मकर संक्रांति कि शुभकामनाएं पहले जब मैं पत्रिकाएं पढता था तो उनमें एक परिशिष्ट ऐसा ही होता था ! चित्र दिया होता था और पाठक लोग सुन्दर-सारगर्भित पंक्तियों का सृजन करते थे ! मुझे वो प्रष्ट बहुत भाता था ...... सबसे पहले मैं उसी प्रष्ट को देखता था ! समय बदल गया .... लोगों के सोचने का द्रष्टिकोण बदल गया ! आज पत्रिकाओं में ऐसा कुछ देखने को नहीं मिलता ! पहले हम लोग पत्र लिखते थे ... अक्षर-अक्षर महकते थे ! अपनी सारी भावनाएं शब्दों में पिरो देते देते थे ! अब फोन, एस.एम.एस. और ई-मेल का ज़माना है ! आज हम दूसरों के दिमाग तक पहुंचना चाहते हैं भले ही दिल तक न पहुंचे ! खैर ..... इस आयोजन की भूमिका बहुत पहले से मन में थी ! बस हिम्मत नहीं पड़ रही थी .. सोच रहा था कि भला कौन पड़ेगा इस झमेले में ? इतना समय किसके पास है ? फिर भी सोचा कि चलो एक भी प्रतियोगी ने अगर सार्थक पंक्तियाँ लिख दीं तो आयोजन सफल मान लूँगा ! लेकिन जिस तरह से सजग व रचनाशील पाठकों ने इसमें हिस्सा लिया वह मेरे लिए अत्यंत आश्चर्य-मिश्रित प्रसन्नता की बात है ! जानता हूँ कि इस तरह किसी चित्र को देखकर यकायक कुछ रचनात्मक लिखना आसान नहीं होता ! इसीलिए पाठकों ने आयोजन में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी, यही हमारे लिए बहुत ख़ुशी की बात है ! कुछ प्रतियोगियों ने 'माडरेशन ऑन' रखने का सुझाव दिया था ! उनके सुझाव को मानते हुए अब "श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता" में 'माडरेशन ऑन' रखा जाएगा ! आप सभी का बहुत-बहुत आभार/बधाई। श्रेष्ठ सृजन के चयन का निर्णय पूरी तरह हमने आदरणीय शिखा वार्ष्णेय जी पर छोड़ दिया था ! आईये देखते हैं उन्होंने किन तीन प्रतियोगियों द्वारा सृजित पंक्तियों का चुनाव किया है ! |
श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता-1 में 'श्रेष्ठ सृजन' का चयन शिखा वार्ष्णेय जी द्वारा |
आप सभी को नमस्कार ! सबसे पहले मैं क्रिएटिव मंच का शुक्रिया अदा करती हूँ कि उन्होंने मुझे इस प्रतियोगिता के निर्णायक बनने के लायक समझा . श्रेष्ठ सृजन जैसी सार्थक प्रतियोगिता के माध्यम से बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ पढने को मिलीं. आप सबकी रचनात्मकता उत्कृष्ट है ,सबने बहुत ही अच्छा लिखा है ,और मेरे लिए बहुत ही कठिन था - इनमे से श्रेष्ठता के पैमाने पर चयन करना, पर चूँकि मुझे ये जिमेदारी दी गई है, आशा है आप सभी लोग खुले दिल से मेरे निर्णय को स्वीकार करेंगे ! अत मैं निम्नलिखित प्रतिभागियों का चुनाव करती हूँ 'श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता' में दिए गए चित्र और सर्वश्रेष्ठ चयनित पंक्तियों पर एक नजर : |
श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता के विजेताओं के नाम |
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जिन अन्य प्रतियोगियों के सृजन ने विशेष रूप से प्रभावित किया : |
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ध्यान से देखा आपने ये चित्र ? क्या इसको देखकर आपके दिल में कोई भाव ...कोई विचार ... कोई सन्देश उमड़ रहा है ? तो बस चित्र से सम्बंधित भावों को शब्दों में व्यक्त कर दीजिये ... आप कोई सुन्दर सी तुकबंदी ... कोई कविता - अकविता... कोई शेर...कोई नज्म..कोई दिल को छूती हुयी बात कह डालिए ! क्या कहा आपने ? कविता वगैरह में हाथ तंग है ? .... अरे तो फिर गद्य में दो-चार अच्छी सी पंक्तियाँ लिख डालिए ! बात तो दिल तक पहुँचने की है न ? इतना अवश्य ध्यान रहे लेखन में मौलिकता होनी चाहिए ! पंक्तियाँ स्वयं आपके द्वारा रचित होनी चाहिए ! परिणाम के बाद भी यह पता चलने पर कि पंक्तियाँ किसी और की हैं, विजेता का नाम निरस्त कर दिया जाएगा ! प्रतियोगिता में शामिल होने की समय सीमा रविवार 18 जनवरी शाम 5 बजे तक है ! "श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता- 2" का परिणाम अगले बुधवार 20 जनवरी 2010 रात्रि सात बजे प्रकाशित किया जाएगा ! ----- क्रिएटिव मंच |
The End |
न इसकी बात न उसकी बात,
जवाब देंहटाएंआ करें हम बचपन की बात !
