सोमवार, 18 जनवरी 2010

भारत की प्राचीन द्रविडियन युद्ध कला - "कलरिप्पयट्"

क्विज संचालन ---- प्रकाश गोविन्द


नमस्कार !
क्रियेटिव मंच आप सभी लोगों का स्वागत करता है !
आप सभी को बहुत-बहुत बधाई जिन्होने इस पहेली मे हिस्सा लिया !

कल C.M.Quiz -22 के अंतर्गत हमने एक चित्र दिखाया था, जिसमें दो युवक तलवार से युद्ध करते दिखाई दे रहे थे ! हमने सवाल पूछा था -'यह क्या है' ! दरअसल हमारा आशय दक्षिण भारत के गौरवशाली पारंपरिक युद्ध कला से था ! प्रतियोगियों को उस कला का नाम बताना था ! क्विज का सही जवाब था - दक्षिण भारत की प्राचीन द्रविडियन युद्ध कला - "कलरिप्पयट्", जो कि मुख्यत केरल राज्य में आज भी गुरु-शिष्य परम्परा के अंतर्गत सिखाई जाती है।

इस बार की क्विज में सिर्फ पांच लोगों ने सही जवाब दिए ! सबसे पहले सही जवाब प्राप्त हुआ रेखा प्रहलाद जी का और कुछ पलों बाद ही अल्पना वर्मा जी का ! दोनों ने ही इस युद्ध कला का नाम बताने के साथ ही इसके बारे जानकारी भी प्रदान की ! सुलभ सतरंगी जी ने भी सही जवाब दिया था किन्तु समय सीमा समाप्त हो जाने के काफी देर पश्चात आने के कारण उसे परिणाम में शामिल नहीं किया जा रहा है !

सभी विजेताओं को हमारी तरफ से बहुत-बहुत बधाई और शुभ कामनाएं

अब आईये जानते हैं भारत की इस प्राचीन युद्ध कला के बारे में :
-कलरिप्पयट्-
[दक्षिण भारत की प्राचीन द्रविडियन युद्ध कला]

भारतीय युद्ध कला कलरिप्पयट् (Kalarippayattu), जो अपनी तरह की विश्व की सबसे पुरानी विद्या है। इस विद्या का अभ्यास केरल तथा उससे लगे तमिलनाडु और कर्नाटक में प्रचलित है. इसके अंतर्गत पटकना, पद-प्रहार, कुश्ती तथा हथियार बनाने के प्रशिक्षण के matial_art_kerala_kalarippayattuसाथ उपचार की विधियाँ भी सिखाई जाती हैं। कलरिप्पयट् शब्द कलरि अर्थात विद्यालय तथा पयट्ट (जो पयट्टुका से बना है) अर्थात ‘युद्ध करना’ से मिल कर बना है. तमिल में इन दोनों शब्दों से जो अर्थ निकलता है वह है-’सामरिक कलाओं का अभ्यास’।

कलरिप्पयट् का उद्भव 12वीं शताब्दी ई.पू. का माना जाता है। इसका जन्म केरल या आसपास के क्षेत्रों में हुआ था। इस कला का विकास 11वीं शताब्दी में चेर और चोल राजाओं के शासन काल में युद्ध के अधिक महत्व के कारण हुआ होगा। कुछ शताब्दियों से इसके दक्षिण भारतीय स्वरूप (जो खुले हाथों से युद्ध पर अधिक बल देता है) का अभ्यास मुख्यतः तमिल भाषी क्षेत्रों में होता है।

कहते हैं कि चीनी और जापानी सामरिक कलाओं का जन्म भारतीय सामरिक कलाओं से ही हुआ जो बोधिसत्वों के द्वारा प्रचलित की गयीं। यह भी माना जाता है
111.psd
कि ये भारतीय कलायें कलरिप्पयट् ही थीं, 19वीं सदी में ब्रितानी साम्राज्य की स्थापना के बाद यह कला धीरे धीरे गुम होने लगी। किंतु सन 1920 में पूरे दक्षिण भारत में पारंपरिक कलाओं को जीवंत करने की एक लहर उठी जिसके चलते तेल्लीचेरी में कलरिप्पयट् को पुनर्जीवन मिला। उसके बाद सन् 1970 तक विश्व स्तर पर सामरिक कलाओं के प्रति रुझान देखा गया और यही रुझान इस कला के विकास का कारण रहा। आधुनिक समय में कुछ अन्तर्राष्ट्रीय फ़िल्मों के ज़रिये इसका प्रसार करने का प्रयास किया जाता रहा है। साथ ही कुछ नृत्य प्रशिक्षण केन्द्र व्यायाम के तौर पर इसका अभ्यास करते हैं।

