बुधवार, 21 अप्रैल 2010

श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता - 8 का परिणाम

प्रतियोगिता संचालन :- - प्रकाश गोविन्द


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प्रिय मित्रों/पाठकों/प्रतियोगियों नमस्कार !!
आप सभी लोगों का हार्दिक स्वागत है

हम 'श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक- 8' का परिणाम लेकर हाजिर हैं! हमेशा की तरह इस बार भी सभी प्रतिभागियों ने सुन्दर सृजन किया ! इस बार श्रेष्ठ सृजन का चयन आदरणीय सुशीला पुरी जी ने किया है! जब हमने परिणाम को देखा तो स्वतः मुस्कराहट आ गयी! श्रेष्ठ सृजन के प्रथम क्रम पर जो रचना चुनी गयी वो थी अदिति चौहान जी की, जिन्होंने पिछले सृजन परिणाम पोस्ट पर प्रतिक्तिया देते हुए लिखा था - "मेरी सात पीढ़ियों में किसी ने कविता नहीं लिखी. मैंने कम से कम लिखी तो सही"!

प्रिय अदिति जी, अब तो आप शान से कह सकती हैं कि न सिर्फ कविता लिखी बल्कि प्रथम स्थान भी हासिल किया! द्वितीय और तृतीय क्रम पर क्रमशः शिवेंद्र सिन्हा जी और सुलभ 'सतरंगी' जी की रचनाओं को चुना गया!

जैसा कि हमने पहले भी कहा है -हमारे लिए हर वो प्रतिभागी रचनाकार श्रेष्ठ है जिसने कुछ सृजन का प्रयास किया ! सृजन की यात्रा की निरन्तरता में यह क्षणिक पड़ाव मात्र है, जहाँ रचनाकार आत्म-मंथन कर सृजन धर्म का निर्वहन करते हुए आगे की यात्रा पर निकल पडते हैं...।

परिणाम के अंत में आज की श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक- 9 का चित्र दिया गया है ! सर्वश्रेष्ट प्रविष्टि को प्रमाण पत्र दिया जाएगा. पहले की भांति ही 'माडरेशन ऑन' रहेगा. प्रतियोगिता में शामिल होने की समय सीमा है-

ब्रहस्पतिवार 29 अप्रैल-शाम 5 बजे तक

सभी सृजनकारों एवं समस्त पाठकों को बहुत-बहुत बधाई/शुभकामनाएं.
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श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता- 8 में 'श्रेष्ठ सृजन' का चयन
आदरणीय सुशीला पुरी जी द्वारा
sushila puri .

रचनाकार मित्रों

नमस्कार !

आप सभी को शुभ कामनाएं एवं हार्दिक आभार


सादर -- सुशीला
श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक- 8 का परिणाम
पिछले अंक का चित्रCalcutta_rickshaw
aditi chauhan ji
खच्चर सा जीवन है मेरा
बेबस हूँ लाचार हूँ
मानो या मानो लेकिन
मै भी एक इंसान हूँ
पेट की खातिर क्या करता
क्या घर भर को भूखा रखता
महानगर पी गया जवानी
मुझ बूढ़े की यही कहानी
थकी नहीं है हिम्मत मेरी
जिस्म से बस लाचार हूँ
मानो या मानो
लेकिन मै भी एक इंसान हूँ
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दूर है अब आदमी से आदमी
ढ़ो रहा है आदमी को आदमी
पत्थरों को पूजता है ये जहाँ
हर तरफ दरबदर है आदमी

shivendra ji
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sulabh satrangi ji

पेट की आग है, रोटी का वास्ता है.
श्रम की मांग है, हाथ में रिक्शा है.
अर्थ का उत्पादन, समीकरण देखो.
समाज का वर्गीकरण, संतुलन देखो.

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शीर्षक - किस सदी में हम हैं ?