जिन्हें सुनकर तुम मुस्कराओगी,
और मैं भी खुलकर हंस पाऊंगी ।
पहले तो विजेताओं को बधाई
जवाब देंहटाएंउसके बाद आयोजकों को
और निर्णायक को एक जोरदार मुबारकबाद
उनको जोरदार इसलिए कि
वे नहीं ले सकती भाग
सिर्फ विजेता का भाग्य बतला सकती हैं।
हंसी की कोई उम्र नहीं होती
जवाब देंहटाएंहंसी जीवंत जिंदगी होती है
हंसी मन में बसी होती है
हंसी तन में रची होती है।
हंस कर खिलखिलाने से
मौसम खिल जाता है
हंसी से हर चेहरा मन
तक पावन हो जाता है।।
हंसी जब आती है मान लो
पतझड़ में भी सावन आता है।।।
सब से पहले तो इस प्रतियोगिता के सभी आयोजकों और प्रतिभागिओं के लोहडी की शुभकामनायें। ये प्रतियोगिता सही मे क्रियेटिवे मँच के क्रियेटिवे शब्द को सच करती है। पहली प्रतियोगिताओं मे वही लोग हिस्सा ले सकते थे जिन्हों ने दुनिया के बारे मी पूरी जानकारी रखी हो या जो नेट की खोज मे पारंगत हों ,समय भी जिन के पास हो। मगर इस सृजनात्मक पहेली मे अगर समय भी लगे तो वो कुछ सीखता है समय को सार्थक करने वाले इस आयोजन के लिये बहुत बहुत बधाई। पहेली के लिये फिर आती हूँ ।
जवाब देंहटाएंइस सृजनात्मक प्रतियोगिता में शामिल होने वाले सभी प्रतियोगियों को बधाई.
जवाब देंहटाएंसफल संचालन के लिए क्रिएटिव सदस्यों को बधाई.
- सुलभ
जीवन की जिम्मेदारी पूरी कर ली सारी
जवाब देंहटाएंअब दो पल अपने लिए बिताये
बैठ अपनी सहेली के संग
थोडा हँसे थोडा मुस्काए
सभी विजयी रचनाकारों को बहुत शुभ कामनाएं
जवाब देंहटाएंआपका यह प्रयास अत्यधिक सराहनीय है
लाजवाब
sameer ji, nirmala ji aur sulabh ji ko badhayi.
जवाब देंहटाएंbahut sundar post
winners ka selection bilkul uchit kiya shikha ji ne
श्रेष्ठ सृजन के विजेताओं को हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर आयोजन
ब्लॉगर संगीता पुरी ने कहा…
जवाब देंहटाएंविजेताओं को बधाई .. इन साहित्यकारों के सामने भला हमारी क्या चलने वाली ??
१३ जनवरी २०१० १२:५२ PM
विजेताओं को बधाई।
जवाब देंहटाएंआयोजक को आभार।
एक बहुत ही अच्छी प्रतियोगिता में भाग लेकर काफी अच्छा लग रहा है।
लोहड़ी पर्व की बधाई।
फूलों संग बैठी दो बहने
जवाब देंहटाएंहंसी ख़ुशी आराम है
जिंदगी जी भर कर जियो
क्या सुबह क्या शाम है
- सुलभ जायसवाल 'सतरंगी'
सृजन प्रतियोगिता दो के लिये मेरी पंम्क्तियां ये हैं
जवाब देंहटाएंबचपने की कुछ यादें आज होठों पर आयी हैं
करके याद उन्हें फिर दोनो सखियाँ मुस्काइ हैं।
शुभकामनायें और विजेताओं को बधाई आयोजकों को भी बधाई और शुभकामनायें
आवश्यक सूचना :
जवाब देंहटाएंस्पष्ट निर्देश न होने की स्थिति में प्रतियोगियों द्वारा एक से अधिक प्रविष्टि भेजने पर उनकी अंतिम प्रविष्टि पर ही विचार किया जाएगा !
