शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2009

अग्निशेखर जी की मर्मस्पर्शीय कवितायें

प्रस्तुति :- प्रकाश गोविन्द


अग्निशेखर

agni shekhar

परिचय
कश्मीर के विस्थापित कवि, जो अलग रहते हुए भी कश्मीर को अपने दिल से कभी जुदा ना कर सके, अतः कश्मीरी साहित्य को विश्व के सम्मुख लाने मे संल्लग्न हैं ।

हिन्दी में तीन कविता संग्रह हैं : किसी भी समय , मुझसे छीन ली गई मेरी नदी , कालवृक्ष की छाया में आतंक और आक्रमण के साये में कविता की छाँव फैलाने वाले इन कवि का कवित्व समकालीन सन्दर्भ में विशेष सार्थक है !

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दस्तकें

बन्द दरवाज़ों ने
बुलाया दस्तकों को
अपने पास
घबराया समय
और दस्तकों को
हुआ कारावास
इस तरह हर युग में
बन्द दरवाज़े रहे उदास

जोख़िम

एक लड़की करती है
किसी से प्यार
सड़कों पर दौड़ने लगती हैं दमकलें
साइरन बजाते
कवि चढ़ता है अपनी छत पर
और मुस्कुराता है कुछ पल
वह बदल देता है
अपनी कविता का शीर्षक
बच निकलती है लड़की

कश्मीरी मुसलमान –1

कितना भीग जाता है मेरा मन
खुली-खुली पलकों से आकर
टकराता है घर
मेरा देश
पूरा परिवेश
खुलती हैं घुमावदार गलियाँ
उनमें खेलने लग पड़ता है बचपन
बतियाती हैं पड़ोस की अधेड़ महिलाएँ
मज़हब से परे होकर
एक बूंद आँसू से धुल जाती हैं
शिकायतें
जलावतनी में जब देखता हूँ


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कश्मीरी मुसलमान – 2

हमारी एक-दूसरे को सीधे
देखने से कतराती हैं आँखें
हम एक-दूसरे को नहीं चाहते हैं
पहचान पाना इस शहर में

दोनों हैं लहुलुहान
और पसीने से तर

फिर भी
ठिठक जाते हैं पाँव
कि पूछें, कैसे हो भाई
किसी भी कश्मीरी मुसलमान को

तमस

तमस हर तरफ़ खिंचा-पसरा था
जैसे खड़ा था सामने एक भयानक रीछ
और हम सहमे हुए थे
खो गया था सबका दिशाबोध
घड़ियों में बज रहा था कुछ
पता नहीं कहाँ पर थे उस वक़्त खड़े हम
ख़त्म हो जाने के खिलाफ़ मूक
किसी छोर से सूरज उगने तक
हमने बचाई किसी तरह
जीवन की लौ

हम ही

अनुमान लगा सकते हैं हम
किसका शव मिला होगा वितस्ता नदी से
किसको दी गई होगी फाँसी
सेबों के बाग़ में
किसको ले गए होंगे घर से उठाकर
आँसू किसके गिरे होंगे
ओस की तरह
घास पर
अनुमान लगा सकते हैं हम
यहाँ जलावतनी में



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The End
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गुरुवार, 8 अक्तूबर 2009

न्यूज रीडर - गरिमा कुमार, बरखा दत्त, श्वेता सिंह, प्रबल प्रताप सिंह और राजदीप सरदेसाई

क्विज संचालन :- - प्रकाश गोविन्द


अल्पना जी को चैम्पियन का खिताब मुबारक

इस ख़ुशी के मौके पर हो जाए 'सेलिब्रेशन विद भांगड़ा'
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नमस्कार !
क्रियेटिव मंच आप सभी लोगों का स्वागत करता है !
आप सभी को बहुत-बहुत बधाई जिन्होने इस क्विज मे हिस्सा लिया !

आज क्रियेटिव मंच के लिए बहुत ख़ुशी का अवसर है ! जैसा कि घोषणा की गयी थी - C.M. Quiz में कोई भी प्रतियोगी तीब बार प्रथम स्थान प्राप्त करता है तो उसे चैम्पियन का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा ! आज सुश्री अल्पना वर्मा जी ने तीसरी जीत हासिल करते ही यह मुकाम भी हासिल कर लिया और बन गयीं :


"1st C।M. Quiz Champion" अल्पना वर्मा जी को
पूरे 'क्रियेटिव मंच परिवार' की तरफ से
हार्दिक बधाई और शुभ कामनाएं !