इक्कीसवीं सदी में भी

मानव मानव को खींच रहा ,
किस्मत को मुट्ठी में बाँधे

अपने हाथों से भींच रहा .
जानता है भूख, ग़रीबी नहीं देखती

उम्र का क्या दौर है,
दो जून रोटी के लिए करता है

प्रतिदिन कठिन श्रम,
मानव अधिकारों की बात करें,

वो लोग बहुत से हैं यहाँ ,
एक दिन बदलेंगे तक़दीर वो ही,

जीता है रख कर यही भ्रम .

alpana ji
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deen dayal sharma ji

आदमी को देखो , कैसे
खींच रहा आदमी.
मजबूरी का मारा है ,
बेबस बेचारा है /
ज़िन्दगी को खून से,
सींच रहा आदमी...

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पहुंचाऊं साहिब कहो जहाँ तुम,
बस रहो बैठे सीना तान,
सवारी रहेगी ये बड़ी सुहानी,
जब तक है मुझमें प्राण,
धुप चिलमिलाये, धुल उड़े,
छलकती रहे फिर चाहे स्वेद-कण,
नहीं थकेंगे, हम खींचते रहेंगे,
आये ना जब तक मक़ाम,
चक्कर है जग का देखो अनोखा,
खींचे इक को दूजा कोई इंसान!

Dinesh Saroj  ji
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manoj ji
हमारे कालू रिक्शावाले की
तो बात ही निराली है,
वैसे तो अब शहरों से
रिक्शे की प्रजाति लुप्त होने लगी है
लेकिन जो थोड़े-मोड़े बचे हैं,
उन्हीं को चलाने वालों में
एक है कालू रिक्शावाला,
उसके रिक्शे पर बैठने वाले
अपनी नाक और आँख
दोनों बंद कर लेते हैं ।
उसकी दशा नरोत्तम दास के
सुदामा से कम नहीं
बिवाई से रिसता रक्त,
पसीने से सनी फटी बनियान से
निकलती दुर्गन्ध
दयालु बने लोगों को
यह सब करने के लिए
बाध्य कर देते हैं ।
अपने हक से ज्यादा वह
कभी किसी से नहीं लेता,
यही गर्व उसे जीने के लिए काफी है ।

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"आदमी ही आदमी को पालता है ,
आदमी ही आदमी का रक्त चूस लेता है शरीर से !
पेट की आग नहीं बुझती पसीने से भी ,
जंग लड़े तब कोई कैसे तक़दीर से ?
छोड़ता बना के कोई जानवर ,
आदमी को आदमी से जानवर,
दौलत के दम से ;
जुते मजबूर … जानवर की जगह ,
चमकाए तक़दीर मैले फ़टे लीर-झीर से !"
rajendra swarnkar ji
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ajay kumar soni ji
दो जूण री रोटी खातर
सारै दिन ढ़ोनो पडे वजन
जरुरी है पेट पालण खातर
नीं तो टाबर भूखा सोसी
सोसी टाबरां री माँ
म्है तो छेकड़ कर लेस्यूं गुजारो
पण टाबर भूखा नीं सोवै
म्है तो भूखो रै लेस्यूं
दो जूण री रोटी खातर.
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टाबर (बच्चे), सोसी (सोयेंगे)

छेकड़ (आखिर), लेस्यूं (लूँगा)

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srajan 9
आईये अब चलते हैं "श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता - 9" की तरफ ! नीचे ध्यान से देखिये चित्र को ! क्या इसको देखकर आपके दिल में कोई भाव ...कोई विचार ... कोई सन्देश उमड़ रहा है ? तो बस चित्र से सम्बंधित भावों को शब्दों में व्यक्त कर दीजिये ... आप कोई सुन्दर सी तुकबंदी ... कोई कविता - अकविता... कोई शेर...कोई नज्म..कोई दिल को छूती हुयी बात कह डालिए !
---- क्रियेटिव मंच
adhunik loktantraकृपया प्रतियोगी रचना लिखते समय ध्यान रखें कि किसी राजनेता के नाम का उल्लेख न हो और किसी पर व्यक्तिगत आक्षेप न हों. अमर्यादित शब्दों वाली प्रविष्टि स्वीकार नहीं की जायेगी !
प्रतियोगियों के लिए

