बुधवार, 10 फ़रवरी 2010

श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक 3 का परिणाम

प्रतियोगिता संचालन :- - प्रकाश गोविन्द


srajan
प्रिय मित्रों/पाठकों/प्रतियोगियों
नमस्कार !!
आप सभी लोगों का हार्दिक स्वागत है

किन्हीं तकनीकी कारणों की वजह से हम 'श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक- 3' के परिणाम को समय से घोषित नहीं कर पाए इसके लिए हमें खेद है !

हमें बहुत से पाठकों के मेल प्राप्त हुए ! आपके स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए हम आपके अत्यंत आभारी हैं ! कई पाठकों ने हमें सुझाव भी दिए थे ! पहला सुझाव तो यह था कि श्रेष्ठ सृजन का चयन क्रिएटिव मंच द्वारा ही संपन्न हो ! दूसरा महत्वपूर्ण सुझाव यह था कि श्रेष्ठ सृजन को प्रतिस्पर्धा से मुक्त रखा जाए ! अब से क्रियेटिव मंच टीम के तीन सदस्य प्रविष्टियों को श्रेष्टता के आधार पर क्रम देंगे। और सर्वश्रेष्ट प्रविष्टि को प्रमाण पत्र दिया जाएगा।

परिणाम के अंत में आज की
श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक- 4 का चित्र दिया जा रहा है ! पहले की भांति ही 'माडरेशन ऑन' रहेगा. प्रतियोगिता में शामिल होने की समय सीमा है - रविवार,14 फ़रवरी- शाम 5 बजे तक

सभी विजेताओं एवं समस्त प्रतियोगियों व पाठकों को
बहुत-बहुत बधाई/शुभकामनाएं.


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श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक 3 का परिणाम
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शीर्षक - मासूमियत की मांग!
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम
हर लो हमारे सारे ग़म
सब रहें सुख चैन से
कोई किसी पे न करे सितम
सब हमेशा मुस्कुराते रहें
न हों कभी किसी की आँखें नम
न हो कहीं मारकाट
न फूटे कहीं बम
ram krishn gautam
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manoj kumar ji

शीर्षक - हे मां शारदे !

वर दे .. वर दे .. वर दे!!
मेरी मुरादें पूरी कर दे!
घिसी पिटी बेमानी रस्में
भारत से उठ जाएं बिलकुल
जाति-धर्म का भेद मिटा कर
रहें देश में हम सब मिलजुल
सोच हमारी फिर विस्तृत हो
सुख शांति खुशहाली से
एकता का जो पाठ पढाए
फिर से निर्मित हो वह गुरकुल

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नन्हा,मासूम,नटखट हूं,
हूं सभी का दुलारा,
कोई कहता सूरज-चंदा,
कोई आंखों का तारा ।
ईश्वकर से वरदान मैं मांगू,
बहे प्रेम की धारा,
रहे सलामत घर-आंगन,
और यह जग हमारा

shamim ji

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nirmla kapila ji


हे प्रभु


मेरी मुस्कान और मासूमियत
दुनिया से बचाये रखना
जब मै बडा होऊँ तो बस
एक अदद इन्सान बनाये रखना

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प्यारे भगवान जी
तुम हमेशा खुश रहना
हमेशा अच्छा कार्य करूँ
ऐसा आशीर्वाद देना.
यह प्यारी सृष्टि
संतान है तुम्हारी
ऐसी ही दृष्टि हो
प्रभु हमारी!"

sushree roshni ji

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sulabh satrangi ji


"आज हुआ है मेरा नाम बहुत
स्कूल में मिले हैं इनाम बहुत
प्रभु अपनी कृपा बनाये रखना
आगे करने है मुझे काम बहुत"

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हे प्रभु जो दिया
जितना दिया
उसके लिए तेरा शुक्रिया
मीठी मंद मुस्कान के साथ
यही कहती ये गुडिया...

sushri shubham jain
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rekha prahlaad ji



गणपति बाप्पा,
मम्मी पापा ना लड़े
ना ही बिगड़े मेरी दोस्त लाली पे,
क्या हुआ वो काली है
और उसकी आई कामवाली बाई है !