---- क्रिएटिव मंच
समीर जी को ढेरों बधाई उनकी काव्य क्षमता अद्भुत है.यह कविता बहुत अच्छी थी.
जवाब देंहटाएंनिर्मला जी और सुलभ जी सभी को बहुत बहुत बधाई.
शिखा जी आगे aage यह प्रतियोगिता टक्कर की यानी कठिन होने वाली है....:) अविनाश जी भी आ गये हैं ....
सभी साथी प्रतिभागियों को शुभकामनाएँ अगले अंक के liye..
सभी विजेतओ को बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंवाह....बहुत बढ़िया प्रतियोगिता,
जवाब देंहटाएंसभी विजेताओं को बधाई....और नयी प्रतियोगिता के लिए शुभकामनायें
sabhi vijetao ko bahut bahut badhai...bahut sundar pratiyogita aur ek sarthak nirnay...sabhi ko shubhkamnaye...
जवाब देंहटाएंसमीर जी, निर्मला जी और सुलभ जी को बहुत बहुत बधाई...शिखा जी का काम कठिन था,पर उन्होंने बहुत ही सुगमता से इसे अंजाम दिया वे भी बधाई की पात्र हैं........ ..और आयोजकों को शुक्रिया इस आयोजन के लिए
जवाब देंहटाएंप्राचीन प्रस्तुति का एक नया रूप देख कर ख़ुशी हुई. इस नए सृजनात्मक स्वरूप को रूप देने के लिए बहुत बहुत बधाई और उनको भी जिन्होंने चित्र को शब्दों में ढाला है.
जवाब देंहटाएंसमीर जी, निर्मला जी और सुलभ जी को बहुत बहुत बधाई.
शिखाजी आप के निर्णय भी काबिले तारीफ हैं.
शिखा जी आप कि निर्णय क्षमता पर विश्वास है परन्तु [कृपया ]इस सुझाव को अन्यथा ना लें,
जवाब देंहटाएंचूँकि यह प्रतियोगिता है और सार्वजनिक मंच पर है..
इसीलिए बेहतर है कि निर्णायक टीम में कम से कम तीन सदस्य हों.यह महज एक सुझाव है.
अमल में लाना ना लाना, क्रियेटिव टीम पर निर्भर करता है.
सब से पहले तो इस प्रतियोगिता के सभी आयोजकों और प्रतिभागिओं मकर संक्रांति कि शुभकामनाएं.समीर जी, निर्मला जी और सुलभ जी को बहुत बहुत बधाई.
जवाब देंहटाएंआवश्यक सूचना :
जवाब देंहटाएंप्रतियोगियों से आग्रह है कि कृपया प्रतियोगिता सम्बन्धी अपनी प्रविष्टियाँ (सृजित पंक्तियाँ) ई-मेल के द्वारा न भेजकर यहीं कमेन्ट बॉक्स के जरिये दें !
------ क्रिएटिव मंच
सभी विजेताओं को बधाई ,शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंसभी को बहुत-बहुत बधाई ।
जवाब देंहटाएंसबसे पहले तमाम विजेताओं
जवाब देंहटाएंको मेरी ह्रदयिक शुभकामनाएं|
इस तस्वीर के लिए शीर्षक होना चाहिए-
"आओ! बीती यादें ताज़ा करें..."
"आओ! बीती यादें ताज़ा करें
थोडा हंसें थोडा रो लें
चलो चलें उस दुनिया में
जब हम तुम दोनों बच्चे थे
सोचो कल के वो पल
इस पल से कितने अच्छे थे!..."
शुभ भाव
राम कृष्ण गौतम
ब्लॉगर रामकृष्ण गौतम ने कहा…
जवाब देंहटाएंसबसे पहले तमाम विजेताओं को मेरी ह्रदयिक शुभकामनाए... सबसे पहले तमाम विजेताओं
को मेरी ह्रदयिक शुभकामनाएं|
इस तस्वीर के लिए शीर्षक होना चाहिए-
"आओ! बीती यादें ताज़ा करें..."