1- इस सृजन प्रतियोगिता का उद्देश्य मात्र मनोरंजन और मनोरंजन के साथ कुछ सृजनात्मक करना भी है.
2- यहाँ किसी प्रकार की प्रतिस्पर्धा नही है.
3- आपको चित्र के भावों का समायोजन करते हुए अधिकतम 100 शब्दों के अन्दर रचनात्मक पंक्तियाँ लिखनी हैं, जिसे चयनकर्ता अपनी पसंद और श्रेष्ठता के आधार पर क्रम देंगे और वह निर्णय अंतिम होगा.
4- प्रतियोगिता संबंधी किसी भी प्रकार के विवाद में क्रिएटिव मंच टीम का निर्णय ही सर्वमान्य होगा.
5- चित्र को देख कर लिखी गयी रचना मौलिक होनी चाहिए. परिणाम के बाद भी यह पता चलने पर कि पंक्तियाँ किसी और की हैं, विजेता का नाम निरस्त कर दिया जाएगा.
6- प्रत्येक प्रतियोगी की सिर्फ एक प्रविष्टि पर विचार किया जाएगा, इसलिए अगर आप पहली के बाद दूसरी अथवा तीसरी प्रविष्टि देते हैं तो पहले की भेजी हुयी प्रविष्टि पर विचार नहीं किया जाएगा. प्रतियोगी की आखिरी प्रविष्टि को प्रतियोगिता की प्रविष्टि माना जाएगा.
7- 'पहले अथवा बाद का' इस प्रतियोगिता में कोई चक्कर नहीं है अतः आप इत्मीनान से लिखें. 'माडरेशन ऑन' रहेगा. आप से अनुरोध है कि अपनी प्रविष्टियाँ यहीं कॉमेंट बॉक्स में दीजिये.
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प्रतियोगिता में शामिल होने की समय-सीमा ब्रहस्पतिवार 29 अप्रैल शाम 5 बजे तक है. "श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता- 9" का परिणाम 5 मई रात्रि सात बजे प्रकाशित किया जाएगा !!!

The End

सोमवार, 19 अप्रैल 2010

वडाली बन्धु, राजेंद्र मेहता-नीना मेहता, अहमद हुसैन-मोहम्मद हुसैन, राजन मिश्र-साजन मिश्र, शर्मा बन्धु

क्विज संचालन ---- प्रकाश गोविन्द


काजल कुमार जी बने C.M.Quiz-34 के प्रथम विजेता
आप सभी को नमस्कार !
क्रियेटिव मंच आप सभी का स्वागत करता है !

आप सभी प्रतियोगियों एवं पाठकों को बहुत-बहुत बधाई जिन्होने इस पहेली मे हिस्सा लिया ! कल C.M.Quiz -34 के अंतर्गत हमने गायन संगीत के क्षेत्र से जुडी पांच जोड़ियों के चित्र दिखाए थे और प्रतियोगियों से उन्हें पहचानने को कहा था! जिस क्विज को हमने बेहद आसान समझा था वो प्रतियोगियों के लिए इस कदर कठिन सिद्ध होगी, यह हमारे लिए हैरत की बात है ! जिन गायकों की तस्वीरें हमने दी थीं, उन्हें हम लम्बे समय से टीवी, अखबार और पत्रिकाओं इत्यादि में देखते रहे हैं ... सुनते रहे हैं !

चित्रों के क्रमानुसार सही जवाब थे :-
(1) वडाली बन्धु (2) राजेंद्र मेहता - नीना मेहता (3) अहमद हुसैन - मोहम्मद हुसैन
(4) राजन मिश्र - साजन मिश्र (5) शर्मा बन्धु !!!

प्रतियोगियों में सिर्फ चार लोग ही ऐसे संगीत मर्मज्ञ ... संगीत रसिक थे, जिन्होंने पूर्णतयः सही जवाब दिए ! चारों ही विजेता हमारे लिए विशिष्ट विजेता हैं !

अब C.M.Quiz के पहले राउंड की सिर्फ एक Quiz और शेष है ! उसके बाद पहला राउंड समाप्त हो जाएगा ! कुछ समय के अंतराल के पश्चात 'C.M.Quiz का दूसरा राउंड' शुरू होगा, जिसकी सूचना आप सभी को दे दी जायेगी !