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srajan 4
आईये अब चलते हैं "श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता - 4" की तरफ !
नीचे ध्यान से देखिये चित्र को ! क्या इसको देखकर आपके दिल में कोई भाव ...कोई विचार ... कोई सन्देश उमड़ रहा है ? तो बस चित्र से सम्बंधित भावों को शब्दों में व्यक्त कर दीजिये ... आप कोई सुन्दर सी तुकबंदी ... कोई कविता - अकविता... कोई शेर...कोई नज्म..कोई दिल को छूती हुयी बात कह डालिए !
---- क्रियेटिव मंच
श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक - 4
प्रतियोगियों के लिए -
1- इस प्रतियोगिता का उद्देश्य मात्र मनोरंजन और मनोरंजन के साथ कुछ सृजनात्मक करना भी है।
2- यहाँ किसी प्रकार की प्रतिस्पर्धा नही है.
3- आपको चित्र के भावों का समायोजन करते हुए रचनात्मक पंक्तियाँ लिखनी हैं ,जिसे हमारी क्रियेटिव टीम के चयनकर्ता श्रेष्ठता के आधार पर क्रम देंगे और वह निर्णय अंतिम होगा।
4- प्रतियोगिता संबंधी किसी भी प्रकार के विवाद में टीम का निर्णय ही सर्वमान्य होगा।
5- चित्र को देख कर लिखी गयी रचना मौलिक होनी चाहीए। शब्दों की अधिकतम सीमा की बंदिश नहीं है। परिणाम के बाद भी यह पता चलने पर कि पंक्तियाँ किसी और की हैं, विजेता का नाम निरस्त कर दिया जाएगा !
6- प्रत्येक प्रतियोगी की सिर्फ एक प्रविष्टि पर विचार किया जाएगा, इसलिए अगर आप पहली के बाद दूसरी अथवा तीसरी प्रविष्टि देते हैं तो पहले की भेजी हुयी प्रविष्टि पर विचार नहीं किया जाएगा. प्रतियोगी की आखिरी प्रविष्टि को प्रतियोगिता की प्रविष्टि माना जाएगा।
7-'पहले अथवा बाद' का इस प्रतियोगिता में कोई चक्कर नहीं है अतः आप इत्मीनान से लिखें . 'माडरेशन ऑन' रहेगा। आप से अनुरोध है कि अपनी प्रविष्टियाँ यहीं कॉमेंट बॉक्स में दीजिये।
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प्रतियोगिता में शामिल होने की समय सीमा रविवार 13 फ़रवरी शाम 5 बजे तक है. "श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता- 4" का परिणाम बुधवार 17 फरवरी 2010 रात्रि सात बजे प्रकाशित किया जाएगा
----- क्रिएटिव मंच
The End

सोमवार, 8 फ़रवरी 2010

1971 का युद्ध और पाकिस्तानी आत्मसमर्पण

क्विज संचालन ---- प्रकाश गोविन्द


जय हिंद - जय भारत
आप सभी को नमस्कार !
क्रियेटिव मंच आप सभी का स्वागत करता है !

आप सभी प्रतियोगियों एवं पाठकों को बहुत-बहुत बधाई जिन्होने इस पहेली मे हिस्सा लिया !

कल C.M.Quiz -24 के अंतर्गत हमने भारतीय गौरव से सम्बंधित एक ऐतिहासिक चित्र दिखाया था और प्रतियोगियों से उसके बारे में जानकारी मांगी थी ! बहुत से प्रतियोगियों ने जवाब दिए किन्तु हमें नौ प्रतियोगियों द्वारा सही जवाब प्राप्त हुए ! एक बार फिर से गजब की तेजी दिखाते हुए श्री मोहसिन जी ने सबसे पहले एकदम सही जवाब दिया और C.M.Quiz-24 के प्रथम विजेता बने ! उसके बाद क्रमशः श्री ज़मीर जी और सुश्री रेखा जी के सही जवाब प्राप्त हुए ! आईये संक्षेप में चित्र की जानकारी लेते हैं और क्विज का शेष परिणाम देखते हैं :

