते हैं।
'सी.एम.ऑडियो क्विज़- 9' आयोजन में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों और विजेताओं को बधाई। इस बार की क्विज में सुनवाए गए दो दिग्गज शायरों को पहचान पाना इतना आसान होगा यह सोचा न था। ऐसा प्रतीत होता है कि अच्छी शेरो-शायरी सुनने/पढ़ने का शौक रखने वाले आज भी बहुत हैं। उर्दू शायरी के लिए बहुत ही अच्छी खबर है। इस बार 18 प्रतियोगियों ने हमें सही जवाब दिए।
सबसे पहले इस बार सबको लाजवाब हिंट देने वाले शिवेंद्र सिन्हा जी ने सही जवाब देकर प्रथम स्थान हासिल किया। उसके बाद क्रमशः द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर डा० अजमल खान जी और गजेन्द्र सिंह जी रहे।
इस बार अफ़सोस इस बात का हुआ कि हमारे पुराने दिग्गज प्रतियोगी आशीष मिश्रा जी और दर्शन जी थोडा सा चूक गए। उन्होंने अपने जवाब में राहत इन्दौरी जी के नाम की जगह रहमत इन्दौरी लिखा था जिसके कारण वे विजेता लिस्ट में जुड़ने से वंचित रह गये.
आप सभी अपना स्नेह यूँ ही बनाये रखिये। आपकी प्रतिक्रिया और सुझावों की प्रतीक्षा रहेगी। अब अगले रविवार को "सी.एम.ऑडियो क्विज़-10" में आपसे पुनः यहीं मुलाकात होगी।समस्त विजेताओं व प्रतिभागियों को एक बार पुनः बहुत-बहुत बधाई और शुभ कामनाएं।
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''सी.एम.ऑडियो क्विज-9' के पूरे परिणाम के साथ ही क्विज में पूछे गए दोनों हरदिल अज़ीज़ शायरों के बारे में बहुत संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करते हैं :
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1- शायर राहत इन्दौरी [Rahat Indori]
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राहत इन्दौरी (जन्म: 01 जनवरी 1950) किसी तआरुफ़ के मोहताज़ नहीं हैं। फ़िल्मी दुनिया से लेकर मुशायरों तक और मुशायरों से लेकर अदब तक में राहत इन्दौरी जी का नाम बड़ी इज्ज़त से लिया जाता है। अंजुम रहबर जो राहत इन्दौरी साहब की पत्नी हैं और बहुत अच्छी शायरा भी हैं। राहत इन्दौरी ने अपनी जिंदगी के शुरूआती दौर में बहुत संघर्ष किया है। शायद यही वजह है कि वे जिस जद्दोजहद से रूबरू हुए, उसी जाती तजुर्बात की परछाइयाँ उनकी शायरी में नज़र आती है। राहत इन्दौरी एक ऐसे शायर हैं जो हर उस मुल्क में जाने-पहचाने जाते हैं जहाँ उर्दू बोली और समझी जाती है। तकरीबन चालीस वर्षों से राहत साहब ने मुशायरों के स्टेज पर मुसलसल एक हलचल-सी पैदा कर रखी है। वह मुशायरा मुकम्मल नहीं समझा जाता जिसमें राहत शरीक न हों। राहत साहब का पेंटिंग से काफी रिश्ता रहा है. वे खुद भी कहते हैं - ' मैं बुनियादी तौर पर पेंटर ही हूँ। मेरे अंदर मौजूद पेंटर और शायर में गहरा रिश्ता है। जिंदगी का काफी लंबा वक्त मैंने पेंटिंग में गुजारा है। मेरे अंदर शायर तो यकायक पनपा। वैसे मैं इन दोनों माध्यमों में फर्क नहीं समझता। पेंटिंग कैनवस पर होती है और शायरी कागज़ पर। पेंटिंग में आप कैनवस पर रंग भरते हैं और शायरी में रोशनाई से लफ्ज़ लिखते हैं।' बतौर