कलरिप्पयट् के तीन स्वरूप हैं- दक्षिण भारतीय, उत्तर भारतीय और मध्य भारतीय. लगभग सात वर्ष की छोटी उम्र से ही इच्छुक विद्यार्थी को गुरुकुल में प्रशिक्षित करना शुरू कर देते हैं। यथावत विधि-विधान के साथ शिष्य गुरु से दीक्षा लेता है. इस प्रशिक्षण के चार मुख्य अंग हैं- मीतरी, कोलतरी, अनकतरी, और वेरमकई। इनके साथ मर्म तथा मालिश का ज्ञान भी दिया जाता है। मर्म के ज्ञाता अपने शत्रुओं के मर्म के स्पर्श मात्र से उनके प्राण ले सकते हैं अत: यह कला धैर्यवान तथा समझदार लोगों को ही सिखाई जाती है।

कलरिप्पयट् का प्रभाव केरल की सांस्कृतिक कलाओं पर भी साफ़ दिखता है जिनमें कथकली मुख्य है। कई कलाओं तथा नृत्यों जैसे कथकली, कोलकली एवं वेलकली आदि ने अपने विकास के दौरान कलरिप्पयट्ट से ही प्रेरणा ली है। कितना अद्भुत है ना… कहाँ युद्ध विद्या और कहाँ नृत्य कला. किंतु ऐसी विविधता में एकता ही तो है हमारे भारत की पहचान !
kala1

प्राचीन भारतीय युद्ध कलाओं को ही जापानी और चाइना की
मार्शल कलाओंका जन्मदाता बहुत से लोग मानते हैं. भारत देश में प्राचीन काल से चली आ रही इन कलाओं का नृत्य के रूप में प्रस्तुत किया जाता है और सिखाया जाता है ताकि ये कलाएं संरक्षित रह सकें. दक्षिण के केरल, तमिलनाडू और कर्नाटका में कलरिप्पयट् नाम से तथा मणिपुर में ' थांग -ता' के नाम से जानी जाती है.

कलरिप्पयट् को मुख्यत चार सोपानों में सिखाया जाता है.धातु के हथियारों से लड़ने के स्टेप को अन्थाकारी कहते हैं.जो कि पहेली के चित्र में दिखाया गया था. इसमें छात्र को उसकी पसंद के हथियार से लड़ने में पारंगत किया जाता है। मणिपुर की युद्ध कला - 'थांग-टा, यह कला मणिपुर की अति प्राचीन मार्शिअल कला' हुएन लाल्लोंग 'का ही परिष्कृत रूप है।

Famous Institutions :
Indian School of Martial Arts, Kalmandalam
Places of Origin of this art :
Kondotty – 26 km from Malappurram [Kerala] is the

C.M. Quiz - 22
प्रतियोगिता का पूरा परिणाम :
प्रथम स्थान : सुश्री रेखा प्रह्लाद जी
rekha prahlaad ji
************************************************************
द्वितीय स्थान : सुश्री अल्पना वर्मा जी
alpana ji quiz -19
************************************************************
तृतीय स्थान : सुश्री शुभम जैन जी
shubham jain
************************************************************
sangeeta ji
************************************************************
पांचवां स्थान : श्री रामकृष्ण गौतम जी
ram krishn gautam ji
************************************************************
applauseapplauseapplauseविजताओं को बधाईयाँapplause applause applause applause applause applause applause applause applause
***********************************************************
आशा है जो इस बार सफल नहीं हुए अगली बार अवश्य सफल होंगे

सभी प्रतियोगियों और पाठकों को शुभकामनाएं !