सभी विजेताओं को हमारी तरफ से बहुत-बहुत बधाई और शुभ कामनाएं

C.M.Quiz - 24 का सही जवाब था :
यह चित्र भारतीय सेना के उस गौरव दर्शाता है जब 1971 में भारत- पाकिस्तान युद्ध हुआ था ! 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना के जनरल एके नियाजी ने जीओसी पूर्वी कमान, लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष 95 हजार पाकिस्तानी सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण किया था।
आईये 1971 के उस ऐतिहासिक युद्ध के बारे में कुछ और जानकारी प्राप्त करते हैं :
1971 का युद्ध और पाकिस्तान का आत्म समर्पण
[Pakistan surrender to india (1971 War)]
Lieutenant General A.A.K. 'Tiger' Niazi, Commander of the Pakistan Army in the East, signs the Instrument of Surrender in the presence of Lieutenant General Jagjit Singh Aurora. 1970 में पाकिस्तान में हुए चुनाव में क्षेत्रीय स्वायत्तता के मुद्दे पर चुनाव लड़ने वाली शेख़ मुजीब की अवामी लीग को पूर्वी पाकिस्तान की 162 सीटों में से 160 सीटें मिली थीं और उसे पाकिस्तान की राष्ट्रीय असेंबली में पूर्ण बहुमत मिल गया था. सत्ता हस्तांतरण तो दूर पाकिस्तान सैनिक तानाशाह जनरल याहिया खाँ ने 25 मार्च 1971 को पूर्वी पाकिस्तान की जन भावनाओं को सैनिक शक्ति से कुचलने का आदेश दे दिया था. शेख़ मुजीब गिरफ़्तार कर लिए गए।

पाकिस्तान ने अपने देश के एक टुकड़े पूर्वी पाकिस्तान अब बांग्लादेश में छह महीनों के दौरान फौजी कार्रवाई करते हुए तीन लाख से ज़्यादा लोगों को मार डाला था। यह आँकड़ा खुद पाकिस्तान के अपने जाँच अधिकारी हमीद उर रहमान की रिपोर्ट में दिया गया है। सैनिक दमन से त्रस्त लगभग एक करोड़ लोगों ने भारत की धरती पर शरणार्थी के रूप में प्रवेश किया. जैसे-जैसे पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों की ख़बरें फैलने लगी, भारत सरकार पर वहाँ सैनिक sulemanki_pHw1m_16298हस्तक्षेप के लिए दवाब पड़ने लगा. 1962 और 65 में करारी शिकस्त पाने के बाद पाकिस्तान ने 3दिसंबर1971 को भारत पर हमला कर दिया भारतीय सेना ने जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के नेतृत्व में दुश्मन का मुंहतोड़ जवाब दिया। भारतीय सेना ने लाहौर तक कब्जा कर लिया था। युद्ध के बारहवें दिन ढाका में पूर्वी पाकिस्तान की फौज के कमांडर 1a_jpg_zbgyC_16298 लैफ्टिनेंट जनरल अब्दुल्ला खान नियाजी ने भारतीय सेना प्रमुख को लड़ाई बंद करने की अपील की। भारत के जनरल मानेकशा ने उदारता व सदभावना का उदाहरण पेश करते हुए उसी दिन शाम पांच बजे ढाका पर की जा रही हवाई कार्रवाई को रोक दिया।

तेहरवां दिन-... 16 दिसंबर 1971 की दोपहर को पाकिस्तानी सेना के अब्दुल्ला खान नियाज़ी ने अपनी कमान के 95 हजार सैनिकों समेत भारतीय सेना की पूर्वी कमान के प्रमुख लै जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष आत्म समर्पण कर दिया था। पाकिस्तान के बड़े अधिकारियों ने अपने हथियारों के अलावा अपनी छाती व कंधों पर लगे बैज व मैडल तक उतार कर ढेर कर दिए थे।