सभी विजेताओं को हमारी तरफ से बहुत-बहुत बधाई और शुभ कामनाएं

आईये अब C.M.Quiz -34 में दिखाई गयी
संगीत के क्षेत्र से जुडी इन प्रसिद्ध जोड़ियों के सम्बन्ध में
संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करते हैं और प्रतियोगिता का परिणाम देखते हैं :--

वडाली बन्धु
[Wadali Brothers]

पूरनचंद वडाली और प्यारेलाल वडाली भाईयों की इस जोड़ी को वडाली बन्धु के नाम से लोकप्रियता हासिल है. भारत के पंजाब में ' गुरु की वडाली '[अमृतसर] के रहने वाले इन बंधुओं में बड़े भाई पूरनचंद को उनके पिता ठाकुर दास ने संगीत सीखने के लिए प्रेरित क़िया।

Sufi Music by Wadali Bandhu पूरनचंद ने पटिअला घराने के बड़े गुलाम अली खान और पंडित दुर्गा दास से संगीत की शिक्षा ली. प्यारेलाल को उनके बड़े भाई ने ही सिखाया. एक बड़े सम्मलेन में उन्हें भाग नहीं लेने दिया गया जिससे निराश हो कर उन्होंने हरबल्लभ मंदिर में अपना संगीत समारोह किया जहाँ आकाशवाणी के एक अधिकारी ने उन्हें सराहा और उनका पहला गाना रिकॉर्ड करवाया. वडाली बंधुओं ने ग़ज़ल, भजन, गुरबानी आदि गाये हैं. सूफी गायकी में उनका अपना एक विशेष स्थान है. वे आज भी अपने पुश्तैनी मकान में गुरु की वडाली में रहते हैं और निशुल्क संगीत सिखाते हैं।

डिस्कवरी चेनेल के एक डाक्युमेंटरी में और फिल्म पिंज में उन्होंने अपना संगीत दिया है. संगीत नाटक एकेडेमी पुरुस्कार[1991], पंजाब संगीत एकेडेमी अवार्ड [2003] तुलसी अवार्ड[1998], और 2005 में भारत सरकार की तरफ से पदम् श्री पुरुस्कार भी उन्हें प्राप्त हैं।

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राजेंद्र मेहता - नीना मेहता
[Rajendra Mehta-- Neena Mehta]
राजेंद्र मेहता -नीना मेहता की युगल जोड़ी ने ग़ज़ल गायकी में एक नया ट्रेंड 'पति पत्नी की युगल जोड़ी के रूप में स्थापित किया था जिसे बाद 2 में जगजीत -चित्रा, भूपेंद्र- मिताली, राजकुमार रिजवी- इंद्राणी, रूपकुमार-सोनाली आदि जोड़ियों ने कायम रखा !

राजेंद्र मेहता का जन्म लाहोर [विभाजन से पूर्व] में 1936 में हुआ था ! बाद में वे लखनऊ स्थानातरित हो गाये. भारतखंडे विद्यापीठ से उन्होंने संगीत कि शिक्षा ली. 1942 में जन्मी नीना से उनकी मुलाकात 1963 में आकाशवाणी में हुई, 1966 में सगाई और 1967 में शादी हुयी ! मुम्बई में जन्मी नीना ने संगीत बचपन से ही सीखा, 11 वर्ष की आयु में ही उन्होंने पहला शो किया था ! राजेंद्र मेहता ने नीना को ग़ज़ल गायकी सिखाई क्योंकि वे पहले भजन और गुजराती गीत गाया करती थीं!

पति -पत्नी की इस कामयाब जोड़ी ने संगीत श्रोताओं के लिए - मंज़र-मंज़र, हमसफर, नगमागार, रूबरू, हार्ट टू हार्ट, ओह्म नमः शिवाय, जैसे संकलन के बेहतरीन एल्बम प्रस्तुत किये !