शुभ भाव
sameer ji, nirmala ji aur sulabh ji ko bahut bahut mubarakbaad
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar aayojan
aapko bhi badhayi
सभी विजेताओं को बधाई ,शुभकामनाएं .
जवाब देंहटाएंसताए जब कोई ग़म पास आके
जवाब देंहटाएंतो ज़ोर-ज़ोर से लगाओ ठहाके
ये क्या तू-तू, मैं-मैं लगा रखी है
ज़िन्दगा कैसे जीते हैं देखो यहां आ के।
वक़्त हमारे लिए
जवाब देंहटाएंअब किसी के पास नहीं,
चलो बाँटें
पलों को हास से.
कट जायेगी
यूँ ही जिन्दगी.
क्यों सोचें?
कि
कोई हमारे पास नहीं.
--रेखा श्रीवास्तव
सभी विजेताओ को बधाई
जवाब देंहटाएंमकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाओ सहित !!!!!
अल्पना जी! ये प्रतियोगिता मैने नहीं आयोजित की.. मुझे यहाँ बुलाया गया था इस काम के लिए ...सो ये निर्णय creative manch कि टीम का ही रहा होगा ...वैसे आपने बिलकुल ठीक कहा ...३ नहीं ५ लोग होने चाहिए बल्कि मेरे ख्याल से तो हर प्रतियोगिता के लिए नए judge होने चाहिए .,ताकि विविधता भी बनी रहे
जवाब देंहटाएंTitle-ढलती छाँव तले
जवाब देंहटाएं------------------
ना व्यथित हों हम ,
पुरानी किसी भी बात पर,
अब हो हर पल मुस्कराता,
हंसता और गाता,
कुछ कहो तुम और मैं भी कुछ सुनाती चलूं,
वक़्त है बस कुछ ही शेष ,
सांझ भी ढलने लगी!
आ सखी ,गुज़ार लें
कुछ मधुर पल और
उम्र के इस पड़ाव पर!
--
आदरणीय क्रियेटिव मंच टीम, टिप्पणियाँ प्रकाशन में कोई समस्या आ रही है शायद! मेरी टिप्पणी पूरी प्रकाशित नही हुई है! कृपया ध्यान दीजिए....
जवाब देंहटाएंRegards
Ram K Gautam
@ प्रिय रामकृष्ण जी आप चिंतित न हों ! आपकी प्रविष्टि हमारे पास पूर्णतयः सुरक्षित है !
जवाब देंहटाएं"माडरेशन ऑन" होने की वजह से आपके द्वारा प्रतियोगियों को दी हुयी शुभकामनाओं को अलग प्रकाशित करना पड़ा था !
स्नेह सहित
---------- क्रिएटिव मंच
मानवी जी यह बहुत ही अच्छा आयोजन था वक्त की कमी होने के बावजूद भी इस प्रतियोगिता ने भाग लेने के लिए प्रेरित किया. इसमें सृजनता के साथ मनोरंजन भी है. प्रतियोगिता में एक नया प्रयोग आपका सफल रहा. यह आपका सराहनीय प्रयास है इसके लिए आप और आपका मंच बधाई के पात्र हैं. बहुत बहुत बधाई... शिखा वार्ष्णेय जी आपने बेहद सही निर्णय लिया....इसके लिए आप भी बधाई की पात्र हैं...
जवाब देंहटाएंसभी विजेताओं को बधाई.....
श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता --- २ के लिए
जवाब देंहटाएंअरसे बाद मिला है नसीब को इतना खिलखिलाना
वर्ना तो भूल चुके थे हम कभी का मुस्कुराना
वो बातों की लज्ज़त और बीते हुए लम्हे
आ गया याद मिल कर , वो गुज़ारा ज़माना
"गुजरा जमाना"
जवाब देंहटाएंप्यारी सखी याद आ गए वो गुजरे ज़माने
वो प्यारे लम्हें जो बचपन में बिताये हमने
आओ मिलकर कुछ मंजर बनाये
गुजर जाने से पहले जीवन खुशहाल बनाये......
"श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता - 2"
जवाब देंहटाएं"जीवन संध्या"
सखी इस संध्या वेला मे याद दिला दी तुमने
बचपन कि ; आओ बैठो जी ले फिर उन दिनों को, ना जाने फिर कब मिलना हों!
फिर मिलेंगे..