क्विज रिजल्ट
कल C.M. Quiz – 8 में जिन पांच लोगों के नाम पूछे गए थे,
उनके सही नाम हैं
:



C.M. Quiz - 8 में जिन लोगों के बारे में पूछा गया था, वो सभी विभिन्न टी० वी० चैनल्स से जुड़े 'न्यूज एंकर्स' हैं ! जिन्हें हम रोज ही देखते हैं, लेकिन हमें अधिकतर के नाम नहीं पता होते ! बस हमने इसी विषय को क्विज के रूप में शामिल कर लिया ! उम्मीद तो थी कि प्रतियोगी आज परेशान अवश्य होंगे, क्योंकि एक नहीं पांच लोगों को पहचानना था ! लेकिन इतना मुश्किल भी नहीं था, गूगल बाबा की छत्र-छाया के रहते, इस तरह की मुश्किलों का सामना किया जा सकता है !

आज अल्पना जी ने गजब की तेजी दिखाते हुए चार लोगों के नाम तत्काल बता दिए लेकिन एक नाम पे अटक गयीं ! पाँचवे चेहरे को पहचानने में एक घंटा लग गया ! अल्पना जी की खुश किस्मती थी कि उनके जवाब देने के बाद ही सुश्री सीमा जी का जवाब आ गया, लेकिन वो भी एक नाम पर अटक गयीं ! ऐसा ही हाल सुश्री शुभम जी का भी रहा, उन्होंने भी चार को पहचान लिया बस एक पर अटक गयीं ! दिलचस्प बात यह भी रही कि सुश्री सीमा जी ने प्रबल प्रताप सिंह जी को तुंरत पहचान लिया, जिस पर सब अटक रहे थे ! खैर यह सब तो खेल में चलता ही रहता है !

वैसे सुश्री सीमा जी भी चैम्पियन बनने से बस एक जीत दूर हैं ! उम्मीद है कि हमें ज्यादा इन्तजार नहीं करना पड़ेगा !

आशा है जो इस बार सफल नहीं हुए, अगली बार अवश्य सफल होंगे !

प्रतियोगिता का पूरा परिणाम :





तृतीय स्थान : - सुश्री शुभम जैन जी


पांचवां स्थान : - श्री मियां हलकान


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C.M. Quiz - की पहली चैम्पियन
और सभी
विजेताओं को बधाईयाँ
applause applause applause applause applause applause applause




आदरणीय अल्पना जी को चैम्पियन का खिताब मुबारक हो !
सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई !
सभी प्रतियोगियों और पाठकों को शुभकामनाएं !
आप लोगों ने उम्मीद से बढ़कर प्रतियोगिता में शामिल होकर
इस आयोजन को सफल बनाया, जिसकी हमें
बेहद ख़ुशी है !


Seema Gupta ji , अल्पना वर्मा जी, शुभम जैन जी,
Purnima Ji, मियां हलकान जी, राज भाटिय़ा जी, Anand Sagar ji,
Shivendra Sinha ji, ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ जी, shaheen ji

आप सभी लोगों का धन्यवाद,

यह आयोजन हम सब के लिये मनोरंजन ओर ज्ञानवर्धन का माध्यम है !
आपके पास कोई सुझाव हो तो हमें जरूर
-मेल करें !
अंत में हम सभी प्रतियोगियों और पाठकों का आभार
व्यक्त करते हैं,
जिन्होंने क्रियेटिव मंच की क्विज़ में
शामिल होकर हमारा उत्साह बढाया !

अगले बुधवार को एक नयी क्विज़ के साथ हम यहीं मिलेंगे !

सधन्यवाद
क्रियेटिव मंच
creativemanch@gmail.com


बुधवार, 7 अक्तूबर 2009

C.M.Quiz -8 [इन चेहरों को पहचानिए]

क्विज संचालन :- - प्रकाश गोविन्द


आप सभी को नमस्कार !
क्रियेटिव मंच आप सभी का स्वागत करता है !
बुधवार को सवेरे 9.00 बजे पूछी जाने वाली क्विज में
एक बार हम फिर हाजिर हैं !