शायर राहत साहब अपने सफर के बारे में कहते हैं - 'हर जिंदादिल शायर अपने आसपास के माहौल से देशकाल से प्रभावित होता है। मैं भी जब अपने आसपास - ज्यादतियां और नफरत देखता हूँ तो मेरे अन्दर मौजूद शायर उनपर गौर कर शेर कहता है। जिन हालात से मेरा किरदार गुजारता है। मैं उसपर फिक्रो-ख़याल करके कलम चलाता हूँ और ज़ज्बात को अलफ़ाज़ का जामा पहनाता हूँ। दुनिया ने ताज़ुर्बातो-हवादिस कि शक्ल में, जो कुछ मुझे दिया लौटा रहा हूँ मैं'
राहत इन्दौरी की शायरी बहुत दिलकश और खरी होती है। वे पापुलरिटी हासिल करने के लिए कभी भी शायरी की गुणवत्ता से समझौता नहीं करते। यही वजह है कि उनका लिखा लोगों को खूब पसंद आता है और याद भी रहता है। ये किसी शायर की लोकप्रियता का सबसे अहम पहलू है। राहत जब ग़ज़ल पढ़ रहे होते हैं तो उन्हे देखना और सुनना दोनो एक अनुभव से गुज़रना है। गुफ़्तगू सी लगती उनकी शायरी में सुनने वाला राहत के क़लम की कारीगरी का मुरीद हो जाता है। उनका माइक्रोफ़ोन पर होना ज़िन्दगी का होना होता है। यह अहसास सुननेवाले को बार-बार मिलता है कि राहत रूबरू हैं और अच्छी शायरी सिर्फ़ और सिर्फ़ इस वक़्त सुनी जा रही है। उनके शब्द और आवाज़ का करतब हिप्नोटाइ़ज़ सा कर लेता है। राहत इन्दौरी की शायरी इसलिये भी ध्यान से सुनी जाती है क्योंकि उनकी आवाज़ का तेवर अशाअर के मूड को रिफ़्लेक्ट करता है। राहत इन्दौरी जी ने कई फिल्मों में गाने लिखे और वे गाने खूब हिट भी हुए, लेकिन उन्हें फिल्मों में गाने लिखना ख़ास रास नहीं आया। कारण बताते हुए वे कहते हैं - 'हिंदी फिल्मों में इस समय जो गाने लिखे जा रहे हैं उनमे गिरावट आई है। फिल्मों में जिस तरह के गाने लिखवाने की बात की जाती है वो मुझे मंज़ूर नहीं ।' मुशायरे के निरंतर गिरते स्तर से भी राहत खुश नहीं हैं। उनका कहना है- 'आज मुशायरे के स्तर में गिरावट की बड़ी वजह बाज़ार का हावी होना है। वहाँ पर भी क्वालिटी से समझौता हो रहा है। मुशायरों को तीसरे दर्जे के शायरों ने नुक्सान पहुंचाया है। गैर ज़िम्मेदार शायर मुशायरों को चौपट कर देते हैं। शायरी बिना मेयार और सलीके के नहीं होती। मुशायरों में नाचने और गाने वालों का काम नहीं है कि किसी के भी हाथ में माइक पकड़ा दिया जाए। मुशायरों में अच्छी शायरी पर जोर होना चाहिए। |
2- शायर मुनव्वर राना [Munawwar Rana]
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मुनव्वर राना का जन्म उत्तर प्रदेश के रायबरेली ज़िले में 26 नवंबर 1952 को हुआ था। रायबरेली शहर से मुनव्वर राना जी के खानदान का सम्बन्ध करीब 700 साल से है। परिवार में शायरी का शौक सबको था लेकिन शायरी कोई नहीं करता था। वालिद को भी शायरी सुनने का शौक था। शुरू-शुरू में मुनव्वर कलकत्ते में अपने कालेज के प्रोफ़ेसर एजाज को अपना लिखा दिखाते रहते थे। प्रोफ़ेसर एजाज के गुजर जाने के बाद उन्ही दिनों मुनव्वर जी की 'वाली आसी' से मुलाकात हुई। तब मुनव्वर अली आतिश के नाम से लिखते थे। उन्होंने ही मुनव्वर राना नाम दिया।