आप लोगों ने उम्मीद से बढ़कर प्रतियोगिता में शामिल होकर
अगले रविवार (Sunday) को हम ' प्रातः दस बजे' एक नयी क्विज़ के साथ यहीं मिलेंगे !
इस आयोजन को सफल बनाया, जिसकी हमें बेहद ख़ुशी है !
सुश्री रेखा प्रहलाद जी
सुश्री अल्पना वर्मा जी
श्री मनोज कुमार जी
सुश्री पूर्णिमा जी
श्री शिवेंद्र सिन्हा जी
श्री जमीर जी
श्री राज रंजन जी
सुश्री संगीता पुरी जी
श्री राज भाटिय़ा जी
सुश्री शुभम जैन जी
श्री आनंद सागर जी
सुश्री इशिता जी
श्री रजनीश परिहार जी
श्री रामकृष्ण गौतम जी
श्री सुलभ 'सतरंगी' जी
सुश्री अलका सारवत जी

आप सभी लोगों का हार्दिक धन्यवाद,

यह आयोजन हम सब के लिये मनोरंजन ओर ज्ञानवर्धन का माध्यम है !
आपके पास कोई सुझाव हो तो हमें जरूर ई-मेल करें !
अंत में हम सभी प्रतियोगियों और पाठकों का आभार व्यक्त करते हैं,
जिन्होंने क्रियेटिव मंच की क्विज़ में शामिल होकर हमारा उत्साह बढायाth_CartoonJustify Full

सधन्यवाद
क्रियेटिवमंच
creativemanch@gmail.com
================
The End
===============

17 टिप्‍पणियां:

  1. rekha ji aur sabhi winners ko bahut badhayi.
    jaisaki maine pahle hi kaha tha ki iske baare men padha to hai lekin naam yaad nahi aa raha. ab answer dekhkar sab yaad aagaya.
    aapko dhanyvaad

    जवाब देंहटाएं
  2. sabhi vijetao ko badhai...pratiyogiyo ko shubhkamnaye..

    जवाब देंहटाएं
  3. ांरे मैं भी कितनी लापरवाह हूँ मै तो समझी थी कि बुधवार को ही कविज होती है और हफते मे एक पोस्ट आती है। इस पहेली का पता नहीं चला सभी विजेताओं को बहुत बहुत बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  4. sabhi vijetaon ko badhayi

    ye kaisi quiz poochhte hain aap log ? kuch samajh nahi aata kaise search karen. hamne to first time naam suna is yudh kala ka.
    ab aap film ki quiz karen.

    जवाब देंहटाएं
  5. sabhi ko mubarakbad
    is dilchasp jaankari ka bahut shukriya. padhkar achha laga.

    जवाब देंहटाएं
  6. रेखा जी, अल्पना जी, शुभम जी, संगीता जी और राम कृष्ण जी को विजयी होने हार्दिक बधाई

    बेहद रोचक और गौरवपूर्ण जानकारी दी आपने. आपका यह प्रयास अत्यंत सराहनीय है.
    यादगार क्विज

    जवाब देंहटाएं
  7. रेखा जी को बहुत बहुत बधाई .. अन्‍य सारे विजेताओं को भी बधाई .. आपके द्वारा दी जानेवाली जानकारी अति उत्‍तम रही !!

    जवाब देंहटाएं
  8. Congrates to all winners...


    Warm Wishes to organizers...




    Regards


    Ram K Gautam

    जवाब देंहटाएं
  9. रेखा जी को बहुत बहुत बधाई .. अन्‍य सारे विजेताओं को भी बधाई .

    जवाब देंहटाएं
  10. रेखा जी को बहुत बहुत बधाई .. अन्‍य विजेताओं को भी बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  11. Sabhi vijetao aur saath me Creative Manch ki Team ko Badhai.

    जवाब देंहटाएं
  12. बधाई के लिए धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  13. सभी विजेताओं को बहुत-बहुत बधाई और शुभ कामनाएं.
    रोचक जानकारी .

    जवाब देंहटाएं
  14. congratulation to all winners
    very nice information about Kalarippayattu.
    thanks

    जवाब देंहटाएं
  15. विजेताओं को बहुत बहुत बधाई !

    जवाब देंहटाएं

'आप की आमद हमारी खुशनसीबी
आप की टिप्पणी हमारा हौसला'

संवाद से दीवारें हटती हैं, ये ख़ामोशी तोडिये !

CTRL+g दबाकर अंग्रेजी या हिंदी के मध्य चुनाव किया जा सकता है
+Get This Tool