शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2009

इला जी की उत्कृष्ट कवितायें

प्रस्तुति :- प्रकाश गोविन्द


सुश्री इला कुमार


परिचय


1
मार्च 1956 को मुज़फ्फरपुर - बिहार में जन्म. एम्. एससी. (फिजिक्स), बी.एड. तथा एल.एल.बी. कुछ वर्षो तक अध्यापन. तीन वर्ष सिंहभूम के आदिवासी जन-जीवन का विशेष अध्ययन. कविताओं और कहानियों के अलावा शैक्षिक, सामाजिक तथा वेदान्तिक विषयों पर सक्रिय लेखन. शीर्षस्थ पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशन. कुछ कविताएँ बंगला, पंजाबी, अंग्रेज़ी में अनुदित

fantasy

तुम्हारा नाम


लिखा, मिटाया
फिर लिखा, फिर मिटाया,
पता नहीं कितनी बार
नंगी चट्टान की इस रुखी कठोर छाती पर
तुम्हारा नाम
वही नाम
जो हमारे बीच के स्वप्निल पलों के बीच पला,
संबंधों के गुलाबी दायरों के बीच दौड़ा
आंखो के जादू में समाया समाया,
आखिर एक दिन
किसी नाजुक से समय में
मेरे होठों से फिसल पड़ा था,
और तुमने सदा-सदा के लिए
उसे अपने लिए सहेज लिया था
वही नाम
जो आज तुम्हारे लिए है,

शायद इसलिए ही इतना प्यारा है

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फूल, चाँद और रात

अब कोई नहीं लिखता
कविता फूलों की सुगन्ध भरी
रात नहाई हो निमिष भर भी
चांदनी में
फूलों के संग
पर कोई नहीं कहता
उस निर्विद्ध निमिष की बात
जो अब भी टिका है
पावस की चम्पई भोर के किनारे
चांदनी की बात
झरते हुए हारसिंगार तले
बैठकर रचे गए विश्वरूप
श्रंगार की बात
अभी अभी साथ की सड़क पर गुजरा है
मां के साथ
मृग के छौने सरीखा
रह रहकर किलकता हुआ बालक
चलता है वह नन्हे पग भरता
बीच बीच में फुदकना
उसकी प्रकृति है
कोई नहीं करता प्रकृति की बात
फूल चांद और रात की बात।
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माँ की तस्वीर

मम्मी माँ मम्मा अम्मा, मइया माई
जब जैसे पुकारा, माँ अवश्य आई
कहा सब ने माँ ऐसी होती है माँ वैसी होती है
पर सच में, माँ कैसी होती है
सुबह सवेरे, नहा धोकर, ठाकुर को दिया जलातीं
हमारी शरारतों पर भी थोड़ा मुस्काती
फिर से झुक कर पाठ के श्लोक उच्चारती
माँ की यह तस्वीर कितनी पवित्र होती है
शाम ढले, चूल्हा की लपकती कौंध से जगमगाता मुखड़ा
सने हाथों से अगली रोटी के, आटे का टुकड़ा
गीली हथेली की पीठ से,
उलझे बालों की लट को सरकाती
माँ की यह भंगिमा क्या ग़रीब होती है ?
रोज-रोज, पहले मिनिट में पराँठा सेंकती
दूसरे क्षण, नाश्ते की तश्तरी भरती
तेज क़दमों से, सारे घर में,
फिरकनी सी घूमती
साथ-साथ, अधखाई रोटी,
जल्दी-जल्दी अपने मुँह में ठूसती
माँ की यह तस्वीर क्या इतनी व्यस्त होती है ?
इन सब से परे, हमारे मानस में रची बसी
सभी संवेदनाओं के कण-कण में घुली मिली
हमारे व्यक्तित्व के रेशे से हर पल झाँकती

हम सब की माँ, कुछ कुछ ऐसी ही होती है।

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तुम कहो

तुम कहो
एक बार
वही बात
जो मैंने कही नहीं है
तुमने सुनी है
बार बार
वही बात
तुम कहो !!!

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18 टिप्‍पणियां:

  1. इला जी की सर्जना से परिचित कराने हेतु आभार।
    दीपपर्व की अशेष शुभकामनाएँ।
    -------------------------
    आइए हम पर्यावरण और ब्लॉगिंग को भी सुरक्षित बनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर रचनाएं प्रेषित की हैं।बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  3. इला जी की कवितायें बहुत सुन्दर व बेहतरीन है
    ख़ास तौर पर "फूल, चाँद और रात" और "माँ की तस्वीर"

    आपका बहुत धन्यवाद जो मुझे इतनी उत्कृष्ट रचनाएं पढने को मिलीं
    दिवाली की खूब सारी शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  4. झिलमिलाते दीपो की आभा से प्रकाशित , ये दीपावली आप सभी के घर में धन धान्य सुख समृद्धि और इश्वर के अनंत आर्शीवाद लेकर आये. इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए.."
    regards

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  5. हर रचना सुन्दर लाजवाब संवेदनाओं से ओतप्रोत है । इला जी को बहुत बहुत बधाई आपको व आप्के मंच के सभी लोगों को दीपावली की शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  6. यहाँ सदैव ही अच्छी रचनाएं पढने को मिल जाती हैं. इस बार भी बहुत ही सुन्दर कवितायें हैं. सभी कविताओं के भाव अलग हैं सभी दिल को छूती हैं

    आपको दिवाली की हार्दिक बधाई

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  7. सभी कविताये बहुत सुंदर
    आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  8. तुम कहो
    एक बार
    वही बात
    जो मैंने कही नहीं है
    तुमने सुनी है
    बार बार
    वही बात
    तुम कहो !!!

    बहुत सुन्दर.

    इला जी से परिचय के लिए creative मंच का आभार!

    जवाब देंहटाएं
  9. क्रियेटिव मंच के सभी सदस्यों को दीपावली की शुभकामनायें!

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुन्दर. पढ़वाने का शुक्रिया,

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत अच्छी कवितायेँ हैं.
    'इला जी से और उनकी लेखनी से परिचय कराया..
    क्रिएटिव मंच का शुक्रिया.

    आप का यह प्रयास सराहनीय है.
    सब में कविता 'माँ की तस्वीर ' ख़ास लगी..

    Wish you happy diwali.

    जवाब देंहटाएं
  12. इला जी की कविता पढ़ने पर ऐसा लगा कि आप बहुत सूक्ष्मता से एक अलग धरातल पर चीज़ों को देखती हैं।

    जवाब देंहटाएं
  13. माँ की बहुत सुन्दर तस्वीर दिखाई ईला जी ने...सभी कविताये बहुत अच्छी....
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये...

    जवाब देंहटाएं
  14. इस दीपावली में प्यार के ऐसे दीए जलाए

    जिसमें सारे बैर-पूर्वाग्रह मिट जाए

    हिन्दी ब्लाग जगत इतना ऊपर जाए

    सारी दुनिया उसके लिए छोटी पड़ जाए

    चलो आज प्यार से जीने की कसम खाए

    और सारे गिले-शिकवे भूल जाए

    सभी को दीप पर्व की मीठी-मीठी बधाई

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत सुन्दर इलाजी की कविताये
    माँ ऐसी ही होती है
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  16. इला जी की कवितायें अच्छी लगी ।

    जवाब देंहटाएं

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