राना साहब की शायरी में जहाँ दर्द का एहसास है, खुद्दारी है, वहीं ऱिश्तों का एहतराम भी है। उन्होंने रिश्तों की अच्छाई और बुराई को अपने शेरों में तोला है। बुज़ुर्गों के बारे में वो बड़ी बेबाकी से कहते है– खुद से चलकर नहीं ये तर्ज़े सुखन आया है, पांव दाबे है बुज़ुर्गों के तो फन आया है। अधिकतर शायरों ने ‘औरत’ को सिर्फ़ महबूबा समझा। मगर मुनव्वर राना ने औरत को औरत समझा। औरत जो बहन, बेटी और माँ होने के साथ साथ शरीके-हयात भी है। उनकी शायरी में रिश्तों के ये सभी रंग एक साथ मिलकर ज़िंदगी का इंद्रधनुष बनाते हैं। मुनव्वर राना की शायरी का ताना-बाना ज़िंदगी के रंग बिरंगे रेशों, सच्चाइयों और खट्टे-मीठे अनुभवों से बुना गया है। उनकी शायरी में रिश्तों की एक ऐसी सुगंध है जो हर उम्र और हर वर्ग के आदमी के दिलो दिमाग पर छा जाती है।
मुनव्वर राना की सादगी हमेशा से ही बाँध लेती रही है। वे बड़ी ही मासूमियत से बड़ी बड़ी बातें कह जाते हैं। एक शेर में वो ज़िंदगी की दौड़ में सबसे पीछे रह जाने वाले वर्ग की बात कहते हैं - 'सो जाते हैं फुटपाथ पे अख़बार बिछाकर मज़दूर कभी नींद की गोली नहीं खाते।' वे हिंदुस्तान के ऐसे अज़ीम-ओ-शान शायर हैं जिसने ‘माँ’ की शख़्सियत को ऐसी बुलंदी दी है जो पूरी दुनिया में बेमिसाल है –
'इस तरह मेरे गुनाहों को धो देती है माँ बहुत गुस्से में हो तो रो देती है' 'अभी ज़िन्दा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा, मैं जब घर से निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है' 'मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ' 'माँ के आगे यूँ कभी खुल कर नहीं रोना जहाँ बुनियाद हो इतनी नमीं अच्छी नहीं होती' मुनव्वर जी के इन शेरों के आगे…माँ पर उनसे बेहतर उर्दू शायरी में और कहीं शेर देखने को नहीं मिलते. बिना थोथी भावुकता के वो ऐसे नायाब शेर निकालते हैं की तबियत बाग बाग हो जाती है… आँखें नम और मुंह से बरबस वाह वा…निकल पड़ती है. ये शेर जब वो अपने अंदाज़ में सुनते हैं तो देखते ही बनता है… मुशायरे और काव्य-गोष्ट्ठियों में कहकहे और ठहाके तो अक्सर सुनाई देते है पर आखों में नमी, मुनव्वर राना जैसे हुनरमंद ही ला पाते है। राना साहब फरमाते हैं - 'जब तुलसीदास के महबूब राम हो सकते हैं तो मेरी महबूबा मेरी मां क्यों नहीं हो सकती। फिर हम एक ऐसे खुशनसीब मुल्क के रहने वाले है जहां गंगा और जमुना तक को मां कहा जाता है, सरस्वती और दुर्गा को मां कहा जाता है, हम अब तक तो गाय को भी मां समझते थे, लेकिन कालोनी कल्चर आते ही हम मां को भी गाय समझने लगे। हम मां पर शायरी करते है तो यह सिर्फ शायरी नहीं है, यह ओल्ड एज होम के खिलाफ ऐलाने-जंग है। यह उनका माँ से मोहब्बत का ज़ज्बा था, उनकी सोच की गहराई थी, रिश्तों का एहसास था जो उन्होंने अपनी पुस्तक ” माँ ” को किसी को भेंट देते वक्त, उस पर औटोग्राफ देने से यह कह कर मना कर दिया – “माफ़ कीजिए, मैं माँ पर दस्तखत नही करता।”