सुस्वागतम

WELCOME


लीजिये एक बार फिर आसान सी क्विज है आपके सामने !
नीचे पाँचों तस्वीर को ध्यान से देखिये और पहचानिये कि
ये कौन हैं ?
आप इन चेहरों को रोज ही देखते हैं ..... एक ही कार्य क्षेत्र से जुड़े इन लोगों के सिर्फ नाम बताने हैं ! बेहतर होगा कि आप सभी लोगों के नाम एक साथ बताएं , अन्यथा जवाब अलग-अलग देने पर आखिरी सही जवाब के समय को ही दर्ज किया जाएगा ! कृपया चित्र क्रमांक का भी ध्यान अवश्य रखें !

विशेष :
पूरी तरह सही जवाब आने की स्थिति में
अधिकतम चेहरों को पहचानने वाले को विजेता माना जाएगा !

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[ C.M. Quiz - 8 ]
इन चेहरों को पहचानिये ???


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तो बस जल्दी से जवाब दीजिये और बन जाईये
C.M. Quiz - 8 के विजेता !

सूचना :

माडरेशन ऑन रखा गया है इसलिए आपकी टिप्पणियों को प्रकाशित होने में समय लग सकता है ! सभी प्रतियोगियों के जवाब देने की समय सीमा रात 9.00 तक है ! क्विज का परिणाम कल सवेरे 9.00 बजे घोषित किया जाएगा !

---- क्रियेटिव मंच


विशेष सूचना :

क्रियेटिव मंच की टीम ने निर्णय लिया है कि विजताओं को प्रमाणपत्र तीन श्रेणी में दिए जायेंगे ! कोई भी प्रतियोगी तीन बार प्रथम विजेता बनता है तो उसे 'चैम्पियन' का प्रमाण पत्र दिया जाएगा ! इसी तरह अगर कोई प्रतियोगी छह बार प्रथम विजेता बनता है तो उसे 'सुपर चैम्पियन' का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा ! किसी प्रतियोगी के दस बार प्रथम विजेता बनने पर क्रियेटिव मंच की तरफ से 'जीनियस' का प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा !

C.M.Quiz के अंतर्गत अलग-अलग तीन राउंड (चक्र) होंगे ! प्रत्येक राउंड में 35 क्विज पूछी जायेंगी ! प्रतियोगियों को अपना लक्ष्य इसी नियत चक्र में ही पूरा करना होगा !

---- क्रियेटिव मंच

रविवार, 4 अक्तूबर 2009

ठहाका एक्सप्रेस - 5

Shivendra Sinha
इस बार 'ठहाका एक्सप्रेस- 5' के पायलट हैं -
Laughter is the Best Medicine
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बी पॉजिटिव

पिता : "मैं चाहता हूँ तुम मेरी पसंद की लडकी से शादी करो !"
पुत्र : "अपना जीवन साथी मैं स्वयं चुनूंगा !"
पिता : "लेकिन वो लड़की बिल गेट्स की बेटी है !"
पुत्र : "तब फिर ठीक है ... ओके !"

अगले दिन पिता ने बिल गेट्स से संपर्क किया !

पिता : मैं आपकी लडकी के लिए एक बहुत योग्य जीवन साथी बता सकता हूँ
बिल गेट्स : लेकिन मैं इतनी जल्दी अपनी बेटी की शादी नहीं करना चाहता
पिता : "लेकिन वो लड़का वर्ल्ड बैंक का वाईस प्रेसिडेंट है !"
बिल गेट्स : "तब फिर ठीक है ... ओके !"

आखिर में पिता वर्ल्ड बैंक के प्रेसिडेंट से संपर्क करता है !

पिता : "एक प्रतिभाशाली युवक को जानता हूँ जिसे आप वाइस प्रेसिडेंट नियुक्त कर सकते हैं !"
प्रेसिडेंट : लेकिन हमारे यहाँ पहले से ही बहुत सारे वाइस प्रेसिडेंट हैं .. अब आवश्यकता नहीं !"
पिता : "लेकिन वो युवक बिल गेट्स का दामाद है !"
प्रेसिडेंट : "तब फिर ठीक है ... ओके !"
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निष्कर्ष : जब तुम्हारे पास कुछ भी नहीं हो, तब भी तुम सब कुछ हासिल कर सकते हो !
बस ! तुम्हारी सोच सकारत्मक होनी चाहिए !