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अहमद हुसैन - मोहम्मद हुसैन
[Ahmed Hussain--Mohammed Hussain]

अहमद हुसैन मोहम्मद हसैन साहब की जोड़ी कमाल की है, गायकी में गज़ब की हारमनी पैदा करते हैं, दोनों की आवाज़ का सुरूर ही कुछ ऐसा है कि इनकी कुछ गज़लों को बार बार सुनने का मन करता है ... 'मैं हवा हूँ 3 कहाँ वतन मेरा' , 'चल मेरे साथ ही चल', 'दो जवां दिलों का ग़म', 'आया तेरे दर पर दीवाना ... आदि गजलों में अपनी सुरीली आवाज का जादू बिखेरने वाले उस्ताद अहमद हुसैन और उस्ताद मोहम्मद हुसैन की जोड़ी का नाम गजल प्रेमियों की पसंदीदा जोड़ियों में शुमार है। दोनों भाई अपनी गायकी से ऐसा समा बांधते हैं कि हर कोई मंत्रमुग्ध 'वाह-वाह' कह उठता है

जयपुर [राजस्थान] में जन्मे और इंदौर [मध्य प्रदेश] को भी अपना घर मानने वाले इन दोनों भाईयों का संगीत की दुनिया में बहुत नाम है. प्रसिद्द ग़ज़ल और ठुमरी गायक उस्ताद अफज़ल हुसैन जयपुरी के पुत्र होने के कारण इन्हें संगीत में रूचि रही और शस्त्रीय संगीत में बहुत ही अच्छे तालीम दी गयी. इन्हें इनके गीत, कव्वाली, ग़ज़लों, भजन और शबद के लिए भी जाना जाता है. उनके भजनों में सरस्वती और गणेश वंदना अत्यंत गहन एवं हृदयस्पर्शी हैं |

1980 में इनका पहला एल्बम- 'गुलदस्ता' आया था, जिसे बहुत पसदं किया गया था. अब तक दोनों भाइयों के लगभग 65 एल्बमें बाजार में आ चुके है। इनमें कुछ अन्य एल्बमों के नाम- हमख्याल, मेरी मोहब्बत, ग्रेट गजल्स, कृष्ण जनम भयो आज, कशिश, रिफाकत, याद करते रहे, नूर--इस्लाम, रहनुमा, राहत, मेरी मोहब्बत, दसम ग्रन्थ आदि प्रमुख है।

इनके श्रद्धा और भावना नाम के दो प्रारम्भिक एल्बम आज भी संगीत रसिकों को बहुत प्रिय है और शिद्दत से सुने जाते हैं | हाल ही में यश चोपड़ा की फिल्म वीर-ज़ारा में हिट गीत 'आया तेरे दर पे दीवाना' भी इन्ही हुसैन बंधुओं ने गाया था! 'सारेगामा' कार्यक्रम से प्रसिद्धि प्राप्त मोहमद वकील इन्हीं बंधुओं के भतीजे हैं ,और उन्होंने ही उसे संगीत शिक्षा दी है !

राजस्थान सरकार द्वारा स्टेट अवार्ड, राजस्थान संगीत नाटक अकेडमी अवार्ड, 'बेगम अख्तर अवार्ड', नईदिल्ली, उ.प्र. सरकार द्वारा 'मिर्जा गालिब अवार्ड', महाराष्ट्र सरकार द्वारा 'अपना उत्सव अवार्ड' आदि अनेक सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है।

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राजन मिश्र - साजन मिश्र
[Rajan Mishra--Sajan Mishra]

400 साल की पारिवारिक परम्परा को आगे बढ़ाते हुए इन दोनों भईयों को संगीत जगत में बहुत ही सम्मान से देखा जाता है. बनारस घराने में जन्मे पंडित राजन और पंडित साजन मिश्रा को संगीत की शिक्षा उनके दादा जी पंडित बड़े राम जी मिश्रा और पिता पंडित हनुमान मिश्रा ने ही दी।

साजन जी का विवाह पंडित बिरजू महाराज की पुत्री- 'कविता' से हुआ था और राजन जी का विवाह पंडित दामोदर मिश्र की पुत्री- 'बीना' से हुआ था !Rajan_Sajan_2 आज राजन जी के सुपुत्र - रितेश और रजनीश भी सफल गायक के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं ! साजन जी का पुत्र - 'स्वरांश' भी निरंतर संगीत साधना में रत है !