अपनी किताब ‘माँ‘ में मुनव्वर साहब कहते है–” बचपन में मुझे सूखे की बीमारी थी, शायद इसी सूखे का असर है कि आज तक मेरी ज़िन्दगी का हर कुआँ खुश्क है, आरजू का, दोस्ती का, मोहब्बत का, वफ़ादारी का ! माँ कहती है बचपन में मुझे हँसी बहुत आती थी, हँसता तो मैं आज भी हूँ लेकिन सिर्फ़ अपनी बेबसी पर, अपनी नाकामी पर, अपनी मजबूरियों पर लेकिन शायद यह हँसी नहीं है, मेरे आँसुओं की बिगड़ी हुई तस्वीर है। गजल की कामयाबी को नए ढंग से अंजाम देने वाले राना आज मुशायरों के बादशाह है। उनके गजल लिखने और पढ़ने का ढंग बेहद सादा किंतु पुरअसर है। उनकी गजलें न तो उर्दू शायरी की रवायत की हमराह दिखती है न उनमें अलंकरण की नक्काशी नजर आती है। मुनव्वर राना साहब अपनी शायरी में इंसानी तक़ाज़ों को कभी दरकिनार नहीं करते। |
क्विज में दिए गए दोनों शायरों को मुशायरे में सुनिए |
शायर राहत इन्दौरी | शायर मुनव्वर राना |
"सी.एम.ऑडियो क्विज़- 9" के विजेता प्रतियोगियों के नाम |
जिन प्रतियोगियों ने एक जवाब सही दिया |
आशा है जो इस बार सफल नहीं हुए वो आगामी क्विज में अवश्य सफल होंगे
आप सभी का हार्दिक धन्यवाद
यह आयोजन मनोरंजन के साथ साथ ज्ञानवर्धन का एक प्रयास मात्र है !अगर आपके पास कोई सुझाव हो तो हमें ज़रूर ई-मेल करें!अंत में हम सभी प्रतियोगियों और पाठकों का पुनः आभार व्यक्त करते हैंजिन्होंने क्रियेटिव मंच की क्विज़ में शामिल होकर हमारा उत्साह बढाया.
27 फरवरी 2011, रविवार को हम ' प्रातः दस बजे' एक नई क्विज के साथ यहीं मिलेंगे !
सधन्यवाद
क्रियेटिव मंच The End =================================================== |
ओह्ह....
जवाब देंहटाएंमेरा तो एक्साम की टेंशन के कारण पत्ता साफ़ हो गया....
एक तो मोबाइल पर सुनना मुश्किल हो रहा था....
खैर...
अच्छा लगा..
शिवेन्द्र जी पहली बार विजेता बने....
अदिति जी कोई बात नहीं, आपको उम्मीद थी आप टॉप ३ में आएँगी...
अगली बार सही...:)
मेरी तरफ से शाबाशी ले लीजिये....
सभी विजेताओं को बधाई...
शिवेन्द्र जी, सहित सभी विजेताओं को
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई...............
बहुत सुन्दर जानकारी ............
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जवाब देंहटाएंशिवेंद्र सिन्हा जी सहित सभी विजेताओं को बहोत
बहोत बधाई
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मुनव्वर राणा व राहत इन्दौरी जी के बारे में आपने
बहोत ही अच्छी जानकारी दी
बहोत बहोत धन्यवाद
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पोस्ट की सुंदरता इस बार भी देखते ही बन रही है
मानवी जी एक नीम्बू मिर्च का भी फोटो लगा दिया
करो ताकि कहीं क्रिएटिव मंच को नजर ना लग जाए :))
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इतने दिन बाद आज कहीं जाकर मेरा नंबर आया. अभी भी लग रहा है की कहीं मानवी जी से रिजल्ट में कुछ मिस्टेक तो नहीं हो गयी इसीलिए बहुत देर बार डरते डरते आया हूँ :)
जवाब देंहटाएंहमने तो आशा ही छोड़ दी थी की कभी पहला नंबर आएगा.