16 दिसंबर एक ऐसा दिन है जिसने दुनिया के नक्शे को पलट कर रख दिया। भारतीय सेना ने 1971 में इस दिन पाक के हमले का जो जवाब दिया उसके परिणति में पाकिस्तान टूट गया और वजूद में आया बंगलादेश। इस ऐतिहासिक जीत को हर साल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

Zulfikar Ali Bhutto and PM Indira Gandhi lead their परिणति :
भारतीय बहादुर जवानों की शहादतों और पराक्रम की बदौलत लड़ी व जीती गई इस जंग का पटाक्षेप 3 जुलाई 1972 में शिमला में हुआ जब भारतीय प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी पाकिस्तान प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो में इस जंग का समझौता हुआ जिसे शिमला समझौते के तहत याद किया जाता है।

समझौते के बाद पाकिस्तान की तरफ से आत्मसमर्पण करने वाले 90,368 युद्धबंदियों की रिहाई हुई। जिनमें पाकिस्तानी थल सेना के 54,154 सैनिक, जलसेना के 1381, वायूसेना के 833, अर्धसैनिक बल व सिविल पुलिस के 22,000 व 12,000 सिविल नागरिक शामिल थे। युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना के हाथ लगे हमारे कई वीर सैनिक पाकिस्तानी जेलों में सड़ते रहे, जिनके प्रमाण देने के बाद भी पाकिस्तान के शासक हमेशा इन्कार करते रहे। इन सैनिकों की रिहाई के लिए उनके परिजनों ने 'मिसिंग डिफेंस परसनल रिलेटिव एसोसिएशन' के नेतृत्व में इस मुद्दे को कई बार उठाया, मगर पाकिस्तान हर बार यही कह कर मामले को टाल देता कि उसके पास कोई भी भारतीय सैनिक नहीं है। हालांकि समय-समय पर इन जवानों की तरफ से अपने परिजनों को भेजे जाने वाले खतों और मीडिया ने भी इस पर अपने प्रमाण दिए।
C.M. Quiz - 24
प्रतियोगिता का पूरा परिणाम :
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प्रथम स्थान : श्री मोहसिन जी
mohsin ji
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द्वितीय स्थान : श्री ज़मीर जी
zameer rekha ji
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पांचवां स्थान : सुश्री शिल्पी जैन जी
alpana ji shilpi
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सातवाँ स्थान : श्री गगन शर्मा जी gagan sharma
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आठवां स्थान: श्री काजल कुमार जीkaajal kumar नवां स्थान : श्री रजनीश परिहार जी rajesh parihar ji
applauseapplauseapplauseविजताओं को बधाईयाँapplause applause applauseapplause applauseapplauseapplauseapplauseapplauseapplauseapplause
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आशा है जो इस बार सफल नहीं हुए अगली बार अवश्य सफल होंगे
सभी प्रतियोगियों और पाठकों को शुभकामनाएं !

यह आयोजन हम सब के लिये मनोरंजन ओर ज्ञानवर्धन का माध्यम है !
आपके पास कोई सुझाव हो तो हमें जरूर -मेल करें!
अंत में हम सभी प्रतियोगियों और पाठकों का आभार व्यक्त करते हैं,
जिन्होंने क्रियेटिव मंच की क्विज़ में शामिल होकर हमारा उत्साह बढाया
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अगले रविवार (Sunday) को हम 'प्रातः दस बजे' एक नयी क्विज़ के साथ यहीं मिलेंगे !

सधन्यवाद
क्रियेटिवमंच
creativemanch@gmail.com
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The End

रविवार, 7 फ़रवरी 2010

C.M. Quiz-24 [भारत की शान को दर्शाता चित्र पहचानिए]

क्विज संचालन ---- प्रकाश गोविन्द


C.M. Quiz- 24
74045 my_india_flag_child logo
जय हिंद
जय भारत
आप सभी को नमस्कार !