किशोरावस्था में 1978 में राजन-साजन जोड़ी ने श्रीलंका में अपना पहला विदेशी शो किया. आज इनकी आवाज सरहदों के पार- जर्मनी, फ्रांस, स्वीटजरलैंड, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर, जैसे कितने ही मुल्कों में गूंजती है ! ख्याल शैली में अतुलनीय गायन के लिए लोकप्रिय इन भाईयों की जोड़ी को 1971 में प्रधानमंत्री द्वारा संस्कृत अवार्ड मिला, 1994-95 में गंधर्व सम्मान और 2007 में पदम् भूषण से नवाज़ा गया. इनके 20 से अधिक एल्बम संगीत प्रेमियों के लिए उपलब्ध हैं।

वैसे तो मशहूर राजन और साजन मिश्रा ने कभी फिल्मों के संगीत निर्देशन के सम्बन्ध में कभी अपनी रूचि नहीं दिखाई, किन्तु अभी लखनऊ के निर्देशक राकेश मंजुल की फिल्म- 'तेरा देश, मेरा देश' के लिए संगीत निर्देशन की सहमति दी है।

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- शर्मा बन्धु -
[Sharma Brothers]

'सूरज की गर्मी से तपते हुए तन को मिल जाए तरुवर की छाया' ...... कभी किसी समय फ़िल्म- परिणय के इस भजन के माध्यम से गायक शर्मा बंधुओं ने हिन्दुस्तानी संगीत प्रेमियों को अत्यंत आनंदित और आहलादित किया था।

OLYMPUS DIGITAL CAMERA         उज्जैन निवासी गोपाल शर्मा ,सुखदेव शर्मा ,कौशलेन्द्र शर्मा और राघवेन्द्र शर्मा ये चारों भाई शर्मा बन्धु के नाम से जाने जाते हैं. भजन गायकी में एक नया ट्रेंड स्थापित करने का श्रेय इन्हीं भाईयों को जाता है. चारों मिलकर जब कोई भजन गाते हैं तो भक्ति भाव का बेहद अदभुत वातावरण बन जाता है. शर्मा बंधुओं की निर्झर कल-कल बहती अमृत वाणी से भगवान महादेव की स्‍तुति सुनना अविस्मर्णीय अनुभव है।

शर्मा बंधुओं के गाये अन्य भजन- 'तेरा मेरा मेरा तेरा...', 'मेरे घनश्याम...', 'जिनके ह्रदय श्री राम बसे...', 'सुमिरन करले मेरे मन...' इत्यादि आम जनमानस में बहुत लोकप्रिय हैं! भक्तिपूर्ण भाव से ओत-प्रोत भजनों को सुनने के लिए शर्मा बंधुओ के अनेक एल्बम उपलब्ध हैं, जिनमें 'श्री राम दरबार', 'संतों के अनुभव', 'भजन सुमन', एवं 'श्री राम शरणम् नमः' इत्यादि एल्बम के नाम प्रमुख हैं !

C.M. Quiz - 34
प्रतियोगिता का पूरा परिणाम :
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प्रथम स्थान : काजल कुमार जी
KAJAL KUMAR JI
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RAJENDRA SWARNKAR JI
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तृतीय स्थान : अल्पना वर्मा जी
alpana ji
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चौथा स्थान : उड़न तस्तरी जी
sameer ji
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applause applause applause विजताओं को बधाईयाँ applause applause applause
applause applause applause applause applause applause applause applause applause
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आशा है जो इस बार सफल नहीं हुए अगली बार अवश्य सफल होंगे

आप लोगों ने प्रतियोगिता में शामिल होकर
इस आयोजन को सफल बनाया जिसकी हमें बेहद ख़ुशी है

आप सभी लोगों का हार्दिक धन्यवाद
यह आयोजन हम सब के लिये मनोरंजन ओर ज्ञानवर्धन का माध्यम है !
आपके पास कोई सुझाव हो तो हमें जरूर -मेल करें!
अंत में हम सभी प्रतियोगियों और पाठकों का आभार व्यक्त करते हैं
जिन्होंने क्रियेटिव मंच की क्विज़ में शामिल होकर हमारा उत्साह बढाया
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अगले रविवार (Sunday) को हम ' प्रातः दस बजे' पहले राउंड की
आख़िरी क्विज के साथ यहीं मिलेंगे !