संता सिंह एक महिला से प्रेम करता था !
उस महिला ने कहा कि ऐसा करो , मेरे पति को पता न चले, मै दूसरी मंजिल
पर रहती हूँ , रस्सी लटका दूँगी और ऊपर से अठन्नी गिरा दूँगी खन्न से आवाज़ होगी , तुम समझ जाना इशारा है कि बस अब रस्सी पर चढ़ जाना है अर्थात पतिदेव सो गए हैं और खर्राटे ले रहे हैं !"
संता ने कहा , "ठीक !"
रात में संता खड़ा हो गया ! खिड़की के नीचे आधी रात रस्सी लटकी ,
अठन्नी गिरी , खन्न से आवाज़ हुयी !

संता सिंह की प्रेमिका राह देखते - देखते थक गई जब तीन घंटे हो गए तो उसने नीचे झाँककर कहा - " संता क्या अठन्नी की आवाज़ सुनाई नही पड़ी ?"
संता ने कहा, "सुनाई पड़ी, उसी को तो खोज रहा हूँ मिल जाए तो ऊपर आऊं "


रात का समय , मैं अपनी कार से गुजर रहा था
रास्ते में एक गाँव पड़ा गाँव के किनारे की ओर सड़क पर पत्थरों का एक बड़ा ढेर लगा हुआ था और उस ढेर पर एक जलती हुयी लालटेन रखी हुयी थी, यह देखकर मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ मैं बड़ी देर तक वहां रुका रहा, आखिरकार गाँव का एक किसान जब उधर से निकला तो उसे बुलाया और पूछा -
" क्यूँ भैया, यह क्या मामला है ?
यह लालटेन इस ढेर के ऊपर क्यूँ रख छोड़ी है ?"
वह व्यक्ति बोला, " अरे, तुम्हे इतना भी नही मालूम ?
अरे ये इसलिए रखी है ताकि आने जाने वाले लोगों को यह पत्थर का ढेर दिखता रहे "
मैं बोला, " अच्छा यह बात है लेकिन ये तो बताओ की यह पत्थरों का ढेर यहाँ क्यूँ लगा रखा है ?"
उस व्यक्ति ने बड़ी हिकारत से कहा, "हद है, हम तो सुनते थे कि
शहर के लोग बड़े ही बुद्धिमान होते हैं, मगर तुम तो बड़ी ही मूर्खता की बातें कर रहे हो, अरे जब पत्थरों का ढेर नही लगायेंगे तो लालटेन किस चीज पर रखेंगे ? लालटेन को रखने के लिए ही तो पत्थरों का ढेर लगाया गया है "

एक बार एक शहजादा घूमता हुआ छोटे से कस्बे में पहुँचा
तभी सामने से आता हुआ गाँव का एक पंडित दिखायी दिया, जिसकी शक्ल शहजादे से हूबहू मिल रही थी
उसे छेड़ने के अंदाज से शहजादे ने पूछा -
" क्यूँ मियां , क्या तुम्हारी माँ हमारे महलों में काम करती थी पहले कभी ?"
पंडित बोला - " नही - नही श्रीमान , पर मेरे पिता अवश्य बहुत वर्षों तक शाही हरम में पहरेदार रह चुके हैं "


संता सिंह की पत्नी अपने मायके गई बार-बार संता को पत्र लिखती कि कुछ दिनों के लिए आप भी बनारस आ जाएँ लेकिन संता सिंह मुम्बई छोड़ता नही चाहता था
आखिरकार उनकी श्रीमती ने पत्र के साथ एक फोटो भी भेजा, जिसमे एक पार्क के बेंच पर एक जोड़ा बैठा हुआ है - पति-पत्नी एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए, एक दूसरे की आंखों में आँखें डाले हुए और पास के ही एक बेंच पर उनकी श्रीमती जी अकेली बैठी हैं - चिंतित, उदास अवस्था में, खोयी-खोयी सी साथ में पत्र में लिखा था : " देखो तुम्हारे बिना मै कितनी अकेली हो गई हूँ "
संता
ने फोटो को देखा और गुस्से से भर कर तार किया :
"यह सब तो ठीक है, पर यह बताओ कि यह फोटो खींची किसने है ?"


बंता सिंह होटल के मैनेजर से : जल्दी चलिए ,,,, मेरी बीबी खिड़की से कूदकर जान दे रही है !
मैनेजर : तो इसमें मैं क्या करूँ ,,,,??
बंता : कमीने ~~~ खिड़की नहीं खुल रही है !

