मेरे ब्लॉग की सभी पोस्ट यहाँ हैं
शनिवार, 10 सितंबर 2011
मेरे ब्लॉग की सभी पोस्ट यहाँ हैं
Posted by
प्रकाश गोविंद
at
3:50:00 pm
आपका क्या कहना है??
1 पाठक ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
बुधवार, 4 मई 2011
एक गाँव जो मिसाल बन गया
एक वक्त था जब हमारे देश को सोने की चिड़िया कहा जाता था, पर आज हम अपने देश को इस नाम के साथ पुकार पाने में कितना असमर्थ हैं, इसे हर कोई जानता है. क्या हमने इसका कारण कभी सोचा है कि आज हम अपने देश को ऐसा क्यों नहीं कह सकते ? इसका कारण यह है कि भारत जब सोने की चिड़िया थी तो वह अपने गाँवों की संपन्नता के कारण थी. देश पर विदेशी आक्रमण हुए, अंग्रेजों ने इसे गुलाम बनाया जिससे देश की ग्रामीण सम्पन्नता धीरे-धीरे चरमराने लगी. देश आजाद हुआ और जब देश पुनः अपनी सम्पन्नता प्राप्त करने लगा तो कई लालची व खुदगर्ज लोगों के कारण इस देश की स्थिति सुधर ना पाई. इस बीच भारत के बड़े शहरों का विकास जरुर हुआ, बड़े-बड़े कारखाने स्थापित हुए, विज्ञान के बढ़ते आरामदायक अविष्कारों के चलते ग्रामीण व्यक्तियों का रुझान शहरों की और बढ़ा. कई ग्रामवासी अपनी जन्म- भूमी को छोड़ रोजगार की प्राप्ति के लिए शहरों की और रवाना हो गए और वहीं बस गए. और गाँवों की स्थिति दयनीय होती चली गयी. आज देश की बिगडती स्थिति और शहरों में बढती जनसंख्या को रोकना परम आवश्यक हो गया है. और इसके लिए आवश्यक है कि हम अपनें गाँवों का विकास करें. हम अपने गाँव का विकास क्या दूसरों के भरोसे रहकर कर सकते है ........? बिलकुल नहीं ....यदि हमें अपने गाँव का विकास करना है तो हमें खुद ही कुछ सोचना होगा, हमें ही कुछ निर्णय लेने होंगे, हमें ही इस दिशा में कदम आगे बढ़ाना होगा. या हम यूं कहे कि हमें अपने देश के हर गाँव में स्वराज लाना होगा. आखिर हम कब तक दूसरों के भरोसे रहकर हाथ पे हाथ धरे बैठे रहेंगे.....? क्या हमारे देश के नेता ये परिवर्तन ला सकते है .......? बिलकुल भी नहीं. आज आवश्यकता इस बात की है हम ग्रामवासी आगे आये और खुद गाँव के लिए कुछ करें ,उसे विकास के मार्ग पर आगे बढ़ाएं...................... क्या आप देश को चलाने वाली सरकार की सहायता के बगैर अपने गाँव में स्वराज ला सकते है...........? जी हाँ हम ला सकते है. ऐसे गाँव की कल्पना करना शायद आपको कठिन लगे.. लेकिन हमारे भारत देश में ही एक ऐसा गाँव है जहाँ जहाँ पूर्ण स्वराज है. आइये आपको स्वराज के दर्शन कराते हैं........... |
देश के महाराष्ट्र राज्य में अहमदनगर जिले में एक ऐसा गाँव जिसके गलियों में कदम रखते ही आपको ऐसा लगेगा कि आप किसी गाँव में नहीं अपितु किसी स्वप्नलोक में अपने सपनो के भारत का दर्शन कर रहे हों. और इस गाँव का नाम है हिवरे बाजार. एक ऐसा गाँव जहाँ हर एक व्यक्ति अपने गाँव के विकास के प्रति समर्पित है, एक ऐसा गाँव, जिसे देश को हिला कर रख देने वाली मंदी छू भी ना सकी, एक ऐसा गाँव जहाँ कोई भी व्यक्ति शराब नहीं पीता. ये भारत का ऐसा गाँव है जहाँ से कोई भी व्यक्ति रोजगार की तलाश में अपने गाँव को छोडकर बाहर नहीं जाता , यहाँ हर एक व्यक्ति के पास स्वयं का रोजगार है. ये एक ऐसा गांव है जहां गांव के एकमात्र मुस्लिम परिवार के लिये भी मस्जिद