सभी विजेताओं को बहुत बधाई
क्विज़ के द्वारा हर बार नयी नयी बातें पता चलती हैं आपका बहुत धन्यवाद. प्रस्तुति हमेशा की तरह लाजवाब है.
congratulations to all winners and participants
जवाब देंहटाएंaapne bahut hi sundar post taiyar ki hai. dono poets ke baare men padhkar bahut hi achha laga. rana ji ke ye sher gajab ke hain-
इस तरह मेरे गुनाहों को धो देती है माँ बहुत गुस्से में हो तो रो देती है'
'अभी ज़िन्दा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा, मैं जब घर से निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है'
शिवेन्द्र जी, सहित सभी विजेताओं को
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई...............
बहुत सुन्दर जानकारी ............
शिवेन्द्र जी, सहित सभी विजेताओं को
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई...............
मुनव्वर राणा व राहत इन्दौरी जी के बारे में आपने
बहोत ही अच्छी जानकारी दी पर वो क्लिप नहीं चल रही जो दोनों शायरो के मुशायरे वाली है
@ गजेन्द्र जी हमने दोनों ही मुशायरे के वीडिओ को कई बार चेक किया है, दोनों ही बढ़िया चल रहे हैं, एक-दो साथियों से भी पूछा था, उनके यहाँ भी सही चल रहे हैं. कृपया आप अपना सिस्टम चेक करें.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
सभी विजेताओं को बधाइयाँ। क्रियेटिव मंच को भी सफल आयोजन के लिये बधाई।
जवाब देंहटाएं@ गजेन्द्र जी मेरे यहाँ भी दोनों क्लिप बिलकुल सही चल रही है .
जवाब देंहटाएंशिवेंद्र जी सहित सभी विजेताओ को बधाई...
जवाब देंहटाएंदोनों शायरो के बारे में अच्छी जानकारी दी...
विडिओ क्लिप्स भी बहुत अच्छे लगे...
धन्यवाद.
shivendra ji aur anya sabhi winers ko bahut bahut badhayi.
जवाब देंहटाएंsorry kal internet kharab tha isliye badhayi nahi de payi thi. phir bhi abhi badhayi taaji hi hai :)
is baar to sachmuch hamne kamaal hi kar diya :)
जवाब देंहटाएंbhale hi top 3 men ham na hon lekin saare bade champions hamse peechhe rah gaye. shekhar ji, darshan ji, ashish ji, shubham ji sab ke sab
ha..ha..ha..ha .. hip hip hurre .. shabash aditi shabash
sundar jankari di hai
जवाब देंहटाएंsabko badhayi
इस बार मेरे साथ आपने पार्शियलटी की है
जवाब देंहटाएंआपने नहीं लिखा दर्शन जी अपना उत्तर सुधार लें
खैर कोई नी आगे देखते है
सबको बधाईयाँ
very very attractive post.
जवाब देंहटाएंCongratulations to all winners!
beautiful shayari.
First time I heard Munnavar Rana ji 's shayari !
Just too good! Amazing!
har sher gazab ka hai..lajawab hai!
Shagufta log bhi toote hue hote hain andar se...
bahut rote hain wo lateefe jinko yaad rahte hain!
waah! waah!waah!
Thanks for sharing information about them.
You all have good taste,no doubts!
सहित सभी विजेताओं को
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई...
क्विज़ जीतने वालों को मेरी तरफ से भी ढेरों बधाई
जवाब देंहटाएं------------
चैतन्य का कोना पर सुंदर सफेद चमकते पेड़.....
hello sir,
जवाब देंहटाएंapka blog haal hi main dekah shandaar hai, ek koshish maine bhi ki hai, ek nazar us par bhi dalen.
krati-fourthpillar.blogspot.com
ek baar fir apni shandaar klm le ke aa jaiye prakash govind ji........bdi yaad aane lgi hai is quize ki ab to
जवाब देंहटाएंNice Sir
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