क्रियेटिव मंच आप सभी का स्वागत करता है !
रविवार (Sunday) को सवेरे 10 बजे पूछी जाने वाली
क्विज में एक बार हम फिर हाजिर हैं !

सुस्वागतम
Welcome

लीजिये इस बार 'सी एम क्विज़- 24' में भारतीय आन और शान को दर्शाती एक क्विज है आपके सामने !
आप चित्र को ध्यान से दिखिए और हमें बताईये कि यह किस अवसर की तस्वीर है और ये दो लोग कौन हैं ?
प्रतियोगियों द्वारा पूर्णतयः सही जवाब न मिलने की स्थिति में अधिकतम सही जवाब देने वाले प्रतियोगी को
विजेता माना जाएगा !

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चित्र में ये दो लोग कौन हैं
और
यह किस गौरवशाली अवसर की यादगार है ?
abc.
तो बस जल्दी से जवाब दीजिये और बन जाईये

C.M. Quiz - 24 के विजेता !
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पूर्णतयः सही जवाब न मिलने की स्थिति में अधिकतम सही जवाब देने वाले प्रतियोगी को विजेता माना जाएगा ! जवाब देने की समय सीमा कल यानि 8 फरवरी, दोपहर 2 बजे तक है ! उसके बाद आये हुए जवाब को प्रकाशित तो किया जाएगा किन्तु परिणाम में शामिल करना संभव नहीं होगा !
---- क्रियेटिव मंच
सूचना :
माडरेशन ऑन रखा गया है इसलिए आपकी टिप्पणियों को प्रकाशित होने में समय लग सकता है क्विज का परिणाम कल यानि 8 फरवरी को रात्रि 7 बजे घोषित किया जाएगा !
----- प्रकाश गोविन्द

विशेष सूचना :
क्रियेटिव मंच की तरफ से विजताओं को प्रमाणपत्र तीन श्रेणी में दिए जायेंगे ! कोई प्रतियोगी तीन बार प्रथम विजेता ( हैट्रिक होना जरूरी नहीं है ) बनता है तो उसे "चैम्पियन " का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा

इसी तरह अगर कोई प्रतियोगी छह बार प्रथम विजेता बनता है तो उसे "सुपर चैम्पियन" का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा !

किसी प्रतियोगी के दस बार प्रथम विजेता बनने पर क्रियेटिव मंच की तरफ से 'जीनियस' का प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा !

C.M.Quiz के अंतर्गत अलग-अलग तीन राउंड (चक्र) होंगे ! प्रत्येक राउंड में 35 क्विज पूछी जायेंगी ! प्रतियोगियों को अपना लक्ष्य इसी नियत चक्र में ही पूरा करना होगा !
---- क्रियेटिव मंच

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गुरुवार, 28 जनवरी 2010

'लिखो तो प्यार पर लिखना' -- 'मधु मोहिनी'



madhu mohini ji
परिचय :