है, यह उस गांव के हाल हैं जहां सत्ता दिल्ली जैसे बड़े शहरो में बैठी किसी सरकार द्वारा नहीं चलाई जाते बल्कि उसी गांव के लोगों द्वारा संचालित होती है. जहाँ गाँव का खुद का संसद है, जहाँ निर्णय भी गाँव के लोग ही लेते हैं. एक ऐसा गाँव है जो पूर्ण आत्मनिर्भर है. क्या इस गाँव के साथ कोई चमत्कार हुआ है?... या यहाँ की ये स्थित प्रकृति की देन है ?..... जवाब है- नहीं . आज से बीस दशक पहले यह गाँव सूखाग्रस्त था, अत्यल्प वर्षा के कारण यहाँ की फासले बर्बाद हो जाती थी. पूरा गाँव सूखे की चपेट में आ जाने के कारण बंजर सा हो गया था इस स्थिति में यहाँ अनैतिक कार्य होने लगा....गाँव का लगभग हर एक घर शराब की भट्टियों में तब्दील हो चुका था...कोई भी सज्जन व्यक्ति इस गाँव में आना पसंद नहीं करता था ,... लेकिन शराब जैसी स्त्यानाशक इस गाँव की स्थिति भला कैसे सुधार सकती थी. फिर यहाँ के 1989 में पढ़े-लिखे युवाओं ने इस गाँव की दशा को सुधारने के लिए सोचा. इन पढ़े-लिखे नौजवानों के सामूहिक रूप से निर्णय लिया कि हम मिलकर इस गाँव को सुधारेंगे ...हालंकि कुछ बड़े-बुजुर्गों ने इस बात का विरोध किया... लेकिन इस गाँव के उज्जवल भविष्य के लिए उन्होंने इस बात को स्वीकार किया. और उन्होंने इस गाँव की सत्ता एक साल के लिए इन्हें सौप दी. और यही एक साल ने पुरे गाँव को बदलना शुरू कर दिया. इस एक साल की सत्ता में हुए परिवर्तन से इन युवाओं को अगले 5 वर्ष के लिए सत्ता दे दी. पोपटराव पवार को इस समूह का निर्विरोध सरपंच बनाया गया और उनके नेतृत्व में विभिन्न योजनाएं बनायी गय. जो इस प्रकार थी- 1. गाँव के इन नवयुवको ने शिक्षा को गाँव के विकास के लिए एक आवश्यक अंग समझा इसलिए इन लोगों ने गाँव के बड़े-बुजुर्गो से अपील की, कि वे अपनी बंजर जमीन विद्यालय खोलने क लिए प्रदान करें. उस समय यहाँ के मास्टर छात्रों को पढाने के बजाए शराब पीया करते थे. उस समय स्कूल में पढने के लिए ना तो तो ढंग की चारदीवारी थी और ना ही बच्चो के खेलने के लिए मैदान. गाँव के दो परिवारों ने इस कार्य के लिए अपनी बंजर जमीन दी और वहाँ सामुदायिक प्रयास से दो कमरों का निर्माण किया गया. आज के समय में यह आस-पास के सभी बड़े विद्यालयों से श्रेष्ठ है. यहाँ शिक्षकों की नित्य उपस्थिति अनिवार्य है. 2. गाँव में कृषि की दशा को सुधारने की दिशा में अनेक नए फैसले लिए गए. यह तय किया गया कि गाँव में उन फसलों के उत्पादन में वृद्धी की जाएगी जिनके लिए कम पानी लगता है. गाँव में भूमिगत जल का स्तर उस समय काफी नीचे था, लेकिन गाँव वालों के सामूहिक प्रयास से 1995 में गाँव में आदर्श गाँव योजना तहत जल संचय के लिए कई बांध बनाये गये | 4 लाख से भी ज्यादा पेड़ लगाये गये| गाँव में ऐसी फसल उअगायी जाती जिसमे पानी कम लगता हो | जिससे ज़मीं का पानी 50 फीट से उठ कर 5-10 फीट तक आ गया | 3. इस गाँव में सबसे अलग व्यवस्था ये कि गयी कि यहाँ एक ग्राम संसद बनाया गया, जहाँ आयोजित सभा में गाँव के सभी लोग जुटते हैं और गाँव के विकास संबंधी उपाय तथा अपनी समस्या को सामने रखते हैं. इस संसद में ग्राम विकास के लिए प्राप्त धनराशि एवं उनके खर्च का ब्यौरा पारदर्शी रूप से लिखा होता है, जिसे कोई भी देख सकता है, अर्थात ये गाँव किसी भी प्रकार के धन घोटाले से पूर्णतः मुक्त है. 