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एस एम एस फंडा
तेरे प्यार में उम्र भर इन्तजार किया
तेरे प्यार में उम्र भर इन्तजार किया

वाह,,,,वाह

वाह,,,,वाह

उस इन्तजार में जाने कितनों से प्यार किया


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आप भी अगर कोई जोक्स, हास्य कविता या दिलचस्प संस्मरण भेजना चाहते हैं तो हमें मेल कर सकते हैं ,,,, आपका स्वागत है ! रचना को आपके नाम व परिचय के साथ प्रकाशित किया जाएगा !

क्रियेटिव मंच
creativemanch@gmail.com

शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2009

श्रद्धा जैन जी की लाजवाब ग़ज़लें

प्रस्तुति :- प्रकाश गोविन्द


श्रद्धा जैन

sharddha jain ji

जन्म तिथि :
8 नवम्बर 1977 को
जन्म स्थान :विदिशा, मध्य प्रदेश, भारत

संप्रति : अंतरराष्टीय विद्यालय में अध्यापन।
परिचय : विदिशा से अपनी शिक्षा केमिस्ट्री में पूरी की ! पिछले नौ सालों से सिंगापुर में अपने परिवार के साथ सुखद जीवन व्यतीत कर रही हैं

विशेष : अमीर खुसरो की परंपरा की वह कड़ी हैं जो हिंदी और उर्दू को मिलाने का काम करती हैं
इनकी ग़ज़लों की भाषा मधुर और प्रवाहपूर्ण हैसरलता, सरसता और सादापन इनकी सबसे बड़ी विशेषता है, जो इनकी ग़ज़लों को प्रभावपूर्ण बनाती है !

श्रद्धा जैन अंतर्जाल पर भी सक्रिय हैं


Giacomo_Balla-Black_and_White_Futurist_Forcefield-Painting-1916

एक
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अब नया दीया जलाया जाएगा
फिर किसी से दिल लगाया जाएगा

चाँद गर साथी मेरा बन सका
साथ सूरज का निभाया जाएगा

रस्म--रुखसत को निभाने के लिए
फूल आँखों का चढ़ाया जाएगा

कर भला कितना भी दुनिया में मगर
मरने पे ही बुत बनाया जाएगा

आईना सूरत बदलने जब लगे
ख़ुद को फिर कैसे बचाया जाएगा

फिर क़रीने से सजा ने एलबम
उनको पहलू में बिठाया जाएगा

दो
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तेरे बगैर लगता है, अच्छा मुझे जहाँ नहीं
सरसर लगे सबामुझे, गर पास तू ए जाँ नहीं
(सरसर - रेगिस्तान की गर्म हवा) (सबा - ठंडी हवा)

मैं जल रही थी, मिट रही थी, इंतिहां थी प्यार की
अंजान वो रहा मगर, क्यूंकी उठा धुआँ नहीं

कल रात पास बैठे जो, हम राज़दार हो गये
टूटा है ऐतमाद बस, ये तो कोई ज़ियाँ नहीं
(ज़ियाँनुकसान)

क्यूँ दिल मेरा ये, दिलजलों की नासेहा सुने नहीं
माँगा करे दो प्यार के पल, उम्रे जाविदाँ नहीं
(नासेहानसीहत ) (उम्रे जाविदाँ - लंबी ज़िंदगी )

अंदाज़-ए-सुखन और था “श्रद्धा” ज़ुदाई में तेरी
लिख के ग़ज़ल में राज़ सब, कुछ भी किया बयाँ नहीं

तीन
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मुश्किलें आई अगर तो, फ़ैसला हो जाएगा
कौन है पानी में कितने, सब पता हो जाएगा

दूरियाँ दिल की कभी जो, बढ़ भी जाएँ तो हुज़ूर
तुम बढ़ाना इक कदम, तय फासला हो जाएगा

लाए थे दुनियाँ में क्या तुम, लेके तुम क्या जाओगे
रिश्ते नाते ज़र ज़मीं सब कुछ जुदा हो जाएगा

गर दुआ माँगोगे दिल से, और उस पे हो यक़ी
जब बुरा होना भी होगा, तो भला हो जाएगा

आरज़ू थी फूल इक, दामन में मेरे जाए खिल
सोचती हूँ हुआ तो, क्या ख़ला हो जाएगा

ज़िंदगी का रास्ता होगा, बड़ा काँटों भरा
साथ तुम होगे तोश्रद्धाहौसला हो जाएगा


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The End
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