नाम : मधु ‘मोहिनी’ उपाध्याय
पति का नाम : श्री बृज मोहन उपाध्याय
शिक्षा : एम. ए. (हिन्दी – संस्कृत), बी. एड.
सम्प्रति : केन्द्रीय विद्यालय, नोएडा में अध्यापिका
विशेष उपलब्धियाँ :
1- 1996 में राष्ट्रपति भवन में काव्यपाठ तथा अभिनंदन
2- 2001 में लाल-किले पर आयोजित राष्ट्रीय कवि-सम्मेलन में काव्य पाठ
3- 2003 में संसद-भवन में आयोजित कवि सम्मेलन में काव्य पाठ व अभिनंदन
4. 2006 में सहारा सिटी में अमिताभ बच्चन जी के सान्निध्य में काव्य पाठ
पुरस्कार : केन्द्रीय विद्यालय संगठन, नई दिल्ली द्वारा वर्ष 1998 का प्रोत्साहन पुरस्कार संस्कार भारती हापुड़ द्वारा 2006 में सम्मान
प्रसारण : सभी विशिष्ट चैनलों पर पिछले पद्रह वर्षों से काव्य – पाठ
प्रकाशन : 1. ‘मधुमास हो तुम’ काव्य–पाठ संग्रह प्रकाशित 2. विभिन्न पत्रिकाओं में कविताओं का प्रकाशन एवं साक्षात्कार
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मधुमोहिनी सहज कवयित्री हैं...वे गुनगुना रही हैं इसका मतलब कि गीत में हैं। कोई-न- कोई रस का झरना अंदर झर रहा है। शब्द बूँद-बूँद बनकर जहाँ थिरकते हैं। स्वर अपनी मिठास बढ़ाते हुए हृदय की ओर महायात्रा करने लगते हैं।
:: डा॰ अशोक चक्रधर ::
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मधु जी के व्यवहार व काव्य में मधुरता है प्रेम उनकी कविता है स्वर में मिठास है ईश्वर में विश्वास है कुल मिलाकर मधु जी मोहिनी हैं.
:: राजेश चेतन ::
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मधुमोहिनी का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। इनकी रचनाएँ एक सिद्धहस्त लेखनी का जादू बिखेरती हैं। मुझे विश्वास है कि इनकी रचनाएँ काव्य के क्षेत्र में बड़े आदर और सम्मान के साथ ग्रहण की जायेंगी।
:: गोपालदास नीरज ::
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- राखियों के तार, तार-तार हो गए -
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युद्ध-भूमि में जो वीर पुत्र सो गए
राष्ट्र-प्रेम के अमूल्य बीज बो गए
प्रेम का है अर्थ क्या हमें पढ़ा गए
ज़िन्दगी को नाम देश के चढ़ा गए
चोटियों पे रक्त की जो धार बही है
आग वही, राग वही, त्याग वही है
उनकी वीरता का गान कौन करेगा
शब्द हैं समर्थ नहीं मौन करेगा
हँसते-हँसते दुश्मनों के वार सह गए
वीर की न होती कभी हार कह गए
ऐसे धीर पुत्रों को नमन सभी करें
उनके पंथ का ही अनुगमन सभी करें

हम भी गाते-गाते जाएँ वंदेमातरम्
दम भी गाते-गाते जाए वंदेमातरम्

कितने ही स्वतन्त्रता की भेंट चढ़ गए
वक़्त के मुकुट में मोतियों से जड़ गए
जाने कितनी मांगों का सिंदूर धुल गया
मर गए तो क्या अमर्त्य मार्ग खुल गया
माँ की गोद हाय ! कितने सूनी कर गए
किन्तु राष्ट्रध्वज की शान दूनी कर गए
राखियों के तार, तार-तार हो गए
किन्तु वीर देश पर निसार हो गए
शोक वेदना की धुन विदाई दे गई
बस शरीर मात्र से जुदाई दे गई
ऐसे धीर पुत्रों को नमन सभी करें
उनके पंथ का ही अनुगमन सभी करें

हम भी गाते-गाते जाएँ वंदेमातरम्
दम भी गाते-गाते जाए वंदेमातरम्


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- लिखो तो प्यार पर लिखना -
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ये कहते हैं सभी मुझसे, लिखो तो प्यार पर लिखना
रँगी है ज़िंदगी जिसने, उसी श्रृंगार पर लिखना

न जब थे तुम, न थी वो धुन, न वो कविता, न वो गुनगुन
सजे जो साज़ पर सुर में, उसी झंकार पर लिखना

मेरा मन बावरा कहता है तुम पर ग्रन्थ रच जाऊँ
कलम कहती है लिक्खो तो दुःखी संसार पर लिखना

जिन्होंने वक़्त के रहते सँवारी ज़िंदगी अपनी
सँवारा वक़्त ने उनको समय की धार पर लिखना

लिखो उस पेड़ पर जो धूप में तपकर भी फल देता
झुकी फूलों से, ख़ुशबू से महकती डार पर लिखना

जो कुर्सी पर सजे हैं आज, कल क्या तों ख़ुदा जाने
तुम्हें उनसे है क्या लेना बस उनकी हार पर लिखना

जो लिखना है तो सूरज, चाँद-तारों पर भी लिख जाना
धरा को धारिणी शक्ति अटल आधार पर
लिखना

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- ये हमें हुआ तो हुआ है क्या? -
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मेरा मन ये चाहे लिखूँ नया, मगर आज कुछ भी नया है क्या?
वही दर्द है, वही आह है, अभी ख़ौफ़ दिल से मिटा है क्या?