सधन्यवाद
क्रियेटिवमंच
creativemanch@gmail.com
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The End

रविवार, 18 अप्रैल 2010

C.M.Quiz- 34 [प्रसिद्ध जोड़ियों को पहचानिए]

क्विज संचालन ---- प्रकाश गोविन्द


Life is a Game, …
God likes the winner and loves the looser..
But hates the viewer…So……Be the Player
logo
आप सभी को नमस्कार !

क्रियेटिव मंच आप सभी का स्वागत करता है!
रविवार (Sunday) को सवेरे 10 बजे पूछी जाने वाली
क्विज में एक बार हम फिर हाजिर हैं !

सुस्वागतम
Welcome

इस बार 'सी एम क्विज़- 34' में हमने नीचे बॉक्स में एक ही क्षेत्र से जुडी पांच
जोड़ियों की तस्वीरें दी हुयी हैं, आपको ध्यान से देखकर इन जोड़ियों के नाम बताने हैं !
अगर आपको नाम न पता हो तो संक्षिप्त परिचय भी दे सकते हैं !
और हाँ ... जवाब देते समय चित्र क्रमांक का ध्यान अवश्य रखें

पूर्णतयः सही जवाब मिलने की स्थिति में
अधिकतम सही जवाब देने वाले को विजेता माना जाएगा !

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एक ही क्षेत्र से जुडी इन पाँचों जोड़ियों को पहचानिए !
1
1
2
2
3
3
4
4
OLYMPUS DIGITAL CAMERA
5
तो बस जल्दी से जवाब दीजिये और बन जाईये

C.M. Quiz - 34 के विजेता !
*********************************************************

पूर्णतयः सही जवाब न मिलने की स्थिति में अधिकतम सही जवाब देने वाले प्रतियोगी को विजेता माना जाएगा ! जवाब देने की समय सीमा कल यानि 19 अप्रैल, दोपहर 2 बजे तक है ! उसके बाद आये हुए जवाब को प्रकाशित तो किया जाएगा किन्तु परिणाम में शामिल करना संभव नहीं होगा !
---- क्रियेटिव मंच
सूचना :
आपका जवाब आपको यहां न दिखे तो कृपया परेशान ना हों. माडरेशन ऑन रखा गया है, इसलिए केवल ग़लत जवाब ही प्रकाशित किए जाएँगे. सही जवाबों को समय सीमा से पूर्व प्रकाशित नहीं किया जाएगा. क्विज का परिणाम कल यानि 19 अप्रैल को रात्रि 7 बजे घोषित किया जाएगा !


विशेष सूचना :
क्रियेटिव मंच की तरफ से विजताओं को प्रमाणपत्र तीन श्रेणी में दिए जायेंगे ! कोई प्रतियोगी तीन बार प्रथम विजेता ( हैट्रिक होना जरूरी नहीं है ) बनता है तो उसे "चैम्पियन " का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा

इसी तरह अगर कोई प्रतियोगी छह बार प्रथम विजेता बनता है तो उसे "सुपर चैम्पियन" का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा !

किसी प्रतियोगी के दस बार प्रथम विजेता बनने पर क्रियेटिव मंच की तरफ से 'जीनियस' का प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा

C.M.Quiz के अंतर्गत अलग-अलग तीन राउंड (चक्र) होंगे !
प्रत्येक
राउंड में 35 क्विज पूछी जायेंगी ! प्रतियोगियों को अपना लक्ष्य इसी नियत चक्र में ही पूरा करना होगा !
---- क्रियेटिव मंच

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