4. बीस साल पहले इस गाँव से एक-एक करके पूरा परिवार रोजगार के लिए बड़े शहरों की और पलायन कर रहा था, लेकिन आज के समय में आत्मनिर्भता के कारण इस गाँव की प्रति व्यक्ति सालाना औसत आय 1.25 लाख रुपये है. 5. ये गाँव स्वास्थ्य की दृष्टि से भी अन्य गाँवों से श्रेष्ठ है, यहाँ सामूहिक अस्पताल में डॉक्टर भी अपना काम पूरी ईमानदारी से करते हैं, यदि ये कोई गलती करते हैं तो उन्हें इसका जवाब ग्राम संसद में देना पडता है, गाँव के सभी लोग परिवार नियोजन को अपनाते है. इस गाँव की ऐसी और खूबियाँ हैं जिन्हें आप दिए गए दो वीडियो देखकर समझ सकते हैं. |
अब आपकी इच्छा हो रही होगी कि क्यों ना हम इसी गाँव में जाकर जमीन खरीद कर बस जाएँ .........पर जनाब आप यहाँ जमीन नहीं खरीद सकते, क्योकि गाँव की ग्राम संसद द्वारा ये निर्णय लिया गया है कि यहाँ की जमीन किसी को भी नहीं बेची जायेगी. लेकिन यदि हम अपने गाँव को हिवरे बाजार जैसा बना दें तो ......... बस जरूरत है एक पहल की..... क्यों ना हम भी पोपटराव पवार की तरह आगे आयें और अपने गाँव में स्वराज लाएं. हमारी ये छोटी सी पहल पुरे गाँव को उस मुकाम पर पहुंचा देगी जिसकी कल्पना गांधी जी किया करते थे. आइये आप और हम मिलकर अपने गाँवों में स्वराज लाएं |
क्रियेटिवमंच
creativemanch@gmail.com
================
Posted by
आशीष मिश्रा
at
7:58:00 pm
आपका क्या कहना है??
35 पाठकों ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
Labels:
Feature
गुरुवार, 7 अप्रैल 2011
"श्री सिद्धगिरी म्यूजियम कोल्हापुर, महाराष्ट्र"
श्री सिद्धगिरी म्यूजियम, कोल्हापुर [महाराष्ट्र] Siddhagiri Museum , Kolhapur [Maharashtra] |
एक ऐसा गाँव जहाँ किसान हल और बैल के साथ खड़े मिलेंगे। गाँव की औरतें कुंए में पानी भरने जाती हुयी दिखेंगी। बच्चे पेड़ के नीचे गुरुकुल शैली में पढ़ाई कर रहे हैं, किसान खेत में भोजन कर रहे हैं और आस-पास पशु चारा चर रहे हैं। गाँव के घरों का घर-आँगन और विभिन्न कार्य करते लोग, लेकिन सब कुछ स्थिर ...ठहरा हुआ फिर भी एकदम सजीव,,,जीवंत। जी हाँ यह सब आपको देखना हो तो महाराष्ट्र के कोल्हापुर जाना होगा। |
संग्रहालय में कई प्राचीन संतों की मूर्तियां हैं। उदाहरण के लिए एक पेड़ के नीचे महर्षि पातंजलि को प्राचीन शैली में कक्षा लेते दिखाया गया है। कुछ ही मीटर की दूरी पर महर्षि कश्यप को एक रोगी का इलाज करते दिखाया गया है। यहां महर्षि कणाद को वैज्ञानिक शोध में लीन देखा जा सकता है, वहीं महर्षि वराहमिहिर ग्रह-नक्षत्रों की दुनिया से अपने शिष्यों को अवगत कराते नजर आते हैं। |
ईंट, पत्थरों से निर्मित इस संग्रहालय में प्रतिमाओं का निर्माण सीमेंट से किया गया है। इसके लिए करीब 80 कुशल मूर्तिकारों की सेवा ली गई। इसके प्रबंधक इसे खुला प्रदर्शन परिसर कहना पसंद करते हैं, जहां की मूर्तियां बारिश, गर्मी आदि को झेलने के बावजूद अपनी चमक बनाए हुई हैं। [समस्त चित्र व जानकारी अंतरजाल से साभार] |
सधन्यवाद
क्रियेटिवमंच
creativemanch@gmail.com
================
================
The End |
Posted by
Alpana Verma अल्पना वर्मा
at
1:19:00 am
आपका क्या कहना है??