जवाब देंहटाएंहम भी कभी जवां थे,
दिनभर शरारत किया करते थे ।
हमारी मासूम अदाओं पर,
तब, लड़के हजारों मरते थे ।
वर्षों बाद मिलें हैं हम आज ,
पुरानी यादें ताजा हो आई हैं ।
हर साल यहीं मिलेंगे हम,
अब,कसम दोस्ती की खाई है।
"मैंने गोद ले लिया आपको"
जवाब देंहटाएंआज बहुत दिनों बाद बुआ को हँसते देखा है अपनी बड़ी बहन से मिलकर बेहद खुश है और अपने कुछ पुराने आनंददायक क्षणों को याद कर रही है.....
बुआ जो अब वृद्धावस्था में पहुँच चुकी है...
उनका सब कुछ खो गया ...
नियति ने उनके साथ बहुत क्रूर मजाक किया है....
माँ और एकलौता भाई बचपन में खो दिया....शादी हुई तो ३ साल बाद पति और दो साल बाद ही, एक बेटी थी दोनों चल बसे.....
इन हादसों से उबरते हुए बुआ ने अपने गाँव में पाठशाला, अस्पताल बनवाए.
कई सामाजिक कार्य किये....
यह उनके ससुराल वालों को सहन नहीं हुआ उन्हें चालाकी से उनके जायदाद से बेदखल कर दिया.
सौतेले भाई ने बहन को अपने पास रखा लेकिन सौतेली माँ को यह कभी भी रास ना आया.
अब परिवार में एक भी ऐसा घर नहीं जो पहली दादी की इस बेटी को अपने घर रखे.
इन्हें ठीक से दिखाई नहीं देता कला मोतियाबिंद के कारण.
परिस्थितियाँ और अधिक ख़राब होती उसके पहले ही हमने बुआ को गोद ले लिया.
वैसे भी हमारे कोई संतान नहीं है एक बेटी गोद लेने की इच्छा थी तो हमने बुआ को ही गोद ले लिया तो अब बुआ ही हमारी बेटी हुई ना!....
और हम अपनी इस बेटी को बेहद प्यार करते हैं.
हर माँ- बाप को अपनी बेटी को विदा करना होता है.
जब बुआ इस संसार को अलविदा कह जाएँगी तो हम उनकी वैसे ही विदाई करेंगे जैसे एक लड़की के माँ- बाप करते हैं......
आह! दोनों बहनों को हँसते- खिलखिलाते देख बहुत अच्छा लग रहा है.............
एक मुलाकात-बहुत दिनों के बाद
जवाब देंहटाएंस्टेफी, तुम कैसी हो ।
अरी मार्टिना, तू बता तू कैसी है, बहुत दिनों के बाद दर्शन हुए तेरे ।
बस मर्निंग वाक पर निकली थी ………मैं अच्छी हूं । डायबिटिज ने परेशान कर रखा है ।
तू क्या अभी भी शक्कर वाली चाय पिती है ।
हां यार , आदत छोडे नहीं छूटती । और बच्चें कैसे हैं ।
बिलकुल बाप पर गए हैं । और तू बता तेरे मियां आजकल क्या कर रहे हैं ।
बस वही पुरानी आदत , दिनभर फिशिंग ।
हा हा हा बडी मछली तो उन्होंने पहले ही फंसा लिया था ।
तू भी न बस
आजकल फैंस के पत्र आते हैं क्या ?
हां, आज भी मेरे उतने ही प्रशंसक हैं जितना पहले हुआ करते थे । तेरा टाइम पास कैसे होता है ।
मैंने तो हिंदी सीख ली है और दिनभर ब्लागिंग करती रहती हूं ।अपने प्रशंसकों के लिए लिखती हूं , उन्हें भी प्रोत्साहित करती रहती हूं।
अच्छा अगले हफ्ते डिनर पर आना ।
जरुर आऊंगी । अब धूप निकलने वाली है । मैं चलूंगी ।
हंसना ही जिंदगी है
जवाब देंहटाएंहंसने से रहती हैं , हमेशा सौ बिमारियां दूर ।
जरा हमें भी देखो ,है अभी भी चेहरे पर नूर ।।
विजेताओं को हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंऔर मेरी रचना आने में देर हो गई है लेकिन बस मन हुआ लिख दूं तो लिख रही हूँ
तू है तो ज़िन्दगी है मेरी
तू ही तो ख़ुशी है
तेरी हंसी में है छुपी मेरी हंसी है
ता उम्र साथ तू रही है बन के आईना
तेरे बिना हस्ती मेरी कुछ भी तो नहीं है