न वो प्रीत है, न वो प्यार है, वही नफ़रतों की बयार है
वो जो घूमता था बहेलिया, यहाँ जाल उसका बिछा है क्या?

कहीं रास्ते नहीं सूझते, कहीं ज़िन्दगी से हैं जूझते
मिले जन्म फिर से मनुष्य का, भला हमने ऐसा किया है क्या?

कई रूप हैं, कई रंग़ हैं, यहाँ सबके अपने ही ढंग हैं
सभी गुम हैं अपने आप में, ये हमें हुआ तो हुआ है क्या?

मेरे साथ वे भी हैं चल रहे, जो क़दम-क़दम पे हैं छल रहे
अब उन्हें कहूँ भी तो क्या कहूँ, कभी यूँ किसी ने कहा है क्या?


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- प्यार -
[लम्बे गीत का छोटा सा अंश]

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रूप को सिंगार दे तो जानिए वो प्यार है
रंग को निखार दे तो जानिए वो प्यार है
जीने की जो चाह दे तो जानिए वो प्यार है
ज़िंदगी को राह दे तो जानिए वो प्यार है
मोम-सा पिघल गया तो जानिए वो प्यार है
दर्द को निगल गया तो जानिए वो प्यार है
भावना को ज्वार दे तो जानिए वो प्यार है
रूप को सिंगार दे तो जानिए वो प्यार है
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आँख बोलने लगे तो जानिए वो प्यार है
भेद खोलने लगे तो जानिए वो प्यार है
बिन कहे सुनाई दे तो जानिए वो प्यार है
हो न हो दिखाई दे तो जानिए वो प्यार है
हो के दूर पास हो तो जानिए वो प्यार है
मन युँ ही उदास हो तो जानिए वो प्यार है
दर्द से उबार दे तो जानिए वो प्यार है
रूप को सिंगार दे तो जानिए वो प्यार है
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गीत छन्द बोल द्दे तो जानिए वो प्यार है
माधुरी सी घोल दे तो जानिए वो प्यार है
बोल बिन ही बात हो तो जानिए वो प्यार है
औ जगाती रात हो तो जानिए वो प्यार है
मन में ज्वार सा उठे तो जानिए वो प्यार है
रोम – रोम गा उठे तो जानिए वो प्यार है
मधुर झंकार हो तो जानिए वो प्यार है
रूप को सिंगार दे तो जानिए वो प्यार है
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- क्या बतलायें दिल की बातें -
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ना सोने से दिन लगते अब, ना चाँदी-सी रातें हैं
क्या बतलाएँ, किसे सुनाएँ, दिल में कितनी बातें हैं

तेज़ भागती रेल ज़िंदगी, पीछे सब कुछ छूट गया
ऐसा झटका दिया वक़्त ने, दर्पण-सा दिल टूट गया
आँसू अक्षर-अक्षर बनकर, छन्द-गीत लिखवाते हैं

होठों ने हाथों पर मेरे, जिस दिन अक्षर प्यार लिखा
लाज से फिर रँग गई हथेली, स्वर्ग-सा ये संसार दिखा
भीगी पलकें, सूखी अलकें, मिली चन्द सौग़ातें हैं

जाने कब वे दिन आएँगे, दूर करेंगे तनहाई
बस सपने में ही बज उठती, मेरे मन की शहनाई
जग सूना है, दुःख दूना है, यादों की बारातें हैं

युगों-युगों का साथ हमारा, ये दूरी क्या दूरी है
बरसों पहले भरी थी तुमने, मांग मेरी सिंदूरी है
मौत जुदा ना कर पाएगी, जनम-जनम के नाते हैं