11 पाठकों ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
Labels:
Article
मंगलवार, 15 मार्च 2011
गायक येशुदास और जसपाल सिंह
प्रिय साथियों नमस्कार !!! हम आप सभी का क्रिएटिव मंच पर अभिनन्दन करते हैं। ''सी.एम.ऑडियो क्विज़- 12' के आयोजन में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों और विजेताओं को हार्दिक बधाई एवं शुभ कामनाएं । इस बार हमने दो सुमधुर कर्णप्रिय गानों की ऑडियो क्लिप्स सुनवाई थीं और प्रतियोगियों से गायक और फ़िल्म के नाम बताने को कहा था। गाने थोड़े पुराने थे, फिर भी संगीत प्रेमियों ने सही जवाब देने में देर नहीं की। पहली क्लिप में फ़िल्म 'मान-अभिमान' का गाना था, जिसे 'येशुदास जी' ने गाया था। दूसरी क्लिप में फ़िल्म 'सावन को आने दो' का गाना था, जिसे 'जसपाल सिंह' जी ने गाया था। पिछली बार हमने शेखर सुमन जी से जरा सा मजाक क्या कर लिया वो तो बिलकुल सीरियस ही हो गए। लगता है इस बार पूरी तैयारी के साथ बैठे थे :) 'सी.एम.ऑडियो क्विज -12' में सबसे पहले सही जवाब देकर शेखर सुमन जी ने एक बार फिर अपना लोहा मनवाया और प्रथम स्थान पर कब्ज़ा किया। इसके उपरान्त द्वितीय और तृतीय स्थान पर क्रमशः शुभम जैन जी और दर्शन बवेजा जी रहे। कई प्रतियोगियों ने आधे-अधूरे जवाब भेजे। किसी ने गायक बताया तो फ़िल्म का नाम नहीं, तो किसी ने फ़िल्म का नाम बताया तो गायक का नाम नहीं। इस कारण उनका नाम विजेता लिस्ट में शामिल नहीं हो सका। राजेन्द्र स्वर्णकार जी इस बार बहुत ही करीब से चूक गए। आशीष जी दुसरे प्रश्न का जवाब देना ही भूल गए। कृतिका जी ने शायद सवाल ही नहीं पढ़ा और गायक का नाम बताने की जगह गाने के बोल लिख दिए। खैर कोई बात ....... इस बार न सही तो अगली बार सही ......... क्विज संचालन व सम्पूर्ण आयोजन में अत्यंत श्रम और समय लगता है। व्यस्तता के कारण हम कुछ समय का अंतराल ले रहे हैं। अगले क्विज आयोजन की सूचना आप सभी को समय-पूर्व दे दी जायेगी। फिलहाल थोड़े दिन क्विज आयोजन स्थगित रहेगा। आप सभी अपना स्नेह यूँ ही बनाये रखिये। आप की प्रतिक्रिया और सुझावों की प्रतीक्षा रहेगी। समस्त विजेताओं व प्रतिभागियों को एक बार पुनः बहुत-बहुत बधाई और शुभ कामनाएं। ************************************** अब आईये - - ''सी.एम.ऑडियो क्विज-12' के पूरे परिणाम के साथ ही क्विज में पूछे गए दोनों विलक्षण गायकों के बारे में बहुत संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करते हैं : |
1- यशुदास [Yeshudaas] |
2- जसपाल सिंह [Jaspal Singh] |
एक बुत से मोहब्बत करके - ' 'येसुदास' | गगन ये समझे चाँद सुखी है - 'जसपाल सिंह ' |
"सी.एम.ऑडियो क्विज़- 12" के विजेता प्रतियोगियों के नाम |
4th आशुतोष जी | 5th डा० शरद सिंह जी | 6th डा० वर्षा सिंह जी | 7th राणा प्रताप सिंह जी |
8th सागर नाहर जी | 9th अदिति चौहान जी | 10th रूपा महाजन जी | 11th शेखर रायजादा जी |
समय-सीमा पश्चात हमें विवेक रस्तोगी जी का भी पूर्णतयः सही जवाब प्राप्त हुआ
जिन प्रतियोगियों ने एक जवाब सही दिया |
आप सभी का हार्दिक धन्यवाद
यह आयोजन मनोरंजन के साथ साथ ज्ञानवर्धन का एक प्रयास मात्र है !
अंत में हम सभी प्रतियोगियों और पाठकों का पुनः आभार व्यक्त करते हैं
जिन्होंने क्रियेटिव मंच की क्विज़ में शामिल होकर हमारा उत्साह बढाया..
अंत में हम सभी प्रतियोगियों और पाठकों का पुनः आभार व्यक्त करते हैं
जिन्होंने क्रियेटिव मंच की क्विज़ में शामिल होकर हमारा उत्साह बढाया..
फिलहाल हम विदा लेते हैं
आगामी क्विज़ आयोजन की पूर्व-सूचना आप सभी को दे दी जायेगी
आगामी क्विज़ आयोजन की पूर्व-सूचना आप सभी को दे दी जायेगी
सधन्यवाद क्रियेटिव मंच अगर आप मेल द्वारा कुछ कहना चाहें या सुझाव देना चाहें तो क्लिक करें =================================================== The End =================================================== |
Posted by
Creative Manch
at
12:11:00 am
आपका क्या कहना है??
42 पाठकों ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
Labels:
C.M.Audio Quiz Result
सदस्यता लें
संदेश (Atom)